क्या आप जानते हैं LED क्या है? अगर नहीं तो आज के इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें. क्योंकि आज के इस लेख में हम आपके साथ LED से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी साझा करेंगे. LED, जिसका फुल फॉर्म Light emitting diode (प्रकाश उत्सर्जक डायोड) है, एक बहुत ही लेटेस्ट और सबसे ज्यादा उपयोग में लाई जाने वाली खोज है. यह एक semiconductor device होता है, जिससे electricity pass करने पर light emit होती है.
लाइट solid semiconductor material से पैदा की जाती है, इसलिए इसे solid state device भी कहा जाता है. आज दुनिया में LED का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा रहा है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. आज के इस लेख में हम LED क्या होता है और कैसे काम करता है के बारे में जानेंगे. तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं What is LED in Hindi की पूरी जानकारी.
एलईडी क्या है? – What is LED in Hindi
LED यानी Light Emitting Diode, एक semiconductor device है जो इलेक्ट्रिक करंट प्रवाह होने पर प्रकाश (light) छोड़ता है. जब करंट LED से होकर गुजरता है तो इलेक्ट्रॉन्स होल्स के साथ पुनः संयोजित होते हैं और इस प्रक्रिया में प्रकाश उत्पन्न होता है. Light emitting diode में करंट केवल forward direction में बहता है, जबकि reverse direction में ब्लॉक हो जाता है.
ये डायोड अत्यधिक doped p-n junctions होते हैं. सेमीकंडक्टर मटेरियल और doping की मात्रा के आधार पर LED एक विशिष्ट spectral wavelength का रंगीन प्रकाश छोड़ता है. जैसा कि आप नीचे दी गई image में देख सकते हैं, LED को एक पारदर्शी कवर के साथ बंद किया जाता है ताकि निकलने वाला प्रकाश बाहर आ सके.
LED Symbol
नीचे दी गई इमेज में आप LED symbol को देख सकते हैं जो कि डायोड के लिए एक standard symbol होता है. इसमें दिखाए गए दो छोटे तीर (arrows) प्रकाश उत्सर्जन को दर्शा रहे हैं.
LED का आविष्कार कब और किसने किया?
एलईडी का आविष्कार निक होलोनिक जूनियर (Nick Holonyak Jr.) द्वारा सन 1962 में किया गया. होलोनिक को “Father of the light-emitting diode” भी कहा जाता है.
LED का सिद्धांत – Working Principle of LED in Hindi
आमतौर पर LED में aluminum-gallium-arsenide (AIGaAs) मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है. जब मटेरियल अपने original state में होता है तो इसके atoms बहुत ही strongly bonded होते हैं. ऐसे में फ्री electrones न होने की वजह से, इससे electricity का conduction होना नामुमकिन हो जाता है.
अब मटेरियल का balance disturb करने के लिए इसमें कुछ impurities (अशुद्धियाँ) डाली जाती हैं, जिसे doping कहा जाता है. इस प्रक्रिया के तहत extra atoms को प्रस्तुत किया जाता है, जो N-type सिस्टम में फ्री electrones और P-type सिस्टम में holes बनाते हैं.
इन दोनों तरीकों से मटेरियल अत्यधिक conductive हो जाते हैं. जैसे ही electric current पास किया जाता है तो N-type से electrones प्रवेश करते हैं Cathode (negative) में और P-type की तरफ जाते हैं. और P-types से holes प्रवेश करते हैं Anode (positive) में और N-type की तरफ जाते हैं. इसी प्रक्रिया के दौरान प्रकाश के रूप में ऊर्जा उत्पन्न होती है. Semiconductor में करंट कभी भी उल्टी दिशा (reverse direction) में फ्लो नहीं करता है.
LED कैसे काम करता है?
LED (Light Emitting Diode) एक सेमीकंडक्टर लाइट सोर्स है जिसमें P-type (अधिक holes की मात्रा) सेमीकंडक्टर और N-type (अधिक electrons की मात्रा) सेमीकंडक्टर को जोड़ा जाता है. जब पर्याप्त मात्रा में voltage apply की जाती है तो electrons और holes, p-n junction पर recombine होते हैं और प्रकाश के रूप में ऊर्जा उत्पन्न करते हैं.
यदि बात की जाए standard diode कि तो उसमें ऊर्जा हीट के रूप में उत्पन्न होती है. लेकिन light emitting diode में ऊर्जा सीधे प्रकाश (फोटोन) के रूप में उत्पन्न होती है. इस घटना को electroluminescence के नाम से जाना जाता है. Electroluminescence एक optical और electrical phenomenon है जहां मटेरियल से electrical current पास करने पर प्रकाश (light) पैदा होता है. यदि voltage बढ़ाई जाती है तो प्रकाश भी तीव्र होता है और अधिकतम वैल्यू तक पहुंचता है. p-n junction diode को आप यहां क्लिक करके विडियो के माध्यम से अच्छे से समझ सकते हैं.
LED लाइट का रंग कैसे तय किया जाता है?
LED से निकलने वाले प्रकाश का रंग कैसा होगा, यह निर्भर करता है semiconducting element में इस्तेमाल होने वाले मटेरियल पर. अलग-अलग मटेरियल के आधार पर मिलने वाले प्रकाश के रंग कुछ इस प्रकार हैं:
- Aluminum gallium arsenide (AIGaAs) से इन्फ्रारेड और लाल प्रकाश मिलता है.
- Indium gallium nitride (InGaN) से नीला, हरा और Ultraviolet high-brightness प्रकाश मिलता है.
- Aluminum gallium indium phosphide (ALGaInP) से पीला, संतरी और उच्च चमक के साथ लाल रंग प्राप्त होता है.
- Gallium phosphide (GaP) से पीला और हरा रंग का प्रकाश मिलता है.
LED के प्रकार – Types of LED in Hindi
LED को उनके size, power और प्रयोगों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, इन्हें आप निचे देख सकते हैं.
Size के आधार पर:
- Miniature
Power के आधार पर:
- High Power
प्रयोग के आधार पर:
- Flash
- RGB LEDs
- Bi और Tri-Color
- Alphanumeric
- Lighting LEDs
Miniature LEDs – आजकल इन LEDs का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. ये LEDs सिंगल शेप और रंग में उपलब्ध हैं. इन्हें बिना किसी heating या cooling device के सीधे circuit board में फिट किया जा सकता है. इन्हें voltage, total watts, current और manufacturer के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है:
- Low Current
- Standard
- Ultra-High Output
Miniature LEDs का इस्तेमाल छोटे प्रयोंगों जैसे cell phone, remote control और calculator में किया जाता है.
High Power LEDs – सामान्य LEDs के मुकाबले इन LEDs के इस्तेमाल पर high output मिलता है. इनसे निकलने वाली लाइट को lumens में मापा जाता है. इन्हें भी luminous intensity, wavelength और voltage के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है.
इन LEDs में ओवरहीटिंग का खतरा बना रहता है, इसलिए इन्हें ठंडा रखने के लिए heat absorbing मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है.
High Power LEDs का इस्तेमाल गाड़ियों की headlights, high-powered lamps और कई industrial और mechanical उपकरणों में किया जाता है.
Flash LEDs – सामान्य LEDs के साथ एक integrated circuit का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक विशिष्ट फ्रीक्वेंसी के साथ light को flash करता है. इन्हें बिना series resistors की मदद के सीधे power supply से जोड़ा जाता है. इनका इस्तेमाल वाहनों और signboards में किया जाता है.
RGB LEDs – RGB यानी लाल, हरी और नीली LEDs. इनसे ये तीन तरह के रंग निकलते हैं और इन तीन प्राथमिक रंगों को मिलाकर एक नया रंग रंग तैयार किया जाता है. इनका इस्तेमाल accent lights (एक जगह पर focus करने वाली), status दर्शाने वाली lights और lights shows में किया जाता है.
Bi और Tri-Color
Bi-Color LEDs – इस तरह की लाइट में दो रंग की LEDs एक ही केस में शामिल होती हैं. इनमे लगे तार inversely parallel होते हैं, यानी एक forward direction में होता है और दूसरा backward direction में जो एक समय में केवल एक ही LED को जलाते हैं. करंट का प्रवाह दोनों LEDs के बीच alternate होता रहता है जिससे color variation पैदा होता है.
Tri-Color LEDs – इसमें दो LEDs एक साथ जलती हैं और तीसरा रंग प्रदान करती हैं.
Alphanumeric – इनमे segments शामिल होते हैं जो उच्च flexibility और कम power consumption प्रदान करते हैं. इसमें शामिल LEDs कुछ इस प्रकार हैं:
14 से 16 segment
ये uppercase में Roman alphabet के सभी 26 characters को कवर करते हैं और 0-9 numerals को भी कवर करते हैं.
7 segment
ये letters के एक लिमिटेड सेट और सभी नंबरों को कवर करते हैं.
Matrix Segment
ये सभी alphabets, सभी नंबर और सभी तरह के symbols को कवर करता है.
Lighting LEDs – इन LEDs में aluminum/ceramic body का इस्तेमाल किया जाता है जिनमे हीट का अपव्यय होता है, जिसका उदाहरण Edison light bulb design है.
LED के फायदे
- सामान्य लाइट्स की अपेक्षा LED लाइट्स की लाइफ अधिक होती है, जो 11 से 20 साल के बीच पाई जाती है.
- LED लाइट्स जलाने पर power consumption बहुत कम होता है.
- इनका response time बहुत ही कम होता है, जो कि 10 nanoseconds के आसपास होता है.
- LEDs को heating और warm-up time की आवश्यकता नहीं होती है.
- ये वजन में बहुत हल्के होते हैं और इनका size भी छोटा होता है.
- अपने uneven construction के कारण ये shock और vibration को सहन करने में सक्षम होते हैं.
- LED lights बहुत सारे रंगों में उपलब्ध होती हैं.
LED के नुकसान
- LEDs लाइट्स में एक चिंता का विषय है कि ये blue-light hazards के safe limit को पार कर चुकी है, जो आँखों के लिए सुरक्षित नहीं है.
- अधिक तापमान में LED का इस्तेमाल इसकी परफॉरमेंस को घटाता है और इसके ख़राब होने का कारण बन सकता है.
- यदि बढे हुए voltage और current के साथ इस्तेमाल किया जाए तो इनके जल्द ही ख़राब होने की संभावना बढ़ जाती है.
- ये सामान्य लाइट्स के मुकाबले अधिक expensive हैं.
LED के मुख्य उपयोग क्या हैं?
एलईडी के मुख्य उपयोग निम्न हैं:
TV Backlighting के लिए – एक टेलीविजन की backlight मुख्य स्रोत होता है power consumption का. यदि इसके लिए LEDs का इस्तेमाल किया जाता है तो ये power consumption को कम कर देते हैं. टीवी के किनारों पर LED का इस्तेमाल power consumption को घटा देता है. जब LEDs का इस्तेमाल सीधा display के पीछे किया जाता है तो अच्छा contrast मिलता है.
Smartphone Backlighting के लिए – LED के इस्तेमाल से smartphone का डिजाइन पतला हो सकता है और इसकी लागत भी कम हो सकती है. LED की कीमत smartphone के display size पर निर्भर करती है. Lower output voltage की वजह से बैटरी की लाइफ अधिक हो जाती है.
Displays में LED का इस्तेमाल – LED डिस्प्ले बोर्ड्स का इस्तेमाल अब आम हो गया है. इनका इस्तेमाल road signs, billboards इत्यादि के लिए किया जाता है.
Automotives में – Automotive इंडस्ट्री में LED का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. LED के उपयोग से गाड़ियों में ऊर्जा की सेविंग के साथ visibility भी अच्छी मिलती है. अच्छी पहुँच के लिए इनका इस्तेमाल गाड़ियों में back और rear के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है. LED का इस्तेमाल सड़क पर visibility को बढ़ा कर ड्राइवर और पैदल चलने वालों को safety प्रदान करता है.
Lights को कम (dimming) करने के लिए – Energy consumption को कम करने के लिए LED में dimming feature शामिल होता है. इस फीचर को global dimming (LEDs को एक साथ dim करने के लिए) और local dimming (LEDs को independently dim करने के लिए) appliances के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
Remote Control में – इसका इस्तेमाल घरों में टीवी, Air Conditioner इत्यादि के लिए इस्तेमाल होने वाले remote control में किया जाता है.
Conclusion
उम्मीद करता हूँ आपको मेरा यह लेख “एलईडी क्या है और इसके मुख्य उपयोग” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है Light emitting diode क्या होता है (What is LED in Hindi) से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े.
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Thank you sir