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सूर्ययान ‘आदित्य L1’ क्या है? (Aditya L1 Mission) जानें इसके उद्देश्य

‘आदित्य L1’ क्या है? हाल ही में भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने ‘चंद्रयान 3’ को उतार कर इतिहास रच दिया है और पूरी दुनिया में भारत दक्षिणी ध्रुव पर अपना (Aditya L1 Kya Hai) यान उतारने वाला प्रथम देश बन गया है. यह संपूर्ण देश के लिए ही अत्यधिक गौरव वाली बात है, किन्तु हमारे वैज्ञानिक केवल यहीं पर रुकने वाले नहीं हैं. हर सफल मिशन उन्हें और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और इसी के तहत हमारा अगला मिशन है सूर्य के पास अपना यान भेजना.

इसरो के हजारों वैज्ञानिक व कर्मचारी इस दिशा में दिन रात काम व शोध कर रहे हैं, ताकि चन्द्रमा की भांति ही इस मिशन को भी सफल बनाया जा सके. यह सूर्य पर भेजने के लिए भारत का प्रथम मिशन होगा जिसके सफल होने के बाद भारत इस क्षेत्र में दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले रूस, अमेरिका व यूरोप की अंतरिक्ष संस्थाएं यह कार्य कर चुकी हैं.

भारत ने अपने इस मिशन को ‘आदित्य L1’ नाम दिया है, जो जल्दी ही लॉन्च होने वाला है. अब आपके मन में आदित्य L1 मिशन को लेकर कई तरह के प्रश्न होंगे जैसे कि यह आदित्य L1 कब लॉन्च होगा? इसका क्या कुछ काम होगा? इससे हमें क्या मिलेगा इत्यादि. ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ आदित्य L1 के बारे सब कुछ साझा करने जा रहे हैं, ताकि आपका ज्ञानवर्धन हो सके.

आदित्य L1 मिशन क्या है? (Aditya L1 Mission in Hindi)

aditya l1 mission kya hai

जब भी कोई अंतरिक्ष संस्था अंतरिक्ष या ब्रह्माण्ड पर अनुसंधान करने के लिए अपने किसी यान को भेजती है फिर चाहे वह मानव रहित हो या मानव सहित, उसे एक नाम दिया जाता है. यह नाम ही उस यान की पहचान होती है और दुनिया में वह इसी नाम से ही जाना जाता है. अब जिस प्रकार भारत ने चन्द्रमा पर जो यान भेजा था, उसका नाम ‘चंद्रयान 3’ रखा गया अर्थात यह चन्द्रमा पर मिशन भेजने की तीसरी श्रंखला थी जो वहां के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने में सफल रहा था. इससे पहले के चंद्रयान 1 व 2 के काम व उद्देश्य अलग थे. जिसमें से चंद्रयान 2 चन्द्रमा की सतह पर उतरने में विफल हो गया था.

अब इसी तरह इसरो ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए भी योजना बनायी है और इसके लिए जिस यान को लॉन्च किया जाएगा उसका नाम आदित्य L1 रखा गया है. हालाँकि इसका उद्देश्य सूर्य की सतह पर उतरना नहीं होगा और यह संभव भी नहीं है. यह केवल सूर्य के पास के लैग्रेंज पॉइंट पर रखा जाएगा. अब सूर्य तो बहुत ही ज्यादा गर्म होता है और वहां पर उतरना संभव भी नहीं है. यहाँ तक कि उसके पास के बुध पर भी जाना मनुष्यों के लिए वर्तमान समय के अनुसार संभव नहीं है.

ऐसे में आदित्य L1 मिशन को सूर्य का अध्ययन करने के लिए उससे एक निश्चित दूरी पर स्थापित किया जाएगा. अब आप सोच रहे होंगे कि यह आदित्य L1 सूर्य पर नहीं उतरेगा तो यह कहाँ तक जाएगा. ऐसे में यह आदित्य L1 मिशन कुल 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा और उसके बाद सूर्य का अध्ययन करेगा. इस तरह से आदित्य L1 यान की पृथ्वी से दूरी 15 लाख किलोमीटर की होगी और वहां से यह सूर्य का अध्ययन करने का कार्य करेगा.

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आदित्य L1 का उद्देश्य क्या है? (Aditya L1 Mission Ka Uddeshya Kya Hai)

अब आप सोच रहे होंगे कि हम चंद्रमा पर पहुँचने के बाद सूर्य पर जो इतना बड़ा मिशन लॉन्च करने जा रहे हैं और उसके तहत आदित्य L1 को सूर्य की कक्षा के नजदीक भेजा जा रहा है तो उसके तहत क्या उद्देश्य निहित होंगे. तो हमारे इसरो के वैज्ञानिक कई तथ्यों का अध्ययन करने और भविष्य में उन पर शोध करने के उद्देश्य के तहत आदित्य L1 को लॉन्च कर रहे हैं. ऐसे में आइये जाने सूर्ययान आदित्य L1 के उद्देश्य.

  • आदित्य L1 के तहत सूर्य के क्रोमोस्फेयर व कोरोना की गतिशीलता का अध्ययन करना है. दरअसल सूर्य पर इतना अत्यधिक तापमान वहां लगातार हो रहे प्लाज्मा के विस्फोट के कारण होता है. इस प्लाज्मा विस्फोट की किरणें अंतरिक्ष में जगह-जगह फैल जाती हैं और इसके कण हमारी पृथ्वी पर भी पहुँचते हैं.
  • हालाँकि पृथ्वी चुम्बकीय तरंगे इन्हें पृथ्वी के अंदर तक पहुँचने से रोक देती हैं, लेकिन फिर भी यह हमारी पृथ्वी की कई परतों को भेद देती है और उन्हें गंभीर क्षति पहुंचाती है. ऐसे में सूर्य के प्लाज्मा विस्फोट और उसके चारों ओर की कोरोना का अध्ययन करना इसका मुख्य उद्देश्य है.
  • सूर्य पर कितना अधिक तापमान है, उसका अध्ययन करना भी आदित्य L1 का कार्य होगा. एक तरह से इसके जरिये हम सूर्य को और नजदीक से जान पाने में सक्षम होंगे.
  • सूर्य के चारों ओर के कोरोना अर्थात उसकी कक्षा में किस जगह पर कितना तापमान है, इसका भी अध्ययन होगा. इससे हम भविष्य में सूर्य के और समीप जा पाने में सक्षम होंगे ताकि नयी जानकारियां प्राप्त की जा सके.
  • सूर्य का चुम्बकीय क्षेत्र कितना अत्यधिक शक्तिशाली है, उसका खिंचाव कितना है, वह किस किस को अपनी ओर खींच सकता है इत्यादि का अध्ययन भी किया जाएगा.
  • सूर्य के आसपास वायु की उत्पत्ति कैसे हो रही है, उसका प्रवाह क्या है, उसकी सरंचना कैसी है और उसमें किस किस तरह की वायु मिली हुई है इत्यादि का अध्ययन भी इसी आदित्य L1 के तहत किया जाएगा.
  • इसी के साथ ही सूर्य में इतने विस्फोट किस कारण हो रहे हैं और इससे क्या कुछ हो सकता है, इसका भी अध्ययन करना आदित्य L1 का उद्देश्य होगा.

आदित्य L1 कैसे काम करेगा? (Aditya L1 Kaise Kam Karega)

अब आपका अगला प्रश्न यह होगा कि जब यह सूर्ययान आदित्य L1 सूर्य की सतह पर ही नहीं उतरेगा तो उसका अध्ययन कैसे करेगा? तो हम आपको यह पहले ही बता दें कि यह आवश्यक नहीं है कि किसी चीज़ का अध्ययन करने के लिए उसकी सतह पर ही उतरा जाए, हम उसके पास जाकर भी उसके बारे में बहुत कुछ पता कर सकते हैं. कहने का अर्थ यह हुआ कि अभी तक हम सूर्य को बहुत कम जानते हैं और वहां तक पहुंचना हमारे लिए असंभव है.

ऐसे में उसके जितना नजदीक जाया जा सकता है, उतना नजदीक जाकर, उसका अध्ययन करना, उसके बारे में और जानकारी जुटाना और उसके बाद यदि संभव हो तो भविष्य के मिशन में सूर्य के और समीप जाया जाना ही कार्ययोजना का हिस्सा होता है. ऐसे में सूर्ययान आदित्य L1 को सात भागों में विभाजित किया जाएगा, जो पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर जाकर एक कक्षा में स्थापित हो जाएगा और वहां से वह सात भागों में बंट जाएगा.

इन सात भागों को नीतभार (Payloads) कहा जाता है, जिसमें से चार नीतभार (Payloads) अलग-अलग जगह घूम कर अपना कार्य करेंगे, तो वहीं 3 नीतभार वहीं पर स्थिर होकर अपना कार्य कर रहे होंगे. इनमें प्रत्येक नीतभार का काम अलग-अलग होगा, जो सूर्य की जानकारी एकत्रित कर रहे होंगे. इससे हमें सूर्ययान आदित्य L1 के उद्देश्यों को पूरा करने में सफलता मिलेगी.

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आदित्य L1 में L1 का मतलब क्या है?

अब आप शुरू से ही इस मिशन या यान का नाम आदित्य L1 पढ़ रहे हैं, तो इसे पढ़ कर अवश्य ही आपके मन में यह प्रश्न उठा होगा कि आखिरकार इसमें L1 का क्या मतलब है? तो यहाँ हम आपको बता दें कि यह पृथ्वी से सूर्य पर भेजने वाले यान की कक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया एक नाम है, जो पूरी दुनिया के द्वारा ही इस्तेमाल में लाया जाता है. इस L1 की फुल फॉर्म लैग्रेंज पॉइंट 1 (Lagrange point 1) है.

दरअसल पृथ्वी का भी अपना चुंबकीय क्षेत्र होता है और सूर्य का भी अपना एक चुम्बकीय क्षेत्र है. ऐसे में जो भी यान इनकी कक्षा में जाता है, तो वह इनके चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभाव में आने के कारण इसके चारों ओर चक्कर लगाने लगता है. तो L1 वह पॉइंट होता है जो पृथ्वी व सूर्य के बीच की एक ऐसी कक्षा होती है जहाँ पर दोनों के ही चुम्बकीय क्षेत्र का प्रभाव शुन्य सा हो जाता है और वहां पर कोई यान स्थिर रह पाता है, अर्थात उसे चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं.

इसी कारण इस मिशन या यान का नाम आदित्य L1 रखा गया है. अर्थात पृथ्वी व सूर्य की चुम्बकीय कक्षाओं के बीच में एक ऐसा पॉइंट जहाँ दोनों का अपनी ओर खिंचाव बहुत कम हो जाएगा या शुन्य रह जाएगा. हमारा आदित्य L1 इसी पॉइंट पर ही रहेगा और इसी कारण इसके नाम में L1 रखा गया है.

आदित्य L1 कब लॉन्च होगा?

अब सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न और वह यह है कि आखिरकार इसरो के द्वारा आदित्य L1 को लॉन्च करने की क्या तिथि घोषित की गयी है. तो हाल ही में चंद्रयान की सफलता के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी इसरो वैज्ञानिकों के प्रदर्शन को बहुत सराहा और इसी के साथ ही उन्होंने अगले मिशन पर भी जी जान से जुट जाने को कहा. इसी को ही ध्यान में रखते हुए इसरो के द्वारा यह बताया गया है कि उसके वैज्ञानिक L1 मिशन पर दिन रात काम करने लग गए हैं.

L1 को सूर्य की कक्षा में भेजने की अनुमानित तिथि 2 सितंबर के आसपास रखी गयी है. इसका अर्थ यह हुआ कि बहुत जल्द ही इसरो सूर्य पर अपने मिशन को भेजने में सक्षम हो जाएगा. हालाँकि इसके प्रक्षेपण से 4 महीनो के बाद यह अपनी जगह अर्थात L1 पॉइंट पर पहुँच पायेगा और अपना कार्य करना शुरू कर पायेगा. 

पृथ्वी से सूर्य की दूरी कितनी है?

आपने यह तो जान लिया कि सूर्ययान आदित्य L1 लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करता हुआ सूर्य के थोड़ा और पास पहुंचेगा और उसका अध्ययन करेगा किन्तु क्या आपको पृथ्वी की सूर्य से दूरी का कुछ अंदाजा है? ऐसे में आज हम इस रहस्य से भी पर्दा उठाते हुए आपको यह बता देते हैं कि सूर्य पृथ्वी से बहुत ही ज्यादा दूर है जिसकी गणना लाखों में नहीं बल्कि करोड़ो में की जाती है. यानि कि सूर्य पृथ्वी से करोड़ो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

अब यह दूरी 15 करोड़ किलोमीटर की है. जी हां, सही पढ़ा आपने. पृथ्वी की सूर्य से दूरी 15 करोड़ किलोमीटर की है और इसी कारण हमने आपको यह पहले ही कहा कि अभी तो मनुष्य को बहुत ज्यादा उन्नति करनी है ताकि वह पृथ्वी से सूर्य तक की इतनी लंबी दूरी भी तय कर सके और सूर्य का तापमान सहन करने वाले यान भी बना सके. ऐसे में हमारा आदित्य L1 पृथ्वी से सूर्य की दूरी का लगभग 10 प्रतिशत भाग पूरा करेगा और वहां के L1 पॉइंट में स्थापित हो जाएगा.

Conclusion

उम्मीद है आपको हमारा यह लेख “सूर्ययान ‘आदित्य L1’ क्या है? (Aditya L1 Mission) जानें इसके उद्देश्य” जरूर पसंद आया होगा. हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है आदित्य L1 से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें.

Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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