टीवी देखते समय ना जाने कितने ads हमें कोल्ड ड्रिंक्स से जुड़े देखने को मिलते हैं. कोई फ़िल्मी सितारा इसे पीकर अपनी प्यास बुझाता दिखाई देता है, तो कोई इसे पीकर एनर्जेटिक होने की बात करता है. वहीं कुछ प्रसिद्ध खिलाड़ी भी इनके विज्ञापन करते हुए नजर आते हैं. लेकिन क्या सच में Cold Drink हमारी प्यास बुझाती है? क्या इसका सेवन हमारे शरीर के लिए सही है? इन्ही सवालों से जुड़े जवाब आपको आज इस लेख में देखने को मिलेंगे, जहां Cold drink कैसे बनती है और कोल्ड ड्रिंक के नुकसान क्या हैं? के बारे में बताया जाएगा.
कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक जिसे आमतौर पर कोल्ड ड्रिंक के नाम से जाना जाता है, एक सॉफ्ट ड्रिंक का प्रकार है जिसे हार्ड ड्रिंक के विपरीत कंज्यूम किया जाता है. इसे बनाने के लिए कई नेचुरल और आर्टिफिशियल ingredients का इस्तेमाल किया जाता है. कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक कैसे तैयार की जाती है, यह जानने से पहले आइए जानते हैं Soft Drink क्या होती है के बारे में.
Soft Drink क्या है? – What is Soft Drink in Hindi
Soft drink, एक ऐसा non-alcoholic पेय पदार्थ है, जिसमें आमतौर पर पानी (जो प्राय: carbonated होता है), स्वीटनर, खाद्य एसिड और natural या artificial flavoring ये सब शामिल होते हैं. स्वीटनर के तौर पर चीनी, फल का रस, उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप, चीनी का कोई अन्य विकल्प या इनके कुछ combination का इस्तेमाल किया जाता है. नेचुरल फ्लेवर्स को फलों, नट्स, बेरी, जड़ी-बूंटीयों या अन्य पौधों के स्रोत से प्राप्त किया जाता है. एक सॉफ्ट ड्रिंक में कैफीन, कलरिंग, इसे खराब होने से रोकने के लिए chemical preservatives और कुछ अन्य इनग्रेडिएंट भी हो सकते हैं.
इसे soft drink इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह hard alcoholic drinks के विपरीत होता है. हालांकि, इसमें alcohol कुछ मात्रा में मौजूद हो सकता है, जो 0.5% से भी कम होता है. कई देशों और इलाकों में किसी पेय पदार्थ, जिसमें अल्कोहल की मात्रा 0.5 प्रतिशत से कम है, को non-alcoholic ही माना जाता है. सॉफ्ट ड्रिंक के प्रकारों में lemon-lime drinks, cola, orange soda, grape soda, ginger ale और root beer शामिल हैं.
आज हम अपने आर्टिकल में cola या carbonated soft drinks के बारे में अध्ययन करेंगे, जहां इसके बनने से लेकर इसके सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में आपको जानकारी दी जाएगी.
Carbonated Drink क्या है?
कार्बोनेटेड ड्रिंक, एक सॉफ्ट ड्रिंक है, जिसमें पानी के अंदर कार्बन डाइऑक्साइड घुली हुई होती है. बाजार में कई तरह के carbonated drinks मौजूद हैं, जिनमें प्रसिद्ध ब्रांड पेप्सी, कोका कोला, स्प्राइट, थम्स अप इत्यादि शामिल हैं. ज्यादातर लोग इन्हें कोल्ड ड्रिंक्स (Cold Drink in Hindi) के नाम से पुकारते हैं.
Cold Drink कैसे बनती है?
जब कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) किसी तरल में घुलती है, तो यह बुलबुले और सनसनाहट पैदा करती है. पानी में कार्बन डाइऑक्साइड एक कमजोर घुलनशील है, इसलिए जब पानी से दबाव हटाया जाता है तो यह गैस के रूप में पानी से अलग हो जाती है. आप जब किसी cold drink की बोतल को खोलते हैं, तो इस प्रक्रिया को होता हुआ देख सकते हैं.
आमतौर पर पानी में carbon dioxide मिलाने के लिए उच्च प्रेशर का इस्तेमाल किया जाता है. और जब यह प्रेशर हटता है तो कार्बन डाइऑक्साइड घोल से छोटे बुलबुलों के साथ अलग होती है, जो उस घोल को बुदबुदाहट भरा (effervescent) और फिजी बनाती है.
Carbonated पेय पदार्थ या कोल्ड ड्रिंक बनाने के लिए ठंडे flavored syrup को ठंडे carbonated पानी में मिलाया जाता है. कार्बोनेशन का लेवल कार्बन डाइऑक्साइड प्रति लिक्विड मात्रा के 5 मात्रा तक होता है. जितने भी carbonated cold drinks या cola drinks हैं, वे 3.5 मात्रा के साथ कार्बोनेटेड होते हैं. यानी कि इनमें तरल की प्रति यूनिट मात्रा के पीछे 3.5 मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड मिलाई जाती है. बाकी drinks, जैसे फ्रूटी इत्यादि कम कार्बोनेटेड होते हैं.
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Cold Drink में इस्तेमाल होने वाले Ingredients
यहां आप उन सामग्रियों के बारे में जान सकते हैं, जिन्हें कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक्स में मिलाया जाता है.
- Water – समय तौर पर conventional कोल्ड ड्रिंक्स में 90 प्रतिशत पानी शामिल होता है, जबकि diet soft drinks में 99 प्रतिशत पानी ऐड किया जाता है.
- Sugars और Sweeteners – जीरो कैलोरी ड्रिंक्स को छोड़कर, आमतौर पर सभी सॉफ्ट ड्रिंक्स में 1% से 12% शुगर मिलाई जाती है. नेचुरल carbohydrates sweeteners के तौर पर sucrose, glucose या fructose का विभिन्न रूपों में इस्तेमाल किया जाता है. सबसे कॉमन नेचुरल स्वीटनर glucose देता है, जो ऊर्जा का प्राकृतिक स्रोत है. वहीं कुछ synthetic sweeteners जैसे aspartame, acesulfame, sucralose और saccharin का इस्तेमाल सॉफ्ट ड्रिंक में ‘no added sugar’ लेबल के साथ किया जाता है.
- Carbon Dioxide – सॉफ्ट ड्रिंक का कार्बोनेशन 1.5 g/l से 5 g/l के बीच किया जाता है. इसके लिए उच्च दबाव के साथ ड्रिंक में कार्बन डाइऑक्साइड मिलाई जाती है. यह प्रक्रिया ड्रिंक को अधिक acidic बनाती है और टेस्ट और फ्लेवर को sharpen करने का काम करती है. CO2 सॉफ्ट ड्रिंक को लंबे समय तक सुरक्षित रखने का काम भी करती है.
- Acidity Regulator – एसिडिटी रेगुलेटर, सॉफ्ट ड्रिंक में मिठास को संतुलित कर टेस्ट को बढ़ाने का काम करता है. इसके लिए citric acid का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है. वहीं strong flavor में वृद्धि के लिए, citric acid के साथ ज्यादातर malic acid का इस्तेमाल किया जाता है. इनके अलावा succinic acid और phosphoric acid का भी इस्तेमाल acidity regulators के तौर पर किया जाता है.
- Flavoring – सॉफ्ट ड्रिंक के अंदर natural, natural-identical और artificial flavoring का इस्तेमाल किया जाता है. कोला ड्रिंक्स के अंदर प्राइमरी फ्लेवरिंग के तौर पर संतरे, नींबू इत्यादि के छिलकों से निकाला गया खट्टा तेल, दालचीनी, वनीला और acidic flavor को ऐड किया जाता है.
- Coloring – किसी कोल्ड ड्रिंक को कलर देने के लिए Tartrazine (E102), Amaranth (E123), Sunset Yellow (E110) aur Brilliant Blue (E133) फूड कलर्स का इस्तेमाल किया जाता है.
- Chemical Preservatives – सॉफ्ट ड्रिंक की microbiological stability बढ़ाने के लिए केमिकल प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल किया जाता है. किस तरह का preservative इस्तेमाल करना है, यह निर्भर करता है preservative और पेय पदार्थ दोनों के chemical और physical properties पर. प्रोडक्ट का pH, विटामिन की उपस्थिति, पैकेजिंग और स्टोरेज की स्थिति यह निर्धारित करते हैं कि microbial growth को रोकने के लिए कौनसा preservative ऐड करना चाहिए. आमतौर पर इसके लिए sodium benzoate और potassium sorbate का इस्तेमाल किया जाता है. कुछ पेय पदार्थों में इन दोनों को शामिल किया जाता है.
- Fruit Juices – फलों के रस विभिन्न पोषक तत्वों और जैव सक्रिय यौगिकों के रिच सोर्सेज होते हैं, जैसे fiber, sugars, organic acids, vitamins, minerals और phosphates, साथ ही colors, flavors और antioxidants भी इनमें शामिल होते हैं. रस में sugar की मात्रा फल के प्रकार पर निर्भर करती है. सभी प्रकार के रस में fructose शामिल होता है, लेकिन इसकी मात्रा sucrose, glucose और sorbitol पर निर्भर करती है.
- अन्य Ingredients – विभिन्न hydrocolloids, जैसे guar और locust gum, pectin और xanthan का इस्तेमाल stabilizers और thickeners के रूप में, खासतौर पर diet drinks और fruit juices में किया जाता है. वहीं सबसे सामान्य antioxidant ascorbic acid का इस्तेमाल flavors और colors को खराब होने से रोकने के लिए किया जाता है. खासकर तब, जब ड्रिंक oxygen-permeable बोतल और कार्टन में बंद की गई हों. कुछ ड्रिंक्स में caffeine, taurine, B vitamins इत्यादि का भी इस्तेमाल किया जाता है.
Cold Drink पीने से होने वाले नुकसान
अभी तक आपने कोल्ड ड्रिंक क्या है और यह कैसे बनती है के बारे में जाना, अब बात करते हैं इसके सेवन से हमारे शरीर को होने वाले नुकसान के बारे में. यदि हम सीमित मात्रा में कोल्ड ड्रिंक का सेवन करते हैं, तो इसका हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर देखने को नहीं मिलता. लेकिन जब हम सीमाएं लांघ कर अत्यधिक मात्रा में इसका सेवन करने लगते हैं, तो यह हमारे लिए बेहद खतरनाक हो सकता है. कोल्ड ड्रिंक के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान कुछ इस प्रकार हैं:
यह दांतों के सड़ने का कारण बन सकता है
कोल्ड ड्रिंक का स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें phosphorus acid मिलाया जाता है. वहीं carbonated पानी, कोल्ड ड्रिंक में carbonic acid पैदा करता है. नियमित कोल्ड ड्रिंक पीने से ये एसिड हमारे दांतों के इनेमल (enamel) को नष्ट करते हैं. इनेमल दांतों पर एक मजबूत, सफ़ेद और चमकदार बाहरी परत होती है, जो दांतों को प्रोटेक्ट करने का काम करती है. ये एसिड, शुगर के साथ मिलकर हमारे मुंह में बैक्टीरिया के पैदा होने लायक वातावरण तैयार करते हैं और अंत में दांतों के सड़ने का कारण बनते हैं.
मोटापा बढ़ सकता है
सॉफ्ट ड्रिंक के अंदर अधिक मात्रा में शुगर शामिल होती है, जिससे आपका वजन तेजी से बढ़ सकता है. यदि आप नियमित रूप से कोल्ड ड्रिंक पीते हैं, तो आपको मोटापे जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है. बच्चों में भी कोल्ड ड्रिंक के सेवन से मोटापा तेजी से बढ़ने का खतरा हो सकता है. एक study के अनुसार बच्चों में कोल्ड ड्रिंक या सोडा ड्रिंक का सेवन कम करके वजन बढ़ने की समस्या को कम किया जा सकता है. कई cold drinks से किसी तरह का कोई पोषण लाभ नहीं होता, इसलिए इन्हें पौष्टिक आहार का स्थान नहीं देना चाहिए.
डायबिटीज (मधुमेह) होने का खतरा
कोल्ड ड्रिंक के भीतर भारी मात्रा में शुगर और हाई फ्रुक्टोज सिरप मिलाया जाता है, जो इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बन सकते हैं. इंसुलिन हमारे शरीर के अंदर प्राकृतिक रूप से बनने वाला एक हार्मोन होता है, जो रक्त में मिलकर ग्लूकोज को नियंत्रित करने का काम करता है. शुगर और हाई फ्रुक्टोज के नियमित सेवन से इंसुलिन बनना कम हो सकता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है.
फैटी लीवर का खतरा
ग्लूकोज और फ्रुक्टोज, रिफाइंड शुगर के दो मुख्य components होते हैं. ग्लूकोज को हमारे body cells आसानी से ऊर्जा में बदल देते हैं. लेकिन फ्रुक्टोज को केवल लीवर ही ऊर्जा में बदल सकता है. ज्यादा मात्रा में कोल्ड ड्रिंक पीने से फ्रुक्टोज ओवरलोड हो जाता है. इसलिए लीवर इस फ्रुक्टोज को फैट (वसा) में बदल देता है, जो लीवर में जमा होता है. यह जमा फैट जल्द ही गंभीर फैटी लीवर रोग का कारण बन सकता है.
हड्डियां कमजोर हो सकती हैं
अत्यधिक मात्रा में डाइट कोक (शुगर फ्री और लो कैलोरी सॉफ्ट ड्रिंक) का सेवन, जो आमतौर पर highly acidic होती है, आपकी हड्डियों के टूटने का कारण बन सकती है. यह आपके शरीर की हड्डियों में कैल्शियम लेवल को कम कर उन्हें कमजोर कर सकती है. कैल्शियम आपकी हड्डियों और दांतों को टिकाऊ और स्वस्थ बनाता है. सॉफ्ट ड्रिंक में खट्टे स्वाद और इसमें मोल्ड और बैक्टीरिया की ग्रोथ को रोकने के लिए phosphoric acid डाला जाता है. जब आप अत्यधिक मात्रा में डाइट कोक का सेवन करते हैं तो आपके खून में phosphate की मात्रा बढ़ने लगती है, जो आपकी हड्डियों से कैल्शियम की मात्रा सोख लेता है. इसका मतलब यदि आप गलती से भी कहीं से गिरते हैं, तो आपकी हड्डी टूटने की संभावना बहुत अधिक है..
किडनी खराब हो सकती हैं
ज्यादा मात्रा में कोल्ड ड्रिंक पीना आपकी किडनी के लिए नुकसानदेह हो सकता है. किडनी (गुर्दा) हमारे शरीर में प्राकृतिक detox system की तरह काम करती हैं. इसका मतलब जब भी आप कुछ हानिकारक पीते हैं, तो इसे आपके शरीर से बाहर करने का काम किडनी का होता है. एसिडिक ड्रिंक्स, जैसे diet coke, का अत्यधिक मात्रा में सेवन करना आपकी किडनी के लिए हानिकारक हो सकता है और यह पथरी (किडनी स्टोन) का कारण बन सकता है. पथरी बनने का कारण आपके यूरिन में खनिजों और एसिड के स्तर का असंतुलित होना है.
डिहाइड्रेशन का होना
आमतौर पर लोग प्यास बुझाने के लिए कोल्ड ड्रिंक पीते हैं, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कोल्ड ड्रिंक हमें हाइड्रेट नहीं, बल्कि डीहाइड्रेट करती है. कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक में मौजूद कैफीन और शुगर हमारे शरीर में diuretics का काम करते हैं (diuretics एक प्रकार का ड्रग है, जिससे किडनी ज्यादा यूरिन पास करती है). इससे शरीर में डिहाइड्रेशन को बढ़ावा मिलता है. क्योंकि ये हमारे शरीर से पानी को बिना इसे replace किए बाहर निकाल देते हैं.
ब्रेन डैमेज हो सकता है
कोल्ड ड्रिंक की पैकिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली कैन और बोतल बनाने के लिए, Bisphenol A (BPA) का monomer ओर plasticizer के तौर पर यूज किया जाता है. जब कोल्ड ड्रिंक इन कैन और बोतल के संपर्क में आती है, तो कुछ BPA इनसे ड्रिंक में प्रवेश कर जाता है. Bisphenol A का अधिक मात्रा में शरीर में जाना आपके ध्यान में कमी ला सकता है और ब्रेन को डैमेज कर सकता है. यह महिलाओं के लिए थायराइड का कारण भी बन सकता है.
चक्कर और मतली आना
लो कैलोरी ड्रिंक, जैसे डाइट कोक में आर्टिफिशियल स्वीटनर के तौर पर एस्पार्टेम (Aspartame) का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी अधिक मात्रा लेने से चक्कर आना और मतली जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
कोल्ड ड्रिंक का आविष्कार कब और किसने किया?
वैसे तो कोल्ड ड्रिंक का इतिहास सदियों पुराना है, लेकिन पहली बार सबसे प्रसिद्ध कोल्ड ड्रिंक का आविष्कार जॉन पेम्बर्टन द्वारा वर्ष 1886 में किया गया था. माना जाता है कि जॉन ने इसे कोला की पत्तियों, पानी और स्वीटनर मिक्स कर एक सिर दर्द की दवा के तौर पर बनाया था, लेकिन जब लोगों ने इसे चखा, तो इसका स्वाद उन्हें बेहद पसंद आया. उसके बाद इसका सेवन दवा की जगह, कोल्ड ड्रिंक के तौर पर किया जाने लगा और इसका नाम Coca-Cola रखा गया.
Conclusion
कोल्ड ड्रिंक (Cold Drink in Hindi) के बारे में सब कुछ अच्छे से समझने के बाद पता चलता है कि इसका कभी-कभार किया गया सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है, लेकिन यदि हम अधिक मात्रा में इसे कंज्यूम करना शुरू कर देते हैं तो इसके कई हानिकारक प्रभाव हमारे शरीर में देखने को मिल सकते हैं. उम्मीद है आपको “Cold drink कैसे बनती है और इसे पीने से नुकसान क्या हैं” अच्छे से समझ आ गया होगा. यदि जानकारी पसंद आई हो तो नीचे कमेंट करके जरूर बताएं, साथ ही इसे अन्य लोगों के साथ शेयर भी करें ताकि सभी लोगों तक यह जानकारी पहुंच सके.