Homeइनफॉर्मेटिवRTI क्या है और कैसे लगाते हैं? | सूचना का अधिकार अधिनियम

RTI क्या है और कैसे लगाते हैं? | सूचना का अधिकार अधिनियम

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RTI क्या है? (RTI Act in Hindi) वैसे तो भारत 1947 में आजाद हो गया था, लेकिन असल में भारत की जनता को पूरी तरह से आजाद नहीं कहा जा सकता. ऐसा इसलिए क्योंकि हम अपने अधिकारों का प्रयोग पूरी तरह से नहीं कर पाते हैं और बिना अधिकारों के प्रयोग के हम खुद को स्वंतत्र नहीं कह सकते. हमारे कुछ ऐसे अधिकार हैं जिनसे हम अभी तक वंचित हैं. यदि हम अपने अधिकारों को जान लेते हैं और उनका अच्छे से प्रयोग करते हैं तो हम खुद को स्वतंत्र कह सकते हैं. ऐसे ही अधिकारों में एक अधिकार है जानने का अधिकार (Right to Information), जिसका हकदार भारत का प्रत्येक नागरिक है. यह एक ऐसा अधिकार है जो आम नागरिक को शक्तिशाली होने का एहसास दिलाता है. एक ऐसा अधिकार जिसके इस्तेमाल से आम नागरिक बड़े-बड़े राजनेताओं और अफसरों की कुर्सी तक को हिला सकता है.

यह अधिकार राजनेताओं और अफसरों को याद दिलाता है कि आम नागरिक के अधिकार से बड़ा कुछ नहीं है. इस अधिकार को सूचना का अधिकार कहा जाता है. आज के इस लेख में आप सूचना के अधिकार (RTI) से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में जानेंगे. सूचना का अधिकार (आरटीआई) क्या है, सूचना के अधिकार का महत्व क्या है, आरटीआई डालने का तरीका इत्यादि के बारे में आज विस्तार से बताया जाएगा. तो चलिए बढ़ते हैं आगे और जानते हैं सूचना का अधिकार अधिनियम की पूरी जानकारी.

RTI क्या है? – What is RTI in Hindi

rti kya hai

RTI का मतलब है Right to Information, यानी सूचना का अधिकार. सूचना का अधिकार अधिनियम, भारत की संसद द्वारा पारित किया गया एक अधिनियम है. इसका उद्देश्य देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना एवं आम जनता तक सरकारी कामकाज से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी पहुंचाना है. यह अधिनियम सरकार और जनता के बीच पारदर्शिता को बढ़ाता है. आप घर बैठे ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से बड़ी ही आसानी से सरकार के किसी भी विभाग एवं उससे जुड़े कामकाज के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. 

आप RTI की मदद से पता लगा सकते हैं सरकार के किस विभाग में कितना पैसा खर्च हो रहा है या किसी अधिकारी या राजनेता की जेब में कितना पैसा जा रहा है. यह कानून भारत के प्रत्येक नागरिक को जानने का अधिकार (Right to Information) या सूचना का अधिकार देता है. इसके तहत आप सरकार से किसी भी तरह की सूचना मांग सकते हैं, उसकी प्रति ले सकते हैं, सरकारी कार्यों और दस्तावेजों की जाँच कर सकते हैं और सरकारी कामों के पदार्थों के सैंपल ले सकते हैं.

सूचना के अधिकार का महत्व

सूचना का अधिकार, संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है. अनुच्छेद 19 (1) के अनुसार प्रत्येक नागरिक को बोलने और अपने विचार प्रस्तुत करने का अधिकार है. सर्वोच्च न्यायालय ने सूचना के अधिकार को मौलिक अधिकारों का हिस्सा बताते हुए नीचे दिए गए तीन सिद्धांत निर्धारित किए थे.

(i) वर्ष 1976 के शुरुआत में राज नारायण और उत्तर प्रदेश सरकार सरकार के केस में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जब तक लोग कुछ जानते नहीं है तब तक वे बोल या जाहिर नहीं कर पाते, अतः हर किसी को जानने का अधिकार होना चाहिए. इसलिए RTI Act को अनुच्छेद 19 में शामिल किया गया.

(ii) साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि भारत एक लोकतंत्र है, जहां लोग स्वामी होते हैं. इसलिए स्वामियों को अधिकार है यह जानने का कि उनकी सेवा के लिए बनी सरकार कामकाज कैसे कर रही है. 

(iii) कोर्ट ने यह भी कहा कि देश का प्रत्येक नागरिक टैक्स का भुगतान करता है. यहां तक कि गली में भीख मांगने वाला भिखारी भी कुछ खरीदता है तो वह सेल्स टैक्स और एक्साइज ड्यूटी के रूप में टैक्स का भुगतान करता है. इसलिए प्रत्येक नागरिक का अधिकार है यह जानने का (Right to Information)  कि उनका पैसा कहां खर्च हो रहा है. 

मौलिक अधिकार होने के बावजूद RTI के लिए अधिनियम क्यों जरूरी है?

सूचना का अधिकार अधिनियम काफी महत्वपूर्ण है. ऐसा इसलिए क्योंकि यदि आप किसी सरकारी विभाग में जाते हैं और वहां कहते हैं कि RTI मेरा मौलिक अधिकार है और मै देश का नागरिक होने के नाते स्वामी हूँ. इसलिए कृपया मुझे अपनी सभी फाइल्स दिखाओ, तो वह आपको नहीं दिखाएगा. बल्कि इस बात की पूरी संभावना है कि वह आपको अपने ऑफिस से बाहर निकाल दे. इसलिए हमें एक मशीनरी या प्रक्रिया की जरूरत है ताकि हम इन अधिकारों का प्रयोग कर सकें. 

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005, जो 13 अक्टूबर 2005 को प्रभावी हुआ, हमें यह मशीनरी प्रदान करता है. इसलिए सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम हमें कोई नया अधिकार नहीं देता है. यह केवल प्रक्रिया को निर्धारित करता है, जैसे जानकारी के लिए कहाँ आवेदन करना है, कैसे आवेदन करना है और फीस कितनी है इत्यादि.

RTI अधिनियम कब लागू हुआ?

सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम को 13 अक्टूबर 2005 को लागू किया गया था. इससे पहले देश की 9 राज्य सरकारें राज्य अधिनियम पारित कर चुकी थी. इन राज्यों में शामिल थे जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, असम, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, राजस्थान और दिल्ली.

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत दिए गए अधिकार

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत देश के प्रत्येक नागरिक को निम्नलिखित अधिकार दिए गए हैं.

  • आप सरकार से कोई भी सवाल पूछ सकते हैं या जानकारी मांग सकते हैं.
  • आप किसी भी सरकारी दस्तावेज की कॉपी मांग सकते हैं.
  • किसी भी सरकारी दस्तावेज की जाँच कर सकते हैं.
  • किसी भी सरकारी कामकाज का निरीक्षण कर सकते हैं.
  • किसी भी सरकारी कार्य की सामग्री का नमूना (सैंपल) ले सकते हैं.

RTI के दायरे में कौन आता है?

RTI भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों में उपलब्ध है. सभी निकाय जो संविधान या किसी क़ानून या किसी सरकार अधिसूचना के तहत गठित हैं या गैर सरकारी संगठनों सहित सभी निकाय जिनका स्वामित्व, नियंत्रण और पर्याप्त रूप से वित्तपोषण सरकार द्वारा किया जाता है, केंद्रीय RTI के दायरे में आते हैं.

क्या प्राइवेट निकाय RTI के दायरे में आते हैं?

सभी प्राइवेट निकाय जिनका स्वामित्व और नियंत्रण सरकार के पास है और जिनका पर्याप्त वित्तपोषण सरकार द्वारा किया जाता है, प्रत्यक्ष रूप से RTI के दायरे में आते हैं. अन्य अप्रत्यक्ष रूप से दायरे में आते हैं, जैसे यदि कोई सरकारी विभाग किसी प्राइवेट निकाय से किसी अन्य अधिनियम के तहत जानकारी प्राप्त कर सकता है, ठीक उसी तरह आम नागरिक भी सरकारी विभाग के माध्यम से आरटीआई अधिनियम के तहत उस निकाय से जानकारी प्राप्त कर सकता है.

RTI कैसे लगाते हैं?

आरटीआई डालने के दो तरीके हैं, एक है (i) ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया और दूसरा (ii) ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया.

ऑनलाइन RTI कैसे फाइल करें?

Online RTI फाइल करने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें:

1. सबसे पहले आरटीआई की आधिकारिक वेबसाइट https://rtionline.up.gov.in/ पर विजिट करें.

2. विजिट करने के बाद आपको नीचे दिखाई गई इमेज की तरह होम पेज दिखाई देगा.

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3. होमपेज पर दिए गए ‘आवेदन करें’ के टैब पर क्लिक करें.

4. अब आपको सामने एक पेज खुलेगा जिसमें गाइडलाइन दी हुई मिलेगी.

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5. इस गाइड लाइन को पढ़ने के बाद “मैंने उपर्युक्त दिशा निर्देशों को पढ़ लिया है एवं समझ लिया है” के बॉक्स पर टिक करें और सबमिट करदें.

6. अब आपके सामने एक और पेज खुलेगा. इसमें अपना विवरण अंग्रेजी भाषा में भरें, जैसे आपकी e-mail ID और SMS प्राप्त करने के लिए आपका फोन नंबर.

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7. अब साथ में दिए गए captcha code को ‘कैप्चा कोड दर्ज करें’ के सामने वाले बॉक्स में भरें और सबमिट करें.

8. अब आपके सामने RTI आवेदन पेज खुलेगा. यहाँ अपना पूरा विवरण अंग्रेजी में दर्ज करें.

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9. जिन कॉलम के साथ स्टार ( * ) का चिन्ह दिया गया है उन्हें भरना अनिवार्य है.

10. आरटीआई अनुरोध के आवेदन के लिए दिए गए बॉक्स में आप केवल 500 शब्द (3000 characters) ही लिख सकते हैं. यदि आपके आवेदन में 500 से अधिक शब्द हैं तो नीचे दिए गए विकल्प में आवेदन की PDF फाइल अपलोड करें.

11. अंत में कैप्चा कोड दर्ज करें और सबमिट करें.

RTI आवेदन करते समय इन बातों का ख्याल रखें

  • यदि आप आप BPL कार्ड धारक नहीं है तो आपको 10 रुपए शुल्क के तौर पर देने होंगे. BPL कार्ड धारकों के लिए आवेदन की प्रक्रिया बिल्कुल मुफ्त है.
  • इसके लिए आवेदक को साथ में BPL कार्ड का विवरण देना होगा, जैसे बीपीएल कार्ड संख्या, जारी करने का वर्ष, जारी करने वाला प्राधिकरण (authority).
  • इसके अलावा आवेदन से जुड़ा कोई अन्य दस्तावेज है तो उसे भी आप PDF के रूप में अपलोड कर सकते हैं.

ऑफलाइन आरटीआई कैसे फाइल करें?

  1. सबसे पहले उस विभाग का पता लगाएं जिसके लिए आप RTI फाइल करना चाहते हैं.
  2. अब जहां आवेदन किया जा रहा है वहां लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हिंदी, अंग्रेजी या उस क्षेत्र की आधिकारिक भाषा में, तय की गई फीस के साथ आवेदन करें. आप आवेदन लिखने के लिए जन सूचना अधिकारी की सहायता भी ले सकते हैं.
  3. आवेदन संबंधित राज्य या केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी को संबोधित किया जाना चाहिए.
  4. आपके द्वारा किए गए आवेदन में प्रश्न स्पष्ट और विस्तृत तरीके से होना चाहिए और साथ में आपका व्यक्तिगत विवरण जैसे नाम, पता, कांटेक्ट नंबर इत्यादि होना चाहिए.
  5. अगर आप BPL कार्ड धारक हैं तो संबंधित दस्तावेज दिखाकर निशुल्क आवेदन कर सकते हैं. बाकी अन्य सभी के लिए 10 रुपये आवेदन शुल्क तय किया गया है.
  6. आवेदन को दफ्तर में ई-मेल के जरिए या व्यक्तिगत रूप से जमा किया जा सकता है.
  7. आवेदन की स्वीकृति के बाद आपको एक receipt दी जाएगी. इस receipt और आवेदन की कॉपी को अपने पास सुरक्षित रखें.
  8. आवेदन की receipt देने के बाद केंद्रीय लोक अधिकारी के लिए 30 दिन के भीतर जवाब देना अनिवार्य होता है, और यदि मांगी गई जानकारी किसी भी व्यक्ति के जीवन और आजादी को खतरा होता है तो समय सीमा 48 घंटे की होती है.

RTI लगाने के नियम

आरटीआई अधिनियम के तहत आवेदन फॉर्म भरने के लिए आवश्यक जरूरतें निम्नलिखित हैं.

  • आवेदक भारत का नागरिक होना चाहिए.
  • आवेदन में पूछे गए प्रश्न का स्पष्ट और विस्तृत विवरण होना चाहिए.
  • आवेदन के साथ आवेदन शुल्क के भुगतान का सबूत होना चाहिए.
  • आवेदन का उत्तर भेजने के लिए आवेदक का पता उपलब्ध होना चाहिए.
  • आवेदक से कांटेक्ट करने के लिए आवश्यक व्यक्तिगत विवरण को छोड़कर किसी भी तरह की व्यक्तिगत जानकारी देने की आवश्यकता नहीं होती और ना ही लोक सूचना अधिकारी (PIO) द्वारा मांगी जाती है.

आरटीआई आवेदन की स्थिति कैसे पता करें?

आरटीआई आवेदन की स्थिति पता करने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें:

1. RTI की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं और ‘स्थिति (स्टेटस) देखें’ पर क्लिक करें

2. अब आपके सामने एक पेज खुलेगा, यहां पहले बॉक्स में अपनी पंजीकरण संख्या डालें.

3. दूसरे बॉक्स में अपना ई-मेल एड्रेस डालें.

4. अब कैप्चा कोड भरें और सबमिट पर क्लिक करें.

5. आपको आपके आवेदन की स्थिति दिखाई देगी और आपके आवेदन में क्या कार्यवाही हुई यह भी दिखाई देगा.

RTI के लाभ – Advantages of RTI in Hindi

जब से सूचना का अधिकार लागू हुआ तब से लोगों को इससे काफी फायदा हुआ है. इससे आम जनता के हितों की रक्षा हो रही है. सूचना के अधिकार से होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार हैं:

  • आम नागरिक अपनी मूलभूत जरूरतें जैसे पानी, बिजली और सड़क इन सब के लिए आने वाले बजट के उपयोग से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. लोग संस्थान से जानकारी या हिसाब ले सकते हैं और जान सकते हैं कि किस काम के लिए कितना बजट पास हुआ और कितना उपयोग में लाया गया.
  • इस कानून की मदद से कोई भी व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत कर सकता है.
  • इस कानून की मदद से नागरिक अपने निजी कामों से जुड़ी जानकारी भी प्राप्त कर सकता है, अजसी पेंसन की जानकारी, आधार कार्ड और पैन कार्ड से जुड़ी जानकारी और प्रोविडेंट फण्ड से जुड़ी जानकारी मांग सकते हैं.
  • इस योजना के जरिए हम सरकारी संस्थान से किसी भी तथ्य की सभी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं. किन्तु हम इसका उपयोग सरकारी संस्थान की राय जानने के लिए नहीं कर सकते हैं.
  • इस अधिनियम के अंतर्गत सभी सरकारी संस्थान, बैंक, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बिजली विभाग, टेलीकॉम विभाग, रेलवे विभाग, राज्य सरकार, पोस्ट ऑफिस इत्यादि सब आते हैं.
  • आरटीआई एक्ट की सबसे बड़ी बात, यह आम जनता के सभी अधिकारों की रक्षा करता है और सूचना प्राप्ति से जनता में सरकार के प्रति विश्वास बना रहता है.

सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रमुख प्रावधान

  • सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी सरकारी या सार्वजनिक प्राधिकरण से किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकता है. इस अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना को आवेदन की तारीख के 30 दिनों के भीतर प्रदान करने का प्रावधान है.
  • सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत रक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यक्तिगत सूचना से संबंधित जानकारी नहीं दी जा सकती.
  • इस अधिनियम में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद व राज्य विधानमंडल सहित सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और निर्वाचन आयोग जैसे संवैधानिक निकायों व उनसे संबंधित पदों को भी RTI Act के दायरे में शामिल किया गया है.
  • इस अधिनियम में सभी सार्वजनिक प्राधिकरण को अपने दस्तावेजों के संरक्षण के लिए उन्हें कंप्यूटर में सुरक्षित रखने के लिए कहा गया है.
  • RTI अधिनियम के तहत केंद्र स्तर पर एक मुख्य सूचना आयुक्त और अधिकतम 10 सूचना आयुक्तों की टीम वाले एक केंद्रीय सूचना आयोग के गठन का प्रावधान दिया गया है. राज्यों में भी इसी आधार पर राज्य सूचना आयोग के गठन का प्रावधान है.

सूचना का अधिकार अधिनियम से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें 

  1. सूचना का अधिकार (आरटीआई) हमारे मौलिक अधिकारों का हिस्सा है, इसलिए यदि लोक सूचना अधिकारी आवेदन लेने से मना करता है, तय समय सीमा के भीतर जवाब नहीं देता है या गलत या भ्रामक जानकारी देता है तो जुर्माने के तौर पर 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 25000 तक का जुर्माना उसकी सैलरी में से काटा जा सकता है.
  2. जब भी आप सूचना मांगते हैं तो लोक सूचना अधिकारी को सूचना मांगने का कारण पूछने का अधिकार नहीं है.
  3. आवेदन शुल्क के तौर पर गरीबी रेखा से ऊपर आने वाले लोगों के 10 रुपये फीस रखी गई है. कुछ राज्यों में यह ज्यादा भी हो सकती है.
  4. आप लोक सूचना अधिकारी के दुर्व्यवहार से संबंधित शिकायत सीधे सूचना आयोग से कर सकते हैं.
  5. यदि आप सूचना के साथ दस्तावेजों को कॉपी की मांग करते हैं तो आपको इसके लिए 2 रुपये प्रति पृष्ठ के हिसाब से फीस देनी होगी. कुछ राज्यों में यह फीस ज्यादा भी हो सकती है.
  6. यदि आपके द्वारा मांगी गई सूचना किसी गलत विभाग में चली जाती है तो उस विभाग के सूचना अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह इसे सही विभाग में 5 दिनों के भीतर पहुंचाए. ऐसी स्थिति में समय सीमा 30 की बजाय 35 दिनों की होगी.
  7. यदि आप किसी संदर्भ में आवेदन फॉर्म को अधुरा छोड़ देते हैं तो आपका आवेदन रद्द हो सकता है. इसके अलावा यदि आप ऐसे विभाग के बारे में जानकारी मांगते है जिसे RTI के दायरे से बाहर रखा गया है तो भी आवेदन रद्द कर दिया जाएगा.
  8. जिन मामलों से संबंधित सूचना नहीं दी जा सकती, उन सूचनाओं को लोक सूचना अधिकारी देने से मना कर सकता है. ऐसे मामलों का उल्लेख धारा-8 में किया गया है. लेकिन यदि मांगी गई सूचना जनहित में है तो धारा-8 में मना की गई सूचना भी दी जा सकती है.
  9. यदि किसी सूचना को संसद या विधानसभा के मांगने पर देने से मना नहीं किया जा सकता तो उस सूचना को आम जनता के मांगने पर भी मना नहीं किया जा सकता.
  10. यदि लोक सूचना अधिकारी तय की गई समय सीमा के भीतर सूचना प्रदान नहीं करता है, या धारा-8 से बाहर होते हुए भी सूचना देने से मना करता है, या आप सूचना से संतुष्ट नहीं है तो आप 30 दिनों के भीतर संबंधित लोक सूचना अधिकारी के वरिष्ठ अधिकारी यानी प्रथम अपील अधिकारी के सामने प्रथम अपील कर सकते हैं.
  11. यदि आप प्रथम अपील से भी संतुष्ट नहीं है तो आप दूसरी अपील 60 दिनों के भीतर संबंधित केंद्रीय या राज्य सूचना आयोग से कर सकते हैं.

आरटीआई से जुड़े FAQ

Q.आरटीआई का जवाब कितने दिनों में आता है?

RTI लगने के बाद लोक सूचना अधिकारी को 30 दिनों के भीतर आवेदक को जवाब देना होता है.

Q.आरटीआई के तहत सूचना नहीं मिले तो क्या करें?

सूचना ना मिलने या संतुष्ट न होने की स्थिति में आप अपील दायर कर सकते हैं. यदि प्रथम अपील से भी आप संतुष्ट नहीं हैं तो आप दूसरी अपील भी डाल सकते हैं.

Q.प्रथम अपील क्या है?

यदि सूचना अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी गलत है या आप जानकारी से संतुष्ट नहीं है या आपको आवेदन का जवाब नहीं मिला है तो आप प्रथम अपील दायर कर सकते हैं. इसके लिए RTI की अधिकारिक वेबसाइट के होमपेज पर “प्रथम अपील” के नाम से टैब दिया गया है.

Q.सूचना के अधिकार के तहत कौन सी जानकारी नही दी जा सकती है?

ऐसी जानकारी जो किसी व्यक्तिगत सूचना से संबंधित है, जिसका सामने आना लोक क्रियाकलाप या जनहित से संबंध नहीं रखता और जिससे किसी व्यक्ति की निजता (प्राइवेसी) पर अनावश्यक अतिक्रमण होता है, सूचना के अधिकार के तहत नहीं दी जा सकती. इसके अलावा ऐसी कोई जानकारी जिसके साझा होने पर राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है सूचना के अधिकार के तहत नहीं दी जा सकती.

Q.सूचना आवेदक को कितना आवेदन शुल्क देना होता है?

RTI के लिए आवेदन करने पर 10 रुपये आवेदन शुल्क के तौर पर देने होते हैं. किसी राज्य में यह शुल्क ज्यादा भी हो सकता है. जबकि बीपीएल कार्ड धारकों के लिए आवेदन प्रक्रिया मुफ्त में उपलब्ध है.

Conclusion

उम्मीद करती हूँ आपको मेरा यह लेख “RTI क्या है और कैसे लगाते हैं” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है सूचना का अधिकार अधिनियम से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े.

अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें. 

Monika Chauhan
Monika Chauhanhttps://hindivibe.com/
मोनिका चौहान Hindivibe की Co-Founder और Author हैं. इन्हें सामान्य ज्ञान से संबंधित जानकारियों का अध्ययन करना और उनके बारे में लिखना अच्छा लगता है.

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