अक्सर न्यूज़ देखने के दौरान हमें NSA एक्ट और NSA अजीत डोभाल के बारे में सुनने को मिलता है. तब आपके मन में NSA को लेकर कई तरह के सवाल उठते होंगे, जैसे कि NSA क्या होता है? NSA act और NSA post में क्या अंतर है? NSA एक्ट कहाँ और क्यों लगाया जाता है? इत्यादि. लेकिन आज के इस लेख को पढ़ने के बाद, NSA को लेकर आपका सारा कंफ्यूजन दूर होने वाला है. क्योंकि आज इस लेख में हम NSA से जुड़ी तमाम जानकारियां आपके साथ शेयर करने वाले हैं.
यदि NSA के फुल फॉर्म की बात की जाए तो इसके दो मतलब निकलते हैं: National Security Act, जिसे हिंदी में “राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका)” कहते हैं, वहीं दूसरा है National Security Advisor, जिसे हिंदी में “राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार” कहा जाता है. इन दोनों में काफी अंतर है. चलिए विस्तार से अध्ययन करते हैं (NSA in Hindi).
NSA क्या है?
एनएसए (NSA), National Security Act और National Security Advisor का संक्षिप्त रूप है. ये दोनों ही एक दूसरे से अलग हैं. नेशनल सिक्योरिटी एक्ट, वह कानून है जो सरकार को अपराध से पहले उस व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे का संदेह हो. वहीं नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर, वह पद है जो भारत के प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्य करता है.
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (National Security Act) क्या है? – NSA Act in Hindi
एनएसए एक्ट, जिसे रासुका भी कहा जाता है, ऐसा कानून है जो सरकार को उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने की ताकत देता है, जिसे प्राधिकारी मानते हैं कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है या वह सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित कर सकता है. आइए नजर डालते हैं राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) से जुड़े कुछ प्रमुख बिन्दुओं पर.
- यह कानून संदेह की स्थिति में किसी व्यक्ति को अपराध से पूर्व 12 महीनों तक नजरबंद करने की अनुमति देता है. पर्याप्त सबूत मिलने पर नजरबंद की अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है.
- एनएसए अधिनियम के तहत राज्य या केंद्र सरकार किसी भी व्यक्ति को भारतीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में हिरासत में ले सकती है.
- उस किसी भी महिला या पुरुष को हिरासत में लिया जा सकता है, जो विदेशों के साथ भारत के संबंधों के लिए खतरा बनता है.
- अधिनियम को सार्वजनिक कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है.
- यह कानून सरकार को किसी विदेशी व्यक्ति को हिरासत में लेने या उसकी उपस्थिति को नियंत्रित करने या उसे भारत से निष्कासित करने की शक्ति देता है.
NSA कानून क्या मायने रखता है?
भारतीय संविधान के आर्टिकल 22 (1) के अनुसार गिरफ्तार किया गया व्यक्ति को परामर्श लेने और खुद के बचाव के लिए अपनी पसंद का वकील चुनने का अधिकार है. आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 50 के अनुसार गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार की जानकारी दी जानी चाहिए और उसे जमानत का अधिकार है.
लेकिन, National Security Act के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को इनमें से कोई भी अधिकार नहीं दिए जाते. ऐसी कोई भी जानकारी जिसे उजागर करना सार्वजनिक हित के खिलाफ है, को छुपाने का अधिकार सरकार के पास होता है.
रासुका (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया व्यक्ति, किसी भी कानूनी सहायता का हकदार नहीं है. इसके अलावा, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) जो भारत में crime data को एकत्रित करता है, NSA के तहत आने वाले केस को शामिल नहीं करता. क्योंकि NSA से जुड़े मामलों की FIR दर्ज नहीं की जाती.
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत की अधिकतम अवधि कितनी है?
रासुका (NSA) के तहत, एक व्यक्ति को 12 महीनों तक बिना दोषी ठहराए हिरासत में (नजरबंद) रखा जा सकता है. सरकार उस व्यक्ति को बिना आरोप बताए 10 दिनों तक हिरासत में रख सकती है, लेकिन एडवाइजरी बोर्ड के सामने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर गिरफ्तारी का कारण बताना होता है. गिरफ्तार किया गया व्यक्ति high court advisory board के सामने अपील कर सकता है, लेकिन मुकदमे के दौरान वकील की अनुमति नहीं मिल सकती.
Advisory Board के बारे में
- एडवाइजरी बोर्ड का गठन केंद्र या राज्य सरकार द्वारा किया जाता है, जिसमें तीन सदस्यों की एक टीम बनाई जाती है. ये तीनों सदस्य हाईकोर्ट में जज चुने जाने के योग्य होते हैं.
- NSA एक्ट के तहत हुई गिरफ्तारी के तीन सप्ताह के भीतर सरकार को बोर्ड के सामने गिरफ्तारी का कारण बताना होता है.
- बंदी बनाया गया व्यक्ति अपील कर सकता है, लेकिन वकील द्वारा कानूनी प्रतिनिधित्व का हकदार नहीं है.
- यदि बोर्ड को गिरफ्तारी का कोई पर्याप्त कारण नहीं मिलता है, तो सरकार को तुरंत गिरफ्तारी का आर्डर रद्द करना होगा और व्यक्ति को तुरंत रिहा करना होगा.
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) कब और कैसे आया?
NSA एक्ट की शुरुआत औपनिवेशिक युग में 1980 में हुई. सन 1818 में Bengal Regulation III कानून ब्रिटिश सरकार को सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए, किसी भी व्यक्ति को बिना न्यायिक कार्यवाही का सहारा दिए हिरासत में लेने की अनुमति देता था. सन 1919 में रॉलेक्ट एक्ट बनाया गया जी बिना जुर्म के कारावास की अनुमति देता था. जलियांवाला बाग़ की घटना इसी रॉलेक्ट एक्ट के विरोध का परिणाम था.
आजादी के बाद सन 1971 में इंदिरा गांधी ने विवादित आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (MISA) पेश किया, जो रॉलेक्ट एक्ट के समान था. बाद में सन 1977 में इसे निरस्त कर दिया गया, और अंत में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) 1980 लाया गया.
NSA कब अस्तित्व में आया?
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) को 20 सितंबर, 1980 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लेकर आईं.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) क्या है?
NSA, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (National Security Council) का वरिष्ठ अधिकारी होता है और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर भारत के प्रधानमंत्री का मुख्य सलाहकार होता है. वर्तमान में NSA अजीत डोभाल हैं, जिन्हें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का पद भी दिया गया है.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का कार्य क्या है?
एनएसए पद के पास उच्च शक्तियां होती हैं, इसलिए NSA को भारत सरकार में अत्यंत प्रमुख और शक्तिशाली कार्यालय माना गया है. सन 1988 में शुरुआत से लेकर अब तक जितने भी NSAs नियुक्त किए गए हैं, वे या तो भारतीय विदेश सेवा या भारतीय पुलिस सेवा से संबंध रखते हैं, और भारत के प्रधानमंत्री के निर्णय पर कार्य करते हैं.
NSA का कार्य प्रधानमंत्री को, भारत के लिए आन्तरिक और बाहरी खतरों और अवसरों से संबंधित मामलों से जुड़ी निरंतर सलाह प्रदान करना होता है. साथ ही प्रधानमंत्री की तरफ से रणनीतिक और संवेदनशील मुद्दों की देखरेख करता है. भारत का एनएसए चीन के साथ भारतीय प्रधानमंत्री के विशेष वार्ताकार के रूप में कार्य करता है और सुरक्षा मामलों में पाकिस्तान और इजरायल के साथ दूत के रूप में काम करता है.
R&AW, IB, NTRO, MI, NIA और DIA जैसी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा कलेक्ट की गई खुफिया जानकारी NSA को दी जाती हैं और वह उन्हें प्रधानमंत्री के सामने पेश करता है. NSA की मदद के लिए Deputy NSAs (Deputy National Security Advisors) एनएसए के साथ कार्य करते हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियां बनाने के लिए अंतर-मंत्रालयी समन्वय और इनपुट के एकीकरण के लिए नीति समूह मुख्य तंत्र होता है. इस ग्रुप में नीति आयोग के उपाध्यक्ष, कैबिनेट सचिव, तीन सैन्य प्रमुख, भारतीय रिज़र्व बैंक के राज्यपाल, विदेश सचिव, गृह सचिव, वित्त सचिव और रक्षा सचिव शामिल होते हैं.
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भारतीय सुरक्षा सलाहकार की सूची
नाम | कार्यकाल | प्रधानमंत्री |
ब्रिजेश मिश्रा, IFS | 19 नवंबर, 1998 – 22 मई, 2004 | अटल बिहारी वाजपेयी |
जे. एन. दीक्षित, IFS | 23 मई, 2004 – 3 जनवरी, 2005 | मनमोहन सिंह |
एम. के. नारायणन, IPS | 3 जनवरी, 2005 – 23 जनवरी, 2010 | मनमोहन सिंह |
शिवशंकर मेनन, IFS | 24 जनवरी, 2010 – 26 मई, 2014 | मनमोहन सिंह |
अजीत डोभाल, IPS | 23 मई, 2014 – अब तक | नरेंद्र मोदी |
NSA का इतिहास
भारत के प्रथम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर ब्रिजेश मिश्रा को नियुक्त किया गया, जो उस समय प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के तौर पर कार्यरत थे. NSA पद को 19 नवंबर, 1998 को अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार द्वारा बनाया गया था. 2004 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र में नई सरकार बनी, जिसने NSA को विभाजित कर विदेश की अध्यक्षता पूर्व विदेश सचिव जे.एन.दीक्षित और आंतरिक अध्यक्षता पूर्व निदेशक आईबी एम. के. नारायणन को सौंप दी.
2005 में दीक्षित जी की मौत हो गई, जिसके बाद कार्यालय दोबारा एक-रूप हो गया और नारायणन पूर्णकालिक NSA बनें. उसके बाद 2010 में विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने नारायणन की जगह ली. 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में निदेशक, आईबी अजीत डोभाल को NSA के रूप में चुना गया.
निष्कर्ष (Conclusion):
उम्मीद करती हूँ आपको मेरा यह लेख “NSA क्या है (NSA in Hindi)” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है नेशनल सिक्योरिटी एक्ट और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें.