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ब्लैक होल क्या है और कैसे बनता है | जानें इसके अंदर क्या है

क्या आप जानते हैं ब्लैक होल क्या है? (Black Hole in Hindi) अगर नहीं तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें. अंतरिक्ष में मौजूद ब्लैक होल्स कुछ विचित्र और सबसे आकर्षक वस्तुएं हैं. वे अत्यधिक सघन और मजबूत गुरुत्वाकर्षण के साथ मौजूद हैं जिनकी पकड़ से प्रकाश भी नहीं बच सकता. हिंदी में ब्लैक होल को कृष्ण विवर भी कहा जाता है.

हमारी आकाशगंगा Milky Way में करोड़ों Black Holes मौजूद हैं. लेकिन इनका पता लगा पाना बेहद कठिन है. हमारी आकाशगंगा के दिल में भी एक विशालकाय ब्लैक होल मौजूद है, जिसे ‘Sagittarius A’ नाम से पुकारा जाता है. यह पृथ्वी से लगभग 26000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर मौजूद है.

आपने भी Black Holes के बारे में जरूर सुना होगा. अगर आप ब्लैक होल्स के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक पूरा जरूर पढ़ें. क्योंकि आज के इस लेख में हम आपको ब्लैक होल क्या होता है, ब्लैक होल कैसे बनता है, ब्लैक होल के अंदर क्या है और ब्लैक होल की खोज कब और किसने की जैसे सवालों के जवाब बताएंगे. तो चलिए करते हैं शुरुआत और जानते हैं ब्लैक होल की पूरी जानकारी.

ब्लैक होल क्या है? – What is Black Hole in Hindi

black hole kya hai

एक ब्लैक होल अंतरिक्ष में मौजूद एक ऐसा स्थान है जहां गुरुत्वाकर्षण बल बहुत ज्यादा होता है. इतना ज्यादा कि वहां से प्रकाश भी बाहर नहीं निकल सकता. ब्लैक होल में गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि यदि कोई तारा, गृह या अंतरिक्षयान इसके नजदीक आता है तो वह उसे अपने अंदर खींच लेगा और एक पुट्टी की तरह संकुचित कर देगा, इस प्रक्रिया को स्पेगेटीफिकेशन के नाम से जाना जाता है.

ब्लैक होल में प्रकाश को पूरी तरह से अवशोषित कर लिया जाता है, इसलिए इसे देख पाना संभव नहीं है. ब्लैक होल अदृश्य होते हैं, जिन्हें विशेष टूल्स के साथ टेलिस्कोप के जरिए खोजा जा सकता है. ये विशेष टूल्स दिखाते हैं कि ब्लैक होल के सबसे नजदीक तारे कैसे दूसरे तारों की अपेक्षा अलग से कार्य कर रहे हैं.

ब्लैक होल कितने बड़े होते हैं?

वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लैक होल बड़े और छोटे दोनों आकार में होते हैं. ये एक परमाणु के आकार जितने छोटे हो सकते हैं, लेकिन इनका द्रव्यमान एक विशाल पर्वत जितना हो सकता है. द्रव्यमान (mass) का मतलब है किसी वस्तु में पदार्थ (stuff) की मात्रा.

ब्लैक होल का एक अन्य प्रकार है जिसे तारकीय (Stellar) ब्लैक होल कहा जाता है. इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 15-20 गुना अधिक हो सकता है. हमारी पृथ्वी की आकाशगंगा (Galaxy), जिसे ‘Milky Way’ के नाम से जाना जाता है, में ऐसे अनेकों तारकीय ब्लैक होल मौजूद हैं.

सबसे बड़े ब्लैक होल को विशालकाय (Supermassive) ब्लैक होल के नाम से जाना जाता है. इन ब्लैक होल का द्रव्यमान एक साथ 10 लाख सूर्यों के द्रव्यमान से कहीं अधिक होता है. वैज्ञानिकों को इस बात के सबूत मिले हैं कि प्रत्येक बड़ी आकाशगंगा के केंद्र में एक विशालकाय ब्लैक होल मौजूद है.

हमारी आकाशगंगा Milky Way के केंद्र में मौजूद विशालकाय ब्लैक होल को Sagittarius A (धनु ए) नाम दिया गया है. इसका द्रव्यमान 40 लाख सूर्यों के द्रव्यमान के बराबर हो सकता है. यह इतना विशाल है कि यदि इसे किसी बड़े बाल के अंदर फिट किया जाए तो यह कई लाख पृथ्वी को होल्ड कर सकता है.

ब्लैक होल कितने प्रकार के होते हैं?

आकार के आधार पर ब्लैक होल को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

  • तारकीय ब्लैक होल (Stellar)
  • मध्यवर्ती ब्लैक होल (Intermediate)
  • विशालकाय ब्लैक होल (Supermassive)
  • सूक्ष्म रूपी ब्लैक होल (Miniature)

ब्लैक होल कैसे बनता है?

ब्लैक होल नाम दो शब्दों का योग है: ब्लैक और होल. चलिए ब्लैक से शुरू करते हैं. एक Black Hole को ब्लैक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसके गुरुत्वाकर्षण से कुछ भी बच कर नहीं निकल सकता, यहां तक कि प्रकाश भी नहीं. जितना अधिक द्रव्यमान (mass) होगा, उतना ही अधिक गुरुत्वाकर्षण होगा. भले ही प्रकाश तेज गति से यात्रा करता हो, लेकिन ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण के लिए इसका कोई मुकाबला नहीं है.

अब जानते हैं इसे ‘होल’ क्यों कहा जाता है. असल में ब्लैक होल के लिए होल शब्द थोड़ा गुमराह करने वाला है. वे एक होल की तरह इसलिए दिखते हैं, क्योंकि वे प्रकाश उत्पन्न नहीं करते हैं. एक ब्लैक होल कभी खाली नहीं होता, वास्तव में इसमें एक सिंगल पॉइंट के अंदर बहुत सारा पदार्थ (matter) संघनित होता है. इस पॉइंट को ‘Singularity’ के नाम से जाना जाता है.

वैज्ञानिकों के अनुसार छोटे ब्लैक होल का निर्माण ब्रह्मांड बनने की शुरुआत के साथ ही हो गया था.

तारकीय ब्लैक होल तब बनते हैं जब किसी बड़े तारे का केंद्र अपने आप में ढह जाता है. अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण के कारण बड़े तारे अपने ईंधन को बहुत तेजी से दहन करते हैं, जो इनके केंद्र को अधिक गर्म और सघन बना देता है. इस दौरान वे अत्यधिक परमाणु प्रतिक्रिया से गुजरते हैं और बहुत ही तेजी के साथ जलते हैं. इस दौरान तारे के केंद्र में एक राख का बहुत बड़ा ढेर बनता है, जो वास्तव में लोहा (iron) होता है. इस लोहे में परमाणु दहन नहीं होता, इसलिए इसमें अतिरिक्त हीट बाहर न निकलकर अंदर बैठ जाती है और यह ढेर बड़ा होता जाता है.

अब इस तारे में दो तरह के बल (force) मौजूद हैं जो एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे होते हैं. एक बल जलने के लिए बचे हुए ईंधन से आता है जो इसे सिकुड़ने से बचाने का प्रयास करता है और दूसरा बल लोहे के गुरुत्वाकर्षण का होता है, जो सब कुछ अंदर खीच रहा होता है.

इस दौरान तारे के केंद्र को पकड़ने रखने के लिए दबाव बना रहता है. गुरुत्वाकर्षण बढ़ता जाता है और दबाव कमोवेश वहीं रहता है. अंत में गुरुत्वाकर्षण जीत जाता है और सब कुछ ढ़हने लगता है.

इस दौरान दो चीजें घटित होती हैं. तारे के कुछ पदार्थ अंतरिक्ष की तरफ छूटने लगते हैं, जिससे उत्पन्न होने वाले प्रकाश को हम Supernova बोलते हैं. और बाकी बचा स्टफ एक बिंदु में संघनित हो जाता है, जिसे singularity बोलते हैं. ये ब्लैक होल तारे से बनते हैं, इसलिए इन्हें तारकीय (Stellar) कहा जाता है. 

Supermassive Black Holes

supermassive black hole

अभी आपने Stellar ब्लैक होल की बनने की प्रक्रिया को समझा. लेकिन इनसे बड़े ब्लैक होल भी अंतरिक्ष में मौजूद होते हैं जिन्हें विशालकाय (Supermassive) ब्लैक होल कहा जाता है. ये ब्लैक होल इतने विशाल होते हैं कि इनके आगे stellar black hole मामूली सा नजर आता है. ये ऐसे ब्लैक होल होते हैं जो सूर्य से लाखों या अरबों गुना अधिक विशाल हो सकते हैं. ये ब्लैक होल लगभग प्रत्येक आकाशगंगा (Galaxy) के केंद्र में पाए जाते हैं. वैज्ञानिक अभी तक इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि ये ब्लैक होल कहां से आते हैं. 

हमारी आकाशगंगा Milky Way में भी एक ब्लैक होल मौजूद है, जो पृथ्वी से 26000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. इस Supermassive ब्लैक होल को ‘Sagittarius A’ के नाम से जाना जाता है.

ब्लैक होल का पता कैसे लगाया जाता है?

हम ब्लैक होल को देख नहीं सकते, क्योंकि वे तारों की तरह प्रकाश नहीं छोड़ते हैं. हालांकि, आकाश में कुछ ब्लैक होल चमकदार हो सकते हैं. ऐसा ब्लैक होल द्वारा तारे के स्टफ को निगलने से पहले होता है.

ब्लैक होल के चारो तरफ एक बाउंड्री होती है जिसे Event Horizon (घटना क्षितिज) कहा जाता है. जब भी कुछ event horizon के पास से गुजरता है तो वह ब्लैक होल की गिरफ्त में आ जाता है. लेकिन जैसे ही गैस और धूल event horizon के करीब और करीब आते हैं, ब्लैक होल में गुरुत्वाकर्षण उन्हें तेजी के साथ घूमाता है, जो कि बहुत सारे रेडिएशन का निर्माण करता है. इस दौरान हमें event horizon से प्रकाश निकलता हुआ नजर आता है. इस प्रकाश को देखने के लिए वैज्ञानिक अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स और टेलिस्कोप का इस्तेमाल करते हैं.

1970 के दशक में खोजा गया ‘Cygnus X-1’ पहला ऐसा ब्लैक होल था जिसकी पुष्टि हुई. इससे बहुत सारी x-rays निकलती हुई नजर आती हैं.  

ब्लैक होल का पता एक और तरीके से लगाया जा सकता है. जब कोई तारा बहुत तेज गति से किसी स्थान, जहां कुछ भी नहीं है, कि परिक्रमा करता हुआ दिखाई देता है तो वहां ब्लैक होल मौजूद होता है. इस दौरान वह तारा सामान्य तारों की अपेक्षा अलग से अधिक चमकदार दिखाई देता है.

ब्लैक होल के अंदर क्या है?

ब्लैक होल के अंदर क्या है, यह अभी भी वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बना हुआ है. क्योंकि ब्लैक होल में जाकर वापस आना संभव नहीं है. किसी इंसान या वस्तु तो क्या, यह प्रकाश के लिए भी संभव नहीं है. ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक है कि वह प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है. वहां भौतिकी का कोई भी नियम लागू नहीं होता.

यदि आप ब्लैक होल के भीतर टॉर्च जलाकर देखना चाहेंगे तो यह संभव नहीं है, क्योंकि प्रकाश को भी reflect होने के लिए कोई भौतिक वस्तु चाहिए जो ब्लैक होल में मौजूद नहीं है. इसलिए आपको अंधेरे के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देगा.

जब आप ब्लैक होल के नजदीक जाएंगे तो पहले चरण में आप उसके घटना क्षितिज (event horizon) को पार कर जाएंगे. इस दौरान तीव्र गुरुत्वाकर्षण के कारण आपकी घड़ी धीमी चलने लगेगी, लेकिन इसके अलावा आपको कुछ खास अनुभव नहीं होगा. यदि आप वहां से नजदीकी स्पेस स्टेशन में संपर्क करने के लिए सिग्नल भेजना चाहेंगे तो स्पेस स्टेशन में मौजूद अंतरिक्ष यात्री आपका सिग्नल प्राप्त नहीं कर पाएंगे, उन्हें यह सिग्नल रेड शिफ्टेड नजर आएगा. 

लेकिन आपके लिए सब सामान्य होगा और आप ब्लैक होल में आगे की तरफ बढ़ते जाएंगे. जैसे ही आप singularity के नजदीक पहुंचेंगे तो आपकी घड़ी लगभग रूक जाएगी और आप एक्स-रे और गामा किरणों के संपर्क में आएंगे, जहां आप जलकर नष्ट हो जाएंगे. यदि आप वहां से बच भी जाते हैं तो टाइडल फोर्स के कारण आपके शरीर के कई टुकड़े हो जाएंगे.

हालांकि, आप singularity तक कभी भी नहीं पहुंच पाएंगे. लेकिन फिर भी अगर आप पहुंच जाते हैं तो आपको वहां विकिरणों (radiations) के अलावा कुछ भी नजर नहीं आएगा, क्योंकि सारा पदार्थ शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण की वजह से टूट कर, अत्यंत उच्च तापमान के कारण विकिरणों में बदल जाता है.

ब्रह्मांड में कितने ब्लैक होल हैं?

ब्रह्मांड में कितने ब्लैक होल हैं, इसका सटीक जवाब खोज पाना मुमकिन नहीं है. लेकिन एक अध्ययन में लगाए गए अनुमान के अनुसार 40 अरब ब्लैक होल देखने योग्य ब्रह्मांड में मौजूद हैं. यह देखने योग्य ब्रह्मांड 93 अरब प्रकाश वर्ष में फैला हुआ है. तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पूरे ब्रह्मांड में कितने ब्लैक होल मौजूद होंगे. यह अध्ययन इटली स्थित इंटरनेशनल स्कूल फॉर एडवांस स्टडीज (SISSA) के विशेषज्ञों द्वारा किया गया था.

ब्लैक होल की आवाज कैसी है?

अमेरिका की अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान नासा द्वारा ब्लैक होल आवाज रिकॉर्ड की गई. इस आवाज को सुपरसोनिक साउंड क्वालिटी के साथ सुनने पर इसकी विशालता और भयावता का अंदाजा लगाया जा सकता है. इससे आने वाली आवाज हैरान करने वाली और बेहद डरावनी है.

एक स्टडी में, ब्लैक होल में गूंजने वाली आठ प्रकार की नई आवाजों का पता लगाया गया है. इन आवाजों ब्लैक होल बायनरीज (Black Hole Binaries) का नाम दिया गया है. शोधकर्ताओं द्वारा ब्लैक होल में ईको करने वाले (Echoing) ब्लैक होल सिस्टम की भी पहचान की गई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इन आवाजों के जरिए आकाशगंगा के विकास में ब्लैक होल की भूमिका के बारे में भी पता लगाया जा सकता है.

ब्लैक होल कैसे दिखते हैं?

ब्लैक होल दिखने में पूरी तरह से काले और आकृतिविहीन होते हैं. हमारे सूर्य के द्रव्यमान का लाखों या अरबों गुना अधिक होने के बावजूद, आकाशगंगाओं के केन्द्रों में विशाल ब्लैक होल भी आश्चर्यजनक रूप से छोटे दिखते हैं. वे अत्यधिक धूल और गैस के बादलों से ढके हुए होते हैं, जिनका अवलोकन करना काफी कठिन होता है.

ब्लैक होल थ्योरी किसने दी?

ब्लैक होल की भविष्यवाणी सबसे पहले एल्बर्ट आइन्स्टाइन द्वारा की गई थी. उन्होंने सन् 1916 में पहली बार अपने नए सिद्धांत, सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत (General Theory of Relativity) के आधार पर ब्लैक होल के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी.

सबसे पहले ब्लैक होल की खोज कब और किसने की?

जैसा कि मैंने पहले आपको बताया, सबसे पहले एल्बर्ट आइन्स्टाइन ने ब्लैक होल के होने की भविष्यवाणी की थी. लेकिन ब्लैक होल शब्द का इस्तेमाल पहली बार सन् 1967 में अमेरिकी खगोल शास्त्री जॉन व्हीलर द्वारा किया गया. सबसे पहला ब्लैक होल जिसकी पहचान की गई, Cygnus X-1 था. इसकी खोज सन् 1971 में कई शोधकर्ताओं ने मिलकर की थी.

ब्लैक होल की सबसे पहली फोटो कब कैद की गई?

Black Hole की सबसे पहली इमेज को सन 2019 में Event Horizon Telescope (EHT) के सहयोग से कैप्चर किया गया. यह ब्लैक होल M87 Galaxy के केंद्र में पृथ्वी से 55 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर मौजूद था जिसकी दिलकश फोटो ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को रोमांचित कर दिया.

क्या ब्लैक होल पृथ्वी को तबाह कर सकता है?

ब्लैक होल स्वयं अंतरिक्ष में पृथ्वी, चांद या तारों को निगलने के लिए नहीं घूमते हैं. पृथ्वी ब्लैक होल में समा जाए ऐसा संभव नहीं है. क्योंकि कोई भी ब्लैक होल पृथ्वी के साथ ऐसा करने के लिए हमारे सौर मंडल के नजदीक नहीं है.

यदि कोई ब्लैक होल, जिसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के बराबर है, सूर्य की जगह लेता भी है तो भी पृथ्वी उसमें नहीं गिरेगी. क्योंकि ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के बराबर होगा. इसलिए पृथ्वी और अन्य ग्रह ब्लैक होल की वैसे ही परिक्रमा करते रहेंगे जैसे वे सूर्य की करते हैं.

Conclusion

उम्मीद करता हूँ आपको मेरा यह लेख “ब्लैक होल क्या है, कैसे बनता है और कहां मौजूद है?” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है Black Hole in Hindi से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े.

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Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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