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कागज कैसे बनता है? | How Paper is Made in Hindi

कागज हमारी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. स्कूल, कॉलेज, ऑफिस या घर हर जगह कागज़ का इस्तेमाल होता है. हमारी शुरुआती शिक्षा भी कागज से बनी बुक्स के साथ शुरू हुई है. जब पेन या पेंसिल से कुछ लिखना होता है तो कागज का इस्तेमाल किया जाता है. किसी चीज को ढकने, कैरी बैग बनाने इत्यादि के लिए भी कागज का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते है यह कागज (Paper) कैसे बनता है?

अगर नहीं तो आज का यह आर्टिकल पूरा जरुर पढ़ें. क्योंकि आज के इस लेख में मैं आपके साथ कागज कैसे बनता है, कागज किस पेड़ से बनता है, कागज कितने प्रकार के होते हैं, कागज के उपयोग और कागज का इतिहास सहित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां शेयर करूंगा.

कागज का निर्माण पूरी तरह से प्रकृति यानी की पेड़-पौधों से जुड़ा हुआ है. इसे बनाने के लिए पेड़-पौधों से मिलने वाला cellulose (सेल्यूलोज) इस्तेमाल में लाया जाता है. तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कागज़ का निर्माण कैसे होता है पूरी जानकारी के साथ.

कागज क्या है?

कागज पतली चद्दरों (sheets) से बना एक पदार्थ है जिसका इस्तेमाल कुछ लिखने, चित्रकारी करने या किसी चीज को ढकने के लिए किया जाता है. कागज बनाने के लिए कच्चे माल के तौर पर लकड़ी की लुगदी, गेंहू का भुसा या पुआल, कपड़े के टुकड़े या अन्य रेशेदार सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है.

कागज कैसे बनता है? – How Paper is Made in Hindi

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कागज बनाने के लिए मुख्य तौर पर cellulose (सेल्यूलोज) को उपयोग में लाया जाता है. सेल्यूलोज एक चिपचिपा पदार्थ है जो पेड़-पौधों की लकड़ियों में मौजूद रहता है. कागज़ के निर्माण के लिए सेल्यूलोज के रेशों को आपस में जोड़कर एक पतली परत तैयार की जाती है. 

कागज़ की गुणवत्ता cellulose की शुद्धता पर निर्भर करती है. जितना शुद्ध cellulose होगा, कागज भी उतनी ही उच्च गुणवत्ता वाला प्राप्त होगा. रुई यानी कि cotton में शुद्ध रूप में सेल्यूलोज पाया जाता है, जिससे कागज बनाया जा सकता है. लेकिन यह काफी महंगा पड़ता है इसलिए इसका इस्तेमाल कपड़े बनाने के लिए अधिक किया जाता है.

कागज बनाने की प्रक्रिया

कागज बनाने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है:

1. पेड़ों का चयन – कागज बनाने के लिए सबसे पहले पेड़ों का चयन किया जाता है. इस दौरान उन पेड़ों को चुना जाता है जिनकी लकड़ी में रेशों (fibres) की मात्रा अधिक होती है.

2. लकड़ी को टुकड़ों में काटना – पेड़ों का चयन होने के बाद इनकी लकड़ी को गोल टुकड़ों में काटा जाता है और छिलके (bark) को हटाया जाता है. इसके बाद उन्हें फैक्ट्री में भेज दिया जाता है.

3. Pulp (लुगदी) तैयार करना – पल्प तैयार करने के लिए दो तरह के methods होते हैं ; एक है mechanical method और दूसरा है chemical method.

Mechanical Pulping Method :  इस तरीके में pulp तैयार करने के लिए केमिकल की जरूरत नहीं पड़ती है. मैकेनिकल मेथड के अंदर लकड़ी के गोल टुकड़ों या छोटे टुकड़ो को इस्तेमाल में लिया जाता है. इसमें grinding stone (गोल टुकड़ों के लिए) और refiners (छोटे टुकड़ों के लिए) इस्तेमाल में लिए जाते हैं और रेशों को अलग किया जाता है. चमक बढ़ाने के लिए pulp को ब्लीच भी किया जा सकता है. लेकिन लिग्निन मौजूद रहने की वजह से इसमें पीलापन बरकरार रहता है.

इस method से बना कागज अधिक बल्कि, नरम और अधिक अपारदर्शिता (आर-पार न देखा जा सके) वाला होता है. इससे बने कागज का इस्तेमाल न्यूजपेपर या मैगजीन बनाने के लिए होता है, क्योंकि इसमें स्याही अच्छे से बैठ जाती है.

Chemical Pulping Method : यह सबसे अधिक उपयोग में लाई जाने वाली pulping process है. इस प्रक्रिया में लकड़ी के छोटे टुकड़ों को भाप में पका कर सॉफ्ट किया जाता है और किसी फंसी हुई हवा को बाहर निकाला जाता है. इसके बाद इसे sodium hydroxide और sodium sulphide सहित एक उच्च alkaline घोल के साथ शामिल किया जाता है और digester चैम्बर में डाला जाता है.

अब इस सामग्री को उच्च दबाव के साथ 160 डिग्री सेल्सियस से 170 डिग्री सेल्सियस के बीच कुछ घंटों के लिए उबाला जाता है और अंत में fibres और एक काला तरल (black liquor)  बच जाता है. अब इस तरल को अलग कर दिया जाता है और बचे हुए रेशों को कई तरीकों से साफ किया जाता है. कई बार शुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए ब्लीचिंग भी की जाती है.

केमिकल पल्प से बना कागज मैकेनिकल पल्प से बने कागज की अपेक्षा अधिक चमकदार, चिकना और उच्च गुणवत्ता वाला होता है.

4. Beating – पल्प तैयार होने के बाद इसे pounding (पीटना) और squeezing (निचौड़ना) प्रक्रिया के लिए भेज दिया जाता है. यहाँ pulp को मशीन के अंदर एक टब में रखा जाता है और beater के संपर्क में लाया जाता है. अब इसमें कई तरह की फिलर सामग्री डाली जाती है, जैसे कि चाक, मिट्टी या केमिकल जैसे titanium oxide. ये योगशील कागज की अपारदर्शिता और दूसरे गुणों को बढ़ाते हैं.

इसके साथ ही यहाँ sizing को भी शामिल किया जाता है. एक sizing जैसे स्टार्च, कागज का स्याही के साथ react करने के तरीके को प्रभावित करता है. बिना sizing के कागज अधिक स्याही सोखता है, इसलिए sizing का इस्तेमाल कर कागज को स्याही सोखने से रोका जाता है जिससे स्याही कागज की शीट के ऊपर बनी रहती है.

कागज के अंतिम इस्तेमाल के आधार पर कई तरह की sizing उपलब्ध है, आमतौर पर gum rosin का इस्तेमाल किया जाता है. जिन कागज पर डिजाइन प्रिंट किया जाता है जैसे की gift wrapping के लिए उनके लिए एक विशेष sizing formula की आवश्यकता होती है, जिससे कागज सही तरीके से printing को accept करता है. 

5. Pulp से Paper का निर्माण – और अब अंत में pulp (लुगदी) को कागज बनाने के लिए एक विशाल automated machine में डाला जाता है जहाँ कई phase से होकर गुजरते हुए कागज (paper) की एक लंबी परत (layer) का निर्माण होता है. कागज की इन लंबी परतों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर magazines, notebooks और newspapers तैयार किए जाते हैं.

कागज किस पेड़ से बनता है?

paper making in hindi

कागज का निर्माण softwood या hardwood पेड़ों से किया जाता है. लेकिन कागज बनाने के लिए काम आने वाले wood pulp का 85 प्रतिशत सॉफ्टवूड शंकुधारी पेड़ों से लिया जाता है, क्योंकि इनके fibres की लंबाई अधिक होती है जिससे एक मजबूत कागज बनता है. इस category में आने वाले मुख्य पेड़ों के नाम हैं: चीड़ (pine), प्रसरल (spruce), सनोबर (fir) हेमलोक (hemlock) और लार्च (larch). जबकि हार्डवूड के लिए इस्तेमाल होने वाले पेड़ हैं; बाँज (oak) मेपल (maple) भूर्ज (birch) इत्यादि.

एक पेड़ से कितने कागज बनते हैं?

एक टन यानी कि एक हजार किलोग्राम उच्च गुणवत्ता वाले कागज बनाने के लिए 12 से 17 पेड़ लगते हैं. Coated paper, जिनका इस्तेमाल उच्च गुणवत्ता वाली प्रिंटिंग और मैगजीन के लिए किया जाता है, के लिए अधिक pulp की आवश्यकता होती है. इसलिए एक टन मैगजीन कागज के लिए 15 पेड़ लगते हैं. जबकि न्यूजपेपर के लिए इस्तेमाल होने वाले एक टन कागज के लिए 12 पेड़ लगते हैं.

कागज कितने प्रकार के होते हैं? – Types of Paper in Hindi

कागज मोटाई, फिनिशिंग और आकार के आधार पर कई प्रकार के होते हैं. इसलिए यह काफी मुश्किल भरा हो जाता है जब आपको अपने काम या किसी प्रोजेक्ट के लिए सही कागज का चुनाव करना होता है. तो चलिए नजर डालते हैं कागज के विभिन्न प्रकारों पर.

  1. Book Paper – जैसे की नाम से पता चलता है, book paper को खास तौर पर किताबों और प्रिंटिंग के लिए तैयार किया जाता है. जैसे कि भगवद गीता और रामायण.
  2. Business Card और Business Form Paper – इस तरह के पेपर का इस्तेमाल business card बनाने या business forms की प्रिंटिंग में किया जाता है. कार्ड के लिए इस्तेमाल होने वाला कागज उच्च गुणवत्ता के लिए मोटा और कठोर तैयार किया जाता है.
  3. Printing Paper – प्रिंटिंग कागज का इस्तेमाल प्रिंटिंग के लिए किए जाता है. इसमें कॉपियर पेपर, newsprint paper, book paper, magazine और catalog paper, label paper इत्यादि शामिल होते हैं.
  4. Recycled Paper –  रीसाइकल्ड पेपर दोबारा इस्तेमाल किए गए पेपर उत्पादों से तैयार किए जाते हैं. इस तरह के कागज़ का इस्तेमाल रिपोर्ट, मेमो पेपर और forms के तौर पर इस्तेमाल होने वाले documents के लिए किया जाता है. इन कागजों का निर्माण पर्यावरण के लिए सुरक्षित होता है.
  5. Acid Free Paper – एसिड मुक्त पेपर का निर्माण alkaline production process के जरिए किया जाता है. इसमें wood pulp से lignin को अलग कर pulp solution को mild base जैसे कि कैल्शियम कार्बोनेट के साथ ट्रीट किया जाता है और 7 से अधिक PH प्राप्त किया जाता है. एसिड मुक्त कागजों का इस्तेमाल वहां किया जाता है जहाँ documents को लंबे समय तक ख़राब और पीला होने से बचाकर रखना होता है.  
  6. Artist के लिए – आर्टिस्ट के लिए बने कागज आमतौर पर artistic drawing, sketches और painting बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. इन कागजों की मोटाई, स्याही और इस्तेमाल के आधार पर अलग-अलग हो सकती है.
  7. Blotting Paper – Blotting papers में उच्च absorbency होती है, जिसका इस्तेमाल किसी वस्तु या सतह से अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालने के लिए किया जाता है. उदाहरण के लिए microscope slide में बाधा बनने वाले किसी liquid को हटाने और हमारी skin से अतिरिक्त तेल हटाने के लिए इस्तेमाल होने वाला कागज.
  8. Bond Paper – इस तरह का कागज, सामान्य कागज की अपेक्षा अधिक मजबूत और टिकाऊ होता है. Bond Paper को तैयार करने के लिए Rag pulp ( पुराने कपड़ों से तैयार) का इस्तेमाल किया जाता है. इन कागजों का इस्तेमाल letterheads, type की गई reports और envelopes में किया जाता है.
  9. Box Covering और Lining Paper – इस तरह के कागज का इस्तेमाल सजावट या सुरक्षा के उद्देश्य से गत्ते के डिब्बों के अंदर या बाहर एक परत को शामिल करने के लिए किया जाता है.
  10. Manila Paper – मनीला फिलीपींस के एक पौधे का मजबूत fibre है, जिससे बने कागज का इस्तेमाल tea bags और filter papers के लिए किया जाता है.
  11. Tracing Paper – ट्रेसिंग पेपर खासतौर पर architects और engineers के लिए चित्रकारी के लिए तैयार किया जाता है. इसकी अपारदर्शिता बहुत कम होती है इसलिए जब इसे किसी image पर रखा जाता है तो image को पेपर के माध्यम से आसानी से देखा जा सकता है. इससे image के किनारों का आसानी से पता लगाया जा सकता है और पूरे चित्र को tracing paper पर trace किया जा सकता है.
  12. Wax Paper –  वैक्स पेपर का इस्तेमाल storage के लिए फूड को wrap करने और photography के दौरान light diffuser के तौर पर किया जाता है. Moisture proof packaging में भी wax papers का इस्तेमाल किया जाता है.
  13. Inkjet Papers – इन्हें खासतौर पर inkjet printers के लिए तैयार किया जाता है. इन पेपर को इनकी चमक, अपारदर्शिता, वजन और स्मूथनेस के आधार वर्गीकृत (classified) किया जाता है. इंकजेट पेपर का इस्तेमाल book covers पर प्रिंटिंग के लिए किया जाता है. ये तीन प्रकार के होते हैं; Glossy, Luster और Metallic.
  14. Sandpaper – इस तरह के पेपर को कागज या कपड़े की कई परत के साथ एक तरफ अपघर्षक (रगड़ने वाला) योगिक चिपकाकर तैयार किया जाता है. इसका इस्तेमाल सतह को चिकना या खुरदरा बनाने या सतह से किसी material को हटाने के लिए किया जाता है.

कागज के उपयोग

कागज का इस्तेमाल बहुत सारे कामों के लिए किया जाता है जो कुछ इस प्रकार हैं:

  • स्कूल और ऑफिस में books, notebooks, business cards, cash register receipts, business cards, envelopes, posters इत्यादि के लिए.
  • चिकित्सा और प्रौद्योगिकी में tablets और capsule packaging में, bandages, medical charts, masks, wipes, pipes, purifying filter इत्यादि के लिए.
  • घरबार के लिए जैसे कि grocery bags, facial & toilet tissue, calendars, shoe boxes, wallpaper, napkins, butter wrapping, gift wrapping इत्यादि के लिए.
  • निर्माण सामग्री और ऑटोमोटिव में जैसे कि air filter, roofing paper, wall covering, gypsum board, abrasive paper, car gaskets और filter इत्यादि के लिए.
  • मनोरंजन और अन्य कामों के लिए जैसे कि board games, balloon, CD & audio tape inserts, football, greeting cards, kites, photography, ribbons, tickets इत्यादि के लिए.
  • औद्योगिक उद्देश्यों के लिए जैसे कि cellulose insulation, cable  wrapping, dry wall, condenser paper, wallpaper इत्यादि के लिए.

भारत में कागज कहाँ बनते हैं?

भारत में कागज उद्योग कृषि आधारित है और वैश्विक स्तर पर उच्च कागज उद्योगों में भारत के कागज उद्योग को 15 वां स्थान प्राप्त है. भारतीय सरकार द्वारा कागज उद्योग को “कोर इंडस्ट्री” के रूप में परिभाषित किया जाता है. भारत में कागज बनाने वाले राज्य एवं उनमें मिलों की संख्या कुछ इस प्रकार है:

राज्यपेपर मिलों की संख्या
महाराष्ट्र63
आंध्र प्रदेश19
मध्य प्रदेश18
कर्नाटक17
गुजरात55
उत्तर प्रदेश68
पश्चिम बंगाल32
ओडिशा8
तमिलनाडु24
पंजाब23
हरियाणा18
असमNA

कागज का इतिहास

सबसे पहले कागज (paper) का आविष्कार 105 ईस्वी में Cai Lun नामक एक चीनी व्यक्ति, जो चीन के किसी court में उच्च पद पर कार्यरत थे के द्वारा किया गया. इसके लिए उन्होंने पुराने कपड़ों की रददी, मछली पकड़ने के पुराने जाल और पेड़ों की छाल का इस्तेमाल किया.

चीनियों ने 6ठी शताब्दी तक कागज बनाने के इस फार्मूले को गुप्त रखा ताकि कोई और देश इसे ना बना सके. उनके इस आविष्कार को जापान में बौद्ध भिक्षु डैम जिंग ने खरीद लिया. इसके बाद जापानियों ने इस तकनीक को सीखा और शहतूत (mulberry)  की छाल से pulp तैयार कर कागज बनाना शुरू किया.

अरब दुनिया में कागज की शुरुआत

750 ईस्वी में अरबीयों ने कागज बनाने के इस रहस्य को खोज निकाला. बगदाद के खलीफा के गवर्नर जनरल ने दो चाईनीज पेपर निर्माता को समरकंद में बंदी बना लिया और उनकी मदद से उजबेक शहर में एक paper mill की स्थापना की. यहाँ से जूट और लिनन की प्रचुरता होने की वजह से दो उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे माल को शामिल किया गया, जो एक बेहतरीन कागज प्रदान करने लगे. इसी अवधि के दौरान मिस्र और उत्तरी अफ्रीका ने भी अरब दुनिया की तकनीक का इस्तेमाल करते हुए कागज का निर्माण शुरू कर दिया.

यूरोप में कागज की शुरुआत

ग्यारहवीं शताब्दी के प्रारंभ से पहले ही कागज यूरोप में पहुँच गया. लेकिन यहाँ जल्द ही कागज को एक घटिया सामग्री समझा जाने लगा (चमड़े के कागज की अपेक्षा). क्योंकि कागज के निर्माण के लिए चावल के स्टार्च का भी उपयोग होता था जो कि कीड़ों के लिए एक आकर्षक खाद्य स्त्रोत था, जिसका अर्थ था कागज की शीटें ज्यादा लंबे समय तक नही चलती थी. लिहाजा कुछ जगहों पर इस पर रोक लगा दी गई.

इसके बाद 12वीं शताब्दी में इटली में जूट और लिनन के साथ कागज का निर्माण शुरू हुआ. नए उपकरण और नई उत्पादन तकनीक से यहाँ के कागज निर्माताओं ने नई महत्वपूर्ण खोजों की शुरुआत की:

  • उन्होंने हाइड्रोलिक हैमर मिलों का उपयोग कर चीर-फाड़ को मशीनीकृत किया, जिससे pulp के उत्पादन में लगने वाले समय में कमी आई.
  • उन्होंने जिलेटिन के साथ sheets चिपकाना शुरू कर दिया, जो कीड़ों को पसंद नहीं था.
  • उन्होंने कागज के विभिन्न प्रकार और प्रारूप तैयार किए.
  • उन्होंने वाटरमार्किंग का आविष्कार किया . वाटरमार्किंग में metal wires का इस्तेमाल कर कागज में सजावट डाली जाती है जो कागज को light के सामने पकड़ने पर दिखाई देती है. इसके इस्तेमाल से कागज में हॉलमार्क, हस्ताक्षर इत्यादि को सम्मिलित किया जा सकता है.

भारत में कागज का आविष्कार कब हुआ था?

भारत में कागज उद्योग का पहला कारखाना सन् 1832 में पश्चिम बंगाल में श्रीरामपुर में स्थापित किया गया था. लेकिन यह सफल नहीं हो सका. इसके बाद सन 1870 में कोलकाता के नजदीक बालीगंज में एक नए कागज कारखाने की स्थापना की गई. देश में पेपर और पेपर बोर्ड उद्योग का नियोजित विकास आजादी के बाद शुरू हुआ था.

Conclusion

उम्मीद करता हूँ आपको मेरा यह लेख “कागज कैसे बनता है? (How Paper is Made in Hindi)” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है कागज से जुड़ी सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े.

अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें. 

Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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