पेट्रोल और डीजल को पेट्रोलियम से निकाला जाता है जिसे कच्चा तेल कहा जाता है. 

कच्चे तेल के लंबे molecules की श्रृंखला को पेट्रोलियम रिफाइनिंग के जरिए पेट्रोल और डीजल जैसे refined  ईंधन की छोटी श्रृंखला से अलग किया जाता है.

सबसे पहले कच्चे तेल को एक भट्टी में डाला जाता है और इसे 400 डिग्री सेल्सियस तापमान तक गर्म किया जाता है. जिसके बाद सभी molecules वाष्प के रूप में तब्दील हो जाते हैं.

चूँकि सभी यौगिकों का boiling point अलग-अलग होता है, बड़े और भारी molecules सबसे पहले टावर के निचले भाग में संघनित (वाष्प से द्रव में बदलना) होते हैं. जबकि हल्के molecules टावर के ऊपर वाले भाग पर संघनित होते हैं.

प्राकृतिक गैसें, पेट्रोल या गैसोलीन और केरोसिन (मिट्टी तेल) ये ऊपरी भाग में निकलते हैं, डीजल मध्य भाग में और भारी यौगिक जिनका इस्तेमाल प्लास्टिक और lubricants बनाने में किया जाता है को टावर के निचले भाग से प्राप्त किया जाता है.

टावर के अलग-अलग लेवल पर distillation plates लगी होती हैं जहाँ तरल संघनित होकर इकट्ठा होता है.

पेट्रोल – जब वाष्प 40 डिग्री सेल्सियस से 205 डिग्री सेल्सियस के बीच condense होते हैं तब पेट्रोल या Gasoline निकलता है. डीजल – जब वाष्प 250 डिग्री सेल्सियस से 370 डिग्री सेल्सियस के बीच condense होते हैं तब डीजल निकलता है.