Homeसाइंसजानिए ब्रह्मांड (Universe) क्या है? और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई?

जानिए ब्रह्मांड (Universe) क्या है? और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई?

पृथ्वी प्रकृति की एक खूबसूरत रचना है, जहां जीवन मौजूद है. लेकिन ब्रह्मांड को देखा जाए तो पृथ्वी एक कण से भी छोटी है, जो इस ब्रह्मांड में शामिल है. ब्रह्मांड रहस्यों से भरी वह अनसुलझी पहेली है, जिसे सुलझाने का प्रयास खगोलविद लगातार कर रहे हैं. वे काफी हद तक इसमें कामयाब भी हुए हैं, जिसकी बदौलत हम ब्रह्मांड (Universe) क्या है और ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई जैसे सवालों के जवाब जान सकते हैं.

आज के इस लेख में आप ब्रह्मांड से जुड़ी जानकारियां हासिल करेंगे और जानेंगे कि आखिर ब्रह्मांड बना कैसे है. साथ ही ब्रह्मांड किससे बना है और कितना बड़ा है जैसे सवालों के जवाब भी जानेंगे. तो चलिए करते हैं शुरुआत और जानते हैं Universe क्या है से जुड़ी पूरी जानकारी.

ब्रह्मांड क्या है? (What is Universe in Hindi)

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ब्रह्मांड क्या है?

ब्रह्मांड सब कुछ है, जहां, आप, मैं, हमारी, पृथ्वी, सूर्य, तारे और आकाश सब कुछ इसमें शामिल हैं. ब्रह्मांड में पूरा अंतरिक्ष और वो सारे पदार्थ और ऊर्जा, जो अंतरिक्ष में शामिल है, सब मौजूद है. इसमें समय भी शामिल है.

सुनने में भले ही ब्रह्मांड दूर लगता है, लेकिन असल में यह हमसे केवल कुछ ही किलोमीटर (लगभग 100 किलोमीटर) की दूरी पर है. इसे बाहरी अंतरिक्ष भी कहा जाता है. चाहे हम चल रहे हों, सो रहे हों या फिर कुछ खा-पी रहे हों, यह बाहरी अंतरिक्ष हमसे केवल कुछ ही दूर ऊपर है. 

केवल ऊपर ही नहीं, बल्कि हमारे पैरों के नीचे भी है, जिसकी दूरी हमसे लगभग 12800 किलोमीटर है. यानी पृथ्वी की विपरीत दिशा में, जहां बाहरी अंतरिक्ष का असीमित खालीपन और हानिकारक रेडिएशन छुपे हुए हैं.

तकनीकी रूप से देखा जाए हम फ़िलहाल अंतरिक्ष में ही मौजूद हैं. इंसान बाहरी अंतरिक्ष को पृथ्वी से अलग समझता है, जैसे हम यहां हैं और यह वहां. लेकिन वास्तव में पृथ्वी एक ग्रह है और यह दूसरे ग्रहों की तरह ही ब्रह्मांड के भाग अंतरिक्ष में मौजूद है. पृथ्वी की सतह जीवन के लिए मेहमान नवाज है, लेकिन पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों और जीवों के लिए व्यावहारिक रूप से पूरा ब्रह्मांड एक शत्रुतापूर्ण और निर्दयी वातावरण है.

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ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई या ब्रह्मांड कैसे बना?

ब्रह्मांड के इतिहास और विस्तार को Big Bang Model के तौर पर व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है, जो बताता है कि ब्रह्मांड की शुरुआत लगभग 13.7 अरब वर्ष पहले एक गर्म, सघन बिंदु के रूप में हुई थी. बिग-बैंग सिद्धांत अंतरिक्ष में कोई विस्फोट नहीं था, जैसा कि सिद्धांत के नाम में सुझाया गया है. बल्कि, शोधकर्ताओं के अनुसार यह ब्रह्मांड में हर जगह अंतरिक्ष की उपस्थिति थी.

बिग-बैंग सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्मांड एक बहुत गर्म और बहुत सघन, सिंगल बिंदु के रूप में अंतरिक्ष में पैदा हुआ था. इससे पहले ब्रह्मांड में क्या घटना हुई, इसको लेकर ब्रह्मांड-विज्ञानी अनिश्चित हैं. लेकिन जटिल मिशनों, भू-आधारित टेलिस्कोप और जटिल गणनाओं के साथ वैज्ञानिक शुरुआती ब्रह्मांड का स्पष्ट चित्र बनाने पर काम कर रहे हैं. इसके लिए सबसे ज्यादा अहम जानकारियां Cosmic Microwave Background के ऑब्जरवेशन से आती है, जिसमें बिग-बैंग से बचे प्रकाश और विकिरण की उत्तरदीप्ति (afterglow) होती है. 

बिग-बैंग का यह अवशेष ब्रह्मांड में फैला हुआ है, जिसे microwave detectors की मदद से देखा जा सकता है. यह वैज्ञानिकों को शुरूआती ब्रह्मांड से जुड़े सुराग को जोड़ने में मदद करता है.

वर्ष 2021 में नासा (NASA) ने Cosmic Microwave Background से विकिरण को माप कर प्रारंभिक ब्रह्मांड में मौजूद स्थितियों का अध्ययन करने के लिए Wilkinson Microwave Anisotropy Probe (WMAP) मिशन की शुरुआत की. अन्य खोजों के बीच, WMAP ब्रह्मांड की उम्र का पता लगाने में सक्षम था, जो लगभग 13.7 अरब वर्ष है.

अपनी युवावस्था में ब्रह्मांड ने एक अविश्वसनीय विकास गति प्राप्त की. विस्तार के इस विस्फोट के दौरान, जिसे inflation कहा जाता है, ब्रह्मांड तेजी से बढ़ा और कम-से-कम 90 गुना आकार में बड़ा हो गया. ब्रह्मांड का विस्तार होने लगा और जैसे-जैसे विस्तार हो रहा था, यह ठंडा होता रहा और कम सघन हो गया. Inflation के बाद ब्रह्मांड लगातार बढ़ता रहा, लेकिन बहुत धीमी रफ्तार से.

जैसे-जैसे अंतरिक्ष का विस्तार हुआ, ब्रह्मांड ठंडा हुआ और पदार्थ का निर्माण हुआ. ब्रह्मांड निर्माण के 3 मिनट के भीतर हल्के रासायनिक तत्वों (chemical elements) का निर्माण हुआ. ब्रह्मांड के विस्तार के साथ-साथ, तापमान ठंडा होता गया और प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के टकराने से ड्यूटेरियम (deuterium) का निर्माण हुआ, जो हाइड्रोजन का समस्थानिक (isotope) है. ड्यूटेरियम का अधिकांश भाग मिलकर हीलियम बनाता है.

शुरुआती 380,000 वर्षों तक, Big-Bang के बाद, ब्रह्मांड निर्माण से निकली ऊष्मा ने इसे प्रकाश के चमकने के लिए अनिवार्य रूप से गर्म बना दिया. परमाणु पर्याप्त बल के साथ एक साथ टकराकर प्रोटोन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन के घने अपारदर्शी प्लाज्मा में टूट गए, जो कोहरे की तरह प्रकाश बिखेरते थे.

बिग-बैंग के लगभग 380,000 वर्षों के बाद, इलेक्ट्रॉनों के लिए नाभिक से जुड़कर न्यूट्रल (तटस्थ) परमाणु बनाने के लिए पदार्थ पर्याप्त रूप से ठंडा हो गया. इस चरण को recombination के नाम से जाना जाता है और मुक्त electrons के अवशोषण (absorption) के कारण ब्रह्मांड पारदर्शी हुआ. 

उस समय फैले प्रकाश को आज cosmic microwave background से विकिरण के रूप में detect किया जा सकता है.

यद्यपि, recombination के युग के बाद सितारे और अन्य चमकीली वस्तुओं से पहले अंधकार की अवधि आई. लगभग 400 मिलियन वर्षों बाद ब्रह्मांड अंधकार से बाहर आना शुरू हुआ. इस काल को age of reionization के नाम से जाना जाता है. यह माना जाता है कि गतिशील चरण आधे अरब वर्ष तक चला, लेकिन नए observation के आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है कि reionization की प्रक्रिया हमारी सोच से भी ज्यादा तेजी से हुई.

इस दौरान गैसों के गुच्छों ने collapse होकर शुरुआती तारे और आकाशगंगाओं का निर्माण किया. इन ऊर्जावान घटनाओं से निकली पराबैंगनी किरणों ने आसपास की अधिकांश तटस्थ हाइड्रोजन गैस को साफ और नष्ट कर दिया. Re-ionization की प्रक्रिया और धुंधली हाइड्रोजन गैस के सफाए ने ब्रह्मांड को पराबैंगनी प्रकाश के लिए पारदर्शी बना दिया.

खगोलविद, शुरुआती ब्रह्मांड के गुणों को समझने के लिए सबसे दूर-दराज और पुरानी आकाशगंगाओं के लिए ब्रह्मांड की छानबीन करते हैं. इसी तरह से cosmic microwave background के अध्ययन से, खगोलविद पहले की घटनाओं को जोड़ने के लिए पीछे की ओर काम कर सकते हैं.

सौर मंडल का निर्माण

बिग-बैंग के लगभग 9 अरब वर्षों बाद, हमारे सौर-मंडल के पैदा होने का अनुमान लगाया जाता है. जो इसे लगभग 4.6 अरब वर्ष पुराना बनाता है. वर्तमान अनुमानों के अनुसार, सूर्य हमारी आकाशगंगा में 100 अरब तारों में से एक है और गांगेय कोर (galactic core) से लगभग 25000 प्रकाश वर्ष की परिक्रमा करता है.

कई वैज्ञानिकों का मानना है कि सूर्य और हमारा बाकी सौर मंडल एक विशाल, घूमते गैस और धूल के बादल से बना है, जिसे सौर निहारिका (solar nebula) के नाम से जाना जाता है. गुरुत्वाकर्षण के कारण निहारिका collapse होकर तेजी से घूमने लगी और एक डिस्क के रूप में चपटी हो गई. इस चरण के दौरान, सूर्य बनाने के लिए अधिकांश सामग्री को केंद्र की ओर खींच लिया गया.

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ब्रह्मांड लगातार विस्तार कर रहा है

nebula

सन 1920 में, खगोलविद Edwin Hubble ने ब्रह्मांड के बारे में एक क्रांतिकारी खोज की. उन्होंने Mount Wilson Observatory, लॉस एंजेलिस में अपने नवनिर्मित टेलीस्कोप का इस्तेमाल कर पता लगाया कि ब्रह्मांड स्थिर नहीं है, बल्कि विस्तार कर रहा है.

दशकों बाद, 1998 में, Edwin Hubble के नाम पर बने Hubble Space Telescope ने अत्यंत दूर स्थित supernovas का अध्ययन किया और पाया कि बहुत समय पहले ब्रह्मांड काफी धीमी गति से विस्तार कर रहा था, वर्तमान की बजाय. यह खोज काफी आश्चर्यजनक थी. क्योंकि बहुत समय से यह धारणा थी कि ब्रह्मांड में सामग्री का गुरुत्वाकर्षण, इसके विस्तार को कम कर सकता है या इसे कॉन्ट्रैक्ट कर सकता है.

रहस्यमयी डार्क मैटर और डार्क एनर्जी

1960 से 1970 के दशक के बीच, खगोलविदों ने सोचना शुरू किया कि ब्रह्मांड में जितना द्रव्यमान दिखाई देता है, उससे ज्यादा हो सकता है. खगोलविद Vera Rubin ने आकाशगंगा के विभिन्न जगहों पर तारों की गति का अवलोकन (observation) किया. बेसिक न्यूटनियन भौतिकी के अनुसार, आकाशगंगा के बाहरी इलाके में तारे, केंद्र में तारों की तुलना में अधिक धीमी गति से परिक्रमा करते हैं.. लेकिन Rubin ने सितारों के वेगों में कोई अंतर नहीं पाया. उन्होंने देखा कि आकाशगंगा के भीतर सभी तारे कमोबेश समान गति से केंद्र का चक्कर लगाते हैं.

यह रहस्यमयी और अदृश्य द्रव्यमान dark matter के नाम से जाना जाने लगा. Dark matter का अनुमान, नियमित पदार्थ पर लगाए जाने वाले बल के कारण लगाया जाता है. एक परिकल्पना दर्शाती है कि यह रहस्यमयी चीज किन्ही अनोखे कणों की वजह से बन सकती है, जो प्रकाश या नियमित पदार्थ के साथ interact नहीं करता, इसलिए इसे detect करना बहुत मुश्किल है.

डार्क एनर्जी को अजीबोगरीब बल माना जाता है, जो बढ़ती गति से से लगातार ब्रह्मांड को अलग कर रहा है. लेकिन यह वैज्ञानिकों के लिए अभी भी रहस्य बना हुआ, जिसको लेकर वैज्ञानिकों की रिसर्च जारी है. ब्रह्मांड के बारे में बहुत कुछ जाने के बाद भी कई ऐसे अनसुलझे रहस्य हैं, जो वैज्ञानिकों के सामने कई प्रश्न खड़े कर देते हैं. Dark energy और dark matter दो सबसे बड़े अनसुलझे रहस्य हैं, लेकिन खगोलविद ब्रह्मांड की शुरुआत को बेहतर तरीके से समझने की उम्मीद के साथ लगातार इसकी जांच कर रहे हैं.

ब्रह्मांड किससे बना है?

जैसा कि हम जान चुके हैं, ब्रह्मांड में सभी ऊर्जा और पदार्थ शामिल हैं. ब्रह्मांड में देखे जा सकने वाले ज्यादातर पदार्थ हाइड्रोजन के अलग-अलग परमाणुओं का रूप ले लेते हैं, जो केवल एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन से बना साधारण परमाणु तत्व है. यदि परमाणु में न्यूट्रॉन भी होता है, तो यह ड्यूटेरियम कहलाता है. इलेक्ट्रॉन साझा करने वाले दो या दो से अधिक परमाणु एक अणु (molecule) है. यदि आप कुछ टन कार्बन, सिलिका, ऑक्सीजन, बर्फ और कुछ धातुओं को एक साथ दबाते हैं तो यह क्षुद्रग्रह बन जाता है. या आप 333000 पृथ्वी द्रव्यमान के हाइड्रोजन और हीलियम को इकट्ठा करते हैं, तो आपके पास सूर्य जैसा एक तारा होगा. 

व्यावहारिकता के लिए, इंसान पदार्थों के गुच्छों को उनकी उनकी विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत करते हैं. आकाशगंगाएँ, तारा समूह, ग्रह, बौने ग्रह, चंद्रमा, वलय, धूमकेतु, उल्कापिंड, रैकून ये सब पदार्थ के संग्रह हैं, जिनकी विशेषताएं एक दूसरे से अलग हैं. लेकिन ये समान प्राकृतिक नियमों का पालन करते हैं.

वैज्ञानिकों ने पदार्थ के उन गुच्छों का मिलान करना शुरू कर दिया और जो आंकड़े सामने आते हैं, वो बहुत हैरान करने वाले हैं. हमारी आकाशगंगा मिल्की वे में कम से कम 100 अरब तारे हैं, और देखे जा सकने वाले ब्रह्मांड में लगभग 100 अरब आकाशगंगाएं हैं. यदि सभी आकाशगंगाएं एक ही आकार की होती, तो देखे जा सकने वाले ब्रह्मांड में 10 हजार अरब अरब (या 10 सेक्सटिलियन) तारे होते.

वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड में पदार्थ और ऊर्जा का एक गुच्छा भी है, जिसे हम प्रत्यक्ष रूप से देख नहीं पाते. सभी तारे, ग्रह, धूमकेतु, ब्लैक होल इत्यादि मिलकर ब्रह्मांड में 5 प्रतिशत से भी कम सामग्री का प्रतिनिधित्व करते हैं. बाकी बचा हुआ 27 प्रतिशत dark matter है, और 68 प्रतिशत dark energy है, इनमें से किसी को भी दूर से समझा नहीं जा सकता.

ब्रह्मांड जिसे हम समझते हैं, काम नहीं करेगा यदि dark matter और dark energy मौजूद ना हो. इन्हें dark इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वैज्ञानिक फ़िलहाल इनका अवलोकन करने के लिए इन्हें स्पष्ट रूप से नहीं देख सकते हैं.

ब्रह्मांड कितना बड़ा है?

cosmos

दिखने वाला ब्रह्मांड यानी observable universe का आकार 28.5 गीगापारसेक्स है. यानी लगभग 93 अरब प्रकाश वर्ष, साधारण भाषा में 9300 करोड़ प्रकाश वर्ष. इसमें करीब 14.26 गीगापारसेक्स यानी 4650 करोड़ प्रकाश वर्ष को वैज्ञानिक देख चुके हैं. नासा ने इस observable universe की एक तस्वीर तैयार की है, जिसे दुनियाभर के टेलिस्कोप, रडार, स्पेस टेलिस्कोप, रेडियो टेलिस्कोप की मदद से तैयार किया गया है. इस तस्वीर को आप यहां क्लिक करके देख सकते हैं.

ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का सिद्धांत क्या है?

वैसे तो ब्रह्मांड की उत्पत्ति को लेकर कई सिद्धांत प्रचलित हैं, लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित एवं मान्य सिद्धांत बिग-बैंग सिद्धांत है. इसे ‘विस्तारित ब्रह्मांड परिकल्पना’ के नाम से भी जाना जाता है. बिग-बैंग सिद्धांत का प्रतिपादन ‘जॉर्ज लैमेन्तेयर’ ने किया था और बाद में ‘रॉबर्ट वैगनर’ ने सन 1967 में इस सिद्धांत की व्याख्या प्रस्तुत की. बिग-बैंग सिद्धांत की पुष्टि ‘डॉप्लर प्रभाव’ से भी की जा चुकी है.

निष्कर्ष (Conclusion):

उम्मीद करता हूँ आपको अच्छे से समझ आ गया होगा कि ब्रह्मांड क्या है (Universe in Hindi)? और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई? मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है Universe से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि इस विषय के संदर्भ में आपको किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें.

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Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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