Homeसाइंसप्रदूषण क्या है और इसके प्रकार | प्रदूषण कैसे फैलता है?

प्रदूषण क्या है और इसके प्रकार | प्रदूषण कैसे फैलता है?

प्रदूषण क्या है? – What is Pollution in Hindi

प्रदूषण की परिभाषा – पर्यावरण के किसी भी तत्व में होने वाला वो बदलाव जिसका धरती पर मौजूद जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, प्रदूषण कहलाता है. वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवन नाशक और जहरीले पदार्थ एकत्रित होकर इसे प्रदूषित कर देते हैं. प्रदूषण के जिम्मेदार इन पदार्थों को प्रदूषक कहा जाता है.

ये प्रदूषक प्राकृतिक (natural) भी हो सकते हैं जैसे ज्वालामुखी की राख और गैसें और ये मानव गतिविधियों से भी उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे फैक्ट्रियों से उत्पन्न होने वाला कचरा या विषैला तरल. ये प्रदूषक हवा, पानी और जमीन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं.

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बहुत सी चीजें ऐसी भी हैं जो हमारे लिए उपयोगी हैं लेकिन प्रदूषण पैदा करती हैं. जैसे कार में इस्तेमाल होने वाले ईंधन से निकलने वाला धुआं, बिजली बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले जलते कोयले का धुआं, कारखानों और घरों से निकला कूड़ा और मल, घास-फूस और कीड़े मारने वाले जहरीले केमिकल्स इत्यादि. धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतु, चाहे जमीन पर हो या पानी में, हवा और पानी पर निर्भर करते हैं. जब ये सभी संसाधन दूषित होते हैं तो पृथ्वी पर मौजूद जीवन को खतरा बढ़ जाता है.

प्रदूषण के दुष्प्रभाव

प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है. हालांकि शहरी इलाके ग्रामीण इलाकों की अपेक्षा अधिक प्रदूषित हैं. प्रदूषण उन जगहों में भी दूर तक फ़ैल सकता है जहाँ लोग नहीं रहते हैं. उदाहरण के लिए कीटनाशक और दूसरे विषैले केमिकल्स अंटार्कटिका की बर्फ की चादर में पाए जा चुके हैं. उत्तरी प्रशांत महासागर (Northern Pacific Ocean) के मध्य में सूक्ष्म प्लास्टिक कणों का एक विशाल ढेर great pacific garbage patch के रूप में जाना जाता है.

हवा और पानी का बहाव प्रदूषण को अपने साथ ले जाता है. समुद्री लहरें और एक जगह से दूसरी जगह माइग्रेट करने वाले जलीय जीव अपने साथ समुद्री प्रदूषकों को दूर-दूर तक फैला देते हैं. न्यूक्लियर रिएक्टर से अचानक निकलने वाले रेडियोएक्टिव पदार्थ हवा के साथ ऊपर उठ जाते हैं और दुनियाभर में फैल जाते हैं. इसी तरह किसी कारखाने से निकला धुआं एक देश से दूसरे देश में चला जाता है. यह प्रदूषण मानव सहित पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचाता है. 

प्रदूषण के प्रकार – Types of Pollution in Hindi

मुख्य तौर पर प्रदूषण तीन प्रकार के होते हैं:

1.वायु प्रदूषण

2.जल प्रदूषण 

3.भूमि प्रदूषण

वायु प्रदूषण क्या है? – What is Air Pollution in Hindi

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पृथ्वी के वायुमंडल में हानिकारक प्रदूषक जैसे धूल और मिट्टी के कण, रसायन और अन्य सूक्ष्म जीव इत्यादि के शामिल होने को वायु प्रदूषण कहा जाता है. वायु प्रदूषण के जिम्मेदार प्रमुख प्रदूषकों में मोनोऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), सल्फर डाइऑक्साइड और वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं शामिल है.

आमतौर पर वायु प्रदूषण को देखा नहीं जा सकता लेकिन प्रदूषण अधिक होने या ट्रकों या कारखानों से निकलने वाले धुएं को हम देख सकते हैं.

वायु प्रदूषण के कारण

वायु प्रदूषण के कई कारण हैं, आइए नजर डालते हैं वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों पर.

1. कार और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं – कार और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन जैसे प्रदूषक शामिल होते हैं. ये केमिकल सूर्य की रोशनी से react करते हैं और हवा में धुंध या घना कोहरा पैदा करते हैं. यह दिखने में brown या greyish blue कलर का हो सकता है.

2. ग्रीन हाउस से निकलने वाली गैसें – ग्रीन हाउस से निकलने वाली गैसें भी प्रदूषण की जिम्मेदार होती हैं. ग्रीन हाउस गैसें जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन प्राकृतिक रूप से वातावरण में पैदा होती है. लेकिन जीवाश्म ईंधनों के अधिक इस्तेमाल और जंगलों की कटाई की वजह से वातावरण में इन गैसों की मात्रा काफी बढ़ रही है, नतीजन पूरी दुनिया में औसतन तापमान भी बढ़ रहा है. दुनियाभर में मानव गतिविधियों की वजह से औसत तापमान के बढ़ने को global warming कहा जाता है.

3. क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) – Chlorofluorocarbon वायु प्रदूषण का एक खतरनाक रूप है. यह केमिकल  refrigerators को ठंडा करने के लिए इस्तेमाल होने वाली गैस, झाग वाले उत्पाद और एयरोसोल कैन में पाया जाता है. CFC पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल ओजोन परत को damage करता है, जिससे सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी (ultraviolet) किरणें धरती पर पहुंचने लगती हैं. पराबैंगनी किरणों के अधिक बढ़ने से त्वचा का कैंसर, नेत्र रोग या अन्य कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है.      

4. जीवाश्म ईंधन का अधिक उपयोग – जीवाश्म ईंधन जैसे कि कोयला, तेल और प्राकृतिक गैसों का उपयोग वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है. जब पेट्रोल गाड़ी को पॉवर देने के लिए जलता है तब यह कार्बन मोनोऑक्साइड छोड़ता है जो कि एक रंगहीन और गंधहीन गैस है. अधिक मात्रा में निकली कार्बन मोनोऑक्साइड हवा को जहरीला बना देती है.

5. प्राकृतिक आपदाएं – प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी वायु प्रदूषण काफी तेजी से फैलता है. जब ज्वालामुखी फटते हैं तो वे ज्वालामुखी की राख और गैसों को हवा में छोड़ देते हैं. ज्वालामुखी से निकलने वाली अधिकतर गैसें जल्द ही हवा में उड़ जाती है, लेकिन भारी गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड निचले इलाकों में एकत्रित हो जाती हैं. इसके साथ ही कुछ अन्य गैसें जैसे कि सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन फ्लोराइड इत्यादि भी ज्वालामुखी से निकलती हैं जो वायु को दूषित करती हैं.

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव / हानियां

वायु प्रदूषण से होने वाली हानियां या दुष्प्रभाव कुछ इस प्रकार हैं.

इंसानों पर प्रभाव

वायु प्रदूषण के कारण के कारण लोगों को निम्नलिखित स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं:

  1. वायु प्रदूषण की वजह से आँख, नाक, गले और चमड़ी में जलन पैदा हो सकती है. साथ ही सर दर्द, चक्कर आना और मतली जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है.
  2. कुछ सालों तक या लाइफटाइम चलने वाले प्रदूषण से इंसान की मौत भी हो सकती है. अधिक समय तक रहने वाले प्रदूषण से हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर, साँस सबंधी रोग जैसे अस्थमा इत्यादि हो सकते हैं.
  3. वायु प्रदूषण लोगों की नसों, मस्तिष्क, गुर्दे, यकृत और अन्य अंगों को भी लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकता है.

पर्यावरण पर प्रभाव

  1. वायु प्रदूषण की वजह से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है. इसका मतलब दुनियाभर में हवा और समुद्र का तापमान बढ़ रहा है. इसके बढ़ने के पीछे की वजह ग्रीन हाउस गैसों का बढ़ना है. ग्रीनहाउस गैस पृथ्वी की जलवायु में हीट एनर्जी को ट्रैप कर लेती हैं. इस हीट की वजह से ग्लेशियर और समुद्री बर्फ पिघल रहे हैं. बढ़ता तापमान, जंगली जीवन और आवास पर बुरा प्रभाव डाल रहा है. बढ़ते तापमान की वजह से कई प्रजातियां अपना स्थान बदल रही हैं. कुछ तितलियाँ, लोमड़ी और अल्पाइन पौधे उत्तरी इलाकों या उच्च ठंडे स्थानों की तरफ बढ़ रहे हैं.
  2. प्रदूषण की वजह से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है. दुनिया में बारिश और हिमपात में औसतन वृद्धि हो रही है, जबकि कुछ क्षेत्र सूखे का सामना कर रहे हैं जिससे फसलों का नष्ट होना, जंगलों में आग और पीने योग्य पानी की कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं.
  3. जब वायु प्रदूषक जैसे कि नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड नमी के साथ मिक्स हो जाते हैं तो वे एसिड में तब्दील हो जाते हैं और acid rain (अम्लीय वर्षा) के रूप में धरती पर गिरने लगते हैं. अम्लीय वर्षा जंगलों में पेड़ों को नष्ट कर सकती है. यह झीलों, नालों और जलमार्गों को तबाह कर सकती है. अम्लीय वर्षा संगमरमर और अन्य पत्थरों को भी नष्ट कर देती है.
  4. कुछ हानिकारक प्रजातियां जैसे मच्छर, कीट, फसल कीट और जेलीफिश इत्यादि फल-फूल रही हैं. इनसे वन और फसलों को भारी नुकसान हो रहा है.

वायु प्रदूषण से बचने रोकने के उपाय

वायु प्रदूषण के लिए रोकथाम के उपाय कुछ इस प्रकार हैं:

  • कारखानों को आबादी वाले क्षेत्रों से दूर स्थापित करना चाहिए.
  • ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर गैस संयंत्र का इस्तेमाल करना चाहिए.
  • औद्योगिक संयंत्रों में फिल्टर का प्रयोग करना चाहिए.
  • पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहन की बजाय इलेक्ट्रिक वाहन का इस्तेमाल करना चाहिए.
  • कूड़े-कचरे को खुले में फेकने की बजाय कम्पोस्ट पिस्ट में सड़ा देना चाहिए.
  • लेड रहित पेट्रोल का प्रयोग करना चाहिए.
  • कार ड्राइव या बाइक राइड करने की बजाय हमें public transportation का इस्तेमाल करना चाहिए.
  • धूम्रपान जैसे कि सिगरेट, हुक्का इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए.

जल प्रदूषण क्या है? – What is Water Pollution in Hindi

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जल प्रदूषण तब पैदा होता है जब कुछ हानिकारक पदार्थ, प्राय: केमिकल्स या सूक्ष्मजीव, किसी जलधारा, नदी, समुद्र, झील या तालाब को दूषित कर देते हैं और पानी की गुणवत्ता को कम कर देते हैं. दूषित पानी इंसान और पर्यावरण के लिए जहर साबित हो सकता है.

जल प्रदूषण के कारण

1.कीटनाशक और उर्वरकों का इस्तेमाल – कीटनाशक और उर्वरक, लैंडफिल और सेप्टिक सिस्टम से निकलने वाला कचरा भूगर्भ में मौजूद जल को प्रदूषित कर देता है. जिसका इस्तेमाल इंसानों के लिए सुरक्षित नहीं है. भूगर्भ के जल में मौजूद इन प्रदूषकों को अलग करना या निकालना मुश्किल या असंभव होता है. साथ ही भूजल की सफाई करना बहुत ही महंगी प्रक्रिया है. जल के एक बार प्रदूषित होने पर यह कई दशकों या हजारों सालों तक इस्तेमाल के लायक नहीं रहता. भूगर्भ जल में मौजूद प्रदूषक जल के साथ बहकर जलधारा, नदी या समुद्र में भी पहुंच जाते हैं. 

2.घरेलु डिटर्जेंट – घरों में इस्तेमाल होने वाला साबुन, सर्फ़, फिनायल आदि नदियों और नालों में बहकर जल को दूषित करते हैं. इससे तालाब में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है और जल कम हो जाता है. इस समस्या को युट्रोफिकेशन के नाम से जाना जाता है.

3.नगरों और उद्योगों से निकलने वाला कूड़ा-करकट – नगरों और उद्योगों से आने वाला कूड़ा पानी में मिलकर इसे विषैला बना देता है. उद्योगों और लोगों द्वारा सीधे तौर कूड़ा-करकट जलमार्गों में डाला जाता है जो पानी को गंदा कर उसे दूषित कर देता है.

4.केमिकल्स, भारी धातुएं और पोषक तत्वों का पानी में बहना – कारखानों, खेतों और शहरों से निकलने वाले केमिकल्स, धातुएं और पोषक तत्व (फास्फोरस और नाइट्रोजन) ये सब पानी के साथ बहकर खाड़ी और मुहानों तक पहुंचते हैं और फिर समुद्र में शामिल हो जाते हैं.

5.अधिक विषैले पदार्थों के साथ रेडियोधर्मी अपशिष्ट  – रेडियोधर्मी अपशिष्ट जैसे की यूरेनियम, थोरियम और रेडॉन जल प्रदूषण के प्रमुख कारणों में शामिल हैं. ये अपशिष्ट माइनिंग गतिविधियों, बिजली संयंत्रों इत्यादि से उत्पन्न होते हैं.

6.जल को शुद्ध करने वाले रसायन का अधिक उपयोग – जल को शुद्ध करने वाले रसायन जैसे क्लोरीन, क्लोरीन डाइऑक्साइड इत्यादि का अत्यधिक इस्तेमाल भी जल को दूषित करता है.

जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव / हानियां

मानव जीवन पर प्रभाव

  1. दूषित पानी पिने से इंसानों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इसके इस्तेमाल से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि पाचन संबंधी समस्याएं, विषाक्तता या अधिक गंभीर रासायनिक प्रदूषण से पुरानी विषाक्तता और तंत्रिका संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. इसके साथ ही दूषित पानी पीने से दस्त, हैजा और टाइफाइड जैसी बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं.
  2. दूषित पानी में मौजूद रासायनिक प्रदूषकों के साथ जब कपड़े धोये जाते हैं या स्विमिंग या स्नान किया जाता है तो इसके स्किन के संपर्क में आने से कई प्रकार के चर्म रोग हो जाते हैं और स्किन में जलन शुरू हो जाती है.

पर्यावरण पर प्रभाव

  1. पौधे और जानवर जो जीवन के लिए पानी पर निर्भर करते हैं प्रदूषित जल से अधिक प्रभावित होते हैं. पानी में मौजूद हानिकारक रसायन एवं अन्य पदार्थ जीवों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है. इसके साथ ही पौधों पर भी दूषित पानी का बुरा प्रभाव पड़ता है.
  2. अगर दूषित जल का इस्तेमाल सिंचाई करने के लिए किया जाता है तो फसलों को नुकसान पहुंच सकता है. प्रदूषित जल की वजह से फसलें नष्ट हो जाती हैं या पैदावार में कमी आ जाती है. साथ ही प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने का भी खतरा बढ़ जाता है.

जल प्रदूषण को रोकने के उपाय

जल प्रदूषण के रोकथाम के उपाय कुछ इस प्रकार हैं:

  • जहरीले रसायन जैसे कि ब्लीच, पेंट, पेंट थिनर, अमोनिया और कई अन्य chemicals जो पर्यावरण के लिए खतरा हैं, को अच्छे से व्यवस्थित करना चाहिए.
  • हमें गैर-विषैले क्लीनर और बायोडिग्रेडेबल क्लीनर या कीटनाशक खरीदने चाहिए. ये आम क्लीनर या कीटनाशकों की अपेक्षा थोड़े महंगे जरुर हैं लेकिन जल प्रदूषण के रोकथाम में सहायक है.
  • नगरों और कारखानों से निकलने वाले कूड़ा-करकट को पानी में नहीं डालना चाहिए. इनको किसी एक स्थान पर व्यवस्थित तरीके से एकत्रित करना चाहिए.
  • जल को कीटाणु रहित बनाने के लिए उचित रसायनों का उचित मात्रा में ही प्रयोग करना चाहिए.
  • घरों से निकलने वाले कूड़ा-करकट एवं मल मूत्र के निस्तारण की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
  • कृषि के लिए कम से कम रसायनों का इस्तेमाल करना चाहिए.
  • नदी या तालाब किनारे बैठ कर नहाना या कपड़े धोना आदि पर रोक लगानी चाहिए और जल को साफ सुथरा रखने में सहयोग करना चाहिए.
  • रेडियोधर्मी पदार्थों को खुले में छोड़ने की बजाय गहरे गढ़े में डालना चाहिए.

भूमि प्रदूषण क्या है? – What is Land Pollution in Hindi

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भूमि के फिजिकल, केमिकल या जैविक गुणों में कोई ऐसा अनचाहा बदलाव जिसका सीधा असर मानव तथा अन्य जीवों पर पड़े या धरती की गुणवत्ता या उपयोगिता नष्ट हो तो वह भूमि प्रदूषण कहलाता है.

भूमि प्रदूषण के कारण / स्त्रोत

1.घरेलु कूड़ा-करकट – घरों से निकलने वाला कूड़ा-करकट या अपशिष्ट पदार्थ भूमि प्रदूषण का मुख्य कारण है. उदाहरण के लिए घरों से झाड़ू या सफाई के दौरान निकलने वाली धूल, कांच के टुकड़े, कांच की बोतलें या शीशीयां, पॉलीथिन की थैलियाँ, प्लास्टिक के टुकड़े या डिब्बे, रददी, अधजली लकड़ी, राख और कोयले ये सब भूमि को प्रदूषित करते हैं. रसोई घर से निकली दाल, छिलके, सब्जी इत्यादि अपशिष्ट भी भूमि को प्रदूषित करते हैं. पॉलीथिन घरेलु अपशिष्टों में भूमि प्रदूषण का सबसे बड़ा और मुख्य कारणों में से एक है. यह मिट्टी के नीचे दबने के बाद भी वर्षों तक नष्ट नहीं होता है. इसे जलाने पर निकलने वाली गैस भी जहरीली होती है जो पर्यावरण को प्रदूषित करती है.

2.उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट – उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ भूमि को प्रदूषित करने का कारण बनते हैं. इन अपशिष्ट पदार्थों में कुछ विषैले और निष्क्रिय, कुछ दुर्गन्ध वाले, ज्वलनशील और जैव अपघटक शामिल हैं.

3.कृषि अपशिष्ट पदार्थ – कृषि से निकले अपशिष्ट जैसे कि फसलों की कटाई के बाद बचे पत्तियां, लकड़ी, डंठल, घास-फूस, बीज इत्यादि भूमि प्रदूषण का कारण बनते हैं. वर्षा होने के बाद जैसे ही जल खेतों में जमा होता है तो ये अपशिष्ट पदार्थ जल के साथ सड़ना शुरू हो जाते हैं. इसके अलावा कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक एवं कवकनाशी भी भूमि को प्रदूषित करते हैं.

4.नगरपालिका से निकले अपशिष्ट – नगरपालिका अपशिष्ट जैसे अस्पतालों से निकला अपशिष्ट, सब्जी मंडियों से निकली गली-सड़ी सब्जियां, घरों से निकला कूड़ा-करकट, गले-सड़े फल, मल-मूत्र, मछली पालन, मुर्गी पालन और सूअर पालन से निकला अपशिष्ट पदार्थ, औद्योगिक इकाइयों द्वारा छोड़े गए अपशिष्ट एवं नालियों और गटरों से निकला कूड़ा-करकट इत्यादि भूमि को प्रदूषित करते हैं. इसके अलावा पशु शालाओं से निकला कूड़ा एवं गोबर भी भूमि प्रदूषण का कारण बनते हैं.

भूमि प्रदूषण के दुष्प्रभाव / हानियां

मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव

कूड़ा-कचरा और गंदगी फैलने से उनमे कीड़े-मकोड़े, मच्छर और मक्खियाँ पनपने लगते हैं जो विभिन बीमारियां जैसे हैजा, टाइफाइड, पेचिस, पीलिया, लीवर और गुर्दे से जुड़े रोग इत्यादि उत्पन्न करते हैं. इसके साथ ही इनमें विषैले जीव जैसे सांप और बिच्छू भी पैदा होने लगते हैं जो इंसानों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

पर्यावरण पर प्रभाव

  1. आमतौर पर ठोस अपशिष्ट पदार्थ मिट्टी के नीचे दब जाते हैं जिससे मिट्टी की उत्पादन क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है. साथ ही मिट्टी में मौजूद अनवीकरणीय धातुएं जैसे तांबा, जिंक, लेड आदि को भी नुकसान पहुंचता है. कुछ जगहों पर लोग मलयुक्त जल से खेतों में सिंचाई करते हैं जिससे मृदा के छिद्रों की संख्या कम हो जाती है और कुछ समय बाद भूमि की प्राकृतिक मल जल उपचार क्षमता नष्ट हो जाती है. ऐसी स्थिति में भूमि को रोगी भूमि कहा जाता है.
  2. जब मिट्टी में प्रदूषण या प्रदूषित पदार्थों की मात्रा अधिक बढ़ जाती है तो ये जल स्त्रोतों में पहुंचने के बाद जल में लवणों और अन्य हानिकारक तत्वों की संख्या बढ़ा देते हैं और स्त्रोतों का पानी पिने योग्य नहीं रहता.

भूमि प्रदूषण को रोकने के उपाय

भूमि प्रदूषण को रोकने के निम्नलिखित उपाय हैं:

  • रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम से कम किया जाना चाहिए.
  • कीटनाशक, कवकनाशी इत्यादि का उपयोग कम करना चाहिए.
  • कूड़े-कचरे से निपटने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
  • आम जनता के बीच भूमि-प्रदूषण को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए और इसके दुष्प्रभावों की जानकारी देनी चाहिए.
  • घर का कूड़ा-कचरा निर्धारित पात्रों में डालना चाहिए और गाँव में रहने वाले लोगों को इसे खाद के गढ़े में फेकना चाहिए.
  • खुले में या सड़क पर कूड़ा-कचरा फेकने पर रोक लगाई जानी चाहिए.
  • नगरपालिका और नगर निकायों द्वारा अपशिष्ट पदार्थों से निपटने को प्राथमिकता देनी चाहिए. 

Conclusion

मैं उम्मीद करता हूँ आपको मेरा यह लेख “प्रदूषण क्या है और इसके प्रकार | प्रदूषण कैसे फैलता है?” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है Pollution (प्रदूषण का अर्थ) से जुड़ी हर जानकारी को सरल शब्दों में explain करने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी website पर जाने की जरूरत ना पड़े.

अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे social media networks जैसे whatsapp, facebook, telegram इत्यादि पर share जरूर करें.

Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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