चाहे कोई भी क्षेत्र क्यों न हो, आज भारत देश पूरी दुनिया में हर क्षेत्र के अंदर अपनी अलग पहचान बना रहा है. इसी के साथ अंतरिक्ष की दुनिया में भी भारत लगातार आगे बढ़ रहा है और नए-नए मुकाम हासिल कर रहा है. भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती उपलब्धियां देख आज दूसरे देश भी स्तब्ध हैं. ये सब संभव हो रहा है इसरो (ISRO) की वजह से. लेकिन क्या आप जानते हैं यह ISRO क्या है? अगर नहीं, तो आज के इस आर्टिकल को अंत तक पूरा जरुर पढ़ें, क्योंकि इस लेख में आपको इसरो के बारे में पूरी जानकारी पढ़ने को मिलेगी.
इसरो भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत के लिए अंतरिक्ष से संबंधित तकनीक उपलब्ध करवाना है. यह पृथ्वी अवलोकन, संचार, नेविगेशन, मौसम विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए launch vehicle, satellite और अन्य संबंधित तकनीक की रचना और विकास करता है.
आज भारतीय अंतरिक्ष संगठन ISRO अपनी अंतरिक्ष उड़ान को और ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान भेजने की कोशिश में लगा है. इसरो चंद्रमा से उन सभी जानकारियों को हासिल करना चाहता है जिनसे दुनिया अभी अनजान है.
आज के इस आर्टिकल में आप इसरो की जानकारी हिंदी में जानेंगे. इस लेख में आपको इसरो क्या है, इसरो की उपलब्धियां, इसरो का इतिहास, इसरो का मुख्यालय कहां है, इसरो के वर्तमान अध्यक्ष कौन है इत्यादि के बारे में जानने को मिलेगा. तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इसरो के बारे में (About ISRO in Hindi).
ISRO क्या है? – What is ISRO in Hindi
ISRO का पूरा नाम है “Indian Space Research Organization”. इसरो विशेष प्रयोग के लिए उपग्रह उत्पाद और उपकरणों को विकसित कर उन्हें राष्ट्र को प्रदान करता है. इनमें भौगोलिक सूचना प्रणाली, संचार, प्रसारण, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन उपकरण, नेविगेशन, मानचित्रण, टेलीमेडिसिन (दूरसंचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से रोगियों के दूरस्थ निदान और उपचार) और दूरस्थ शिक्षा उपग्रह शामिल हैं.
यह अंतरिक्ष विभाग (DOS) के नीचे काम करता है, जिसे सीधे तौर पर भारत के प्रधानमंत्री द्वारा देखा जाता है और ISRO के चेयरमैन भी DOS के executive के तौर पर कार्य करते हैं.
इसरो दुनिया की छः सरकारी अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है जिसके पास पूर्ण प्रक्षेपण क्षमता है. यह क्रायोजेनिक इंजन (शून्य से कम तापमान पर काम करने वाले) की तैनाती, पृथ्वी या वायुमंडल के बाहर के मिशन का प्रक्षेपण और कृत्रिम उपग्रहों के बड़े बेड़े को संचालित करने में सक्षम है.
ISRO का Full Form क्या है? – Full Form of ISRO in Hindi
ISRO का फुल फॉर्म है “Indian Space Research Organization”. हिंदी में “भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन”.
इसरो का मुख्यालय कहां है?
ISRO का मुख्यालय अंतरिक्ष भवन, बैंगलोर में स्थित है.
इसरो की स्थापना कब हुई?
इसरो की स्थापना 15 अगस्त, 1969 को की गई. इसरो ने अपने पूर्ववर्ती INCOSPAR (Indian National Committee for Space Research) की जगह ली जिसकी स्थापना सन् 1962 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और भारत के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई द्वारा की गई थी.
ISRO की 10 बड़ी उपलब्धियां
ग्रहों की खोज और अंतरिक्ष विज्ञान अनुसंधान के साथ राष्ट्र के विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल के उद्देश्य से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन दुनिया के शीर्ष अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्रों में शामिल हो गया है. इसरो से पहले INCOSPAR (Indian National Committee for Space Research) ने अपना पहला रॉकेट 1963 में लॉन्च किया था. साइकिल से रॉकेट ले जाने से लेकर, पहले प्रयास में मंगल पर पहुँचने तक ISRO ने एक लंबा सफ़र तय किया है. यहाँ इसरो की शीर्ष 10 उपलब्धियों को दर्शाया गया है जिन्होंने इसरो को विश्व के मानचित्र पर रखा है.
INSAT की लॉन्चिंग
इसरो के शुरुआती मिशनों में INSAT का नाम शामिल है. INSAT का मतलब है “Indian National Satellite System”. यह Asia-Pacific region के कुछ घरेलु संचार सैटेलाइट सिस्टम में से एक था. इसमें 9 communication satellites शामिल थे जिन्हें Geostationary orbit में रखा गया था. इनकी तैनाती वर्ष 1983 में प्रसारण, दूरसंचार, मौसम पूर्वानुमान, खोज और बचाव अभियान, अंतरिक्ष विज्ञान और आपदा की चेतावनी जैसी जरूरतों को पूरा करने के लिए की गई थी. INSAT के लॉन्च के साथ ही देश के संचार क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति शुरू हो गई थी.
SRE-1
इसरो की 10 बड़ी उपलब्धियों में Space Capsule Recovery Experiment (SRE-1) का नाम शामिल है. इसे 10 जनवरी, 2007 में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के पहले launchpad से लॉन्च किया गया था. इसे लॉन्च करने के लिए PSLV C7 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया, जिसमें 3 अन्य satellites भी शामिल थे. इस पूरे मिशन का उद्देश्य परिक्रमा कर रहे space capsule का सही हालत में आने की क्षमता को दर्शाना था. Capsule ने धरती पर फिर से प्रवेश करने से पहले 12 दिनों तक अंतरिक्ष में परिक्रमा की थी. इसके दूसरे वैज्ञानिक उद्देश्यों में मार्गदर्शन नियंत्रण, नेविगेशन, संचार प्रबंधन और कई अन्य projects शामिल थे.
RLV का विकास
Reusable Launch Vehicle (RLV) मिशन भी इसरो के चर्चित मिशनों में से एक है. ISRO को NASA की तरह असीमित बजट और स्वतंत्रता नहीं मिलती है. इसलिए इसरो की कोशिश रहती है कि वह कम से कम लागत में अधिक आउटपुट ले सके. इसी उद्देश्य के साथ RLV का विकास किया गया, जो इसरो के लिए काफी महत्वपूर्ण है. हालांकि इसे नमूने की तरह पेश किया गया है, जिसका पहला परीक्षण 23 मई, 2016 को किया गया था. जैसे ही इस रॉकेट को हरी झंडी मिलती है, यह इसरो को विज्ञान अनुसंधान और अंतरिक्ष खोज के मिशन में एक नई दिशा देगा.
भारत का पहला Satellite आर्यभट्ट
इसरो के पहले सफल सैटेलाइट का नाम, देश के महान खगोल विज्ञानी आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था. इसे 19 अप्रैल, 1975 में Kosmos-3M नामक रसियन रॉकेट के साथ Kapustin Yar, Astrakhan Oblast से लॉन्च किया गया था. यह satellite 17 वर्षों तक अंतरिक्ष में रहा. इसके पश्चात 10 फरवरी, 1992 को इसने पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश किया. हालांकि, मार्च 1981 में इसरो का इस satellite के साथ संचार बंद हो गया था. आर्यभट्ट को लॉन्च करने का मुख्य उद्देश्य एक्स-रे खगोल विज्ञान, एरोनोमिक्स और सौर भौतिकी में प्रयोगों का संचालन करना था.
2015 में सबसे बड़ा कमर्शियल लॉन्च
सन 2015 में ISRO ने सबसे बड़ा व्यावसायिक मिशन लॉन्च कर अपने नाम एक नया रिकॉर्ड दर्ज किया. 10 जुलाई, 2015 के दिन 1440 किलोग्राम वजन के साथ Polar Satellite Launch Vehicle-C28 (PSLV-C28) को लॉन्च किया गया. इस spacecraft में पांच ब्रिटिश satellites शामिल थे, जिसे इसरो और एंट्रिक्स कॉरपोरेशन द्वारा संचालित किया गया था. इस अंतरिक्ष यान ने सतीश धवन स्पेस सेंटर से 19 मिनट 22 सेकंड में 647 किलोमीटर का सफर तय कर लिया था. यह अंतरिक्ष में भेजे जाने वाला अब तक का सबसे अधिक भार था.
चंद्रयान -1
चंद्रयान-1 ISRO का वह मिशन था जिसने भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यप्रणाली को पूरी तरह से बदल कर रख दिया था. यह चंद्रयान कार्यक्रम के तहत देश का पहला चाँद से संबंधित अन्वेषण था जिसे अक्टूबर 2008 में लॉन्च किया गया था. इस मिशन में एक lunar impactor और orbiter शामिल था और अगस्त 2009 तक ऑपरेशन में शामिल रहा. इसे लॉन्च करने के पीछे का मकसद चाँद के खनिज विज्ञान, भू-विज्ञान और स्थलाकृति का पता लगाना था. हालांकि, मिशन को को पूरा कर लिया गया था, लेकिन फिर भी कुछ लोग इसे विफल मानते हैं क्योंकि इसरो ने एक साल पूरा होने से पहले ही अंतरिक्ष यान से अपना संपर्क खो दिया था.
एक साथ 104 Satellites की लॉन्चिंग
सबसे बड़े व्यावसायिक लॉन्च के बाद इसरो ने दूसरा जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है, वो है एक ही मिशन के तहत 104 उपग्रहों की लॉन्चिंग. एक साथ इतनी बड़ी संख्या में उपग्रहों की इस लॉन्चिंग को सन 2017 में श्रीहरिकोटा से भारतीय रॉकेट Polar Satellite Launch Vehicle की मदद से लॉन्च किया गया. इन satellites में 101 विदेशी satellites थे. एक ही प्रयास के अंदर इन सभी उपग्रहों को इनके ऑर्बिट में पहुँचाना, इसरो की अब तक की सबसे बड़ी सफलता है.
GSLV MK3
GSLV MK3 का मतलब है “Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III”. यह इसरो द्वारा बनाया गया एक 3 स्टेज हेवी लॉन्च व्हीकल है,जिसे चंद्रयान-2 spacecraft के लिए चुना गया था. यह ISRO का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है जो ऑर्बिट में 4000 किलोग्राम तक का वजन ले जा सकता है. साथ ही यह 3 अंतरिक्ष यात्रियों को भी ले जाने में सक्षम है. यह भारत के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि बहुत सारे अंतरिक्ष संगठन ऐसा नहीं कर पाए हैं.
मंगलयान या MOM
MOM का मतलब है “Mars Orbiter Mission”, इसे मंगलयान (Mars-Craft) के नाम से भी जाना जाता है. यह मंगल की परिक्रमा करने वाला एक अंतरिक्ष जांच है. मंगल ग्रह तक पहुंचना किसी भी देश के लिए आसान नहीं रहा है. भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने पहले प्रयास में ही मंगल तक अपनी पहुंच बना ली थी. सिर्फ यही नहीं, इसरो ने इस मिशन को केवल 450 करोड़ में पूरा किया था, जो अब तक का सबसे कम बजट है. अमेरिका, रूस और यूरोप के बाद मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला भारत चौथा देश है.
IRNSS की लॉन्चिंग
Indian Regional Navigation Satellite System (IRNSS), भारत का एक स्वतंत्र नेविगेशनल सॅटॅलाइट सिस्टम है जिसे देश के लोगों को बिल्कुल सही जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए तैयार किया गया है. इसे लॉन्च करने के बाद भारत पांचवा ऐसा देश बन गया है जिसका खुद का एक Navigation System है. इस satellite system को पूरा करने के लिए 7 satellites को लॉन्च किया गया था. इसे इसरो द्वारा 29 अप्रैल 2016 को पूर्ण किया गया. यह भारत के भविष्य के लिए एक बड़ी छलांग है और देशवासियों के लिए बहुत ही गर्व की बात है.
2020 में ISRO की नई उपलब्धियां
इसरो द्वारा 2020 में तीन अंतरिक्ष यानों को लॉन्च किया गया, जो कुछ इस प्रकार हैं:
1.GSAT-30
2.EOS-01
3.CMS-01
1. GSAT-30
17 जनवरी 2020 के दिन GSAT-30 को Geosynchronous Transfer Orbit (GTO) में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया. इसे Kourou launch base, French Guiana से Ariane-5 VA-251 लॉन्च व्हीकल के साथ लॉन्च किया गया था. यह भारत का दूरसंचार उपग्रह है जिसे लॉन्च करने का मकसद INSAT-4A की रिप्लेसमेंट और कवरेज बढ़ाना था.
इस उपग्रह को ISRO के 1-3K Bus संरचना में संयोजित किया गया ताकि भू-तुल्यकाली कक्षा से C और KU bands में संचार सेवाएं प्रदान की जा सके.
2. EOS-01
07 नवंबर 2020 के दिन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से EOS-01 उपग्रह को Low Earth Orbit (LEO) में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया. इसे लॉन्च करने के लिए PSLV-C49/EOS-01 लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल किया गया था. यह देश का पृथ्वी अवलोकन उपग्रह था जिसे कृषि, वन विज्ञान और आपदा प्रबंधन में सहायता के लिए लॉन्च किया गया था.
3. CMS-01
17 दिसंबर 2020 के दिन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से PSLV-C50/CMS-01 लॉन्च व्हीकल की मदद से CMS-01 को Geosynchronous Transfer Orbit (GTO) में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया. यह भारत का संचार उपग्रह है जिसे आवृत्ति स्पेक्ट्रम के विस्तारित C bands की सेवाएं प्रदान करने के लिए लॉन्च किया गया. इसमे भारतीय मुख्य भूमि, अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह शामिल हैं. यह भारत का 42वां संचार उपग्रह है.
इसरो का इतिहास – History of ISRO in Hindi
हमारे देश में अंतरिक्ष अनुसंधान गतिविधियों की शुरुआत 1960 दशक के शुरुआत में हो चुकी थी. इस दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में भी satellites का उपयोग करने वाले अनुप्रयोग experimental stages पर थे. अमेरिकी उपग्रह ‘Syncom-3’ द्वारा प्रशांत महासागर क्षेत्रों में होने वाले टोक्यो ओलंपिक खेलों का Pacific-Region में लाइव प्रसारण कर अपने संचार उपग्रहों का शक्ति प्रदर्शन किया गया. इसे देख डॉ. विक्रम साराभाई, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है, ने अपने देश के लिए अंतरिक्ष तकनीक के फायदों को तुरंत पहचान लिया.
डॉ. साराभाई को विश्वास हो गया था कि अंतरिक्ष के संसाधनों द्वारा आम जन एवं समाज की वास्तविक परेशानियों को दूर किया जा सकता है. अहमदाबाद स्थित Physical Research Laboratory (PRL) के डायरेक्टर के तौर पर, डॉ. साराभाई ने देश के सभी कोनों में मौजूद योग्य और उत्कृष्ट वैज्ञानिकों, मानवविज्ञानियों, संचारकों और समाजविज्ञानियों को बुलाया और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक दल गठित किया.
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से की गई थी और इसमें तीन अलग-अलग elements जैसे कि communication और remote sensing, space transportation system और application programmes के लिए उपग्रह को शामिल किया गया. सन 1962 में डॉ. साराभाई और डॉ. रामानाथन के नेतृत्व में INCOSPAR (Indian National Committee for Space Research) की शुरुआत की गई.
सन 1967 में अहमदाबाद स्थित देश के पहले ‘Experimental Satellite Communication Earth Station (ESCES)’ की स्थापना की गई. साथ ही यहाँ भारतीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रशिक्षण देने का कार्य भी प्रारंभ किया गया था.
यह साबित करने के लिए कि एक satellite system राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, इसरो ने साफ़ कर दिया था कि अनुप्रयोग विकास की शुरुआत के लिए स्वदेशी उपग्रहों का इंतजार करने की जरूरत नहीं है. जबकि विदेशी उपग्रहों का उपयोग प्राथमिक चरणों में किया जा सकता है.
हालांकि एक पूर्ण विकसित उपग्रह प्रणाली के परीक्षण से पहले, राष्ट्र के विकास के लिए दूरदर्शन माध्यम की क्षमता को साबित करने के लिए कुछ नियंत्रित परीक्षणों को जरूरी समझा गया. तदनुसार, कृषि जानकारी के लिए एक टीवी कार्यक्रम “कृषि दर्शन” की शुरुआत की गई, जिसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली.
1969 में गठित किए गए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने तत्कालीन INCOSPAR का अधिग्रहण किया. इसके बाद अगला कदम Satellite Instructional Television Experiment (SITE) था, जो 1975-76 के दौरान दुनिया के सबसे बड़े सामाजशास्त्रीय परीक्षण के रूप में सामने आया. इस परीक्षण के माध्यम से 6 राज्यों के 2400 गांवों में करीब 200,000 लोगों को फायदा हुआ और American Technology Satellite (ATS-6) का इस्तेमाल करते हुए विकास आधारित कार्यक्रमों का प्रसारण किया गया. साथ ही SITE के माध्यम से प्राथमिक स्कूलों के 50,000 विज्ञान के अध्यापकों को भी प्रशिक्षण दिया गया.
SITE के बाद, सन 1977-79 के बीच Franco German Symphonie satellite का इस्तेमाल करते हुए ISRO और Post and Telegraphs Department (P&T) की संयुक्त परियोजना Satellite Telecommunication Experiments Project (STEP) की शुरुआत की गई. STEP को दूरसंचार परीक्षणों के लिए तैयार किया गया था. जिसका उद्देश्य भू-तुल्यकालिक उपग्रहों का इस्तेमाल करते हुए घरेलु संचार के लिए प्रणाली परीक्षण प्रदान करना, विभिन्न भूखंड सुविधाओं के डिजाइन, निर्माण, स्थापना, प्रचालन तथा रखरखाव में क्षमताओं और अनुभव को प्राप्त करना तथा देश के लिए प्रस्तावित प्रचालनात्मक घरेलु satellite system, INSAT के लिए जरुरी स्वदेशी क्षमता का निर्माण करना था.
SITE के बाद, “Kheda Communication Project (KCP)” की शुरुआत की गई जिसने गुजरात राज्य के खेड़ा जिला के लिए आवश्यकताअनुसार और स्थानीय विशिष्ट कार्यक्रम के प्रसारण के लिए एक क्षेत्र प्रयोशाला के तौर पर कार्य किया. सन 1984 में KCP को UNESCO-IPDC द्वारा कुशल ग्रामीण संचार के लिए पुरुष्कार प्रदान किया गया.
इसी दौरान भारत के पहले अंतरिक्ष यान “आर्यभट्ट” का विकास किया गया और सोवियत लांचर का इस्तेमाल करते हुए इसे लॉन्च किया गया. इसके बाद दूसरी उपलब्धि पहले लॉन्च व्हीकल SLV-3 का विकास था, जिसे 40 किलोग्राम वजन के साथ निम्न भू-कक्षा (Low Earth Orbit) में स्थापित किया जा सकता था. इसकी पहली सफल उड़ान 1980 में पूरी की गई थी.
SLV कार्यक्रम के तहत, सम्पूर्ण व्हीकल के डिजाईन, मिशन डिजाईन, मटेरियल, हार्डवेयर निर्माण, सॉलिड प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी, नियंत्रण ऊर्जा संयंत्र, उड्डयनकी, वाहन एकीकरण चेकआउट और लॉन्च ऑपरेशन के लिए क्षमता का निर्माण किया गया.
80 के दशक के परिक्षणात्मक चरण के दौरान, उपयोगकर्ताओं के लिए, सहयोगी ground systems के साथ space systems के डिजाईन, विकास तथा कक्षीय प्रबंधन में शुरू से अंत तक क्षमता का प्रदर्शन किया गया. भास्कर I और II, remote sensing के क्षेत्र में ठोस कदम थे जबकि भविष्य के संचार उपग्रह प्रणाली के लिए “Ariane Passenger Payload Experiment (APPLE)” अग्रदूत बन कर सामने आया.
जटिल Augmented Satellite Launch Vehicle (ASLV) के विकास ने भी नई तकनीक का प्रदर्शन किया जैसे कि strap-on का इस्तेमाल, बल्ब नुमा ऊष्मा कवच, बंद लूप मार्गदर्शन और डिजिटल ऑटोपायलट. इससे जटिल मिशनों के लिए लॉन्च व्हीकल डिज़ाइन की कई बारिकियों के बारे में जानने का मौका मिला, जिससे PSLV और GSLV जैसे ऑपरेशनल लॉन्च व्हीकल का निर्माण संभव हुआ.
90 के दशक के प्रचालनात्मक दौर के समय, दो व्यापक श्रेणियों के तहत प्रमुख अंतरिक्ष अवसंरचना का निर्माण किया गया. इनमे से एक का इस्तेमाल बहुउद्देशीय भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (INSAT) के माध्यम से संचार, प्रसारण और मौसमविज्ञान के लिए किया गया. जबकि दूसरे का इस्तेमाल भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह (IRS) प्रणाली के लिए किया गया. इस चरण की विशेष उपलब्धियों में ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचक रॉकेट (PSLV) तथा भूतुल्यकाली उपग्रह प्रमोचक रॉकेट (GSLV) का विकास और संचालन शामिल था.
ISRO से संबंधित FAQs
1. इसरो के वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं?
इसरो के वर्तमान अध्यक्ष या चेयरमैन कैलासवादिवु सिवन (K.Sivan) हैं. इनका जन्म 14 अप्रैल 1957 को हुआ था. इन्होंने इससे पहले विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र और तरल प्रणोदन प्रणाली के डायरेक्टर के तौर पर काम किया है.
2. भारत के प्रथम अंतरिक्ष यान का नाम?
इसरो के प्रथम अंतरिक्ष यान का नाम ‘आर्यभट्ट’ था, जिसे पूरी तरह से भारत में बनाया गया था. आर्यभट्ट की लॉन्चिंग 19 अप्रैल 1975 के दिन रूस की रॉकेट लॉन्च साइट Kapustin Yar से Soviet Kosmos-3M रॉकेट के माध्यम से की गई.
3. भारत के प्रथम रॉकेट का नाम?
इसरो द्वारा बनाए गए देश के सबसे पहले स्वदेशी रॉकेट का नाम RH-75 था (RH का मतलब था Rohini और 75 रॉकेट का डायामीटर था mm में).
4. इसरो पैसे कैसे कमाता है?
इसरो अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा satellite data को बेचकर, INSAT/GSAT ट्रांसपोंडर्स को पट्टे पर देने के साथ विभिन्न अन्य सेवाओं से प्राप्त करता है. इन सेवाओं में Indian Remote Sensing Satellite से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कारोबार को डाटा की मार्केटिंग और प्रत्यक्ष स्वागत और इनसैट / जीसैट उपग्रहों में उपग्रह ट्रांसपोंडर के पट्टे शामिल है.
इस दौरान Antrix ने यूरोप, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में मौजूद EADS, Astrium, Intelsat, Avanti Group, WorldSpace, Inmarsat सहित कई अन्य अंतरिक्ष संस्थानों के साथ समझौता किया था.
Antrix Corporation Limited, ISRO की एक व्यावसायिक शाखा है जो इसरो के उत्पाद, सेवाएं और प्रौद्योगिकियों को प्रमोट करती है. Antrix एक Public Sector Undertaking (PSU) है, जिसका पूर्ण स्वामित्व भारत सरकार के अधीन है.
5. इसरो के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?
इसरो के प्रथम अध्यक्ष डॉ. विक्रम साराभाई थे.
6. विश्व में इसरो का स्थान?
USA, China, Europe और Russia की अंतरिक्ष एजेंसियों के बाद ISRO का दुनिया में 5वां स्थान है.
7. इसरो का हेडक्वार्टर कहां पर है?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का हेडक्वार्टर बंगलौर में है.
8. इसरो किस आयोग के नियंत्रण में है?
इसरो को अंतरिक्ष विभाग (Department of Space ‘DOS’) के नियंत्रण में रखा गया है.
Conclusion
मुझे उम्मीद है आपको मेरा ये Article ” इसरो के बारे में पूरी जानकारी | About ISRO in Hindi” जरुर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है इसरो की जानकारी को सरल शब्दों में explain करने की ताकि आपको इस Article के सन्दर्भ में किसी दूसरी site पर जाने की जरूरत ना पड़े.
अगर आपके मन में इस article को लेकर किसी भी तरह का कोई doubt है या आप चाहते हैं इसमें कुछ सुधार हो तो आप नीचे comment box में लिख सकते हैं.
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