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क्या आप जानते हैं, पैराशूट क्या होता है और कैसे उड़ता है?

आपने कभी skydiving के दौरान या कभी टीवी या फिल्म देखते समय किसी व्यक्ति को पैराशूट के जरिए उड़ते हुए जरुर देखा होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं ये पैराशूट क्या होता है (What is Parachute in Hindi) और कैसे उड़ता है? अगर नहीं तो इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़ें. क्योंकि आज मै आपके साथ पैराशूट की पूरी जानकारी हिंदी में सांझा करूंगा.

पैराशूट एक ऐसा उपकरण है जो आपातकाल की स्थिति में वायुयान से सफलतापूर्वक जमीन पर उतरने में मदद करता है. इसके आने के बाद मानो लोगों में आसमान में जाने और गिरने का डर खत्म हो गया हो. यह दिखने में भले ही सिंपल लगता है, लेकिन इसे बनाने के पीछे वैज्ञानिको की कड़ी मेहनत छुपी हुई है. इसलिए आज के इस लेख में हम पैराशूट क्या है? (Parachute Meaning in Hindi) यह कैसे बनता है? इसके प्रकार और इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में चर्चा करेंगे. तो बिना किसी देरी के चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं पैराशूट की जानकारी हिंदी में.

पैराशूट क्या होता है?What is Parachute in Hindi

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पैराशूट एक ऐसा उपकरण है जो किसी वस्तु की गति को वातावरण के माध्यम से, घर्षण पैदा करके धीमा कर देता है. पैराशूट को बनाने के लिए हल्के और मजबूत कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है, जो आमतौर पर सिल्क या नायलॉन का बना होता है. पैराशूट के साथ कई तरह के भार को attach किया जा सकता है, जैसे कि कोई व्यक्ति, खाने की वस्तु, उपकरण, space capsules और हथियार.

पैराशूट कैसे बनता है? 

शुरुआत में पैराशूट को canvas कपड़े का इस्तेमाल करके बनाया जाता था. लेकिन बाद में सिल्क का इस्तेमाल किया जाने लगा. क्योंकि सिल्क वजन में हल्का, मजबूत और पतला होता है. साथ ही इसे पैक करना आसान होता है और यह लचीला और आग प्रतिरोधी भी होता है.

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान से सिल्क आयात नहीं कर सकता था. तब पैराशूट उत्पादकों ने नायलॉन कपड़े का इस्तेमाल शुरू कर दिया. यह कपड़ा सिल्क से भी बेहतर निकला. क्योंकि यह सिल्क से अधिक लचीला, अधिक फफूँद प्रतिरोधी और कम महंगा था. 

इससे पहले दूसरे fabric जैसे कि Dacron और Kevlar का भी इस्तेमाल किया जा चुका था, लेकिन इन सबसे बेहतर नायलॉन ही था. इसलिए नायलॉन, पैराशूट के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय मटेरियल बन गया. अधिकतर पैराशूट “ripstop” नायलॉन से बनाए जाते हैं. जो double या extra-thick thread के साथ, छोटे वर्ग का पैटर्न बनाते हुए बुने जाते हैं. यह संरचना पैराशूट को फैलने के दौरान फटने से रोकती है.

पैराशूट के प्रकार -Types of Parachute in Hindi

  1. Round Parachute
  2. Cruciform Parachute
  3. Rogallo Wings
  4. Ram-Air Parachutes 

Round Parachute

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सबसे पहले इस्तेमाल किया जाने वाला पैराशूट, राउंड पैराशूट ही था. इनका इस्तेमाल काफी लंबे समय तक किया गया (अभी भी कुछ परिस्थितियों में इनका इस्तेमाल होता है). लेकिन कुछ समस्याओं के चलते इन्हें नियमित उपयोग से हटाना पड़ा. इनमे आने वाली सबसे बड़ी समस्या, इनका स्थिर ना होकर दौलन करना होता था. दूसरा, ये जमीन पर आराम से लैंडिंग नहीं करते थे.

Cruciform Parachute

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इन पैराशूट को राउंड पैराशूट के subset की तरह देखा जा सकता है. ये पूरी तरह से राउंड  नहीं थे और ना ही आजकल इस्तेमाल किए जाने वाले आधुनिक square पैराशूट की तरह थे. लेकिन इनमे फरक यह था कि इनके जरिए जम्प करने पर लैंडिंग के दौरान चोट लगने का खतरा कम रहता था.

Rogallo Wings

rogallo wings in hindi

इन पैराशूट को आपने पैराग्लाइडिंग के दौरान रेस्क्यू पैराशूट के तौर पर इस्तेमाल करते हुए जरुर देखा होगा. पंख डिजाइन अत्यधिक पहचानने योग्य है: दो आंशिक शंकु सतहों के साथ दोनों शंकु आगे की ओर इशारा करते हैं, दिखने में अस्पष्ट त्रिकोणीय या hang-glider के जैसा लगता है.

यह काफी लचीला और स्प्रिंगदार होता है. इनका इस्तेमाल spacecraft के लिए descent पैराशूट निर्माण में किया जाता है. साथ ही तिपहिया जैसे ultralight powered aircraft में airfoil भी प्रदान करते हैं.

Ram-Air Parachute

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यह parafoil parachute या canopy का एक प्रकार है. इसका इस्तेमाल descent speed को कम करने के लिए किया जाता है, ताकि जमीन पर सुरक्षित तरीके से पहुंचा जा सके. आजकल इस पैराशूट का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है.

यही दिखने में square या rectangular आकार में एक fabric wing होता है, जिसमे एक ऊपर और नीचे नायलॉन की sheet होती है, जो इनके बीच लगे एक fabric rib के set द्वारा जुड़ी हुई होती है.

इस पैराशूट का मुख्य फायदा यह है कि, ये दूसरे variants की अपेक्षा बेहतर तरीके से दिशा और गति पर नियंत्रण करता है. साथ ही इसका डिजाईन, लिफ्ट भी प्रदान करता है.

पैराशूट के इस्तेमाल क्या-क्या हैं?

  • पैराशूट का इस्तेमाल स्पेस मिशन के लिए किया जाता है. इसका इस्तेमाल space capsules को धरती पर धीमी गति के साथ सुरक्षित लैंडिंग कराने के लिए किया जाता है. स्पेस मिशन के लिए कई दशकों से पैराशूट को उपयोग में लाया जा रहा है. NASA द्वारा अपोलो मून मिशन की वापसी के दौरान भी पैराशूट का इस्तेमाल किया गया था.
  • सैन्य उद्देश्यों के लिए भी पैराशूट का इस्तेमाल किया जाता है. पैराशूट का उपयोग माल को विमान से गिराने और क्षेत्रों में आपूर्ति करने के लिए किया जाता है.
  • पैराशूट का इस्तेमाल skydive या BASE jumping के लिए किया जाता है. ये दोनों ही खेल पैराशूट पर निर्भर होते हैं. हालांकि, खेल के आधार पर इनका साइज अलग-अलग हो सकता है.
  • दुर्घटना से बचने के लिए छोटे हवाई जहाज़ों में भी पैराशूट का इस्तेमाल किया जाता है.
  • कई Drag cars, जिन्हें कम दूरी के अंदर रोकने की जरूरत होती है, में छोटे पैराशूट का इस्तेमाल उन्हें धीमा करने के लिए किया जाता है.

पैराशूट का इतिहास – History of Parachute in Hindi

12वीं शताब्दी के शुरुआत में, चीन में एक छतरी जैसे पैराशूट का इस्तेमाल मनोरंजन के तौर पर किया जाता था, जो किसी कठोर मटेरियल से बना हुआ होता था. इसके साथ लोग किसी ऊँची जगह से जम्प करते थे और उड़ते हुए जमीन पर उतरते थे. 

सन 1495 में पैराशूट का पहला डिजाईन Leonardo da vinci द्वारा तैयार किया गया था. यह लिनन की बनी एक पिरामिड आकार की कैनोपी थी, जो square में बने wooden frame के माध्यम से खुली रहती थी. इसका निर्माण एक ऐसे उपकरण के तौर पर किया गया था, जिसका इस्तेमाल कर आपातकाल की स्थिति में आग लगी हुई ईमारत से कूदा जा सके.

पैराशूट का विकास वास्तव में 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ था. सन 1783 में Louis-Sebastien Lenormand नामक एक फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी ने दो छातों को अपने हाथ में लेकर एक पेड़ से छलांग लगाईं.

दो साल बाद एक दूसरे फ्रांसीसी J. P. Blanchard ने सिल्क का इस्तेमाल कर पहला पैराशूट बनाया. जिसे खुला रखने के लिए wooden frame का इस्तेमाल नहीं किया गया था. इसके बाद भी इन्होने हॉट एयर बैलून से कई जम्प लगाए.

Andre Jacques Garnerin ने भी हॉट एयर बैलून से पैराशूट के माध्यम से कई जम्प लगाए. सन 1797 की शुरुआत में इन्होने पेरिस में लगभग 2000 फुट (600 मीटर) की ऊंचाई से छलांग लगाई. फिर 1802 में इन्होने 8000 फुट (2400 मीटर) की ऊंचाई से छलांग लगाई. वो एक बास्केट, जो एक लकड़ी के पोल के जरिए कैनोपी से जुड़ी में हुई थी, पर सवार हुए थे. यह silk या canvas से बनी हुई थी.

इस पैराशूट assembly का वजन करीब 45 किलोग्राम था. उतराई के समय यह कैनोपी काफी तेजी के साथ हिलती थी, जिसके चलते Garnerin बीमार हो गए थे.

सन 1804 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक Joseph Lelandes ने पैराशूट के शीर्ष पर छिद्र (कैनोपी के बीच में गोलाकार छेद) की शुरुआत की, जिससे पैराशूट का दौलन करना बंद हो गया.

अमेरिकन, पैराशूट के विकास में तब शामिल हुए, जब सन 1901 में Charles Broadwick ने एक पैराशूट पैक डिजाईन किया, जो एक रस्सी के जरिए बंधा हुआ होता था. जैसे ही पैराशूटिस्ट इसके साथ जम्प करता था, एक line जो रस्सी को aircraft से जोड़ती थी, रस्सी के टूटने की वजह बनती थी जिससे पैक खुल जाता था और पैराशूट बाहर आ जाता था.

सन 1912 में U.S. आर्मी के कैप्टन Albert Berry ने पहली बार किसी उड़ते हुए विमान से पैराशूट के साथ जम्प को पूरा किया था.

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद तक, पैराशूट अमेरिकन सेना के लिए मानक उपकरण नहीं बना था. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान पैराशूट का इस्तेमाल बड़ी संख्या में शुरू हो गया था. यह ना केवल पायलट्स की जान बचाने के काम आता था, बल्कि सेना के जवानों की तैनाती भी इसके जरिए की जाती थी.

सन 1944 में, एक अमेरिकी जिसका नाम Frank Derry था, ने एक डिजाईन पेटेंट कराया जिसमें कैनोपी के बाहरी किनारों पर slots को लगाया गया. इनके इस्तेमाल से पैराशूट को मोड़ा जा सकता था.

सन 1960 में, दुनिया के सबसे ऊँचे जम्प का वर्ल्ड रिकॉर्ड सेट किया गया. अमेरिकी एयर फाॅर्स के लिए Project Excelsior (पैराशूट जम्प की एक श्रृंखला) के टेस्ट पायलट Joe Kittinger ने 102,800 फुट (31 किलोमीटर) की ऊंचाई से एक बैलून से जम्प किया. 

शुरुआत में उन्होंने खुद को स्थिर और vertical position में रखने के लिए केवल 6 फुट (1.8 मीटर) के पैराशूट का इस्तेमाल किया और 1150 km/hr की speed से आगे बढ़ते हुए करीब 4 मिनट और 38 सेकंड के लिए free fall को अनुभव किया.

इसके बाद 17,500 फुट (5.3 किलोमीटर) की ऊंचाई पर, 28 फुट (8.5 मीटर) के पैराशूट को खोला गया. इस प्रकार उनका नीचे गिरना करीब 14 मिनट में पूरा हुआ.

पैराशूट कैसे काम करता है?

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अगर हम एक पत्थर और एक पंख को ऊंचाई से छोड़ते हैं तो ये दोनों गुरुत्वाकर्षण बल के कारण धरती की तरफ आएंगे. लेकिन पंख की अपेक्षा, पत्थर तेजी के साथ कम समय में धरती पर गिरेगा. इसका कारण यह नहीं है कि पत्थर का वजन ज्यादा है, बल्कि ऐसा इसलिए है क्योंकि पंख की पंखुड़ियां बाहर की तरफ निकली हुई होती हैं जो हवा में प्रतिरोध (resistance या drag) पैदा करती हैं. और ये वायु प्रतिरोध पंख की गति को धीमा कर देता है.

इसी प्रकार जब आप विमान या किसी ऊँची जगह से कूदते हैं तो आपका शरीर भी पत्थर की तरह तेजी के साथ हवा से होकर गुजरता है. जैसे ही आप अपना पैराशूट खोलते हैं, यह वायु प्रतिरोध (Air Resistance) पैदा करता है और पंख की भांति, हवा में धीमी गति के साथ बहता हुआ आपको धीरे और सुरक्षित तरीके से जमीन पर उतारता है.

पैराशूट कैसे उड़ता है?

आसमान में पैराशूट खुलने पर हवा के दबाव से एक wing (पंख) जैसी सरंचना बना लेता है, जिसके नीचे कैनोपी पायलट उड़ सकता है. पैराशूट को नियंत्रित करने के लिए स्टीयरिंग लाइन को नीचे खींचा जाता है, जिससे wing का आकार बदल कर इसे मोड़ा जा सकता है और उतराई की दर को कम या ज्यादा किया जा सकता है. चलिए जानते हैं विस्तार से.

पैराशूट कैसे खुलता है?

पैराशूट को सफलतापूर्वक उड़ाने के लिए, पहला कदम इसे proper तरीके से खोलना होता है. पैराशूट को अच्छे तरीके से एक container के अंदर पैक किया हुआ होता है. जैसे ही पैराशूट को तैनात किया जाता है, हवा तुरंत इसमें प्रवेश करती है और पैराशूट खुल जाता है.

पैराशूट कैसे मुड़ता है?

पैराशूट अपने कंटेनर से lines के जरिए जुड़ा हुआ होता है. ये काफी मजबूत स्ट्रिंग्स होती हैं जो पैराशूट के नीचे की ओर विभिन्न बिंदुओं से जुड़ी हुई होती हैं.

ये स्टीयरिंग lines पैराशूट के पीछे लगी हुई होती हैं. इनपर toggles लगे हुए होते हैं, जिन्हें पकड़कर skydiver आसानी से पैराशूट को नियंत्रित कर सकता है. Skydiver दोनों या एक side के toggle को खींचकर पैराशूट को मोड़ सकता है. उदाहरण के लिए अगर दाएं तरफ के toggle को खिंचा जाए तो पैराशूट दाएं तरफ मुड़ेगा और अगर बाएं तरफ के toggle को खिंचा जाए तो पैराशूट बाएं तरफ मुड़ेगा. 

दोनों toggles को एक साथ खींचने पर पैराशूट की उतराई दर (Descent Rate) कम हो जाती है और पैराशूट धीमी गति से जमीन पर आने लगता है.

पैराशूट नीचे कैसे आता है?

पैराशूट का डिजाईन स्वाभाविक रूप से कुछ ऐसा होता है कि वह एक managable गति के साथ नीचे की तरफ आता है. जब skydiver पैराशूट को toggle के जरिए खींचकर मोड़ता है तो यह अपने आप थोड़ा तेजी के साथ नीचे आने लगता है. 

अधिक उन्नत पायलट, swooping नाम की एक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं जो पैराशूट को तेजी के साथ नीचे की तरफ लाती है और जमीन पर land करते समय एक swooshing sound पैदा करती है.

पैराशूट जमीन पर लैंड कैसे करता है?

जब skydiver जमीन के नजदीक पहुँचता है, वह toggles का इस्तेमाल कर पैराशूट की उतराई (descent) को कम-से-कम धीमा कर देता है और soft touch के साथ जमीन पर उतर जाता है.

रिज़र्व पैराशूट

एक skydiver हमेशा दो पैराशूट के साथ छलांग लगाता है. इनमें एक main पैराशूट होता है जबकि दूसरा reserve पैराशूट होता है. वैसे तो पैराशूट बहुत बेहतर तरीके से बनाए गए होते हैं और समय पर खुलते हैं. लेकिन पैकिंग प्रक्रिया के दौरान उपयोगकर्ता की गलती से पैराशूट में प्रॉब्लम आ सकती है. इसलिए आपातकालीन की स्थिति में बचने के लिए रिज़र्व पैराशूट का इस्तेमाल किया जाता है.

Conclusion

मुझे उम्मीद है आपको मेरा ये Article ”पैराशूट क्या होता है और कैसे उड़ता है?” जरुर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है “पैराशूट” विषय से जुड़ी हर जानकारी को सरल शब्दों में explain करने की ताकि आपको इस Article के सन्दर्भ में किसी दूसरी site पर जाने की जरूरत ना पड़े.

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Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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