ओजोन परत क्या है? (Ozone layer in Hindi) आज के इस आर्टिकल में हम ओजोन परत के बारे में जानेंगे. ओजोन परत हमारे लिए एक प्राकृतिक सनस्क्रीन का कार्य करती है जो पृथ्वी पर मौजूद जीव-जंतुओं और पौधों को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है. हालांकि, ओजोन गैस की एक दूसरी परत भी है जो हमारे वायुमंडल की निचली परत यानी क्षोभमंडल में पाई जाती है लेकिन यह हमारे लिए हानिकारक होती है.
आज इस लेख में आप समतापमंडलीय ओजोन परत के बारे पढ़ेंगे और जानेंगे कि ओजोन परत क्या होती है और यह कैसे बनती है, कैसे ओजोन परत पराबैंगनी किरणों को धरती पर आने से रोकती है. आप ओजोन परत के प्रभाव, क्षरण, कारण और उपाय के बारे में भी जानेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं ओजोन परत की पूरी जानकारी.
ओजोन परत क्या है? – What is Ozone Layer in Hindi
धरती का पर्यावरण कुछ परतों से मिलकर बना है जहां सबसे निचली परत को क्षोभमंडल (troposphere) कहा जाता है, यह पृथ्वी की सतह से 10 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला हुआ है. लगभग सभी मानव गतिविधियाँ इसी क्षोभमंडल में होती हैं. दूसरी परत को समतापमंडल (stratosphere) कहा जाता है जो आगे 10 किलोमीटर से लेकर 50 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला हुआ है. अधिकांश commercial planes समतापमंडल में ही उड़ते हैं.
ओजोन परत (ozone layer) इसी समतापमंडल का एक हिस्सा है जो धरती की सतह से 15-40 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली हुई है. ओजोन परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों (UV Radiation) को धरती पर आने से रोकती है. पराबैंगनी किरणों का पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जंतुओं और वनस्पतियों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. इससे त्वचा का कैंसर, मोतियाबिंद और समुद्री जीवन के नुकसान का खतरा पैदा हो सकता है.
ओजोन एक अणु (molecule) होता है जिसमें तीन परमाणु होते हैं. समतापमंडल में हर समय ओजोन अणु बनते और नष्ट होते रहते हैं. वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक स्टडी में पाया गया कि ओजोन परत में ओजोन की संख्या दशकों तक स्थिर रहती है. एक ओजोन लेयर में पर्यावरण के अन्य भागों के संबंध में ओजोन (O3) की high concentration होती है. हालांकि, समतापमंडल में मौजूद अन्य गैसों के मुकाबले ओजोन की संख्या कम ही होती है.
पराबैंगनी किरणें क्या होती हैं?
पराबैंगनी किरणें (UV Radiation) non-ionizing रेडिएशन का एक रूप है जो सूर्य से निकलती हैं. वैसे तो पराबैंगनी किरणों से हमें विटामिन-D मिलता है, लेकिन इसके कुछ हानिकारक प्रभाव भी हैं जो हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं.
पराबैंगनी किरणों को wavelength के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है:
- Ultraviolet A (UVA) – इसकी वेवलेंथ 315-399 nm होती है.
- Ultraviolet B (UVB) – इसकी वेवलेंथ 280-314 nm होती है.
- Ultraviolet C (UVC) – इसकी वेवलेंथ 100-279 nm होती है.
लगभग सभी UVC और UVB रेडिएशन को ओजोन लेयर द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है, इसलिए धरती पर आने वाली सभी पराबैंगनी किरणें UVA होती है. UVA और UVB दोनों ही स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं लेकिन UVA रेडिएशन UVB की तुलना में कमजोर होती हैं. UVC रेडिएशन सबसे ज्यादा घातक होती हैं जिसे पृथ्वी की ओजोन लेयर द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है और ये धरती पर नहीं पहुंच पाती.
UVB किरणें पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं जिससे जीन में बदलाव, त्वचा का कैंसर और मोतियाबिंद जैसी बीमारियां उत्पन्न होती हैं और पौधों की वृद्धि में रुकावट और पत्तियों को नुकसान पहुंचता है. ओजोन लेयर सूर्य से आने वाली उच्च आवृत्ति की पराबैंगनी किरणों की 93 से 99 % मात्रा अवशोषित कर लेती है जो पृथ्वी पर जीवन के लिए हानिकारक है.
ओजोन परत कैसे बनती है?
समतापमंडलीय ओजोन, पराबैंगनी किरणों और ऑक्सीजन अणुओं के बीच प्राकृतिक रूप से होने वाली रासायनिक अभिक्रिया से उत्पन्न होती है.
सबसे पहले सौर पराबैंगनी किरणें एक ऑक्सीजन अणु को तोड़ती हैं और दो ऑक्सीजन परमाणु (2O) बनाती हैं. अब प्रत्येक हाई रिएक्टिव ऑक्सीजन परमाणु (atom) एक ऑक्सीजन अणु (molecule) के साथ जुड़ता है और एक ओजोन अणु (O3) बनाता है. आप इसे नीचे दिए गए डायग्राम में देख सकते हैं.
जब भी पराबैंगनी विकिरण समतापमंडल में मौजूद होती है तब यह प्रतिक्रिया लगातार चलती रहती हैं. परिणामस्वरुप बड़ी मात्रा में ozone का निर्माण होता है. समतापमंडलीय ओजोन के उत्पादन का संतुलन केमिकल रिएक्शन में इसके विनाश की वजह से बनता रहता है. समतापमंडलीय ओजोन लगातार सूर्य की किरणों और प्राकृतिक और मानव निर्मित केमिकल के साथ रियेक्ट करती रहती है, प्रत्येक रिएक्शन में एक ओजोन अणु नष्ट होता है और दूसरा केमिकल यौगिक बनता है.
ओजोन को नष्ट करने वाली महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाशील गैसें हाइड्रोजन और नाइट्रोजन ऑक्साइड और क्लोरीन और ब्रोमीन युक्त गैसें हैं. कुछ समतापमंडलीय ओजोन नियमित रूप से नीचे क्षोभमंडल की तरफ आती रहती हैं और धरती की सतह पर ओजोन की मात्रा को प्रभावित करती रहती है, विशेष रूप से दूरस्थ अप्रदूषित क्षेत्रों को.
ओजोन छिद्र क्या है? और इसका कारण कौन सी गैस है?
ओजोन छिद्र के लिए जिम्मेदार गैस क्लोरोफ्लोरोकार्बन है. क्लोरोफ्लोरोकार्बन प्राकृतिक नहीं बल्कि एक मानव निर्मित यौगिक है जो क्लोरिन, फ़्लोरिन और कार्बन से निर्मित होता है. क्लोरोफ्लोरोकार्बन का इस्तेमाल एयरोसोल स्प्रे के निर्माण में, फोम और पैकिंग मैटेरियल्स के लिए blowing agent और AC के लिए refrigerants के तौर पर किया जाता है.
यह रसायन ग्रीन हाउस में योगदान देने के साथ ही ओजोन लेयर में मौजूद ओजोन गैस के साथ अभिक्रिया करके ओजोन को ऑक्सीजन के रूप में विघटित कर देता है जिसके कारण ओजोन परत का क्षरण होता है और हमें ओजोन लेयर के अंदर एक छिद्र दिखाई देता है.
इस प्रकार के छिद्र से पराबैंगनी किरणें धरती पर पहुंचती है जो हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं. कोरोना की पहली लहर में जब दुनियाभर में लॉकडाउन का दौर चला था तब ओजोन छिद्र भरा हुआ दिखाई दिया था, उस समय यह बात पूरी दुनिया के लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं थी.
ओजोन परत को बचाने के उपाय?
हम नीचे दिए गए उपायों को अपनाकर ओजोन परत को नष्ट होने से बचा सकते हैं.
1. हमें ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाली हानिकारक गैसों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ओजोन को प्रभावित करने वाली सबसे खतरनाक गैसें क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs), हैलोजन युक्त हाइड्रोकार्बन, मिथाइल ब्रोमाइड और नाइट्रस ऑक्साइड है.
2. हमें अपने air conditioners को maintain करके रखना चाहिए. क्योंकि इनमें CFCs का इस्तेमाल होता है और AC में खराबी होने पर यह हानिकारक रसायन वातावरण में चला जाता है.
3. कार का इस्तेमाल कम करना चाहिए. हमें कहीं आने-जाने के लिए पैदल या साइकिल का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा आप कार का इस्तेमाल कम करने के लिए carpooling का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे पैसों की बचत भी होगी और पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचेगा.
4. हमें ऐसे cleaning products का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं. कई क्लीनिंग प्रोडक्ट्स में solvent और substance corrosive होते हैं, लेकिन आप इनकी जगह non-toxic उत्पादों का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे कि सिरका या बाइकार्बोनेट.
5. हमें local products खरीदने चाहिए. हमें ज्यादातर लोकल उत्पादों को खरीदना चाहिए ताकि दूर से आने वाली वस्तुओं का इस्तेमाल कम हो और इनके transport के लिए इस्तेमाल होने वाले व्हीकल जो nitrous oxide पैदा करते हैं कम चलें.
मोंट्रियल प्रोटोकॉल और वियना संधि क्या है?
मोंट्रियल प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य ओजोन क्षरण करने वाले पदार्थों के उत्पादन एवं प्रयोग को चरणबद्ध रूप से समाप्त करना और ओजोन परत को संरक्षित करना है. इस प्रकार मोंट्रियल प्रोटोकॉल पृथ्वी की ओजोन परत के संरक्षण से संबंधित है. मूल मोंट्रियल प्रोटोकॉल को 16 सितंबर 1987 में अपनाया गया था जो सन 1989 में प्रभावी रूप से कार्य करने लगा.
मोंट्रियल प्रोटोकॉल उत्सर्जन के आधार पर एक बाध्यकारी समझौता है जबकि वियना संधि एक प्रोटोकॉल है जिसका उद्देश्य उन पदार्थों को प्रयोग से हटाना है जिनके कारण ओजोन का क्षरण होता है, जैसे कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन. वियना सम्मेलन ने ओजोन परत की सुरक्षा के लिए किए गए प्रयासों के लिए एक फ्रेमवर्क का काम किया था इसलिए वियना सम्मेलन को फ्रेमवर्क कन्वेंशन के नाम से भी जाना जाता है. वर्ष 2009 में वियना कन्वेंशन पहला कन्वेंशन बना जिसने सार्वभौमिक सत्यापन यूनिवर्सल रेक्टिफिकेशन को प्राप्त किया.
वियना कन्वेंशन में क्लोरोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को कम करने का कोई बाध्यकारी नियम नहीं था, इसलिए इस नियम को बाध्यकारी बनाने के लिए इसे मोंट्रियल प्रोटोकॉल में जगह दी गई.
भारत ने ओजोन परत के संरक्षण के लिए सन 1991 में वियना कन्वेंशन पर हस्ताक्षर तथा सत्यापन किया. इसके बाद सन 1992 में भारत ने ओजोन पदार्थों के संबंध में मोंट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए. भारत 1993 से ओजोन परत को क्षति पहुँचाने वाले पदार्थों को धीरे-धीरे बाहर करने में लगा हुआ है. इस कार्य में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम यूएनडीपी की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
ओजोन के दुष्प्रभाव
ओजोन का निर्माण पृथ्वी के ऊपरी वातावरण और जमीनी स्तर दोनों पर होता है. ओजोन अच्छी भी हो सकती है और बुरी भी, जो निर्भर करता है इसके पाए जाने के स्थान पर.
अभी तक हमने समतापमंडलीय ओजोन के बारे में पढ़ा जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है और हमें रक्षा प्रदान करती है. लेकिन जब ओजोन धरती की सतह के पास क्षोभमंडल में बनने लगती है तो यह हमारे लिए खतरा बन जाती है. जमीनी स्तर (ground level) पर बनने वाली ओजोन एक वायु प्रदूषक होती है क्योंकि इसका लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर बुरा असर पड़ता है. क्षोभमंडल में ओजोन बनने के नुकसान निम्नलिखित हैं.
स्वास्थ्य पर प्रभाव
- गले में खराश और खांसी की शिकायत हो सकती है.
- गहरी और जोर से सांस लेने में परेशानी हो सकती है और गहरी साँस लेने पर दर्द हो सकता है.
- वायुमार्ग में सूजन और क्षति हो सकती है.
- फेफड़ों में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है.
- अस्थमा और वातस्फीति जैसी फेफड़ों की बीमारियां बढ़ती हैं.
- अस्थमा अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है.
पर्यावरण पर प्रभाव
ओजोन के संपर्क में आने से वनों, पार्कों, वन्यजीव आश्रयों और जंगली क्षेत्रों सहित वनस्पति और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो सकता है. किसी विशेष स्थान पर ग्रोविंग सीजन के दौरान ओजोन वनस्पतियों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है.
क्षोभमंडल में ओजोन बनने के कारण
क्षोभमंडल (troposphere) यानी धरती की सतह के निकट ओजोन का निर्माण प्राकृतिक गैसों और प्रदूषण स्रोतों से निकलने वाली गैसों के केमिकल रिएक्शन से होता है. मुख्यतौर पर ओजोन उत्पादन अभिक्रिया में हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन खुद शामिल होती है. इस काम को पूरा करने के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है. जीवाश्म ईंधनों का दहन प्रदूषक गैसों का मुख्य स्त्रोत है जिससे क्षोभमंडल में ओजोन का निर्माण होता है.
क्षोभमंडल में बनने वाली ओजोन समतापमंडलीय ओजोन की प्रचुरता में महत्वपूर्ण योगदान नहीं देता है. सतह पर ओजोन की मात्रा समतापमंडल में ओजोन की मात्रा से बहुत कम होती है और यह समतापमंडल में नहीं पहुंच पाती है. समतापमंडल ओजोन की तरह क्षोभमंडलीय ओजोन भी प्राकृतिक और मानव निर्मित रासायनिक अभिक्रियाओं से नष्ट होती रहती है. क्षोभमंडलीय ओजोन तब भी नष्ट हो सकती है जब ओजोन विभिन्न प्रकार के सतह जैसे कि चट्टानों और पौधों से टकराता है.
ओजोन परत से संबंधित FAQ
ओजोन परत की खोज कब हुई?
ओजोन परत की खोज 1913 में फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थी.
ओजोन गैस का रासायनिक सूत्र क्या है?
ओजोन गैस का रासायनिक सूत्र ‘O3’ है.
ओजोन परत किस मंडल में है?
ओजोन परत पृथ्वी के वातावरण (वायुमंडल) के ऊपरी स्तर यानी समतापमंडल में मौजूद है. पृथ्वी की सतह से इसकी ऊंचाई 15-40 किलोमीटर है.
विश्व ओजोन दिवस कब मनाया जाता है?
ओजोन परत पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए ओजोन परत के क्षरण की समस्या पर विश्व भर का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 16 सितम्बर को ‘विश्व ओजोन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
Conclusion
मैं उम्मीद करता हूँ आपको मेरा यह लेख “ओजोन परत क्या है और कैसे बनती है?” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है Ozone Layer in Hindi से जुड़ी हर जानकारी को सरल शब्दों में explain करने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी website पर जाने की जरूरत ना पड़े.
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