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क्या है राइट टू रिपेयर, जाने इससे मिलने वाले फायदों के बारे में

राइट टू रिपेयर क्या है? आज के समय में इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम ले लीजिये या ऑटोमोबाइल, हर ओर आपको इनके करोड़ों आइटम अलग अलग डिजाइन में मिलेंगे जिन पर अलग अलग लोगों का अधिकार होगा. कहने का अर्थ यह हुआ कि आज के समय में काम को करने के तौर तरीके बदल चुके हैं (Right to Repair in Hindi) और उसी के अनुसार ही हमें तरह तरह के प्रोडक्ट्स को खरीदना पड़ता है और उनका अपने दैनिक जीवन के अनुसार उपयोग करना होता है.

आपके पास या आपके घर में भी ऐसी कई तरह की वस्तुएं होंगी जिन्हें आपने हाल फिलहाल में या कुछ महीनों या वर्षों पहले खरीदा होगा. अब जब चीज़ों को ख़रीदा जाता है तो हर कंपनी उसके साथ कुछ समय अवधि के लिए गारंटी या वारंटी देती है, किन्तु उसी के साथ ही वह कंपनी यह शर्त भी रखती है कि उस चीज़ में कोई खराबी आने पर आप उसी कंपनी से ही उसे ठीक करवा सकते हैं. फिर चाहे उसके लिए कितनी भी कीमत निर्धारित की गयी हो अन्यथा उस उत्पाद की वारंटी खत्म हो जाएगी.

इसी को देखते हुए ही तथा कुछ अन्य नुकसान और फायदों का आकलन करने के पश्चात ही उपभोक्ता मंत्रालय के द्वारा एक नया बिल पेश किया गया, जिसे मरम्मत का अधिकार यानी राइट टू रिपेयर का नाम दिया गया. इसके अनुसार ग्राहक अपने द्वारा खरीदी गयी किसी चीज़ को उसी कंपनी से ठीक करवाने की बजाये उसे स्वयं या अन्य किसी थर्ड पार्टी से ठीक करवा सकता है और फिर भी उसकी वारंटी खत्म नहीं होगी.

इसी के साथ ही राइट टू रिपेयर में कई अन्य प्रावधान भी जोड़े गए हैं और बहुत सारी चीज़ों को बताया गया है. आज हम आपके साथ इस लेख के माध्यम से राइट टू रिपेयर के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं ताकि आप अपने को मिले इन अधिकारों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर सकें. आइये जाने राइट टू रिपेयर क्या है.

राइट टू रिपेयर क्या है? (Right to Repair in Hindi)

right to repair in hindi

सबसे पहले बात करते हैं राइट टू रिपेयर की परिभाषा की ताकि आपको इसमें किसी तरह का संशय ना रहे. तो राइट टू रिपेयर के द्वारा भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि आप बताए गए क्षेत्र में से किसी उत्पाद को खरीदते हैं और उसकी वारंटी अभी समाप्त नहीं हुई है, लेकिन उससे पहले ही उसमें कोई खराबी आ जाती है जिस कारण आप इसका इस्तेमाल करने में दुविधा का सामना करते हैं तो यह आवश्यक नहीं है कि आप उस उत्पाद को लेकर पुनः उसी कंपनी में जाए और उसको ठीक करने को कहे.

बहुत बार यह देखने को मिलता है कि वह कंपनी बाजार मूल्य से अधिक चार्ज आपसे ले रही होती है, जबकि आप उसे स्वयं अपने घर पर ही या अन्य किसी थर्ड पार्टी के माध्यम से कम पैसों में ठीक करवा सकते हैं. अब यदि आप राइट टू रिपेयर के तहत इसे किसी अन्य पार्टी से ठीक करवाते हैं तो ऐसी स्थिति में आपके उत्पाद की वारंटी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और वह पहले की भांति ही जारी रहेगी.

तो राइट टू रिपेयर के तहत उपभोक्ता को अपने द्वारा ख़रीदे गए उत्पाद में कोई खराबी आने पर यह स्वतंत्रता प्रदान की जाती है कि वह उस उत्पाद को उसी की निर्माता कंपनी से लेकर किसी थर्ड पार्टी से भी उसे ठीक करवा सकता है और इससे उसके प्रोडक्ट की वारंटी में कोई अंतर नहीं आने वाला है.

राइट टू रिपेयर की शर्तें

भले ही राइट टू रिपेयर आपको अपनी मर्जी से कहीं से भी अपने उत्पाद की मरम्मत करवाने की इजाजत देता हो, लेकिन इसकी भी एक शर्त है जिसे आपको फॉलो करना होगा अन्यथा आपके प्रोडक्ट की वारंटी समाप्त हो जाएगी. शर्त है कि मरम्मत के दौरान आपको अपने डिवाइस में ओरिजिनल पार्ट्स का ही इस्तेमाल करना होगा. यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके डिवाइस की वारंटी खत्म हो जाएगी.

राइट टू रिपेयर पोर्टल

सरकार द्वारा राइट टू रिपेयर पोर्टल भी लॉन्च किया गया है, जहां आप वारंटी और रिपेयर के नियमों की पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं. इस पोर्टल पर आपको ऑथोराइज्ड पार्टी रिपेयर प्रोवाइडर्स की जानकारी मिलेगी. आप पोर्टल से जानकारी लेकर अपने नजदीकी repairing center से प्रोडक्ट को रिपेयर करवा सकते हैं. 

राइट टू रिपेयर में कौन से प्रोडक्ट हैं शामिल?

अब आपका अगला प्रश्न होगा कि आखिरकार ऐसे कौन कौन से प्रोडक्ट या कंपनियां हैं जो राइट टू रिपेयर के दायरे में आते हैं ताकि आप उन्हें स्वयं या अन्य किसी थर्ड पार्टी से ठीक करवा सकें. तो इसमें उपभोक्ता मंत्रालय के द्वारा 4 तरह की श्रेणियों के उत्पादों को शामिल किया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:

  • मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक्स
  • कृषि से संबंधित उत्पाद या उपकरण
  • उपभोक्ता के लिए टिकाऊ वस्तुएं
  • ऑटोमोबाइल का सामान

अब इनमे आपके मोबाइल, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, कार, स्कूटर, बाइक, कंप्यूटर, लैपटॉप, टैब, एसी इत्यादि सभी तरह के उपकरण या उत्पाद आ जाते हैं जिनमे खराबी आ सकती है. ऐसे में यदि ये ख़राब हो जाते हैं तो आप उसे किसी थर्ड पार्टी से बिना वारंटी की चिंता किये रिपेयर करवा सकते हैं.

राइट टू रिपेयर बिल क्यों लाया गया?

राइट टू रिपेयर बिल के बारे में जानने के साथ साथ आपको यह भी पता होना चाहिए कि आखिरकार भारत सरकार को इस तरह के बिल को लाने की क्या जरुरत पड़ गयी. तो वैसे तो इसको लेकर कई तरह के कारण थे लेकिन उनमें से कुछ प्रमुख कारणों को हम आपके सामने रखेंगे.

  • भारत में लगातार इलेक्ट्रॉनिक्स व ऑटोमोबाइल जैसी कंपनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ती ही जा रही है और इसी प्रतिस्पर्धा को देखते हुए हर कंपनी यह चाहती है कि उसके ज्यादा से ज्यादा ग्राहक बने. इसी कारण वह पुराने प्रोडक्ट को ख़राब होने पर नए प्रोडक्ट को खरीदने के लिए प्रोत्साहित करती है. अब यह काम कम हो जाएगा और ग्राहक आसानी से अपना प्रोडक्ट रिपेयर करवा पायेगा.
  • देशभर में हर दिन के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स कचरा बढ़ता ही जा रहा था और यह प्रदूषण का भी बहुत बड़ा कारण बन रहा था. ऐसे में पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स को ठीक करवाना बहुत जरुरी था, जिसके लिए यह राइट टू रिपेयर बिल लाया गया.
  • इससे ग्राहकों को अपनी पसंद के व्यक्ति या कंपनी के साथ उस प्रोडक्ट को ठीक करवाने का भी विकल्प मिल जाता है और उसके पैसे भी बच जाते हैं.
  • लोगों के द्वारा बिना मतलब के चीज़े खरीदने और पैसा व्यर्थ करने पर भी इस बिल के द्वारा लगाम लगायी जा सकेगी और उत्पादों का इस्तेमाल लम्बे समय तक हो सकेगा.
  • कई अन्य विकसित देश इस तरह के बिल को बहुत पहले ही पेश कर चुके हैं, जिसमे अमेरिका व यूरोप के कई देश शामिल है. ऐसे में भारत देश को भी यह बिल जल्दी से जल्दी लाना था, ताकि लोगों के अधिकारों की रक्षा की जा सके.

राइट टू रिपेयर बिल के फायदे

अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि भारत सरकार के द्वारा पेश किये गए इस राइट टू रिपेयर बिल के क्या कुछ फायदे लोगों को देखने को मिल सकते हैं. इससे आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि आखिरकार क्यों इस तरह के बिल का इतना महत्व है और लोगों को असलियत में इससे क्या कुछ फायदे मिल पाएंगे.

  • इसका सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि लोगों के द्वारा ख़रीदे गए अपने उत्पाद में कमी आने पर या उसमे किसी तरह की खराबी आ जाने पर उनके पास यह विकल्प उपलब्ध होगा कि वे इसे उसकी निर्माता कंपनी से ही ठीक करवाना चाहते हैं या फिर वे अपनी सहूलियत के अनुसार इसे कहीं और से ठीक करवाना पसंद करते हैं.
  • इससे अवश्य ही लोगों के पैसों में भी बचत होगी, क्योंकि जहाँ विकल्प होते हैं वहां प्रतिस्पर्धा भी बहुत बढ़ जाती है. ऐसे में उन्हें ना तो लूटा जा सकेगा और ना ही उनके ऊपर किसी तरह का कोई प्रतिबंध लागू होगा.
  • अब जब लोगों के द्वारा अपने उत्पादों को रिपेयर करवाने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों की बजाय आसपास के रिपेयर शॉप पर जाया जाएगा तो इससे लोकल दुकानदारों का भी उत्साह बढ़ेगा और उनकी कमाई में वृद्धि देखने को मिलेगी.
  • यह किसी भी उत्पाद को छोटी अवधि तक चलने की बजाय एक लम्बे समयकाल तक चलने में भी बहुत मदद करेगा, जिससे देश को ई वेस्ट कम करने में मदद मिलेगी.

Conclusion

इस तरह से राइट टू रिपेयर बिल के तहत कई तरह के फायदे देखने को मिलते हैं और यह हर तरह से ग्राहकों को अधिक अधिकार देने के साथ-साथ उनके लिए आर्थिक रूप से भी बढ़िया बिल है. उम्मीद है आपको हमारा यह लेख “राइट टू रिपेयर क्या है” जरूर पसंद आया होगा. हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है मरम्मत का अधिकार (Right to Repair in Hindi) से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें.

Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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