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जानिए भूकंप क्या है | भूकंप क्यों और कैसे आता है

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भूकंप क्यों और कैसे आता है (Earthquake in Hindi)? भूकंप के बारे में हम अक्सर खबरें देखते और सुनते रहते हैं. शायद आपने कभी भूकंप को महसूस भी किया होगा. भूकंप आना एक प्राकृतिक घटना है जो पृथ्वी पर प्राय: घटती रहती है. भूकंप आने के कुछ मानव जनित कारण भी होते हैं, लेकिन वे प्राकृतिक भूकंप के मुकाबले बहुत कमजोर होते हैं. भूकंप आने पर हमें धरती का हिलना या कंपन महसूस होता है, जो सबके लिए एक पैनिक स्थिति खड़ी कर देता है. 

आपके मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि आखिर ये भूकंप कैसे आता है और भूकंप आने के कारण क्या हैं. अगर आप इन सवालों के जवाब नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं, क्योंकि आज के इस लेख में हम आपको भूकंप से जुड़ी सभी जानकारियां देंगे. आज के इस लेख में आप भूकंप किसे कहते हैं, भूकंप क्यों आता है और इसके प्रकार कितने हैं जैसे सभी सवालों के जवाब जानेंगे. तो चलिए आगे बढ़ते बिना किसी देरी के और जानते हैं पूरी जानकारी.

भूकंप क्या है? – What is Earthquake in Hindi

जब धरती की सतह हिलने लगती है या कंपन पैदा होता है, तो इसे भूकंप (Earthquake) कहा जाता है. भूकंप पैदा होने की वजह पृथ्वी से निकलने वाली आंतरिक ऊर्जा होती है, जो भूकंपीय तरंगें पैदा करती है.

भूकंप को इनकी तीव्रता के आधार पर मापा जाता है. कुछ भूकंप बहुत कमजोर होते हैं, जिन्हें हम महसूस नहीं कर पाते हैं . जबकि कुछ भूकंप बहुत शक्तिशाली होते हैं जो वस्तुओं और इंसानों को हवा में ढकेल सकते हैं और शहरों और गांवों में तबाही ला सकते हैं. 

किसी एक क्षेत्र में भूकंप का अध्ययन, एक विशेष समय अवधि के दौरान अनुभव किए गए भूकंपों की आवृति, प्रकार और आकार के आधार पर किया जाता है, जिसे भूकंपीयता या भूकंपीय गतिविधि (seismic activity) कहा जाता है.

भूकंप, धरती की सतह पर जमीन को हिला सकते हैं और विस्थापित कर सकते हैं या जमीन को नष्ट-भ्रष्ट कर सकते हैं. जब किसी बड़े भूकंप का अधिकेन्द्र समुद्र तट से दूर समुंद्र में होता है तो वे सुनामी ला सकते हैं. भूकंप, भूस्खलन और कभी-कभी ज्वालामुखी गतिविधियों को भी जन्म दे सकते हैं.

भूकंप क्यों और कैसे आता है?

bhukamp kyo aur kaise aata hai

भूकंप क्या होता है जानने के बाद अब बारी आती है यह जानने की कि भूकंप क्यों और कैसे आता है. तो चलिए जानते हैं भूकंप आने के पीछे की वजह के बारे में.

भूकंप आने के कारण को जानने से पहले हमें पृथ्वी की संरचना को समझना होगा. हमारी पृथ्वी 15 – 20 टेक्टोनिक प्लेटों (विवर्तनिक प्लेटों) से बनी हुई है, जिसमें मुख्य प्लेटों की संख्या 7 है. ये सभी प्लेटें पृथ्वी के स्थलमंडल के नीचे मौजूद कमजोर और कोमल चट्टानों की परत (asthenosphere), जो कुछ हद तक तरल अवस्था में होती है, पर तैरती हैं. यानी प्लेटें स्थिर न होकर लगातार धीमी गति से चलती रहती हैं. आमतौर पर प्लेटों की सापेक्षिक गति 0 से 10 से.मी. सालाना होती है, जो बहुत ही धीमी गति है.

भूकंप का मतलब होता है, पृथ्वी की परत का अचानक से हिलना. प्राकृतिक तौर पर ज्यादातर भूकंप वहां आते हैं, जहां टेक्टोनिक प्लेटें आपस में मिलती हैं. इनके बीच की दरार को fault लाइन कहा जाता है. भूकंप तब उत्पन्न होता है जब प्लेटें टकराती, फैलती या एक दूसरे के नीचे फिसलती हैं. जैसे-जैसे प्लेटें आपस में मिलती हैं, वे घर्षण की वजह से चिपक जाती हैं और उन पर दबाव बनता जाता है, इसके साथ ही fault line के आसपास स्ट्रेन एनर्जी (विकृति ऊर्जा) स्टोर होती रहती है.

जब यह दबाव अत्यधिक बढ़ जाता है और एक महत्वपूर्ण वैल्यू को पार कर जाता है, तो घर्षण बल कमजोर पड़ जाता है. घर्षण के कमजोर हो जाने की वजह से चिपकी हुई प्लेटों के बीच अचानक से गति होती है, जिससे भ्रंश (fault) का निर्माण होता है. भ्रंश बनने पर पृथ्वी की सतह का हिंसक विस्थापन होता है और स्ट्रेन एनर्जी (विकृति ऊर्जा) उत्पन्न होती है. एनर्जी की वजह से भूकंपीय तरंगे पैदा होती है, जिससे हमें भूकंप के झटके या कंपन महसूस होता है. भूकंप हल्का था या तेज यह दबाव पर निर्भर करता है.

भ्रंश के प्रकार – Earthquake Fault Types in Hindi

जैसा की आपने ऊपर पढ़ा, जब अत्यधिक दबाव के कारण दो चिपकी हुई प्लेटों के मध्य घर्षण बल कमजोर पड़ जाता है तो अत्यधिक गति होती है और fault (भ्रंश) का निर्माण होता है, इसी fault की वजह से पृथ्वी की ऊपरी सतह में displacement होता है और ऊर्जा के रिलीज होने से भूकंपीय तरंगे उत्पन्न होती हैं. आइए अब जानते हैं कि ये fault (भ्रंश) कितनी तरह के होते हैं.

इंटरप्लेट भूकंप (दो टेक्टोनिक प्लेटों के बीच) के कारण बने fault तीन तरह के होते हैं:

  1. Normal Fault
  2. Reverse Fault
  3. Strike-Slip Fault

Normal Fault

earthquake normal fault

एक नॉर्मल फॉल्ट होता है जहां fault plane के ऊपर वाली चट्टान या hanging wall, fault plane के नीचे वाली चट्टान या footwall के सापेक्ष नीचे खिसकती है.

Normal fault आमतौर पर अपसारी सीमा (divergent boundary) पर बनता है, जहां टेक्टोनिक प्लेटें एक दूसरे से अलग हो रही होती हैं.

Reverse Fault

earthquake reverse fault

यह नॉर्मल फॉल्ट का उल्टा होता है जहां fault plane के ऊपर वाली चट्टान या hanging wall, fault plane के नीचे वाली चट्टान या footwall के सापेक्ष ऊपर खिसकती है.

Reverse fault अभिसारी सीमा पर बनता है, जहां प्लेटें एक दूसरे की तरफ आती हुई मिलती हैं.

Strike-Slip Fault

earthquake strike-slip fault

यह फॉल्ट तब बनता है जब दो चट्टानें ऊपर-नीचे की बजाय अगल-बगल में (horizontally) मूव करती हैं. Strike-slip fault रूपांतरण सीमा (transform boundary) पर बनता है.

टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाएं – Tectonic Plate Boundaries

टेक्टोनिक प्लेटों की सापेक्षिक गति के आधार पर तीन तरह की सीमाएं बनती हैं.

अभिसारी सीमा (Convergent Boundary) – जब विपरीत दिशाओं से दो प्लेटें एक दूसरे की तरफ आती हैं और टकराती हैं, तो ये अभिसारी सीमा बनाती हैं. इस तरह की सीमाओं में प्लेटें एक दूसरे के नीचे खिसक भी जाती हैं. इन्ही सीमाओं पर मोड़दार पर्वतों का निर्माण हुआ है.

अपसारी सीमा (Divergent Boundary) – जब दो प्लेटें एक दूसरे के विपरीत दिशा में जाती हैं, तो उनका वह किनारा अपसारी सीमा कहलाता है. इन सीमाओं के मध्य बनी दरार से भूगर्भ में मौजूद गर्म तरल पदार्थ ‘मैग्मा’ बाहर निकलता है और दोनों प्लेटों के बीच नई ठोस तली का निर्माण होता है.

रूपांतरण सीमा (Transform Boundary) – यह दो प्लेटों के बीच वह किनारा है, जहां प्लेटें अगल-बगल में स्लाइड करती हैं. यहां न तो नई पर्पटी का निर्माण होता है और न ही पर्पटी का विनाश होता है, इसलिए इन्हें रूपांतरण सीमा कहा जाता है.

अवकेंद्र और अधिकेंद्र

अवकेंद्र – भूकंप के समय जिस स्थान से ऊर्जा निकलती है, उसे उद्गम केंद्र (Focus) या अवकेंद्र (Hypocentre) कहा जाता है. भूकंपीय तरंगे अलग-अलग दिशाओं से चलती हुई धरती की सतह तक पहुंचती है.

अधिकेन्द्र – भू स्थल पर वह बिंदु जो अवकेंद्र के अधिक नजदीक होता है, अधिकेन्द्र (Epicentre) कहलाता है. सबसे पहले तरंगों को अधिकेन्द्र पर ही महसूस किया जाता है. अधिकेन्द्र, अवकेंद्र के ठीक ऊपर (90 डिग्री के कोण पर) होता है.

भूकंपीय तरंगे क्या हैं?

भूकंप के दौरान, भूकंप केंद्र से पैदा होने वाली ऊर्जा से तरंगे निकलती हैं जिन्हें हम भूकंपीय तरंगे कहते हैं. भूकंपीय तरंगे तीन तरह की होती हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:

1. प्राथमिक या लंबवत तरंगे (Primary Waves) – ये अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं, जो ध्वनि तरंगों की तरह तेज गति से चलती हैं. इन्हें P (पी) तरंगों के नाम से भी जाना जाता है. यह काफी तीव्र गति से चलने वाली तरंग होती हैं और धरातल पर सबसे पहले पहुंचती हैं. यह ठोस, द्रव और गैस तीनों तरह के पदार्थों से गुजर सकती है.

2. द्वितीयक या गौण तरंगें (Secondary Waves) – ये अनुप्रस्थ तरंगे होती हैं जो प्रकाश की तरह गति करती हैं. इन्हें S (एस) तरंग भी कहा जाता है. इनका औसत वेग 4 किमी/सेकंड होता है. ये केवल ठोस पदार्थ से गुजर सकती हैं.

3. धरातलीय या एल तरंगे (Surface Waves) – ये तरंगे केवल धरातल तक ही सीमित रहती हैं और ठोस, तरल और गैस तीनों पदार्थों से गुजर सकती हैं. ये 1.5 से 3 किमी/सेकंड की गति से चलती हैं, जो अन्य तरंगों के मुकाबले सबसे धीमी गति है. ये तरंगे सबसे लंबी दूरी तय कर सकती हैं और अत्यधिक विनाशकारी होती हैं. इन तरंगों की खोज H. D. Love ने की थी.  

भूकंप कैसे मापा जाता है?

भूकंप मापने के लिए जिस पैमाने का इस्तेमाल किया जाता है उसे रिक्टर स्केल कहा जाता है. आइए जानते हैं रिक्टर पैमाने के बारे में.

रिक्टर स्केल एक गणितीय पैमाना है जो भूकंप की तीव्रता के माप को दर्शाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तरंगों को 1 से 9 तक के मापक पैमाने के आधार पर मापा जाता है. ऐसा नहीं है कि भूकंप की तीव्रता 9 से ऊपर नहीं जा सकती, लेकिन स्केल में 9 अंतिम बिंदु होता है क्योंकि इससे अधिक भूकंप आज तक कभी नहीं आया. रिक्टर पैमाने का आविष्कार सन् 1935 में वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर और उनके सहयोगी गुटेनबर्ग ने किया था.

मापन का आधार

रिक्टर स्केल के अंतर्गत प्रति स्केल भूकंप की तीव्रता 10 गुना बढ़ जाती है और भूकंप के दौरान निकलने वाली ऊर्जा प्रति स्केल 32 गुणा बढ़ जाती है. इसका मतलब हुआ कि 4 रिक्टर स्केल पर भूकंप की जो तीव्रता थी, वह 5 स्केल पर 4 रिक्टर स्केल का 10 गुना बढ़ जाएगी.

रिक्टर पैमाने के अलावा भी भूकंप मापने के दो अन्य तरीके हैं i) मरकेली स्केल और ii) रॉसी फेरल स्केल. लेकिन इनको रिक्टर के मुकाबले कम सटीक माना जाता है, इसलिए भूकंप मापने के लिए रिक्टर स्केल का ही इस्तेमाल अधिक किया जाता है.

भूकंप कितने प्रकार के होते हैं?

भूकंप के प्रकार को तीन भागों में विभाजित किया गया है:

1. भूकंप मूल की गहराई के आधार पर

2. भूकंप की उत्पत्ति के कारणों के आधार पर

3. भूकंप की स्थिति के आधार पर

भूकंप मूल की गहराई के आधार पर

भूकंप मूल की गहराई के आधार पर भूकंप को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है जो कुछ इस प्रकार हैं:

सामान्य भूकंप (Moderate Earthquake): इस प्रकार के भूकंपों में अवकेंद्र (hypocenter) पृथ्वी की सतह से 50 किलोमीटर गहराई में बनता है. इनका परिमाण (magnitude) कम होता है, लेकिन सतह के नजदीक होने के कारण ये अधिक विनाशकारी हो सकते हैं.

मध्यम भूकंप (Intermediate Earthquake): इस तरह के भूकंपों में अवकेन्द्र की गहराई 50 से 250 किलोमीटर के बीच होती हैं. इनका परिमाण और तीव्रता भी मध्यम होती है.

गहरे भूकंप (Deep Focus Earthquake): जैसा कि नाम से पता चलता है, इन भूकंपों का अवकेंद्र सतह से काफी गहराई में, 250 से 700 किलोमीटर नीचे स्थित होता है. इस तरह के भूकंपों का परिणाम और तीव्रता दोनों ही अधिक होते हैं और ये बहुत विनाशकारी होते हैं. इन्हें ‘पातालीय भूकंप’ के नाम से भी जाना जाता है.

भूकंप की उत्पत्ति के कारणों के आधार

उत्पत्ति के आधार पर भूकंप दो तरह के होते हैं:

i) प्राकृतिक भूकंप

ii) मानव जनित भूकंप

प्राकृतिक भूकंप

ऐसे भूकंप जो प्राकृतिक रूप से अपने आप पैदा होते हैं, उन्हें प्राकृतिक भूकंप कहा जाता है. ये भूकंप सामान्य कंपन से लेकर धरती को हिलाने वाली विनाशकारी तरंगें पैदा कर सकते हैं. ये दो तरह के होते हैं:

i) विवर्तनिक भूकंप (Tectonic Earthquake) – जब विवर्तनिक या टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं के मध्य होने वाली हलचल से भूकंप उत्पन्न होता है तो उसे विवर्तनिक भूकंप कहते हैं. पृथ्वी पर आने वाले अधिकतर भूकंप, विवर्तनिक भूकंप ही होते हैं.

ii) ज्वालामुखी भूकंप (Volcanic Earthquake) – ज्वालामुखी भूकंप धरती की सतह के नीचे मौजूद मैग्मा संचलन से उत्पन्न होता है. मैग्मा के हिलने से प्रेशर में बदलाव होता है और आसपास की चट्टान पर दबाव बढ़ता है. ऐसे में एक पॉइंट पर दबाव चट्टान को तोड़ देता है और ऊर्जा उत्पन्न होती है.

मानव जनित भूकंप

ऐसे भूकंप जो मानव गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं, उन्हें मानव जनित भूकंप कहा जाता है जो कुछ इस प्रकार हैं:

i) विस्फोट भूकंप – जब माइनिंग टेस्टिंग या न्यूक्लियर टेस्टिंग के दौरान विस्फोट किए जाते हैं तो भूकंपीय तरंगे उत्पन्न होती हैं, जिसे विस्फोट भूकंप कहा जाता है.

ii) जलाशय या बांध जन्य भूकंप – ये भूकंप उन क्षेत्रों में महसूस किए जाते हैं जहां आसपास बांध बने होते हैं. जब जलाशय के नीचे चट्टान खिसकती है या टूटती है तो भूकंपीय तरंगे उत्पन्न होती हैं.

iii) पतन भूकंप – जब भूमि से अत्यधिक मात्रा में खनन किया जाता है तो भूमिगत खानों की छतें बह जाती हैं और आसपास के इलाकों में भूकंप महसूस होता है. इस तरह के भूकंप पतन या collapse भूकंप कहलाते हैं.

स्थिति के आधार पर

स्थिति के आधार पर भूकंप को दो भागों में बांटा गया है:

i) स्थलीय भूकंप – इस तरह के भूकंप ज्यादातर महाद्वीपीय क्षेत्रों में आते हैं. भारत के उत्तरी भाग में अधिकतर स्थलीय भूकंप ही आते हैं.

ii) जलीय भूकंप – इस तरह के भूकंप महासागरीय क्षेत्रों में आते हैं. जलीय भूकंपों के कारण ही सुनामी आती है.

भूकंप से लाभ और हानि

अक्सर भूकंप आने को नुकसानदायक समझा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं भूकंप से हानि होने के साथ-साथ लाभ भी होते हैं. आइए जानते हैं भूकंप से होने वाले लाभ और हानियों के बारे में.

भूकंप से होने वाले लाभ 

  • कभी-कभी अधिक तीव्रता वाले भूकंप आने से महत्वपूर्ण खनिज पृथ्वी की सतह के नजदीक आ जाते हैं.
  • भूकंप से पैदा होने वाली भूकंपीय तरंगों की मदद से भूगर्भ के बारे में जानने में मदद मिलती है.
  • भूकंप आने से चट्टानें कमजोर हो जाती हैं जिससे अपक्षय होता है और मिट्टी का निर्माण होता है. इस प्रक्रिया से कृषि को बढ़ावा मिलता है.
  • भूकंप की वजह से कई जगह जमीन नीचे धंस जाती है, जिससे नए जल स्रोतों और झीलों का निर्माण होता है.
  • भूकंप के कारण भूपटल पर बड़े पैमाने पर बनने वाले भ्रंश या फॉल्ट से पर्वत, पठार, घाटियां इत्यादि नई स्थलाकृतियों का निर्माण होता है.

भूकंप से होने वाले नुकसान

  • भूकंप से झटके महसूस होते हैं और जमीन फट जाती है, ऐसे में आबादी वाले क्षेत्रों में इमारतों और कठोर संरचनाओं को नुकसान पहुंचता है.
  • भूकंप की वजह से भूस्खलन और हिमस्खलन पैदा होता है, जिससे पहाड़ी और पर्वतीय इलाकों में क्षति पहुंचती है.
  • महासागरीय भूकंप या भूकंप के कारण हुए भूस्खलन के समुद्र में टकराने से सुनामी आ सकती है जो काफी विनाशकारी हो सकता है.
  • भूकंप के कारण जमीन फिसल कर बांध से टकरा सकती है, जिससे बांध क्षतिग्रस्त हो सकता है और बाढ़ का खतरा पैदा हो सकता है.
  • भूकंप की वजह से मानव प्रभाव भी पड़ते हैं जैसे सामान्य सम्पति का नुकसान, सड़क, पुल और इमारतों का नष्ट होना इत्यादि. इसके साथ ही चोट लगने और जान जाने का खतरा होता है.

भूकंप से बचने के उपाय

भूकंप आने की स्थिति में घबराएं नहीं और नीचे दी गई बातों को ध्यान में रखते हुए खुद का बचाव करें.

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  • भूकंप आने के समय यदि आप घर पर हैं तो किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठ जाएं और हाथ से सिर और चेहरे को कवर कर लें.
  • जब तक झटके महसूस हो रहे हैं तब तक घर में ही रहें और झटके रुकने के बाद ही घर से बाहर निकलें.
  • यदि भूकंप रात के समय आया है और आप बिस्तर पर लेटे हुए हैं तो उठे नहीं और अपना सिर तकिये से ढक लें.
  • यदि आप भूकंप आने के बाद मलबे के नीचे दब गए हैं तो अपने मुँह को किसी रुमाल या कपड़े से ढंके.
  • मलबे के नीचे दबे हुए किसी धातु या ठोस को बजाने का प्रयास करें ताकि बचाव दल उसे सुनकर आप तक पहुंच सके.
  • यदि आपके पास कोई उपाय नहीं है तो चिल्लाते रहें और हिम्मत ना हारें.

क्या ना करें

  • यदि आप गाड़ी ड्राइव कर रहें हैं तो उसे रोक लें और बाहर ना निकलें. गाड़ी को किसी पुल या फ्लाईओवर पर खड़ी ना करें.
  • यदि आप घर से बाहर है तो इमारतों और खंभों से दूरी बना लें और किसी खुले स्थान की तरफ चले जाएं.
  • यदि आप घर में मौजूद हैं तो चलें नहीं और किसी मजबूत फर्नीचर या टेबल के नीचे छुप कर बैठ जाएं.
  • घर में कांच, खिड़कियों, दरवाजों और दीवारों से दूरी बना लें और किसी कोने में चले जाएं.
  • भूकंप की वजह से मलबे में दबने के बाद हिले नहीं और धूल भी न उड़ाए.
  • यदि आप मलबे में दबे हुए हैं तो माचिस या लाइटर न जलाएं, क्योंकि घर में गैस लीक से आग लगने का खतरा रहता है.
  • भूकंप के दौरान लिफ्ट का इस्तेमाल भूलकर भी ना करें और सीढ़ियों से भी उतरने से बचें.
  • भूकंप के समय घबराएं नहीं और किसी भी तरह की अफवाह ना फैलाएं. 

भूकंप से संबंधित FAQ

Q. सिस्मोग्राफ और रिक्टर स्केल में क्या अंतर है?

सिस्मोग्राफ का इस्तेमाल भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और अन्य भूकंपीय घटनाओं से पैदा हुई भूकंपीय तरंगो सहित धरती के कंपन को मापने के लिए किया जाता है. भूकंपविज्ञानी सिस्मोग्राफ के जरिए रिकॉर्ड की गई भूकंपीय तरंगों का उपयोग पृथ्वी के आंतरिक भाग का नक्शा बनाने के लिए, भूकंप की उत्पत्ति को खोजने और मापने के लिए भी करते हैं. वहीं रिक्टर स्केल का इस्तेमाल भूकंप के दौरान उत्पन्न ऊर्जा को मापने के लिए किया जाता है. इसमें 1 से 9 तक अंक होते हैं.

Q. भूकंप केंद्र किसे कहते हैं?

पृथ्वी की सतह पर वह केंद्र जहां भूकंप की तरंगे सबसे पहले पहुंचती है, भूकंप का केंद्र या अधिकेन्द्र (Epicentre) कहलाता है. यह भूकंप के उद्गम केंद्र या अवकेंद्र (Hypocentre) के ठीक ऊपर होता है.

Q. सर्वाधिक विनाशकारी भूकंप तरंग है?

‘L’ तरंग यानी धरातलीय तरंग (Surface Wave) को सबसे विनाशकारी भूकंप तरंग माना जाता है.

Q. भूकंप के कितने रिक्टर स्केल पर पृथ्वी पर सर्वाधिक तबाही होती है?

यदि रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 1 से 6 के बीच होती है तो अधिक नुकसान नहीं होता है. वही 6 से 6.9 रिक्टर स्केल के बीच वाले भूकंप से इमारतों की नीव दरकने और ऊपरी मंजिलों के नुकसान का खतरा रहता है. यदि 7 से 7.9 रिक्टर स्केल के बीच भूकंप आता है तो इमारतें गिर सकती हैं और जमीन के अंदर पाइपें फट सकती हैं. 8 से 8.9 के बीच वाले भूकंप से ईमारतों सहित बड़े पुल गिर सकते हैं. और यदि भूकंप की तीव्रता 9 या उससे अधिक है तो बहुत बड़ी तबाही होती है.

Q. भूकंपमापी यंत्र का नाम क्या है?

रिक्टर स्केल.

Q. पृथ्वी की सतह पर सर्वप्रथम पहुंचने वाली भूकंप तरंग है?

पृथ्वी की सतह पर सर्वप्रथम ‘P’ तरंगे पहुंचती हैं .

Conclusion

उम्मीद करता हूँ आपको मेरा यह लेख “भूकंप क्या है, भूकंप क्यों और कैसे आता है” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है भूकंप (Earthquake in Hindi) से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े.

अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें. 

Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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