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DRDO क्या है और यह क्या काम करता है?

DRDO क्या है? (What is DRDO in Hindi) जब देश के विकास और मजबूती की बात आती है तो सबसे पहले उस देश के सैन्य और विज्ञान शक्ति पर बल दिया जाता है. अगर किसी देश की सैन्य और विज्ञान शक्ति परस्पर सहयोग से काम करती है तो देश और अधिक सुरक्षित हो जाता है. हमारे देश भारत में DRDO इसी उद्देश्य से काम कर रही है. DRDO (Defence Research and Development Organisation) भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यो के लिए देश की अग्रणी संस्था है. 

कोरोना महामारी के मुश्किल भरे दौर से देश को बाहर निकालने के लिए DRDO ने भी अपने कदम बढ़ाए. इस संस्था ने कोरोना की दवा तैयार की. डीआरडीओ द्वारा INMS और डॉ. रेड्डी लेबोरेटरी के साथ मिलकर हैदराबाद मे कोविड रोधी दवा 2-डीऑक्सी –डी-ग्लूकोज (2-deoxy-D-glucose या 2-DG) को विकसित किया गया.

DRDO का यह कदम विश्वभर में चर्चा का विषय बना गया था. आज के इस लेख में मै आपके साथ DRDO की जानकारी हिंदी में शेयर करूंगा. जहाँ हम DRDO क्या है और यह क्या काम करती है के बारे में जानेंगे. तो चलिए आगे बढ़ते हैं और DRDO के बारे में विस्तृत जानकारी लेते हैं.

DRDO का फुल फॉर्म क्या है? – DRDO Full Form in Hindi

DRDO ( डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन ) इसको हिंदी मे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन कहते हैं.

DRDO क्या है? – What is DRDO in Hindi

drdo kya hai

DRDO देश की एक अग्रणी संस्था है, जो रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिए जानी जाती हैं. यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का आर एंड डी (रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट) विंग है. वर्तमान मे संस्था की 50 से अधिक प्रयोगशालाएं हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण, आयुध, वैमानिकी इत्यादि कई क्षेत्रों के अनुसंधान में कार्य कर रही हैं. आधुनिक रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली आदि के विकास के लिए कई प्रमुख परियोजनाएं हाथ में हैं. DRDO में इस समय कुल 30,000 लोग कार्यरत है। जिसमे 5000 वैज्ञानिक काम करते है और 25 हजार अन्य वैज्ञानिक तकनीकी और समर्थन कर्मियों के रूप में कार्यरत है.

DRDO क्या काम करती है?

 DRDO रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करता है. डीआरडीओ तीनों प्रकार की रक्षा सेवाओं की गुणवत्ता के आधार पर हथियार प्रणालियों और उपकरणों के उत्पादन में वैश्विक स्तर पर देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहा है. डीआरडीओ कई क्षेत्रों में जैसे एयरोनॉटिक्स, मिसाइल्स, नवल सिस्टम्स, लाइफ साइंस, एडवांस कंप्यूटिंग में काम कर रहीं हैं. यह देश की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मुख्य भूमिका निभाता है. यह संस्था नए आधुनिक हथियारों के निर्माण के लिए रिसर्च कर रही है. डीआरडीओ की कई प्रयोगशालाएँ और अनुसंधान सेंटर डिफेंस के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी के रिसर्च में कई वर्षों से कार्यरत हैं.

DRDO का मोटो क्या है?

 डीआरडीओ का मोटो “ बलस्य मूलं विज्ञानम् “ है. इसका अर्थ “शक्ति का स्रोत विज्ञान” है. इसका मुख्य लक्ष्य सैन्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मामले में राष्ट्र को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने का है.

DRDO का मुख्यालय कहाँ है?

 इसका मुख्यालय DRDO भवन नई दिल्‍ली में स्थित है. ये मुख्यालय दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के निकट और सेना भवन के सामने है. इसकी एक प्रयोगशाला महात्मा गाँधी मार्ग पर उत्तर पश्चिमी दिल्ली में स्थित है.

DRDO की स्थापना कब और किसने की थी?

इस संस्थान की स्थापना 1958 में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी. उस समय भारत में इसके कुल 10 संस्थानों की छोटी प्रयोगशालाएं स्थापित की गयी थी. 1980 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग का एक अलग से विभाग बनाया गया जिसने बाद मे DRDO और इसके प्रयोगशालाओं का संचालन किया. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने, 2021 को अपना 63वां स्थापना दिवस मनाया.

DRDO का इतिहास – History of DRDO in Hindi

 DRDO ने 1960 के दशक में सबसे बड़ी परियोजना प्रोजेक्ट इंडिगो जो कि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) के रूप में शुरूआत की. लेकिन बाद मे इस प्रोजेक्ट को सही सफलता न मिलने पर बंद कर दिया था. बाद में प्रोजेक्ट इंडिगो ने 1970 के दशक में SAM( सरफेस टू एयर मिसाइल) और ICBM को विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट वेलेंट के साथ प्रोजेक्ट डेविल का नेतृत्व किया. IGMDP( एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम ) को औपचारिक रूप से 26 जुलाई, 1983 को भारत सरकार की मंज़ूरी मिली। 1983 से 2007 के बीच IGMDP ने कई मिसाइलें विकसित की गई.

IGMDP के द्वारा विकसित गयी मिसाइलें हैं :-

पृथ्वी – सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल.

अग्नि – सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल.

त्रिशूल – सतह-से-आकाश में मार करने में सक्षम कम दूरी वाली मिसाइल.

आकाश –सतह-से-आकाश में मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली मिसाइल.

 नाग –  तीसरी पीढ़ी की टैंक भेदी मिसाइल.

2010 में रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी ने DRDO ने देश के पुनर्गठन में रक्षा अनुसंधान को एक प्रमुख बढ़ावा देने और रक्षा प्रौद्योगिकी में निजी क्षेत्र की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने’ का आदेश दिया. बाद में  DRDO ने अन्य प्रमुख प्रणालियों और महत्वपूर्ण तकनीकों का निर्माण किया है जैसे विमान एवियोनिक्स, यूएवी, छोटे हथियार, आर्टिलरी सिस्टम, EW सिस्टम, टैंक और बख्तरबंद वाहन, सोनार सिस्टम, कमांड और कंट्रोल सिस्टम और मिसाइल सिस्टम.

DRDO के प्रथम एवं वर्तमान अध्यक्ष

DRDO के प्रथम एवं वर्तमान अध्यक्ष, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (डीडीआर एंड डी) के सचिव और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी हैं. देश में शीर्ष रक्षा वैज्ञानिक के रूप में, डॉ रेड्डी मिसाइलों और रणनीतिक प्रणालियों, लड़ाकू हवाई जहाजों और मानव रहित हवाई रक्षा प्रणालियों, जलगत प्रणालियों, रडार सिस्टम, रणनीतिक सामग्री और आयुध पर प्रमुख कार्यक्रमों के विकास का मार्गदर्शन कर रहे हैं.

देश के अग्रणी एयरोस्पेस वैज्ञानिकों में से एक, डॉ रेड्डी एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के महानिदेशक भी हैं, जिसने चौथी पीढ़ी के हल्के लड़ाकू जहाज तेजस विकसित किया है. इनके नेतृत्व में भारत की पहली एंटी-सैटेलाइट (ए-सैट)मिसाइल मिशन शक्ति का सफल परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया. दुनिया की सबसे लंबी दूरी की बंदूक ए टी ए जी एस, एंटी-रेडिएशन मिसाइल, स्मार्ट वायु क्षेत्र हथियार, स्मार्ट बम और मिसाइल असिस्टेड टारपीडो रिलीज प्रणाली की सफलता डॉ रेड्डी की दूरदृष्टि का परिणाम हैं. उन्हें अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स मिसाइल प्रणाली पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार मिले हैं.

DRDO में कैसे ज्वाइन करें?

 GATE, SET और CEPTAM के एग्जाम में आवेदन करके DRDO ज्वाइन कर सकते हैं. 

GATE की परीक्षा से ज्वाइन

DRDO में भर्ती के लिए GATE की परीक्षा पास होना आवश्यक है। क्योकि DRDO उम्मीदवार द्वारा GATE और इंटरव्यू में प्राप्त अंको के माध्यमों से साइंटिस्ट B की भर्ती करता है. 

CEPTAM के माध्यम से DRDO ज्वाइन करें

यदि आप CEPTAM के माध्यम से DRDO में आवेदन करना चाहते है तो इसके लिए पहले आपको लिखित परीक्षा देनी होगी जिसमें 2 टियर में आपको परीक्षा देनी होगी. यदि आप पहली टियर की परीक्षा को पास कर लेते है तो आप दूसरे टियर की परीक्षा में बैठ सकते है.

SET के माध्यम से DRDO ज्वाइन करें

 DRDO का यह EXAM दो चरणों में होता है जिसमे पहले आपको रिटर्न परीक्षा देनी होगी और उसके बाद इंटरव्यू होता है. इसमें अंतिम सिलेक्शन इंटरव्यू पर डिपेंड करता है. क्योंकि इसमें मार्क्स इंटरव्यू में उम्मीदवारों को स्क्रीनिंग के लिए उपयोग किया जाता है.

Conclusion

वेसे तो DRDO के बारें में जितना लिखा जाए उतना ही कम है फिर भी मैंने इस संस्था के बारे में विस्तृत रूप से समझाया है. आशा करता हूं कि मेरे द्वारा समझाए गए इस लेख “DRDO क्या है (What is DRDO in Hindi) और यह क्या काम करती है?” से आप DRDO (About DRDO in Hindi) के बारे में अच्छी तरह समझ गए होंगे. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई है या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे social media प्लेटफार्म जैसे whatsapp, telegram, facebook इत्यादि पर शेयर जरुर करें.

Bhupender Chauhan
Bhupender Chauhanhttps://hindivibe.com/
भूपेंद्र चौहान Hindivibe के Co-Founder और Author हैं. इन्हें सामान्य जानकारियों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. इन्हें ऐसे content लिखना पसंद हैं जिनसे कुछ नया सीखने को मिले और लोगों के काम आए.

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