IMF क्या है? दोस्तों आज के इस लेख में हम एक ऐसे संगठन की बात कर रहे हैं, जो पूरे देश में ही पैसों के हिसाब से बहुत ज्यादा महत्व रखता है. जिस प्रकार हर देश में अपने खुद के बैंक होते हैं और उनके ऊपर एक सबसे बड़ा सरकारी बैंक होता है जो उन्हें रेगुलेट या मॉनिटर करता है, ठीक उसी तरह विश्व में कई संगठन हैं जिनमें से एक आईएमएफ (IMF) का नाम बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है.
इस संगठन को हिंदी में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के नाम से जाना जाता है, जो शायद आपने सुना भी होगा या इसके बारे में न्यूज़ आदि में पढ़ा होगा. तो आज हम आईएमएफ क्या है? यह क्या काम करता है? इसके क्या कुछ उद्देश्य होते हैं? इत्यादि के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं. आइये इस लेख के माध्यम से आईएमएफ के बारे में पूरी जानकारी ले लेते हैं.
आईएमएफ (IMF) क्या है?
आईएमएफ एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो पूरे विश्व के लिए आर्थिक मंच के तौर पर काम करता है. एक तरह से जिस प्रकार किसी भी देश के लिए एक केंद्रीय बैंक होता है, जैसे कि हमारे भारत देश के लिए रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया है, ठीक उसी प्रकार ही वैश्विक स्तर पर आईएमएफ की भूमिका होती है.
यह वैश्विक स्तर पर पैसों को लेने या देने, जरूरतमंद देशों को आर्थिक व वित्तीय सहायता प्रदान करने, वैश्विक स्तर पर सामाजिक या पर्यावरण के मुद्दे पर कोई कार्य करवाने, वैश्विक आर्थिक नीतियाँ बनाने या उन पर अपनी सलाह देने, देशों को कर्ज देने इत्यादि में अपनी भूमिका निभाता है. यह एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बैंक या संस्था या संगठन कहा जा सकता है, जो पैसों का लेनदेन देखता है.
आईएमएफ का कार्य क्या है?
अब करते हैं आईएमएफ के कार्यों के बारे में बात. तो आपने यह तो जान लिया है कि आईएमएफ होता क्या है. लेकिन मुख्य तौर पर इसके क्या कुछ कार्य होते हैं या यह किस-किस तरह के कार्य वैश्विक स्तर पर करता है, उनके बारे में जानना भी जरुरी हो जाता है. तो आइये जानें आईएमएफ क्या कुछ कार्य करता है:
- विश्व में कई देश हैं और इन देशों में समय समय पर किसी ना किसी चीज़ को लेकर पैसों की तंगी देखने को मिलती है. ऐसे में उन्हें आईएमएफ से ही पैसे मिलने की उम्मीद होती है जो आईएमएफ कुछ शर्तों के आधार पर या मानवीय आधार पर उन्हें प्रदान भी करता है.
- आईएमएफ के जो सदस्य देश हैं, उनसे पैसा लेना और अन्य जरूरतमंद देशों को कर्ज के रूप में या ब्याज के तौर पर देना, आईएमएफ का कार्य होता है.
- यह वैश्विक स्तर पर कई तरह के विकास कार्य करवाने में मदद करता है, जो मुख्य तौर पर इसके सदस्य देशों और विश्व के पर्यावरण की दृष्टि से सही हो.
- यह देशों की अर्थव्यवस्था को सुधारने और उनका विकास करवाने में भी बहुत मदद करता है. ताकि उन देशों के नागरिकों का भी भला हो सके.
- वैश्विक स्तर पर अनुसंधान करने, वैज्ञानिक खोज करने या शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के लिए भी आईएमएफ पैसा देता है.
इस तरह से वैश्विक स्तर पर आर्थिक व वित्तीय रूप में आईएमएफ कई तरह की भूमिका निभाता है, जिससे इस विश्व का कल्याण हो सके.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के उद्देश्य
अब आपने आईएमएफ या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्य पढ़े तो आपको यह तो समझ आ ही गया होगा कि इसके उद्देश्य क्या कुछ हो सकते हैं, लेकिन फिर भी इनके बारे में हम आपको अलग से बता देते हैं.
- आईएमएफ का मुख्य उद्देश्य वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार लाना और उसे सुव्यवस्थित करना है.
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का एक उद्देश्य उन गरीब देशों के लोगों की मदद करना है जो आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं.
- इसके द्वारा विश्व के देशों में आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना और उन्हें वित्तीय रूप से मजबूत करना है.
- वित्तीय रूप से नियंत्रण रखना और उसे प्रबंधित करना भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का एक उद्देश्य होता है.
- अपनी नीतियों के तहत वैश्विक अर्थव्यवस्था को सुरक्षा प्रदान करना भी आईएमएफ का ही एक लक्ष्य कहा जा सकता है.
तो कुल मिलाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाये रखने के लिए विश्व के विभिन्न देशों के बीच में एक सेतु बनने का काम ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का उद्देश्य होता है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की विशेषताएं
अब हम बात करने जा रहे हैं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की विशेषताओं के बारे में. इन्हें पढ़ कर आपको आईएमएफ के बारे में और ज्यादा जानने को मिलेगा और साथ ही इनके उद्देश्यों और लक्ष्यों के बारे में स्पष्टता आएगी.
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में जितने भी सदस्य देश हैं, यह केवल उनके बीच में ही आर्थिक सेतु के रूप में कार्य नहीं करता है बल्कि यह विश्व के सभी देशों के लिए समान रूप से कार्य करता है.
- हालाँकि आईएमएफ की नीतियाँ और नियम बनाने में इसके सदस्य देशों की ही भूमिका होती है और अन्य कोई देश इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.
- विश्व में किसी भी देश में यदि अर्थव्यवस्था का संकट आता है या ऐसी कोई दुविधा आती है तो वह सबसे पहले आईएमएफ से ही मदद की गुहार लगाता है.
- आज तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के द्वारा विश्व के कई देशों को डूबने से बचाया गया है और यह काम आज भी जारी है.
- विश्व में कहीं भी वित्तीय लेनदेन में धोखाधड़ी की जा रही है या ऐसा कुछ होता है तो आईएमएफ उस पर प्रतिबंध भी लगाता है.
आईएमएफ का मतलब क्या होता है?
आईएमएफ के बारे में इतना सब जानने के बाद आपको आईएमएफ नाम का मतलब भी जान लेना चाहिए. तो यह आईएमएफ अंग्रेजी भाषा का शब्द है जिसकी फुल फॉर्म आपको पता होनी चाहिए. तो आईएमएफ की फुल फॉर्म इंटरनेशनल मोनेटरी फंड होती है जिसे हम अंग्रेजी के शब्दों में International Monetary Fund के रूप में लिखते हैं. इसमें इंटरनेशनल का अर्थ अंतर्राष्ट्रीय हो गया तो वहीं मोनेटरी मुद्रा और फंड कोष हो गया. इस तरह से अंतर्राष्टीय स्तर पर मुद्रा को एकत्रित करने का काम और उसे सही रूप में वितरित करने का लक्ष्य ही आईएमएफ का मतलब होता है.
आईएमएफ का मुख्यालय कहाँ है?
इसके बारे में आपको ज्यादा सोचने की जरुरत ही नही है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो भी बड़े बड़े संगठन बने हुए हैं, उनमे से अधिकांश के मुख्यालय अमेरिका में ही होते हैं. ठीक उसी तरह आईएमएफ का मुख्यालय भी अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में स्थित है. इस तरह से अंतर्राष्टीय रूप से पैसों के लेनदेन का जो यह काम चल रहा है, वह अमेरिका में ही देखा जाता है. अमेरिका की नीतियों का भी आईएमएफ पर बहुत ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है.
आईएमएफ के कुल सदस्य देश कितने हैं?
अब आप सोच रहे होंगे कि इस आईएमएफ में मुश्किल से 10 से 20 देश होंगे जो विश्व की बड़ी बड़ी अर्थव्यवस्था होगी लेकिन ऐसा नहीं है. इस विश्व में कुल 195 देश हैं जिनमें से 190 देश आईएमएफ के सदस्य के रूप में पंजीकृत है. इस तरह से लगभग सभी देश ही आईएमएफ के सदस्य देश के रूप में पंजीकृत है. इनमें से 189 देश तो संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश हैं तो वहीं एक कोसोवो देश भी आईएमएफ का सदस्य देश है.
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आईएमएफ में भारत कब शामिल हुआ?
आईएमएफ संगठन की स्थापना आज से लगभग 77 वर्ष पहले 27 दिसंबर 1945 में हुई थी. तो यह संगठन बहुत ही पुराना है और तब तक भारत देश आजाद भी नहीं हुआ था. फिर भी भारत देश उसी समय आईएमएफ का सदस्य देश बन गया था. कहने का अर्थ यह हुआ कि 27 दिसंबर 1945 को ही भारत देश अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का सदस्य देश बन गया था. अर्थात उसकी स्थापना के दिन ही हम आईएमएफ के पंजीकृत सदस्य देश के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुके थे.
वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ में क्या अंतर है?
वैश्विक स्तर पर मुद्रा या पैसों के लेनदेन के रूप में दो नाम सबसे प्रसिद्ध है जिनमें से एक तो आईएमएफ है जिसके बारे में आज हम इस लेख में बात कर रहे हैं तो दूसरा वर्ल्ड बैंक है, जिसके बारे में आपने बहुत बार सुना होगा. तो दोनों के बीच में क्या अंतर है, यह जानना भी जरुरी हो जाता है. तो दोनों का काम तो लगभग एक जैसा सा है और वह है देशों को पैसों की मदद पहुँचाना लेकिन यह मदद कब पहुंचाई जाती है, यही इन दोनों के बीच का प्रमुख अंतर है.
तो वर्ल्ड बैंक केवल विकासशील देशों तक ही पैसों की मदद पहुंचाता है और वह भी उनकी अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए और वहां पर विकास कार्य करवाने के लिए. जबकि आईएमएफ का कार्य विश्व के सभी देशों की संकट के समय में मदद करना लक्ष्य होता है. यदि किसी देश पर आर्थिक आपदा आ गयी है या पैसों को लेकर कोई अन्य संकट आ खड़ा हुआ है तो उस स्थिति में आईएमएफ उस देश की सहायता करता है.
आईएमएफ को पैसा कैसे मिलता है?
अब आप सोच रहे होंगे कि आईएमएफ को पैसा कहां से मिलता होगा तो आईएमएफ के लिए पैसों की व्यवस्था इसके सभी सदस्य देश मिलकर ही करते हैं. इसके लिए आईएमएफ की योजनाएं व नीतियाँ बनायी जाती है और उनके अनुसार कौन सा सदस्य देश कितनी सहायता कर सकता है या वह कितना निवेश करना चाहता है, यह निर्धारित होता है. इसी के अनुसार ही उस सदस्य देश को ब्याज भी मिलता है और अन्य सुख सुविधाएँ भी दी जाती है.
तो इस तरह से आईएमएफ को पैसा उसके सदस्य देश ही अपनी विकसित या विकासशील अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए और आईएमएफ की नीतियों के अनुसार प्रदान करते हैं. इस प्रकार ही आईएमएफ काम करता है और अन्य देशों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाता है.
Conclusion
उम्मीद है आपको हमारा यह लेख “आईएमएफ (IMF) क्या है?” जरूर पसंद आया होगा. हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है IMF से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि इस विषय के संदर्भ में आपको किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें.