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जानें Plastic क्या है और कैसे बनता है?

(Plastic in Hindi) प्लास्टिक हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बना हुआ है. खिलौनों से लेकर जरुरत के हर सामान तक प्लास्टिक की अपनी एक अलग भूमिका रही है. यह जानते हुए कि प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए सही नहीं है, इससे दूर रह पाना बहुत मुश्किल है. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा घर, ऑफिस या कोई जगह हो जहां plastic का उपयोग ना होता हो. लेकिन क्या आप जानते हैं plastic कैसे बनता है?

अगर नहीं तो कोई बात नहीं क्योंकि आज के इस लेख में आपको प्लास्टिक के बारे में सब कुछ पढ़ने को मिलेगा. आज के लेख में आप प्लास्टिक क्या है? प्लास्टिक कैसे बनाया जाता है? प्लास्टिक के प्रकार, प्लास्टिक की खोज किसने कि? जैसे सभी सवालों के जवाब जानेंगे. तो चलिए बढ़ते हैं आगे और जानते हैं Plastic से जुड़ी पूरी जानकारी हिंदी में.

Plastic क्या है? – What is Plastic in Hindi

प्लास्टिक एक कृत्रिम या अर्धकृत्रिम पदार्थ है, जो मुख्य घटक के रूप में polymers (बड़े आकार के अणुओं वाले रासायनिक यौगिक) का इस्तेमाल करता है. प्लास्टिक में मौजूद उसकी plasticity उसे विभिन्न आकार की ठोस वस्तुओं में ढ़लने, बाहर निकलने और दबने में सक्षम बनाती है. इसकी अनुकूलन क्षमता और विभिन्न प्रकार के गुणों के चलते, जैसे हल्कापन, टिकाऊ, लचीला और सस्ता होने की वजह से इसका बड़ी मात्रा में उपयोग किया जाता है. Plastic शब्द ग्रीक के शब्द ‘plastiko’ से लिया गया है, जिसका मतलब है ‘बढ़ना’ या ‘बनाना’. आमतौर पर plastic को मानव औद्योगिक प्रणाली द्वारा तैयार किया जाता है. अधिकांश प्लास्टिक को जीवाश्म ईंधन पर आधारित chemicals से प्राप्त किया जाता है, जैसे प्राकृतिक गैस या पेट्रोलियम.

हालांकि, हाल ही के औद्योगिक तरीके renewable material से बने variants का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि मक्का या कपास के यौगिक. विकसित अर्थव्यवस्थाओं में एक तिहाई plastic का इस्तेमाल packaging और सामान बनाने, जैसे pipes और plumbing में किया जाता है. इसके अलावा automobiles, furniture और toys में भी plastic का इस्तेमाल होता है. विकासशील देशों में प्लास्टिक के इस्तेमाल भिन्न हो सकते हैं. भारत में प्लास्टिक खपत का 42% पैकेजिंग में इस्तेमाल होता है. चिकित्सा के क्षेत्र में polymer implants (शल्य-क्रिया द्वारा शरीर में लगाई गई वस्तु) और अन्य medical devices लगभग प्लास्टिक से ही बनते हैं. दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष एक व्यक्ति के पीछे 50 kg प्लास्टिक उत्पन्न किया जाता है. साथ ही हर साल production भी दोगुना हो जाता है.

प्लास्टिक कैसे बनता है?

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प्लास्टिक बनाने की प्रक्रिया को तीन चरणों में पूरा किया जाता है:

1. प्लास्टिक को प्राकृतिक गैस, तेल या पौधों से प्राप्त होने वाले raw material से तैयार किया जाता है जिन्हें शोधित कर ethane और propane प्राप्त की जाती है.

2. अब ethane और propane को हीट के साथ ट्रीट किया जाता है. इस विधि को cracking के नाम से जाना जाता है, जो उन्हें ethylene और propylene में तब्दील कर देती है.

3. अब इन दोनों को एक साथ जोड़कर विभिन्न प्रकार के polymers तैयार किए जाते हैं.

विस्तार से :-

प्लास्टिक बनाने के लिए सबसे पहले प्राकृतिक गैस, तेल या पौधों से प्राप्त होने वाले raw material का इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें refine कर ethane और propane तैयार की जाती है. अब ethane और propane को उच्च ताप पर ट्रीट किया जाता है, जिसे cracking process के नाम से जाना जाता है. इस प्रक्रिया के जरिए ethane और propane को ethylene और propylene जैसे monomers में बदला जाता है. Monomer का मतलब एक अणु (molecule) जिसे दूसरे सामान अणुओं के साथ जोड़कर polymer बनाया जा सकता है.

Ethylene और propylene monomers को एक catalyst के जरिए जोड़कर एक polymer fluff तैयार किया जाता है, जो कि डिटर्जेंट पाउडर की तरह दिखाई देता है. अब polymers को एक extruders में डाला जाता है, जहां इसे पिघलाया जाता है और pipe में डाला जाता है.

अब प्लास्टिक की एक लंबी tube तैयार की जाती है, जिसे ठंडा किया जाता है और फिर उसे छोटी गोलियों (pellets) में काटा जाता है. अब इन गोलियों को फैक्ट्रियों में भेज दिया जाता है, जहां उन्हें पिघलाकर पानी की बोतल, ऑटो पार्ट्स, चिकित्सा उपकरण इत्यादि में ढाल दिया जाता है. 

प्लास्टिक बनाने में बहुत labor और experience की आवश्यकता होती है. इसे बनाने की कोई एक स्पष्ट प्रक्रिया नहीं है, क्योंकि प्लास्टिक कई प्रकार के होते हैं.

प्लास्टिक कितने प्रकार के होते हैं? – Types of Plastic in Hindi

सभी प्लास्टिक एक तरह के नहीं होते. प्रत्येक प्लास्टिक दूसरे से अलग होता है और इनके इस्तेमाल भी अलग-अलग होते हैं. उदाहरण के तौर पर कुछ plastic reusable होते हैं, यानी उन्हें recycle कर दोबारा इस्तेमाल में ले जाया जा सकता है और कुछ को नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि जिन केमिकल के साथ वे बने होते हैं, उनमें कुछ को recycle किया जा सकता है जबकि कुछ को disposed करने की जरूरत होती है. अब हम प्लास्टिक के 7 प्रकारों के बारे में जानेंगे कि वे कैसे एक दूसरे से अलग हैं और पर्यावरण पर उनका क्या प्रभाव पड़ता है.

सन् 1988 में plastic industry की society ने दुनिया को Resin Identification Code (RIC) से अवगत कराया, जिसने Plastic Resins (एक तरह का चिपचिपा पदार्थ) को 7 अलग-अलग categories में विभाजित कर दिया. इसका उद्देश्य एक consistent national system मुहैया कराना था, जो प्लास्टिक की recycling को सुगम बना सके. तब से कुछ मामूली बदलावों से गुजरने के बाद RIC को worldwide standard plastic classification की मान्यता दी गई है. प्लास्टिक के 7 प्रकार निम्नलिखित हैं:

1. Polyethylene Terephthalate (PET)

ये प्लास्टिक polyethylene terephthalate से बने होते हैं. इसका अधिक उपयोग होने की वजह से इसे पहले स्थान पर रखा गया है. अधिकतर इसका इस्तेमाल खाने-पीने के सामान की packaging के लिए किया जाता है. क्योंकि यह ऑक्सीजन को अंदर आने से रोकने में अधिक सक्षम है और product को ख़राब होने से बचाता है.

आमतौर पर इस तरह के प्लास्टिक को सड़कों और फूटपाथ के साइड में चलने वाले recycling program के तहत उठाया जाता है. PET प्लास्टिक से बनने वाली बोतल दुनिया में सबसे ज्यादा recycle होने वाला प्लास्टिक है.

2. High Density Polyethylene (HDPE) 

यह एक अद्भुत प्रतिरोधी resin है, जिसका इस्तेमाल grocery bags, agriculture pipes, recycling bins, milk jugs इत्यादि के लिए किया जाता है. इसके अलावा खेल कूद से जुड़े उपकरण, शैम्पू की बोतलें, ढ़क्कन इत्यादि के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. यह लंबे unbranched polymer chain से बना होता है जो कि PET के मुकाबले मोटा होता है.

यह काफी कठोर होता है और किसी वस्तु से टकराने और गिरने की स्थिति में इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. इसके साथ ही यह बिना किसी प्रभाव के 120 °C तक के तापमान को भी सहन कर सकता है. बात की जाए इसके निपटारे की तो दुनिया के अधिकांश recycling centers इसे accept करते हैं, क्योंकि यह recycle के लिए सबसे आसान plastic polymer है.

3. Polyvinyl Chloride (PVC) 

Polyvinyl chloride दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा उत्पादित किया जाने वाला synthetic plastic polymer है. यह दो बेसिक फॉर्म में उपलब्ध है: rigid और flexible. Rigid रूप में PVC का सबसे ज्यादा इस्तेमाल building और construction industry में दरवाजे और खिड़कियों की आउटलाइन और पानी के लिए इस्तेमाल होने वाली पाइप बनाने के लिए किया जाता है.

जब इस प्लास्टिक को दूसरे substance के साथ मिक्स किया जाता है तो यह soft और अधिक flexible हो जाता है और इसे plumbing, wiring इत्यादि के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है.

यह काफी हल्का, मजबूत और आसानी से इस्तेमाल में लाया जाने वाला होता है. इसलिए PVC अनेक पारंपरिक कार्यों में building materials की जगह ले रहा है, जैसे लकड़ी, धातू, रबड़, कंकरीट इत्यादि. लेकिन PVC को recycle करना काफी मुश्किल होता है इसलिए जितना संभव हो सके इसे avoid करना चाहिए.

4. Low Density Polyethylene (LDPE)

यह एक soft, flexible और lightweight plastic material है. इसमें HDPE के विपरीत low density molecules हैं, जो इसे पतला और अधिक flexible design प्रदान करते हैं. सभी प्लास्टिक में इसका structure बहुत ही सिंपल है, जो इसके उत्पादन को आसान और सस्ता बनाता है.

इसका इस्तेमाल plastic bags, विभिन्न containers, cold drink के लिए बोतल और ज्यादातर plastic wrap के लिए किया जाता है.  

5. Polypropylene

Polypropylene दूसरा सबसे ज्यादा उत्पादित किया जाने वाला प्लास्टिक है, और अनुमान लगाया गया है कि यह आने वाले सालों में और ज्यादा बढ़ेगा. यह काफी सख्त और मजबूत होता है, इसलिए यह उच्च तापमान को झेल सकता है. यह container, कार के पार्ट्स, दही के container इत्यादि में पाया जाता है. इसका इस्तेमाल प्लास्टिक के कब्जे बनाने के लिए भी किया जाता है क्योंकि यह बार-बार मुड़ने पर कमजोर नहीं पड़ता.

6. Polystyrene

यह ठोस या फोमयुक्त प्लास्टिक हो सकता है. यह resin काफी सस्ता होता है और इसे आसानी से बनाया जा सकता है, इसलिए यह हर जगह आसानी से उपलब्ध हो जाता है. इसका इस्तेमाल cups, विद्युतरोधी (insulator) और egg carton और disposable dinnerware में packaging material के लिए किया जाता है.

इसे ज्यादातर Styrofoam के नाम से जाना जाता है जो कि अधिक ज्वलनशील और खतरनाक chemical छोड़ता है, खासतौर पर तब जब इसे गर्म किया जाता है. पर्यावरण के लिहाज से यह सबसे ख़राब प्लास्टिक में से एक है. क्योंकि यह biodegradable नहीं है और साथ में low specific gravity होने की वजह से यह हवा और पानी के साथ बह जाता है. ऐसे में जानवर इस प्लास्टिक को नहीं पहचान पाते और खाने की वस्तु समझ कर निगल जाते हैं, जिससे पक्षियों और समुद्री जीवों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. इस प्लास्टिक को curbside recycling program में accept नहीं किया जाता.

7. Other Plastic

अगर ऊपर बताए गए प्लास्टिक के 6 प्रकार में कोई प्लास्टिक मेल नहीं खा रहा है तो वह other plastic में शामिल किया जाता है. इस ग्रुप में सबसे बेहतरीन प्लास्टिक है Polycarbonates (PC), जिसका इस्तेमाल मजबूत और सख्त उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है. आमतौर पर polycarbonates का इस्तेमाल eye protection के लिए किया जाता है, जहां sunglasses, sport और safety goggles के लिए lenses बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा ये mobile phones और compact discs (CD) के लिए भी इस्तेमाल किए जाते हैं.

पिछले कुछ वर्षों से इन resins का इस्तेमाल विवादों में घिरा रहा. सबसे ज्यादा विवाद का कारण उच्च तापमान पर इससे bisphenol A का release होना था. एक ऐसा यौगिक जो पर्यावरण के लिए खतरनाक रसायनों की लिस्ट में शामिल हैं. इसके अलावा भूमि में गाड़ने पर BPA का decomposition नहीं होता है और यह केमिकल भूमि में बना रहता है और अंत में पानी के साथ शामिल होकर जलीय प्रदूषण का कारण बनता है. इस plastic को कभी भी recycle नहीं किया जा सकता.

प्लास्टिक की खोज कब और किसने की?

दुनिया में पहले मानव निर्मित प्लास्टिक का निर्माण अलेक्जेंडर पार्क्स द्वारा किया गया था, जिन्होंने सन 1962 में इसे लंदन की एक महान अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में शामिल किया. इस प्लास्टिक को Parkesine के नाम से जाना जाता था, जिन्हें हाथी दांत और सींग के विकल्प के तौर पर बेचा गया. इसकी खोज पार्क्स द्वारा अनजाने में हुई जब वे waterproofing के लिए shellac के एक synthetic विकल्प को develop कर रहे थे. हालांकि, parkesine इतना सफल नहीं हुआ लेकिन man made plastic के विकास में यह पहला महत्वपूर्ण कदम था.

दुनिया के पहले पूरी तरह से synthetic plastic का आविष्कार 1907 में लियो बेकलैंड द्वारा किया गया था. इस उत्पाद को Bakelite के नाम से जाना जाता है. लियो बेकलैंड ने इस प्लास्टिक के निर्माण के लिए फीनॉल और फार्मेल्डिहाइड की अभिक्रिया में कुछ परिवर्तन किया. आज इस प्लास्टिक का उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है. बेकलैंड के नाम पर ही इस प्लास्टिक का नाम बेकेलाइट रखा गया.

प्लास्टिक की खोज में और भी कई वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इन सब की बदौलत ही आज प्लास्टिक का उपयोग इतने व्यापक स्तर पर हो रहा है.

Plastic के फायदे

प्लास्टिक के बहुत सारे फायदे और इस्तेमाल हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

1. इसकी उत्पादन कीमत काफी कम होती है.

2. यह काफी हल्का होता है.

3. इसे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है.

4. इसे पारभासी, पारदर्शी और अपारदर्शी किसी भी उद्देश्य के लिए बनाया जा सकता है.

5. इसमें जंग नहीं लगता.

6. यह ऊष्मा (heat) और विद्युत का कुचालक है.

7. इसका इस्तेमाल सड़क, तार, पाइप, बर्तन इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है.

8. प्लास्टिक का इस्तेमाल भवनों के निर्माण कार्यों के लिए भी किया जाता है.

प्लास्टिक किस प्रकार मनुष्य के लिए खतरा बनता जा रहा है?

plastic pollution

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि प्लास्टिक के उपयोग ने मनुष्य के जीवन को बहुत सरल बना दिया है. लेकिन इसका व्यापक स्तर पर उपयोग होने की वजह से यह अब धरती पर रहने वाले प्रत्येक जीव के लिए खतरा बनता जा रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में प्रत्येक दिन 9205 टन प्लास्टिक का कचरा जमा होता है और इसे recycle किया जाता है. इसके साथ ही करीब 6100 टन ऐसा प्लास्टिक कचरा होता है, जो धरती पर स्थित नदी, नालों और पर्वतों पर ही पड़ा रहता है. एक रिपोर्ट के अनुसार अकेला भारत देश हर वर्ष 56 लाख टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है. यह हमारे लिए बहुत ही शर्म की बात है. और इसमें लगभग आधा प्लास्टिक कचरा ऐसा है जो ठीक से इकट्ठा भी नहीं हो पाता है. इसका नतीजा ये है कि हमारी नदियाँ, पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र दिनों-दिन गंभीर रूप से जहरीले होते जा रहे हैं. और इस प्लास्टिक कचरे से केवल भारत ही नहीं अपितु पूरा विश्व ही परेशान है. पुरे विश्व में प्रतिवर्ष 10 खरब प्लास्टिक बैग इस्तेमाल कर बाहर फैंक दिए जाते हैं. इसका मतलब प्रत्येक मिनट में 10 लाख प्लास्टिक बैग कचरे के तौर पर बाहर फेंक दिए जाते हैं. इसका अधिकांश हिस्सा ना तो recycle होता है और ना ही किसी अन्य काम के लिए इकट्ठा किया जा सकता है. 

यह सारा कचरा हमारी धरती पर बिना नष्ट हुए यूहीं पड़ा रहेगा और धरती पर रहने वाले अमुल्य और दुर्लभ पशु-पक्षी, मनुष्य और वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाता रहेगा. इसका अधिकतर भाग नदी-नालों के पानी के साथ बहकर महासागरों में इकट्ठा हो जाता है. इस प्रदूषण के कारण महासागरों की स्थिति बहुत ख़राब होती जा रही है. प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में आप नीचे पढ़ सकते हैं.

प्लास्टिक से होने वाले नुकसान

1. प्लास्टिक के natural decomposition में 400 से 1000 वर्ष का समय लग सकता है और कुछ प्लास्टिक non-degradable भी होते हैं.

2. प्लास्टिक के पदार्थ जलमार्गों, महासागरों, समुद्रों, झीलों आदि को अवरुद्ध करते हैं. समुद्री स्तनधारी प्रजातियों में 3 में से एक समुद्री कचरे में फंसा हुआ मिलता है.

3. बहुत सारे जानवर और पशु प्लास्टिक खाने से मर जाते हैं. 90 प्रतिशत से ज्यादा समुद्री पक्षियों के पेट में प्लास्टिक के टुकड़े पाए जाते हैं.

4. प्लास्टिक का ज्यादातर इस्तेमाल packaging के लिए किया जाता है. प्लास्टिक container में रखे भोजन खाने से कैंसर जैसी बीमारियां पैदा हो सकती है.

5. प्लास्टिक के बनने और recycling के दौरान जहरीली गैसें और अवशेष पैदा होते हैं जिससे हवा और पानी दोनों दूषित होते हैं.

6. कुछ additives जैसे कि phthalates इत्यादि को प्लास्टिक में मिलाया जाता है ताकि इसकी संरचना को रोका जा सके. ये इंसानों में गंभीर हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकते हैं.

7. प्लास्टिक से आग संबंधित खतरों की संभावनाएं अधिक होती है.

8. प्लास्टिक को recycle करने में अधिक खर्च आता है.

9. प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल भी पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक है इसलिए दुनिया में कई देशों में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है.

प्लास्टिक प्रदूषण को कैसे रोकें?

plastic recycling

प्लास्टिक प्रदूषण को निम्नलिखित तरीकों से रोका जा सकता है:

खुद को disposable plastics से दूर रखने की कोशिश करें. आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली 90% प्लास्टिक की चीजें ऐसी हैं जिन्हें हम एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक देते हैं. जैसे कि कॉफ़ी कप के ढ़क्कन, किराना बैग इत्यादि. इन सब की जगह ऐसी चीजों का इस्तेमाल करें जिन्हें दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सके. उदाहरण के लिए सामान खरीदने के लिए स्टोर जाएं तो खुद का बैग लेकर जाएं, ऑफिस में स्टील या चाँदी का बर्तन लेकर जाएं इत्यादि.

खाना खुद ही बना कर खाएं. ऐसा करने पर आपको प्लास्टिक container या bag फेंकने की जरूरत नहीं होगी. और जब भी आप बाहर से खाने का कुछ आर्डर करते हैं या खुद बाहर खाने जाते हैं तो होटल वालों को कहें की प्लास्टिक के कांटा-छुरी ना दें और हो सके तो खुद के food-storage container लेकर ही restaurants में जाएं.

नए खिलौने और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की जगह secondhand का इस्तेमाल करें. हमें ऐसे stores की तलाश करनी चाहिए जहां secondhand सामान बिकता हो या किसी पड़ोसी से या ऑनलाइन साइट्स से ऐसे सामान देखने चाहिए जो इस्तेमाल होने के बाद भी अच्छी condition में हैं. इसके साथ ही आपके पैसों की बचत भी हो जाएगी.

हमें प्लास्टिक की बोतल में आने वाला पानी नहीं खरीदना चाहिए. एक स्टडी के अनुसार दुनिया में हर साल 20 billion प्लास्टिक की बोतलों को कूड़े में फेंका जाता है. यह प्लास्टिक प्रदूषण का बहुत बड़ा स्त्रोत है. इसलिए जब भी बाहर कहीं घूमने जाएं अपने साथ एक reusable बोतल जरूर रखें. अगर आपको लगता है कि पानी अच्छा नहीं मिल सकता है किसी जगह तो एक ऐसा मॉडल लें जो built-in filter के साथ आता है.

हमें microbeads वाले उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए. बहुत सारे beauty products में छोटे प्लास्टिक scrubbers पाए जाते हैं जैसे कि facial scrub, toothpaste और body washes, ये दिखने में हानिकारक नहीं लगते लेकिन इनका छोटा आकार water treatment plant से भी निकल जाता है. दुर्भाग्य से ये भी समुद्री जीवों को भोजन की तरह दिखते हैं और वे इन्हें निगल जाते हैं.

हमें ऐसे container के साथ ही सामान खरीदना चाहिए जिन्हें recycle किया जा सके. दुनियाभर में 14 प्रतिशत से कम प्लास्टिक ही recycle किया जाता है यानी कि हम अभी भी recycling के प्रति इतने गंभीर नहीं हैं. इसलिए recycle होने वाले plastic container को कूड़े में नहीं फेंकना चाहिए और उन्हें recycle के लिए दिया जाना चाहिए.

ऐसे सामान जिन्हें आप बार-बार खरीदते हैं जैसे कि यात्रा के दौरान प्रसाधन सामग्री (toiletries), nuts के छोटे पैकेट इत्यादि को छोटी पैकिंग में खरीदने की बजाय बल्क में खरीदना चाहिए ताकि कम-से-कम प्लास्टिक container इकट्ठे हों.

प्लास्टिक की उम्र कितनी होती है?

प्लास्टिक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने के कारण इसका निपटारा करना दुनिया के लिए एक गंभीर चुनौती है. प्लास्टिक का नष्ट होना 500 से 700 साल बाद शुरू होता है और प्लास्टिक को पूरी तरह से नष्ट होने में 1000 साल का समय लगता है.

Conclusion

मैं उम्मीद करता हूँ आपको मेरा यह लेख “Plastic क्या है और कैसे बनता है जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है plastic in hindi से जुड़ी हर जानकारी को सरल शब्दों में explain करने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी website पर जाने की जरूरत ना पड़े.

अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे social media networks जैसे whatsapp, facebook, telegram इत्यादि पर share जरूर करें.

Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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