कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine in Hindi). देश को जिस कोरोना वैक्सीन का इंतजार था वह अब जन-जन तक पहुँचने लगी है. कुछ लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है तो कुछ लोगों को अभी पहली डोज दी गई है. जनसंख्या के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है, इसलिए आबादी अधिक होने की वजह से टीकाकरण को पूरा होने में कुछ महीनो का समय लगेगा.
भारत में फ़िलहाल दो तरह की वैक्सीन लग रही है और तीसरी वैक्सीन स्पुतनिक वी जल्द ही लगना शुरू हो जाएगी. ये तीनों ही वैक्सीन कोरोना वायरस (Covid-19) पर पूर्ण रूप से प्रभावी है. फिर भी इन वैक्सीन को लेकर लोगों में कंफ्यूजन बना हुआ है और लोग जानना चाहते है कि आखिर इन वैक्सीन में अंतर क्या है. अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं तो आज का यह खास आर्टिकल आपके लिए काफी ज्ञानवर्धक होने वाला है.
आज के इस लेख में मै आपके साथ भारत में लगने वाली तीनो वैक्सीन कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक वी के बारे में जानकारी शेयर करूँगा जिसे पढ़ने के बाद आपके मन में इन तीनों वैक्सीन के प्रति सभी doubts क्लियर हो जाएंगे. तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं विस्तार से.
वैक्सीन क्या होती है? – What is Vaccine in Hindi
कोरोना वैक्सीन के बारे में जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि वैक्सीन होती क्या है. आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि वैक्सीन एक ऐसा प्रोडक्ट है जो किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली जिसे अंग्रेजी में immune system कहा जाता है, को किसी विशेष रोग के प्रति प्रतिरक्षा (immunity) पैदा करने के लिए प्रेरित करता है, जो उस व्यक्ति को उस रोग से बचाता है. आमतौर पर वैक्सीन को सुई के इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है, लेकिन इसे मुँह या नाक में स्प्रे करके भी दिया जा सकता है.
Vaccination या टीकाकरण क्या होता है?
किसी विशिष्ट बीमारी के लिए शरीर में प्रतिरक्षा उत्पन्न करने के लिए टीका लगाने की क्रिया को टीकाकरण कहा जाता है.
वैक्सीन कैसे काम करती है?
वैक्सीन हमारे शरीर कि प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को रोगजनकों, वायरस या बैक्टीरिया को पहचानने और उनसे निपटने के लिए प्रशिक्षित करती है. इसके लिए वैक्सीन के जरिए रोगजनकों के कुछ अणुओं (molecules) को हमारे शरीर में प्रवेश कराया जाता है और हमारे immune system को इनसे लड़ने के प्रति प्रोत्साहित किया जाता है.
इन अणुओं को antigens कहा जाता है और ये हर प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया पर मौजूद होते हैं. इन antigens को शरीर में इंजेक्ट करने के बाद, हमारा immune system सुरक्षित रूप से इन्हें दुश्मन के तौर पर पहचानना और लड़ना सीख लेता है और antibodies तैयार कर भविष्य में इनसे लड़ने के लिए तैयार हो जाता है.
यदि बैक्टीरिया या वायरस दोबारा दिखाई देते हैं तब immune system इन्हें पहचान लेता है और इससे पहले कि रोगजनक शरीर में फैले और बीमार करे यह आक्रामक तरीके से उन पर अटैक कर देता है.
Corona Vaccine
भारत में फ़िलहाल तीन तरह की Covid-19 vaccine लगाई जा रही है जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं: Covishield, Covaxin और Sputnik V.
कोरोना के लिए कौन सी वैक्सीन अच्छी है?
Covid-19 की इन तीनो वैक्सीन के आने के बाद बहुत से लोग इस सवाल के साथ इंटरनेट पर सर्च कर रहे हैं कि कौन सी वैक्सीन सबसे बेहतर है. आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि ये तीनों ही वैक्सीन कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम हैं. कोविशील्ड को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (Serum Institute of India) द्वारा बनाया गया है, वहीँ कोवैक्सीन को भारत बायोटेक (Bharat Biotech) द्वारा और स्पुतनिक वी को मॉस्को के गैमालिया इंस्टिट्यूट द्वारा विकसित किया गया है.
कोविशील्ड के बारे में – Covishield in Hindi
ऑक्सफ़ोर्ड और एस्ट्राजेनेका की इस वैक्सीन को दुनिया की सबसे बड़ी सीरम निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया द्वारा भारत में बनाया जा रहा है. इस टीके को चिंपांजी में सर्दी पैदा करने वाले सामान्य वायरस “एडेनोवायरस” के कमजोर संस्करण से तैयार किया जाता है. एडेनोवायरस की आनुवंशिक सामग्री SARS-CoV-2 कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन की तरह ही होती है. इन्ही स्पाइक प्रोटीन की वजह से कोरोना वायरस शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करता है. शरीर में वैक्सीन के रूप में इसे दिए जाने के बाद यह प्रतिरक्षा तंत्र को एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रेरित करता है. भविष्य में जब भी कभी कोरोना वायरस का संक्रमण होता है तो ये एंटीबॉडी आक्रामक रूप से वायरस पर हमला कर देगी. यह टीका शरीर में किसी तरह की बीमारी पैदा नहीं करता है. इसे 2 डिग्री सेल्सियस से 8 डिग्री सेल्सियस के सामान्य तापमान पर स्टोर किया जा सकता है.
कोविशील्ड की कितनी डोज दी जाती है?
कोविशील्ड की दो डोज दी जाती है. दोनों डोज के बीच जितना अधिक अंतराल होगा टीका उतना ही अधिक असर करेगा. शुरुआत में यह सीमा 4 सप्ताह से 6 सप्ताह की रखी गई थी फिर इसे 6 से 8 सप्ताह किया गया. लेकिन बाद में, ब्रिटेन से प्राप्त वास्तविक साक्ष्यों के आधार पर Covid-19 कार्य समूह की सिफारिशों को सहमती देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इस अंतराल को बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह का कर दिया गया है.
कोविशील्ड वैक्सीन कितनी कारगर है?
ट्रायल के नतीजों के आधार पर कोविशील्ड को 70 से 90 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है. यह वैक्सीन पूरी तरह
से सुरक्षित है.
कोवैक्सीन के बारे में – Covaccine in Hindi
इस वैक्सीन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और भारत की कंपनी भारत बायोटेक द्वारा मिलकर बनाया गया है. इसलिए इस वैक्सीन को स्वदेशी वैक्सीन कहा जाता है. कोवैक्सीन को covid-19 के वायरस को निष्क्रिय कर बनाया गया है. यह निष्क्रिय वायरस शरीर में बिना नुकसान पहुंचाए प्रतिरोधक तंत्र तैयार करता है. संक्रमण की स्थिति में शरीर में एंटीबॉडीज तैयार करता है जो वायरस का मुकाबला करते हैं. कोवैक्सीन को रेबीज, दिमागी बुखार और मौसमी बुखार जैसी बीमारियों में दिए जाने वाले पारंपरिक टीके की तरह ही बनाया गया है. इस वैक्सीन को भी रखने के लिए 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है.
कोवैक्सीन की कितनी डोज दी जाती है?
कोवैक्सीन की भी दो डोज दी जाती हैं. इस वैक्सीन में दोनों डोज के बीच का अंतर 4 से 6 सप्ताह का रखा गया है. फ़िलहाल कोवैक्सीन की दोनों डोज के बीच अंतर में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
कोवैक्सीन कितनी कारगर है?
ट्रायल के नतीजों के आधार पर वैज्ञानिकों द्वारा कोवैक्सीन को 81 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है. यह वैक्सीन भी कोविशील्ड की तरह पूरी तरह सुरक्षित है.
स्पुतनिक वी वैक्सीन के बारे में – Sputnik V in Hindi
भारत में जल्द ही उपलब्ध होने वाली तीसरी कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक वी है जिसे रूस की गामालेया रिसर्च इंस्टिट्यूट (Gamaleya Research Institute) द्वारा तैयार किया गया है. RDIF (Russian Direct Investment Fund) के अनुसार उनकी वैक्सीन से किसी भी तरह की कोई एलर्जी या साइड इफ़ेक्ट नहीं होता. इस वैक्सीन की दो डोज में दो अलग-अलग तरह के वायरसों का इस्तेमाल किया जाता है जो इंसान के अंदर सामान्य कोल्ड (Adenovirus) का कारण बनते हैं. यह इस तरह के दूसरे टीकों की अपेक्षा लंबे समय तक इम्युनिटी प्रदान करती है. यह वैक्सीन 18 से अधिक उम्र वाले लोगों के लिए बनाई गई है. भारत में आने से पहले इस वैक्सीन को दुनिया के 59 देशों में अप्रूवल मिल चुका है.
स्पुतनिक वी की कितनी डोज दी जाएगी?
स्पुतनिक वी की दो डोज दी जाती हैं जिनके बीच 21 दिन का अंतराल होता है. एक डोज 0.5ml की होती है.
स्पुतनिक वी कितनी असरदार है?
स्पुतनिक वी वैक्सीन बनाने वालों के अनुसार उनकी वैक्सीन की एफेकसी 91.6 प्रतिशत है. यह शरीर को covid-19 से होने वाले गंभीर इन्फेक्शन से बचाती है.
वैक्सीन के बाद बुखार क्यों आता है?
कोरोना वैक्सीन लगने के बाद कुछ लोगों में बुखार, बदन दर्द व मिचली की शिकायतें आती हैं. विशेषज्ञों के अनुसार यह एक अच्छा लक्षण है. उनके अनुसार जब शरीर में एंटीबॉडीज बनती हैं तो बुखार आता है जो वैक्सीन के प्रभावी होने का संकेत देता है. इससे घबराने की जरूरत नहीं है. ज्यादातर मामलों में कोई भी वैक्सीन लगने पर इसी तरह के लक्षण दिखाई देते हैं.
NOTE : यह सामग्री केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए बनाई और प्रकाशित की गई है. पेशेवर चिकित्सा सलाह के लिए इसका कोई विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए कृपया डॉक्टर से परामर्श करें.
Conclusion
मुझे उम्मीद है ऊपर बताई गई वैक्सीन से जुड़ी जानकारियां पढ़ने के बाद आपको “कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक वी (Corona Vaccine in Hindi)” के बारे में अच्छी तरह से समझ आ गया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है कोरोना वैक्सीन से संबंधित सभी जानकारियों को अच्छे से explain करने की ताकि इस विषय के संदर्भ में आपको किसी दूसरी website पर जाने की जरूरत ना पड़े.
अगर आपको यह जानकारी पसंद आई है या कुछ नया सिखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे social media network जैसे Facebook, Whatsapp, Twitter इत्यादि पर share जरुर करें.