UFO यानी उड़न तश्तरी क्या है? क्या सच में UFOs का कोई अस्तित्व है? ये वो सवाल हैं, जो सालों से इंसान के मन में बसे हुए हैं और आज भी इनके जवाब जानने को वो उत्सुक है. कहा जाता है कि पृथ्वी की तरह दूसरी किसी दुनिया से लोग हमारे ग्रह पृथ्वी पर आते हैं, उनके विमान दिखाई देते हैं और फिर वो आंखों से ओझल हो जाते हैं. ऐसा दावा करने वालों की संख्या बहुत है. लोग एलियन और UFO के बारे में चर्चाएं करते हैं और उनके होने का दावा करते हैं. आपने इस तरह की घटनाओं को हॉलीवुड फिल्मों में जरूर देखा होगा.
आज के इस लेख में हम UFO के बारे में विस्तृत अध्ययन करेंगे और जानेंगे कि क्या सच में उड़न तश्तरी (UFO in Hindi) जैसी कोई वस्तु होती है? क्या सच में लोगों को ये दिखाई देते हैं? साथ ही जानेंगे उन जांच से जुड़ी जानकरियों के बारे में जो UFO के संबध में शुरू की गई थी. तो आइए प्रवेश करते हैं इस रहस्यमयी दुनिया में और जानते हैं पूरी जानकारी.
UFO क्या है? – What is UFO in Hindi
UFO का मतलब है “Unidentified Flying Object”, यानी एक ऐसी उड़ती हुई वस्तु जिसकी कोई पहचान नहीं है. देखने में इसका आकार किसी डिस्क या तश्तरी जैसा होता है, इसलिए इसे हिंदी में ‘उड़न तश्तरी’ के नाम से जाना जाता है. इसे देखने का दावा हजारों लोग कर चुके हैं, लेकिन इसके प्रमाण की पुष्टि आज तक नहीं हुई. यानी आज तक वैज्ञानिकों को UFO होने के पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं. इस रहस्यमयी वस्तु को देखने के सबसे ज्यादा दावे अमेरिका में हुए हैं, यहां तक कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी उड़न तश्तरी को देखने का दावा कर चुके हैं.
UFO देखे जाने की घटनाएं
इतिहास में नजर डाले तो पता चलता है कि इंसान शुरुआत से ही आकाश की घटनाओं में रुचि रखता आया है. इतिहास में ऐसी कई घटनाएं दर्ज हैं जिनमें असामान्य दृश्य जैसे धूमकेतु, चमकीले उल्का, वायुमंडलीय ऑप्टिकल घटनाएं, जैसे मोक सन और लेंटिकुलर बादल (क्षोभमंडल में बनने वाले स्थिर बादल) इत्यादि का जिक्र किया गया है. सबसे प्रसिद्ध उदाहरण हैली धूमकेतु है, जिसे पहली बार 240 ईसा पूर्व एक चीनी खगोल विज्ञानी द्वारा देखा गया था. जैसा कि यह प्रत्येक 76 वर्ष में एक बार आंतरिक सौरमंडल में पहुंचता है, इसे इतिहास के दस्तावेजों में एक आश्चर्यजनक घटना के रूप में वर्णित किया गया है, जिसके लेखक इस बात से अनजान थे कि ये एक दोहराई जाने वाली घटना है.
इस तरह की घटनाओं को इतिहास में अलौकिक अंश, देवदूतों और धार्मिक संकेतों के रूप में माना जाता था. जबकि ऐसे लोगों ने जो UFO में विश्वास रखते हैं, कभी-कभी कुछ मध्ययुगीन चित्रों और UFO देखे जाने की घटनाओं में कुछ धार्मिक प्रतीकों के बीच कथा समानताओं पर टिप्पणी की है. यहाँ हम आपको UFO देखे जाने से जुड़ी कुछ घटनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं.
1. 25 जनवरी 1878 के दिन डेनिसन दैनिक खबर में एक लेख प्रकाशित किया जाता है, जिसमें जॉन मार्टिन नामक एक किसान गुब्बारे से मिलती-जुलती एक बड़ी, काली सर्कुलर वस्तु को देखने की सूचना देता है, जो काफी तेज गति के साथ उड़ती हुई नजर आती है. मार्टिन के अनुसार यह देखने में एक बड़ी तश्तरी (बड़ी प्लेट) जैसी वस्तु थी, यहां किसी UFO के संबंध में तश्तरी शब्द पहली बार इस्तेमाल किया गया था. उसी वर्ष अप्रैल के महीने में संयुक्त राज्य अमेरिका के कई हिस्सों में इस तरह के रहस्यमयी विमान देखने की बातें सामने आती हैं. बहुत सारे लोग दावा करते हैं कि उन्होंने इनके पायलटों से भी बात की. अगले दो दशकों तक स्थानीय अख़बारों में अजनबी विमानों और रहस्यमयी प्रकाश देखने की घटनाएं छपती रहीं, जिनका समापन 1897 में बड़े पैमाने पर दहशत के साथ हुआ, जहां कुछ लोगों को डर था कि थॉमस एडिसन जो उस समय अमेरिका के एक महान आविष्कारक और व्यवसायी थे, ने एक कृत्रिम तारा बनाया है जो देश के चारों और घूम सकता है. लेकिन एडिसन ने इसे पूरी तरह से फेक करार दिया.
2. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान प्रशांत और यूरोपीय थिएटर में एलाइड और एक्सिस पायलटों द्वारा कुछ गोल, चमकते हुए रहस्यमयी आग के गोले, जिन्हें ‘फू-फाइटर’ नाम दिया गया, देखने की सूचना दी गई. उस समय लोग इस घटना को शुक्र ग्रह, सेंट एल्मो, ऑक्सीजन की कमी से मतिभ्रम, जर्मन गुप्त हथियार इत्यादि से जोड़कर देखने लगे. वर्ष 1946 में इस तरह की अज्ञात हवाई वस्तुओं की 2000 सूचनाएं प्राप्त हुई, जो फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन, इटली और ग्रीस से अलग-अलग रिपोर्टों के साथ, मुख्य रूप से स्वीडिश सेना द्वारा स्कैण्डिनेवियाई राष्ट्रों पर देखने की थी. लोग इन अज्ञात हवाई वस्तुओं को रूसी वस्तुएं भी कहने लगे, क्योंकि यह सोचा गया कि संभवतः ये रहस्यमई वस्तुएं पकड़े गए German V1 और V2 रॉकेटों के रूसी परीक्षण थे.
3. सन 1947 में UFO देखे जाने का सबसे बड़ा दावा एक अमेरिकी बिजनेसमैन Kenneth Arnold द्वारा किया गया, जिसने पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी. Arnold के अनुसार जब वे अपना छोटा जहाज उड़ा रहे थे, तब उनकी नजर तेज गति से उड़ने वाली 9 रहस्यमयी वस्तुओं पर पड़ी, जो एक समूह में थीं. ये सभी अज्ञात वस्तुएं वाशिंगटन के mount ranier के आसपास उड़ रहीं थी, जिनकी गति लगभग हजार मील प्रति घंटा की थी. वो कुछ इस तरह से चल रही थी, जैसे कोई तश्तरी पानी पर कूदते हुए आगे बढ़ रही हो.
4. वर्ष 1952 की भीषण गर्मी में वाशिंगटन डीसी के राष्ट्रीय हवाई अड्डे के नजदीक रडार और नग्न आँखों से कुछ रहस्यमयी वस्तुओं की श्रृंखला की मौजूदगी का एहसास हुआ. हालांकि इस घटना को शहर में हवा पर temperature inversions (एक प्राकृतिक घटना) के कारण होना बताया गया, लेकिन हर कोई इस explanation से सहमत नहीं था. इसके बाद UFO देखे जाने की अनेकों सूचनाएं प्राप्त हुई, जो रिकॉर्ड ऊंचाइयों पर पहुंच गई थीं.
UFO से संबंधित जांच
Project Blue Book
सन 1947 में Kenneth Arnold के यूएफओ देखे जाने के दावे के बाद, इस तरह की अनेकों हवाई घटनाएं देखने की खबरें आने लगी. रिपोर्टों की बढ़ती संख्या देख 1948 में U.S. Air Force ने इन घटनाओं की जांच शुरू की, जिसे Project Sign का नाम दिया गया. प्रोजेक्ट में शामिल लोगों के प्रारंभिक सुझाव थे कि देखे गए UFOs सबसे अधिक परिष्कृत सोवियत विमान थे, हालांकि कुछ शोधकर्ताओं का मानना था कि शायद वे किसी दूसरी दुनिया के spacecraft हो सकते हैं, तथाकथित अलौकिक परिकल्पना.
एक साल के भीतर Project Sign की जगह Project Grudge ने ले ली, जिसने खुद को 1952 में UFO में आधिकारिक पूछताछ के लिए सबसे लंबे समय तक चलने वाले Project Blue Book में बदल दिया, जिसका मुख्यालय डेटन, ओहियो में शहर राइट-पैटरसन के एयर फोर्स बेस में था.
1952 से 1969 तक Project Blue Book ने 12000 से अधिक रहस्यमय घटनाएं देखने की रिपोर्ट संकलित की, जिसमें प्रत्येक को अंत में एक ज्ञात खगोलीय, वायुमंडलीय या कृत्रिम घटना के रूप में पहचाना गया. बाकी का बचा 6 प्रतिशत भाग ऐसे मामलों का था जिनके साथ एक ज्ञात घटना की पहचान बनाने के लिए पर्याप्त जानकारी मौजूद नहीं थी.
Robertson Panel
वर्ष 1952 में, अमेरिका में UFO देखे जाने की सूचनाएं बढ़ते देख केंद्रीय ख़ुफ़िया एजेंसी ने वैज्ञानिकों के एक विशेषज्ञ पैनल की स्थापना के लिए अमेरिकी सरकार से अनुरोध किया. सरकार ने इस पैनल की स्थापना की मंजूरी दी, जिसके अध्यक्ष California Institute of Technology in Paraden के एक भौतिक विज्ञानी H.P. Robertson को चुना गया. उनके साथ इस पैनल में एक खगोलशास्त्री, एक रॉकेट इंजीनियर और अन्य भौतिक विज्ञानी शामिल थे. Robertson Panel की बैठक 1953 में तीन दिन तक चली, जिसमें military officers और Project Blue Book के प्रमुखों का इंटरव्यू लिया गया. साथ ही UFO की प्राप्त फिल्मों और तस्वीरों की भी समीक्षा की.
उनका निष्कर्ष था कि 90 प्रतिशत दृश्य ऐसे हैं, जो स्पष्ट तौर पर खगोलीय और मौसम संबंधी घटनाओं से संबंध रखते हैं. इन घटनाओं से किसी तरह का कोई सुरक्षा से जुड़ा खतरा नजर नहीं आया. साथ ही ऐसे कोई सबूत नहीं मिले जो अलौकिक परिकल्पनाओं का प्रमाण देते हों. पैनल रिपोर्ट के हिस्सों को 1979 तक वर्गीकृत रखा गया, इस लंबी अवधि ने सरकारी कवर अप के संदेह को हवा देने में मदद की.
Condon Report
वर्ष 1966 में, Air Force की रिक्वेस्ट पर Project Blue Book द्वारा जुटाई गई सबसे दिलचस्प सामग्री की समीक्षा के लिए एक नई कमेटी का गठन किया गया. करीब दो वर्षों तक चली जांच के बाद कमेटी ने 59 UFO दृश्यों का एक विस्तृत अध्ययन तैयार किया और Scientific Study of Unidentified Flying Objects के रूप में अपना परिणाम पेश किया, जिसे Condon Report के नाम से भी जाना जाता है. यह नाम जांच की अध्यक्षता करने वाले भौतिक विज्ञानी Edward U. Condon के नाम पर रखा गया था.
Condon Report की समीक्षा National Academy of Sciences की एक विशेष समिति द्वारा की गई थी. कुल 37 वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट के लिए चैप्टर लिखे, जिनमें 59 UFO दृश्यों को विस्तार से कवर किया गया. Robertson Panel की तरह समिति ने निष्कर्ष निकाला कि यहां रिपोर्ट में सामान्य घटनाओं के अलावा कोई सबूत नहीं है और अब UFO जांच आगे बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है. इस निष्कर्ष के बाद UFO देखे जाने की घटनाएं कम हो गई, जो कि 1969 में Project Blue Book को समाप्त करने का मुख्य कारण बना.
UFO से जुड़ी अन्य जांच
अलौकिक परिकल्पनाओं की विफलता के बावजूद विशेषज्ञ समितियों के साथ आगे बढ़ने के लिए, कुछ वैज्ञानिक और इंजीनियर, विशेष रूप से J. Allen Hynek जो कि Northwestern University, Evanston (Illinois) में एक खगोलशास्त्री थे, और Sign, Grudge और Blue Book जैसे projects में शामिल रह चुके थे, निष्कर्ष निकालते हैं कि सबसे विश्वसनीय UFO रिपोर्टों के एक छोटे अंश ने अलौकिक विजिटर्स के संकेत दिए हैं. Hynek ने 1973 में Center for UFO Studies (CUFOS) की स्थापना की, जो आज भी UFO संबंधित घटनाओं की जांच जारी रखे हुए है.
UFO दृश्यों की दूसरी प्रमुख U.S. study थी Advanced Aviation Threat Identification Program (AAIP). यह 2007 से 2012 तक चला एक secret project था. जब AATIP के अस्तित्व को 2017 में सार्वजनिक किया गया, जो इसका सबसे नया पहलू एक रिपोर्ट थी कि U.S. सरकार के पास अज्ञात प्रकृति के UFO से कथित रूप से प्राप्त मिश्र धातु और यौगिक थे, लेकिन कई वैज्ञानिकों को इस दावे पर संदेह था.
अमेरिकी प्रयासों के अलावा, UFO देखने का दूसरा आधिकारिक और पूर्ण रूप से कम्पलीट रिकॉर्ड केवल कनाडा में रखा गया था, जहां उन्हें 1968 में Canadian Department of National Defence से Canadian National Research Council में भेज दिया गया. Canadian record में लगभग 750 अज्ञात वस्तुएं देखे जाने के मामले शामिल थे. U.K., Sweden, Denmark, Australia और Greece में कम पूर्ण रिकॉर्ड बनाकर रखा गया है. संयुक्त राज्य अमेरिका में, बेलव्यू, कोलोराडो में CUFOS और Mutual UFO Network (MUFON), जनता द्वारा रिपोर्ट किए गए दृश्यों को लॉग करना जारी रखे हुए है.
UFO देखे जाने की संभव व्याख्याएं
जितने भी UFO देखने की रिपोर्ट मिली, उनकी विश्वसनीयता में व्यापक भिन्नता देखने को मिली, जो कई सारे गवाहों द्वारा जज की गई थी, जहां गवाह देखने की स्थिति और दिशा दोनों आधार पर एक दूसरे से स्वतंत्र थे. आमतौर पर जो गवाह देखने की रिपोर्ट करते हैं, वस्तु को अलौकिक मूल या संभवतः एक military craft का मानते हैं. यह अनुमान आमतौर इस आधार पर तय होता है कि आभास क्या किया गया है, जैसे कि कई वस्तुओं को एक साथ उड़ते हुए देखना, अप्राकृतिक प्रायः अचानक होने वाली गति, आवाज की कमी, चमक और रंगों में अंतर और अजनबी आकार.
इस तरह की घटनाएं अक्सर आँखों का धोखा होती हैं. एक चमकीली लाइट, जैसे कि शुक्र ग्रह, प्रायः गति करता हुआ नजर आता है. खगोलीय वस्तु भी गाड़ी ड्राइव करते हुए व्यक्ति को भयभीत कर सकती है, जैसे मानो कार के साथ-साथ चल रही हो. दिखाई देने वाले UFO की रिपोर्टों में UFO की दूरी और स्पीड भी काफी अविश्वसनीय होती है, क्योंकि वे एक माने गए आकार पर आधारित होती हैं और बिना बैकग्राउंड के खाली आकाश में उनकी निश्चित दूरी तय नहीं की जा सकती.
खिड़कियों और चश्मों से reflection एक superimposed दृश्य पैदा कर सकता है, और जटिल ऑप्टिकल सिस्टम, जैसे कैमरा लेंस, प्रकाश के स्त्रोत बिंदु को तश्तरी आकार की घटना में बदल सकते हैं. रडार दृश्य भी, जो अधिक विश्वसनीय होते हैं, लेकिन कृत्रिम वस्तुओं और उल्का ट्रेल्स, आयनित गैस, बारिश या वातावरण में थर्मल विच्छेदन की पहचान करने में विफल रहते हैं.
अलौकिक परिकल्पना
अलौकिक परिकल्पना, काल्पनिक अलौकिक जीवन जो कि सोचने में सक्षम है, एक उद्देश्यपूर्ण गतिविधि है. खगोल के नए क्षेत्र में काम ने कुछ सबूत दिए हैं, जिनसे जाहिर होता है कि मिल्की-वे आकाशगंगा में नए बौद्धिक जीवों का विकास होना पूर्ण रूप से असंभव नहीं है. यानी वहां दूसरे जीवों का विकास हो सकता है. विशेष रूप से, 4000 बाह्य सौर ग्रहों का पता लगाया गया है, और भूमिगत जल मंगल ग्रह और बाहरी सौरमंडल के कुछ चंद्रमाओं पर मौजूद होने की संभावना है. यह प्रयास दर्शाता है कि ऐसी बहुत सी दुनिया हो सकती है, जहां जीवन या बुद्धिमान जीवन पैदा हो सकता है. अन्य स्टार सिस्टम से radio signal या optical flash की खोज दर्शाती है कि अलौकिक बुद्धि की उपस्थिति अब तक निष्फल साबित हुई है, लेकिन इस तरह के signals का पता लगाने का एक विशाल वैज्ञानिक और सांस्कृतिक प्रभाव होगा.
निष्कर्ष (Conclusion):
UFO के बारे में पूरी जानकारी जानने के बाद पता चलता है कि आजतक UFO से जुड़े किसी भी प्रकार के कोई पुख्ता वैज्ञानिक सबूत नहीं मिले हैं, हालांकि कुछ वैज्ञानिक इनके होने की उमीद में अभी भी अपनी जांच जारी रखे हुए हैं. इसलिए UFO के अस्तित्व के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ कहना अभी संभव नहीं है. उम्मीद है आपको हमारा यह लेख “क्या है UFO, क्या सच में UFOs मौजूद हैं” जरूर पसंद आया होगा. हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है यूएफओ (UFO in Hindi) से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की, ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो, तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें.