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Antivirus क्या होता है? ये कैसे काम करता है?

Antivirus क्या है (What is Antivirus in Hindi)? आज कंप्यूटर लैपटॉप और स्मार्टफोन जैसी डिवाइस हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुके है. आज के समय लगभग हर जागरूक और सक्षम आदमी के पास कंप्यूटर और लैपटॉप उपलब्ध होंगे.

और इनका इस्तेमाल करने वाले लोग अक्सर अपने डिवाइस के जरिए डेटा का आदान-प्रदान करते रहते हैं. ज्यादातर लोग अपने कंप्यूटर और लैपटॉप जैसे डिवाइस में ना जाने कितने Documents जैसे कि Personal Documents, Office Documents, Scan Copy, Certificates, और Memories, PDF Files, Images तथा Videos जैसी जरूरी चीजें सुरक्षित करके रखते हैं.

लेकिन कई बार इंटरनेट और कुछ दूसरे Source जैसे कि Virus Infected USB और Pen Drive का इस्तेमाल करने से इन डिवाइस में Computer Virus घुस जाते हैं और आपके जरूरी दस्तावेज और संग्रहित डाटा को Corrupt कर देते हैं जिससे आपकी संग्रहित फाइल Open नहीं होती या फिर कई बार पूरी की पूरी फाइल और डाटा दोनों ही डिलीट हो जाते हैं.

ऐसे में लोगों को अपने कंप्यूटर डिवाइस में Antivirus जरुर Install करके रखना चाहिए क्योंकि जब कभी कंप्यूटर वायरस संक्रमित स्रोत से आपकी डिवाइस में कंप्यूटर वायरस घुसते है तो ये एंटीवायरस कनेक्टेड USB और पेन ड्राइव को स्कैन करके हानिकारक कंप्यूटर वायरस को तुरंत ही Delete कर दे. 

अब आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर Antivirus क्या होता है? और Antivirus कैसे काम करता है? हो सकता है आपने पहली बार एंटीवायरस का नाम सुना है, लेकिन कोई बात नहीं अगर आप एंटीवायरस के बारे में नहीं जानते हैं तो आप इस पूरे आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें ताकि हम एंटीवायरस से जुड़े आपके सारे सवालों के जवाब आपको दे सकें.

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Antivirus क्या होता है? – What is Antivirus in Hindi

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Antivirus क्या है?

एंटीवायरस एक प्रकार का सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर वायरस के Antidotes या Vaccines की तरह काम करता है. यह किसी भी इनफेक्टेड डिवाइस में वायरस को स्कैन करता है, उनसे लड़ता है और उन्हें Delete कर देता है. 

ठीक वैसे ही जैसे कि Human Virus से लड़ने के लिए एंटीडोट्स बनाए जाते हैं, जो वायरस को ढूंढ कर उनसे लड़ते हैं और उन्हें समाप्त कर देते हैं. 

डिवाइस में मौजूद एंटीवायरस सॉफ्टवेयर आपकी कंप्यूटर डिवाइस के Malware और Virus दोनों को स्कैन करता है और उन्हें Repair तथा Delete करने की क्षमता भी रखता है.

जब हम किसी वायरस इनफेक्टेड USB या पेन ड्राइव को अपने डिवाइस से कनेक्ट करते हैं और डाटा ट्रांसफर करते हैं, इस दौरान इनफेक्टेड पेनड्राइव और USB के वायरस हमारे डिवाइस में घुस जाते हैं और हमारी संग्रहित डाटा फाइलों को नुकसान पहुंचाने लगते हैं. 

अक्सर ऐसा होता है कि वायरस अटैक के कारण हमारे द्वारा सुरक्षित की गई डेटा फाइलें नहीं खुलती और कई बार तो डिलीट भी हो जाती हैं. मानव वायरस की तरह कंप्यूटर वायरस भी डिवाइस में घुसने के बाद अपने लक्षण दिखाने लगते हैं. जब हमारे डिवाइस में कंप्यूटर वायरस घुसते हैं तो डिवाइस हैंग करने लगता है.

इन्हीं सब से बचने के लिए Antivirus सॉफ्टवेयर को बनाया गया है, जिसकी मौजूदगी में कंप्यूटर वायरस आपकी डिवाइस में संग्रहित सूचनाओं को नुकसान नहीं पहुंचा पाते बल्कि यह सॉफ्टवेयर उन्हें ढूंढ कर खत्म कर देता है. 

इसीलिए हर user को अपने कंप्यूटर लैपटॉप और स्मार्टफोन जैसे डिवाइसों में एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को डाउनलोड और अपडेट करके रखना चाहिए ताकि हम कंप्यूटर वायरस के कारण उत्पन्न होने वाले Data डीलीशन जैसे जोखिमों से बच सके. एंटीवायरस सॉफ्टवेयर Free और Paid दोनों तरीकों से उपलब्ध है, आप अपनी सुविधा के अनुसार उनका चुनाव कर सकते हैं.

Antivirus कैसे काम करता है?

एंटीवायरस के काम करने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है. एंटीवायरस मुख्य रूप से Signature Based Detection और Behavioral Based Detection से Virus और मैलवेयर की पहचान करते हैं.

हालांकि एंटीवायरस के काम करने की प्रक्रिया में कई सारी तकनीक शामिल है जो कुछ इस प्रकार हैं.

  • Signature Based Detection
  • Behavioral Based Detection
  • Heuristic Based Detection
  • Data Mining Techniques
  • Sandbox Detection

अब आइए इन सब के बारे में एक-एक करके जानते हैं. चीजें थोड़ी टेक्निकल जरूर है लेकिन हम इसे आसान और Practical भाषा में आपके साथ शेयर करेंगे ताकि आप इन्हें भली-भांति समझ सके इसलिए इन्हें बिल्कुल सावधानी से पढ़ें.

• Signature Based Detection: इसका मतलब है कि एंटीवायरस सॉफ्टवेयर के पास पहले से ही बहुत से वायरस के छाप या चिन्ह मौजूद हैं. इन्हें Virus Definition Files के तौर पर भी जाना जाता है, जिनमें इंटरनेट पर पहले से मौजूद मैलवेयर और वायरस के नाम, छाप और उनसे जुड़ी जानकारियां उपलब्ध रहती हैं.

जब एंटीवायरस सॉफ्टवेयर कंप्यूटर में हो रही गड़बड़ी की जांच करने के लिए फाइलों को स्कैन करता है, उस दौरान जैसे ही किसी कंप्यूटर वायरस का Signature मिलता है एंटीवायरस सॉफ्टवेयर उसे तुरंत रिपेयर या फिर डिलीट कर देता है. 

लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस फीचर को बार-बार समय-समय पर अपडेट करना जरूरी होता है,क्योंकि आए दिनों अलग अलग तरीके के कंप्यूटर वायरस मिलते रहते हैं. इसलिए अपडेट करने के बाद खोजे गए नए कंप्यूटर वायरस की जानकारियां भी Signature Based Detection में शामिल हो जाती हैं.

• Behavioral Based Detection: अब बात आती है Behavioral Based Detection की तो इसका मतलब कुछ यूं समझिए कि जब कोई भी मैलवेयर किसी फाइल को Corrupt करता है, तो एंटीवायरस सॉफ्टवेयर इस तकनीक के जरिए तुरंत उसके Behavior का पता लगा लेता है और समय रहते उसे रिपेयर या डिलीट कर देता है. टेक्निकल भाषा में इसे Intrusion Detection Mechanism के तौर पर भी जाना जाता है.

• Heuristic Based Detection: ये इस समय लगभग हर एंटीवायरस सॉफ्टवेयर में इस्तेमाल किया जाता है. इस तकनीक की खास बात यह है कि इसे Detection Technique और Signature Techniques को मिलाकर बनाया गया है. इसकी सबसे खास बात यह है कि Virus Definition Files में अगर किसी वायरस का सिग्नेचर नहीं भी है तो भी यह डिटेक्शन टेक्निक की मदद से उसकी तलाश कर सकता है.

• Sandbox Detection: ये तकनीक भी Behavioral Based Detection से मिलती जुलती है. इसमें अंतर केवल इतना है कि Behavior की पहचान से पहले प्रोग्राम को एक वर्चुअल एनवायरमेंट में चलाया जाता है, इस दौरान Behavioral Based Detection की मदद से वायरस की पहचान की जाती है.

• Data Mining Techniques: ये टेक्नोलॉजी इस समय की सबसे लेटेस्ट ट्रेंडिंग टेक्नोलॉजी है, जो डाटा माइनिंग के जरिए वायरस डिटेक्शन करती है और डिटेक्ट करने के बाद फाइल को रिपेयर या फिर डिलीट कर देती है.

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Antivirus को Update करना जरूरी क्यों है?

एंटीवायरस सॉफ्टवेयर भी दूसरे सॉफ्टवेयर की तरह होता है, जिन्हें समय-समय पर अपडेट करने की जरूरत होती है. हर अपडेट के साथ सॉफ्टवेयर में नई-नई चीजें और टेक्निक्स शामिल हो जाती हैं.

ठीक इसी तरह एंटीवायरस में भी होता है. एंटीवायरस के पुराने सॉफ्टवेयर में केवल उन मालवेयर और वायरस की जानकारियां होती है, जो इंटरनेट इत्यादि पर उपलब्ध है. लेकिन समय-समय पर इंटरनेट पर नई-नई चीजें वायरस और मैलवेयर सामने आते रहते हैं जिसके बाद इनकी जानकारियां मिल पाती हैं. कुछ परिस्थितियों में कंप्यूटर वायरस अपने लक्षण और व्यवहार भी बदलते रहते हैं, जैसा कि Human Virus में भी होता है जिसे Variant के नाम से भी जाना जाता है. 

इसलिए अपडेट करने के बाद इंटरनेट पर मौजूद सभी वायरस और मैलवेयर से जुड़ी जानकारियां तथा उनके नए Variant के Behaviour एंटीवायरस सॉफ्टवेयर में इंस्टॉल हो जाते हैं और आपको वायरस से बेहतर सुरक्षा मिल पाती है.

कुछ प्रसिद्ध Antivirus Software के नाम

  • McAfee Antivirus Plus
  • Norton 360 With LifeLock
  • Bitdefender Antivirus Plus
  • G Data Antivirus

निष्कर्ष (Conclusion):

उम्मीद है आपको हमारा यह लेख “Antivirus क्या है? और ये कैसे काम करता है?” जरूर पसंद आया होगा. हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है What is Antivirus in Hindi से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें.

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