आज के इस लेख में आप हीरा क्या है और कैसे बनता है, के बारे में जानेंगे. हीरा प्रकृति में पाया जाने वाला सबसे कठोर और कीमती पदार्थ है. अपनी कठोरता और अद्वितीय चमक के कारण हीरे सदियों से राजसी वैभव और विलासिता के प्रतीक रहे हैं. हीरों का इस्तेमाल आभूषणों में अधिक किया जाता है. रोमन लोग तो इन्हें “भगवान के आंसू” भी कहते थे. 1700 के दशक तक भारत विश्व का प्रमुख हीरा उत्पादक देश रहा है. हालांकि, आज भी भारत में हीरे का खनन जारी है.
हीरे को लेकर लोगों के मन में अक्सर ये सवाल रहता है कि आखिर यह चमकदार पत्थर कहां पाया जाता है और कैसे बनता है. यदि हीरों के निर्माण से लेकर गहनों के दुकान तक की यात्रा को देखा जाए तो यह काफी दिलचस्प और प्रभावशाली है. इसलिए आज इस लेख में हम हीरा बनने के मुख्य तरीकों और यह कहां पाया जाता है के बारे में अध्ययन करेंगे. साथ ही हीरे की संरचना, गुण और विशेषताओं के बारे में भी जानेंगे.
हीरा (Diamond) क्या है? – What is Diamond in Hindi
हीरा, शुद्ध कार्बन से बना एक खनिज है. यह प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला सबसे कठोर पदार्थ और सबसे प्रसिद्ध रत्न है. अत्यधिक कठोर होने की वजह से हीरे का इस्तेमाल कई महत्वपूर्ण औद्योगिक अनुप्रयोगों, जैसे काटने और चमकाने वाले उपकरणों में किया जाता है. हीरे की कठोरता और चमक इसे एक नायाब रत्न बनाती है. रत्नों के प्रतीकवाद में हीरे को दृढ़ प्रेम का प्रतीक माना गया है और यह अप्रैल के लिए जन्म का रत्न है. हीरे में परमाणु कठोर तरीके से व्यवस्थित होते हैं, इसलिए कुछ प्रकार की अशुद्धि इन्हें दूषित बना देती हैं.
हीरे में दिखाई देने वाले रंग, कम मात्रा में अशुद्धियाँ या नुक्स की वजह से दिखाई देते हैं. जैसे boron की वजह से नीला रंग, defects की वजह से भूरा रंग इत्यादि. इनके अलावा हीरे में गुलाबी, लाल, बैंगनी और पीला रंग भी नजर आते हैं. हीरे का उच्च अपवर्तनांक सूचकांक (high refractive index) और अपेक्षाकृत एक उच्च प्रकाशीय फैलाव (optical dispersion) होता है. हीरे को कैरट (1 carat = 200mg) और पॉइंट्स (1 point = 0.01 carat) में तौला जाता है. हीरे को प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों तरीकों से प्राप्त किया जाता है.
हीरा (Diamond) कैसे बनता है?
हीरा तब बनता है जब कार्बन पृथ्वी की सतह के नीचे करीब 150 से 200 किलोमीटर गहराई में जमा होता है. यहां तापमान और दबाव (प्रेशर) बहुत अधिक होता है. कुछ पत्थर कुछ दिनों या महीनों में आकार ले लेते हैं, जबकि कई लाखों सालों में बनते हैं. रंगीन हीरों में, trace elements (कम मात्रा में रासायनिक तत्व) के हीरा बनने के दौरान परस्पर क्रिया करने से रंग आता है. साथ ही इन खनिजों के समावेश से हीरे की सटीक उम्र का पता लगाया जा सकता है, जो अकेले हीरे से पता लगाना लगभग असंभव है.
माना जा रहा है कि अधिकांश प्राकृतिक हीरे लाखों साल पहले के हैं. हीरों से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह भी है कि इनके बनने की प्रक्रिया हमेशा लगातार नहीं चलती. तापमान और दबाव में बदलाव के कारण एक खुरदरे हीरे के बनने की प्रक्रिया बाधित हो सकती है. रत्न को निरंतर वृद्धि के लिए उपयुक्त परिस्थितियों में आने के लिए, सैंकड़ो या लाखों वर्षों का इंतेजार करना पड़ सकता है.
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हीरा निर्माण के तरीके
हीरा निर्माण की चार मुख्य प्रक्रियाएं हैं, जिन्हें पृथ्वी की सतह के नीचे पाए जाने वाले लगभग सभी diamond deposit sites के लिए जिम्मेदार माना गया है. आइए नजर डालते हैं इन चार मुख्य तरीकों पर.
पृथ्वी के आवरण (mantle) में हीरे का निर्माण
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार लगभग 100% प्राकृतिक डायमंड जो हीरा खानों में पाए जाते हैं, पृथ्वी के आवरण में बनते हैं और एक गहरे स्रोत वाले ज्वालामुखी विस्फोट के साथ पृथ्वी की सतह तक पहुंचते हैं. इन ज्वालामुखी विस्फोट के कारण kimberlite और lamproite pipes का निर्माण होता है, जिनमें ये हीरे पाए जाते हैं.
इन सभी pipes में हीरे नहीं होते हैं या इतनी कम मात्रा में मौजूद होते हैं कि व्यावसायिक रूप से फायदेमंद नहीं होते. लेकिन, जब किसी पाइप में लाभदायक खनन के लिए पर्याप्त हीरे पाए जाते हैं, तब इनमें ओपन-पिट (खुले गड्ढ़े) और भूमिगत खानें विकसित की जाती हैं. कुछ पाइपों में हीरे हवा-पानी से नष्ट या घिस भी जाते हैं.
Subduction Zone में हीरे का निर्माण
हीरा निर्माण की यह दूसरी प्रक्रिया भी काफी दिलचस्प है. जब tectonic plates के कारण चट्टानें subduction zone में समाती हैं और सतह पर छोटे डायमंड्स के साथ वापस आती हैं तो हीरों का निर्माण होता है. ये छोटे हीरे पृथ्वी के नीचे केवल 80 किलोमीटर (50 मील) की गहराई में बनते हैं, जहां तापमान लगभग 200 डिग्री सेल्सियस रहता है.
ऐसी चट्टानें बहुत कम होती हैं, जो subduction zone से वापस सतह तक आती हैं. जहां भी इस तरह की चट्टानें पाई गई हैं, उनमें कोई व्यावसायिक हीरा नहीं मिला है, क्योंकि हीरों का आकार बहुत छोटा होता है और ये जौहरियों द्वारा नहीं बेचे जाते.
क्षुद्रग्रह प्रभाव स्थल (Impact Sites) पर हीरे का निर्माण
अगर पृथ्वी का इतिहास देखा जाए, तो कुछ क्षुद्रग्रह का पृथ्वी से टकराने का पता चलता है. जब कोई क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराता है, तो इससे तीव्र दबाव और तापमान उत्पन्न होता है, जो दोनों गुण हीरा निर्माण के लिए उपयुक्त हैं. इस प्रक्रिया को पृथ्वी के कई asteroid impact sites से समझा जा सकता है. इनमें दो अधिक प्रसिद्ध स्थल हैं, साइबेरिया (रूस) के पोपीगई क्रेटर और एरिज़ोना में मेटेओर क्रेटर.
अंतरिक्ष में हीरे का निर्माण
केवल पृथ्वी ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी हीरे का निर्माण होता है. नासा के शोधकर्ताओं ने कुछ उल्कापिंड में बड़ी संख्या में nano diamonds का पता लगाया है. लेकिन ये हीरे आकार में बहुत छोटे होने के कारण, डायमंड ज्वेलरी और औद्योगिक अपघर्षक के लिए इस्तेमाल में नहीं लिए जा सकते. स्मिथसोनियन (एक रिसर्च सेंटर) को एलन हिल्स नामक उल्कापिंड में बहुत सारे छोटे हीरे मिले, जो इस बात का प्रमाण देते हैं कि अंतरिक्ष में वास्तव में हीरे पाए जाते हैं.
कृत्रिम हीरा कैसे बनता है?
प्राचीन समय में हीरे को केवल प्राकृतिक तरीकों से ही प्राप्त किया जा सकता था. लेकिन आधुनिक युग में वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में हीरा (diamond) बनाने की प्रक्रिया को खोज निकाला. आइए जानते हैं कि कैसे कृत्रिम हीरा तैयार किया जाता है.
कृत्रिम हीरे को दो तरीकों से तैयार किया जाता है:
- HPHT
- CVD
HPHT – प्रयोगशाला में हीरा बनाने के लिए वैज्ञानिक HPHT नामक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. HP यानी high pressure और HT यानी high temperature. HPHT तकनीक को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह पृथ्वी के नीचे प्राकृतिक हीरा बनने की प्रक्रिया की नकल करे.
सबसे पहले के छोटे हीरा बीज को एक कार्बन बीज के साथ रखा जाता है, जैसे कि ग्रेफाइट और डायमंड पाउडर और फिर इन्हें अत्यधिक ऊष्मा (हीट) और दबाव (प्रेशर]) के संपर्क में लाया जाता है. जैसे ही कार्बन पिघलता है, वह हीरा बीज के चारों तरफ एक हीरे का निर्माण होता है. इसके बाद इस नए पदार्थ को ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है, फिर कटाई और पॉलिश की जाती है और इसे अंतिम रूप दिया जाता है.
CVD – CVD यानी chemical vapor deposition. इस तकनीक में भी HPHT की तरह, असली रत्न गुणवत्ता वाले हीरे तैयार होते हैं. CVD तकनीक में एक गैस, जैसे कि मीथेन, को एक vacuum chamber में डाला जाता है और फिर गैस के अणुओं (molecules) को microwaves की मदद से तोड़ा जाता है. इस दौरान कार्बन परमाणु एक substrate पर इकट्ठे हो जाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हिमपात में हिमकण जमा होते हैं.
प्राकृतिक हीरे और कृत्रिम हीरे में अंतर
नंगी आँखों से देखने पर प्राकृतिक और कृत्रिम हीरे में कोई अंतर नहीं दिखाई देता. जहां प्राकृतिक हीरे को बनने में लाखों वर्षों का समय लगता है, वहीं प्रयोगशाला में विकसित हीरा कुछ ही हफ़्तों में बनकर तैयार हो जाता है. प्रयोगशाला में बना हीरा, प्राकृतिक हीरे के मुकाबले सस्ता भी होता है. अगर बात की जाए sustainability की तो इस मामले में कृत्रिम हीरा, प्राकृतिक हीरे से एक कदम आगे रहता है. प्राकृतिक हीरे में कुछ मात्रा में नाइट्रोजन पाई जाती है, जबकि कृत्रिम हीरे में नाइट्रोजन नहीं होती. वास्तव में यही वो तरीका है, जिसका इस्तेमाल कर रत्न विशेषज्ञ हीरे के कृत्रिम और प्राकृतिक होने का पता लगाते हैं.
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हीरे की संरचना कैसी होती है?
हीरे के अंदर सभी कार्बन परमाणु, चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ एक मजबूत केमिकल बॉन्ड बनाते हैं, इस प्रकार ये पूरे क्रिस्टल पर एक टेट्राहेड्रॉन (चतुर्पाश्वीय) संरचना तैयार करते हैं. यहां कार्बन के परमाणु, sp3 hybridized (एक 2s-ऑर्बिटल और तीन 2p-ऑर्बिटल्स का मिश्रण चरित्र) होते हैं और कार्बन-कार्बन परमाणु की बॉन्ड लेंथ बराबर होती है. इस प्रकार एक मजबूत सहसंयोजक बंधन के साथ डायमंड एक 3D नेटवर्क बनाता है. हीरे का लगभग 3570 डिग्री सेल्सियस का उच्च गलनांक होता है और 3.51gm/cm3 का उच्च घनत्व होता है. मुक्त इलेक्ट्रॉन्स ना होने के कारण इसे विद्युत का कुचालक माना जाता है.
हीरे के गुण या विशेषताएं
- हीरा एक प्राकृतिक पदार्थ है और इसकी अद्वितीय चमक होती है.
- हीरा अत्यंत कठोर होता है और यह ज्ञात प्राकृतिक पदार्थों में सबसे कठोर पदार्थ माना जाता है.
- हीरा सभी घोलकों में अघुलनशील होता है.
- हीरे वजन में काफी भारी होता है.
- हीरा रासायनिक तौर पर बहुत निष्क्रिय होता है.
- हीरे को जलने के लिए 900 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए होता है.
हीरे के उपयोग क्या हैं?
- हीरे का इस्तेमाल आभूषण बनाने के लिए किया जाता है. हीरा प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन करने में सक्षम होता है, इसी अद्भुत क्षमता के कारण हीरे से अद्वितीय चमक प्राप्त होती है.
- शल्य चिकित्सकों द्वारा आंखों से मोतियाबिंद निकालने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले औजार हीरे से बने होते हैं. इनकी मदद से ऑपरेशन को दक्षिता और सूक्ष्मता के साथ संपन्न किया जा सकता है.
- अत्यधिक कठोर होने के कारण, हीरे का इस्तेमाल काटने के औजार बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा हीरे का इस्तेमाल चट्टानों में छेद करने वाले उपकरण और पिसाई के यंत्र बनाने के लिए भी किया जाता है.
- हीरे का इस्तेमाल लाइट बल्ब के लिए टंगस्टन से बने फिलामेंट के निर्माण के लिए किया जाता है.
असली हीरे की पहचान कैसे करें?
प्राकृतिक हीरे और लैब में बने हीरे की पहचान करना बेहद मुश्किल है, इसके लिए एक खास तरह के उपकरण की आवश्यकता होती है. हालांकि, नीचे दिए गए कुछ तरीकों से आप असली और नकली हीरे की पहचान कर सकते हैं.
- यदि प्राकृतिक हीरे को ध्यानपूर्वक देखा जाए तो यह अंदर से उबड़-खाबड़ नजर आता है, जबकि कृत्रिम हीरा अंदर से सामान्य दिखाई देता है. असली हीरे में कुछ खांचे बने होते हैं, जिन्हें देखने के लिए बारह सौ गुना ताकतवर माइक्रोस्कोप की जरूरत होती है.
- प्राकृतिक हीरा पानी से भरे बर्तन में रखने पर डूब जाता है, जबकि कृत्रिम हीरा पानी के ऊपर तैरने लगता है.
- यदि हीरे को पराबैंगनी किरणों (ultraviolet) के संपर्क में लाने पर हीरा नीले रंग में चमकता है तो यह असली यानी प्राकृतिक हीरा है, और यदि हल्का पीला हरा या स्लेटी रंग का प्रकाश निकलता है, तो यह सिलिकॉन कार्बाइड से बना मोइसानाइट है.
- यदि आप हीरे को अख़बार के पास रखकर, उसके पार अक्षरों को पढ़ने की कोशिश करते हैं और आपको टेढ़ी लकीरें दिखाई देती हैं, तो हीरा नकली है.
हीरे की कीमत क्या है?
1 कैरेट (200 मिलीग्राम) हीरे की कीमत 60000-65000 रुपए के बीच होती है. इस प्रकार 1 ग्राम हीरे की कीमत 300000 से 325000 रुपए तक होती है.
हीरा इतना महंगा क्यों है?
हीरा इतना महंगा इसलिए है, क्योंकि हीरे का खनन कर उन्हें बाजार तक लाना बहुत महंगा होता है. साथ ही अच्छी गुणवत्ता वाले हीरों की सप्लाई सीमित है और दुनियाभर के लोग उन्हें खरीदना चाहते हैं. इसलिए सप्लाई कम और मांग अधिक होने की वजह से हीरे की कीमत अधिक होती है.
निष्कर्ष (Conclusion):
उम्मीद करता हूँ आपको हमारा यह लेख “हीरा क्या है और कैसे बनता है” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है हीरे (Diamond in Hindi) से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें.