रडार क्या है? (What is Radar in Hindi) क्या होगा जब दुश्मन देश रात के अँधेरे में लड़ाकू विमान से अचानक हम पर हमला करदे? या बिना किसी पूर्व सुचना के हम पर मिसाइल दाग दे? घबराएं नहीं, क्योंकि यह सब करना आसान काम नहीं है. आपने रडार के बारे में जरुर सुना होगा. यह वो तकनीक है, जो युद्ध के दौरान सहसा आक्रमण को असंभव बनाती है. रडार के जरिए आसमान और समुद्र में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखी जा सकती है.
इसके इस्तेमाल से आकाश में होने वाली किसी भी संदेहजनक हलचल का पता लगाया जा सकता है. चाहे धुंध हो या अँधेरा, यह बिना किसी रुकावट के, किसी भी अदृश्य वस्तु की दूरी, दिशा आदि को ज्ञात कर सकता है. आज के इस आर्टिकल में हम चर्चा करेंगे रडार की जानकारी के बारे में और साथ ही जानेंगे रडार के उपयोग और रडार के आविष्कारक कौन थे के बारे में. तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं रडार क्या है और यह कैसे कार्य करता है?
रडार क्या है? – What is Radar in Hindi
रडार एक ऐसा डिटेक्शन सिस्टम है जो radio waves के माध्यम से किसी वस्तु की range, angle या velocity का पता लगाता है. इस सिस्टम का इस्तेमाल किसी समुद्री जहाज, हवाई जहाज, अंतरिक्ष यान, मिसाइल, मौसम की जानकारी, मोटर व्हीकल और भूभाग का पता लगाने के लिए किया जाता है. साधारण भाषा में रडार एक ऐसी उपकरण प्रणाली है जो किसी चलती हुई वस्तु की स्थिति का पता लगाती है.
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Radar का फुल फॉर्म क्या है? – Radar Full Form in Hindi
Radar का full form है “Radio Detecting and Ranging”. यह रेडियो वेव्स पर आधारित टेक्नोलॉजी है.
रडार कैसे काम करता है?
कंप्यूटर नेटवर्क और मोबाइल फोन की तरह ही रडार electromagnetic waves भेजता है. इससे सिग्नल short pulses के रूप में निकलते हैं, जो रास्ते में आने वाले किसी object से टकराकर वापस रडार तक पहुँचते हैं और रडार को किसी वस्तु के मौजूद होने का संकेत देते हैं.
रडार से निकलने वाली radio waves खुले स्पेस की तरफ बढती हैं. इस दौरान कुछ waves बीच में ही reflecting objects (Traget) से टकराती हैं और कई दिशाओं में reflect हो जाती हैं. कुछ reflected radio waves वापस रडार की तरफ आती हैं, जिन्हें प्राप्त किया जाता है और विस्तार से समझा जाता है.
Signal processing की सहायता से target echo signal प्राप्त होने का पता लगाया जाता है और इसके बाद target की लोकेशन और अन्य जानकारियां प्राप्त की जाती हैं.
रडार के Components
आमतौर पर रडार के चार मुख्य घटक हैं:
- Transmitter – यह energy pulses को पैदा करता है.
- Transmit/Receive Switch – यह antenna को बताता है कि कब pulses को भेजना है और कब प्राप्त करना है.
- Antenna – इसका काम वायुमंडल में pulses को छोड़ना और reflected pulses को वापस प्राप्त करना है.
- Receiver – यह प्राप्त होने वाले signal का पता लगाता है, उनकी व्याख्या करता है और उन्हें video format में बदलता है.
इसके पश्चात प्राप्त किए गए signals को डिस्प्ले सिस्टम पर दर्शाया जाता है.
रडार से output को reflectivity और velocity दो रूपों में प्राप्त किया जाता है. Reflectivity किसी विशेष क्षेत्र में मौजूद precipitation (आकाश से आने वाली वस्तु) के माप को दर्शाती है. Velocity, रडार की ओर या रडार से दूर precipitation की गति और दिशा को दर्शाती है. अधिकतर रडार reflectivity को मापती हैं, लेकिन velocity का पता लगाने के लिए doppler radar की आवश्यकता होती है.
रडार का उपयोग किसलिए किया जाता है? – Uses of Radar in Hindi
रडार का उपयोग निम्नलिखित कामों के लिए किया जाता है:
Military – रडार का उपयोग सैन्य ऑपरेशन के दौरान बड़ी संख्या में किया जाता है. नौसेना में इसका उपयोग, मैदानी और हवाई रक्षा दोनों के उद्देश्य से किया जाता है. इसका इस्तेमाल दुश्मन का पता लगाने, ट्रैक करने या किसी क्षेत्र की निगरानी के लिए भी किया जाता है. हथियार नियंत्रण और मिसाइल guidance के लिए प्राय: विभिन्न प्रकार के रडार का इस्तेमाल किया जाता है
Law Enforcement – कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी रडार का इस्तेमाल किया जाता है. पुलिस द्वारा किसी अपराधी का पीछा करने के दौरान वाहन की गति का पता लगाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है. मौसम खराब होने की वजह से जब satellite द्वारा traffic और barricades की सही इमेज नहीं मिलती है, तब रडार का ही इस्तेमाल किया जाता है.
Space – अंतरिक्ष में satellite या spacecraft का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने के लिए रडार का उपयोग किया जाता है. Spacecraft की सुरक्षित लैंडिंग और डॉकिंग के लिए रडार का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही satellite में remote sensing के लिए भी रडार का इस्तेमाल किया जाता है.
Aircraft Navigation – हवाई जहाज में सही तरीके से नेविगेट करने के लिए ground mapping RADARs और weather avoidance RADARs का इस्तेमाल किया जाता है. इस तकनीक का इस्तेमाल करके किसी हवाई यात्रा के दौरान बीच में आने वाली बाधाओं से आसानी से बचा जा सकता है.
Ship Navigation – समुद्री जहाज़ों को किनारों पर लगे high resolution RADARs की मदद से गाइड किया जाता है. क्योंकि खराब मौसम की वजह से समुद्र में visibility इतनी अच्छी नहीं होती है और रडार उन्हें खतरों से बचाकर सुरक्षा प्रदान करता है. ये जहाज अक्सर पानी पर अन्य जहाजों की निकटता और उनकी गति को मापने के लिए इस तकनीक का उपयोग करते हैं.
Air Traffic Controller – रडार का इस्तेमाल हवा में सुरक्षित तरीके से traffic को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. खराब मौसम के दौरान प्रॉपर landing और take-off के लिए रडार का उपयोग किया जाता है. इस तरह के रडार अन्य नजदीक जहाजों की मौजूदगी और ऊंचाई का भी पता लगा लेते हैं.
रडार का आविष्कारक कौन था?
पहला व्यावहारिक रडार सिस्टम 1935 में ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी सर रॉबर्ट वाटसन-वाट ( Sir Robert Watson-Watt) द्वारा निर्मित किया गया था.
रडार का इतिहास – History of Radar in Hindi
सन 1864 में ब्रिटिश फिजिसिस्ट James Clerk Maxwell ने electromagnetic waves के behavior को नियंत्रित करने वाली तकनीक विकसित की. Maxwell के समीकरणों में निहित radio waves reflection के नियम हैं, और इन सिद्धांतों का पहली बार 1886 में जर्मन भौतिक विज्ञानी Heinrich Hertz द्वारा प्रयोगों में प्रदर्शन किया गया था. कुछ वर्षों पश्चात एक जर्मन इंजीनियर Christian Hulsmeyer ने समुद्री नेविगेशन में टकराव से बचने के लिए डिज़ाइन किए गए एक डिटेक्टिंग डिवाइस में radio echoes के उपयोग का प्रस्ताव दिया. 1924 में पहला सफल रेडियो रेंज-खोज प्रयोग हुआ, जब ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी Sir Edward Victor Appleton ने ionosphere की ऊंचाई का पता लगाने के लिए radio echoes का इस्तेमाल किया (उपरी वायुमंडल की एक ionized layer जो longer radio waves को reflect करती है).
पहला प्रैक्टिकल रडार सिस्टम सन 1935 में ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी Robert Watson-Watt द्वारा निर्मित किया गया. और सन 1939 में इंग्लैंड ने हवा या समुद्र में हमलावरों का पता लगाने के लिए अपने दक्षिण और पूर्वी तट पर रडार स्टेशन की एक श्रृंखला स्थापित की.
सन 1935 में Watson-Watt ने एक paper entitled लिखा “ The Detection of Aircraft by Radio Methods”. यह Air Defence के साइंटिफिक सर्वे के लिए समिति के चेयरमैन Henry Tizard को प्रस्तुत किया गया. Tizard इस आइडिया से काफी प्रभावित हुए और 26 फरवरी 1935 को, Watson-Watt ने इस आइडिया को Daventry में प्रस्तुत किया. उनका यह आईडिया, किसी वस्तु के खिलाफ एक radio waves के bouncing और लक्षित जानकारी प्राप्त करने के लिए इसके travel को मापने पर आधारित था. इसे RADAR कहा जाता था (Radio Detection and Ranging).
सन 1939 में दूसरे विश्व युद्ध के प्रकोप से Robert Watson-Watt ने इंग्लैंड के दक्षिणी और पूर्वी तट पर रडार की एक श्रृंखला स्थापित कर दी थी. उसी वर्ष दो ब्रिटिश वैज्ञानिक द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रडार की तकनीक में किए गए सबसे महत्वपूर्ण अग्रिम के लिए जिम्मेदार थे. भौतिक विज्ञानी हेनरी बूट और बायोफिजिसिस्ट John T. Randall ने एक इलेक्ट्रॉन ट्यूब का आविष्कार किया, जिसे resonant-cavity magnetron कहा जाता है. इस प्रकार की ट्यूब बड़ी मात्रा में शक्ति के साथ उच्च-आवृत्ति वाले radio pulses को उत्पन्न करने में सक्षम है, इस प्रकार microwave RADAR के विकास की अनुमति देता है, जो लेज़रों का उपयोग करके 1 cm से कम की बहुत कम तरंग दैर्ध्य बैंड में संचालित होता है.
Microwave RADAR जिन्हें LIDAR (Light Detection and Ranging) कहा जाता है, का इस्तेमाल वर्तमान में वायुमंडलीय प्रदूषण को मापने और communication के लिए किया जाता है. ब्रिटेन की लड़ाई के दौरान ये स्टेशन दिन के किसी भी समय और किसी भी मौसम की स्थिति में दुश्मन के विमानों का पता लगाने में सक्षम थे.
युद्ध के दौरान समुद्री और हवाई जहाजों में भी रडार का इस्तेमाल किया जाता था. जर्मनी 1940 तक रडार का उपयोग कर रहा था लेकिन जापान ने कभी भी इसका प्रभावी उपयोग नहीं किया. संयुक्त राज्य अमेरिका में एक अच्छा रडार सिस्टम था और यह Pearl Harbor पर हमले से एक घंटे पहले इसकी भविष्यवाणी करने में सक्षम था.
युद्ध के प्रारंभिक दौर में ब्रिटेन में सबसे अच्छी रडार प्रणाली थी और 1940 में Magnetron cavity resonator के आविष्कार ने अधिक सेंटीमीटर तक तरंगों को प्रसारित करने में सक्षम बनाया. इसने रॉयल एयर फोर्स में विमानों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अधिक compact high-frequency सेटों को भी सक्षम किया.
रडार और सोनार के बीच का अंतर – Difference Between RADAR and SONAR in Hindi
रडार और सोनार के बीच अंतर कुछ इस प्रकार है:
रडार – रडार का मतलब है “Radio Detecting and Ranging”. रडार का उपयोग आसमान में किसी वस्तु का पता लगाने के लिए किया जाता है. इसके लिए उपकरण से radio waves को उत्सर्जित किया जाता है और ये waves आसमान में उपस्थित किसी वस्तु से टकराकर वापस उपकरण तक पहुंचती हैं. इस प्रकार किसी वस्तु की वर्तमान स्थिति और स्पीड से जुड़ी बिलकुल सटीक जानकारी प्राप्त की जाती है.
सोनार – सोनार का मतलब है “Sound Navigation and Ranging”. यह भी रडार की तरह ही काम करता है. लेकिन रडार में रेडियो तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि सोनार में ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है. सोनार का इस्तेमाल पानी या समुद्र के अंदर किसी वस्तु का पता लगाने के लिए किया जाता है, क्योंकि रेडियो तरंगे द्रव में इतनी दक्षता के साथ काम करने में सक्षम नहीं होती हैं.
Conclusion
मुझे उम्मीद है आपको मेरा ये Article ”रडार क्या है (What is Radar in Hindi) और यह कैसे कार्य करता है” जरुर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है RADAR विषय से जुड़ी हर जानकारी को सरल शब्दों में explain करने की ताकि आपको इस Article के सन्दर्भ में किसी दूसरी site पर जाने की जरूरत ना पड़े.
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