Homeसाइंसक्या है AREA-51 का रहस्य? UFO और एलियन से क्या है संबंध?

क्या है AREA-51 का रहस्य? UFO और एलियन से क्या है संबंध?

What is AREA-51 in Hindi. सन 1947 में Kenneth Arnold नामक एक अमेरिकी बिजनेसमैन UFOs देखने का एक सनसनीखेज दावा करता है. Arnold के अनुसार उन्हें अपना प्राइवेट प्लेन उड़ाते समय एक साथ 9 रहस्मयी वस्तुए उड़ती हुई नजर आती हैं, जो बड़ी ही तेजी के साथ आसमान में उड़ रही होती हैं, और उनकी स्पीड लगभग 2000 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है. इस घटना के बाद अमेरिका में UFO देखे जाने की घटनाओं की बाढ़ आ जाती है और बड़ी संख्या में लोग रहस्मयी वस्तुएं उड़ती हुई देखने का दावा करने लगते हैं. 

इसी बीच सामने आती है रोसवेल की घटना जहां एक किसान को अपने खेत में कुछ अजीबोगरीब मलबा नजर आता है, जो देखने में किसी ऐसे मटेरियल का लग रहा था मानों धरती का था ही नहीं. इस घटना के बाद लोग UFO और एलियन होने की बातों पर पूरी तरह से विश्वास करने लगते हैं. लोग मानने लगते हैं कि एलियन अपने विमान से हमारी पृथ्वी पर आ रहे हैं और यूएस आर्मी उन्हें पकड़कर किसी गोपनीय जगह पर उनकी टेस्टिंग कर रही है. लोगों के अनुसार आज भी वो एलियन उस जगह पर कैद है, ताकि उनके जरिए alien technology को reverse engineer किया जा सके और एलियन लाइफ पर रिसर्च की जा सके. और इस गोपनीय जगह का नाम है AREA-51.

आज के इस लेख में हम आपको AREA-51 क्या है, इस जगह का रहस्य क्या है और क्या सच में यहां UFOs और एलियन मौजूद हैं? इन सब सवालों के जवाब देंगे. तो आइए आगे बढ़ते है और जानते हैं AREA-51 के रहस्य के बारे में.

AREA 51 क्या है? – What is AREA-51 in Hindi

kya hai area-51 ka rahsya

एरिया 51 अमेरिकी वायुसेना के एक गुप्त सैन्य अड्डे का उपनाम है, जो पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी नेवादा में ग्रूम झील पर स्थित है. इसे 1950 के दशक से एक मिलिट्री टेस्ट फैसिलिटी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. ये जगह उच्च सुरक्षा से लैस है और यहां हर किसी को जाने की परमिशन नहीं है. एरिया-51 को लेकर लोगों की अलग अलग धारणाएं हैं. कुछ लोग इसे एलियन का बेस मानते हैं, तो कुछ का मानना है कि इस एयरबेस पर नए विमानों और हथियारों का परीक्षण किया जाता है. वहीं कुछ लोगों को कहना है कि यहां दूसरी दुनिया से आए UFO की स्टडी की जाती है और उन्हें reverse engineering के जरिए दोबारा तैयार किया जाता है. 

इस रहस्यमयी जगह के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन कुछ जानकारियां जरूर सामने आई हैं. 2013 से पहले CIA, जो अमेरिका की गुप्तचर संस्था है, इस फैसिलिटी के वजूद को मानने से इनकार करती रही. लेकिन बाद में सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम के तहत 2005 में किए गए अनुरोध के बाद 2013 में CIA ने इसे स्वीकार किया.

एरिया-51 कहां मौजूद है?

एरिया-51 ऊंचे रेगिस्तान के भीतर पहाड़ों के एक घेरे में छुपी जगह है, जो कि नेलिस मिलिट्री ऑपरेशंस एरिया का एक हिस्सा है. मूल रूप से इसे “साइट-II” या “द रैंच” के रूप में जाना जाता है. यह लास वेगास से लगभग 134 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में सूखी ग्रूम झील के किनारे पर, दक्षिणी नेवादा में स्थित है. एरिया-51 के नजदीक केवल एक छोटा सा गांव है, जिसका नाम रेचल, नेवादा है. इस गाँव में रहने वाले लोगों की संख्या 60 से भी कम है, और इसकी दूरी लास वेगास से करीब 240 किलोमीटर है. इस गाँव के अलावा एरिया-51 के आस-पास कोई दूसरा गाँव या शहर नहीं है, चारों और केवल रेगिस्तान नजर आता है.

एरिया-51 को एलियन से क्यों जोड़ा जाता है?

एयरबेस की गोपनीयता ने बहुत सारी अफवाहों को जन्म दिया. एरिया-51 को “रोसवैल घटना” के बाद से एलियनों से जोड़कर देखा जाने लगा. रोसवेल घटना UFO से जुड़ी इतिहास की सबसे चर्चित घटनाओं में से एक है और इसे सभी UFO घटनाओं की जननी कहा जाता है. सन 1947 में संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई देशों में उड़न तश्तरी की चर्चाएं जोरों पर थी. इसी बीच जून के महीने में मेक्सिको के रोसवेल में एक W.W. Mac Brazel नामक किसान को अपने खेत में कुछ असामान्य मलबा प्राप्त होता है, जिसमें टिनफ़ोइल, रबर स्ट्रिप्स और स्टिक्स शामिल होती हैं. इसके बाद वह इस मलबे को रोसवेल के प्रधान के पास लेकर जाता है, और फिर वह प्रधान रोसवेल आर्मी एयर फील्ड (RAAF) से संपर्क करता है. 

RAAF इस मलबे को अपने कब्जे में ले लेता है और फिर प्रेस कांफ्रेंस कर एक चौंकाने वाला बयान देता है, जिसमें कहा जाता है कि एक स्थानीय खेत से एक फ्लाइंग डिस्क जब्त हुई है. तब लोग मानने लगे कि खेत से प्राप्त उस एलियन संबंधित मलबे को AREA-51 में स्टडी के लिए ले जाया गया है. इस घटना के बाद से एरिया-51 को एलियन से जोड़ कर देखा जाने लगा. लेकिन इससे अगले ही दिन मिलिट्री अपने बयान से पलट जाती है और कहती है कि असल में यह तश्तरी एक मौसम संबधी सूचना एकत्रित करने वाला गुब्बारा था. लेकिन अधिकतर लोग गुब्बारे वाली बात से सहमत नहीं होते हैं, यहां तक कि Brazel भी RAAF के इस बयान से सहमत नहीं थे, क्योंकि उनके अनुसार मलबा किसी ऐसे मटेरियल का था जो धरती पर बना नहीं लग रहा था..

सन 1989 में एक Robert Lazar नामक व्यक्ति सामने आता है, जो खुद को भौतिक विज्ञानी करार देते हुए दावा करता है कि उसने US Military के लिए एरिया-51 में एक alien spacecraft पर reverse engineering के लिए काम किया है. साथ ही वह अमेरिकी सरकार के ब्रीफिंग दस्तावेजों को भी पढ़ने का दावा करता है, जिनमें पिछले 10000 वर्षों में मानवीय मामलों में एलियन भागीदारी का वर्णन किया गया है. उसके ये दावे पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरते हैं. रॉबर्ट के पास ना तो एलियन टेक्नोलॉजी के सबूत होते हैं और ना ही भौतिक विज्ञानी होने और यूएस मिलिट्री के लिए काम करने का कोई रिकॉर्ड होता है. इसलिए उसके दावों को पूरी तरह से फेक करार दिया जाता है. लेकिन रॉबर्ट के दावे एरिया-51 पर अतिरिक्त लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं और इसकी वर्गीकृत गतिविधियों के आस-पास conspiracy theories को जन्म देते हैं.

AREA-51 का इतिहास

एरिया-51 की सच्चाई जानने से पहले इसके इतिहास को समझना जरूरी है. असल में एरिया-51 को कोल्ड वार के समय में बनाया गया था, जब सोवियत यूनियन संघ और अमेरिका के बीच हथियारों को लेकर होड़ मची हुई थी. इसे विमानों की टेस्टिंग और डेवलपमेंट फैसिलिटी के तौर पर बनाया गया था. यानी हवाई जहाजों की टेस्टिंग के लिए. 

1953 में अमेरिका के राष्ट्रपति Dwight D. Eisenhower एक ऐसी जगह की मांग करते हैं जहां उच्च-ऊंचाई पर उड़ने वाले जासूसी विमानों की गोपनीय तरीके से टेस्टिंग की जा सके. अमेरिका इन जासूसी विमानों का इस्तेमाल सोवियत यूनियन के परमाणु हथियारों की जासूसी के लिए करना चाहता था.

ऐसा इसलिए क्योंकि सोवियत संघ ने 1949 में अपना पहला एटॉमिक बम टेस्ट किया था, और अमेरिका के लिए यह पता लगाना लगभग नामुमकिन था कि असल में उस देश के अंदर हो क्या रहा है. क्योंकि अमेरिका के पास ये पता लगाने के लिए सॅटॅलाइट्स नहीं थे. इसलिए वह फैसला करता है ऐसे विमान बनाने का जो इतनी ऊंचाई पर उड़ सके कि उन्हें पकड़ पाना नामुमकिन हो. इसी कोशिश के साथ एक स्पाई एयरक्राफ्ट Lockheed U-2 बनाया जाता है, जो एक बार ईंधन भरने के बाद 4800 किलोमीटर तक चल सकता था और 21000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ने में सक्षम था. यह विमान अपने साथ 320 किलो के उच्च क्षमता वाले कैमरा लेकर चल सकता था. ये एक ऐसा विमान था जिसे किसी रडार या एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल से पकड़ पाना मुमकिन नहीं था.

u2 spy aircraft

अगले कुछ सालों तक अमेरिका इस स्पाई प्लेन की मदद से सोवियत संघ पर जासूसी करने में सफल रहता है. लेकिन 1 मई 1960 को सोवियत संघ एक U-2 विमान को अपनी मिसाइल के जरिए मार गिराता है. ऐसे में अमेरिकी सरकार को मजबूरन इस बात को स्वीकार करना पड़ता है कि वे सोवियत संघ पर जासूसी कर रहे थे.

इसके बाद सरकार मिलिट्री को दोबारा से एक ऐसा जासूसी विमान बनाने के लिए कहती है जो U-2 से भी अधिक तेज और ज्यादा ऊंचाई पर उड़ सके और उसे पकड़ पाना नामुमकिन हो. और फिर तैयार किया जाता है Lockheed SR-71 Blackbird, जो आज के दिन भी दुनिया का सबसे तेज गति से उड़ने वाला विमान है. जिसकी अधिकतम स्पीड 3400 किलोमीटर प्रति घंटा है. यह 24000 मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ सकता है, जिसे पकड़ पाना किसी भी टेक्नोलॉजी से मुमकिन नहीं था. ऐसे विमानों को सीक्रेट रखना बेहद जरूरी होता है और इनके परीक्षण के लिए ऐसी जगह की जरूरत होती है जिसके बारे में किसी को भी पता ना चल सके. उस समय ऐसी सीक्रेट जगह के तौर पर एरिया-51 का चुनाव किया जाता है.

CIA ने एरिया-51 को लेकर क्या कहा?

दशकों तक एरिया-51 के आसपास गोपनीयता रखने के बाद आखिरकार वो दिन आता है जब CIA इस ख़ुफ़िया जगह से पर्दा हटाती है. जून 2013 में CIA, 2005 में सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम के तहत (भारत में आरटीआई की तरह) किए गए अनुरोध के जवाब में 400 पेजों की एक CIA हिस्ट्री ऑनलाइन जारी करता है, जिसमें पहली बार AREA-51 के बारे में आधिकारिक तौर पर जिक्र किया जाता है.

सीआईए इतिहास का दूसरा चैप्टर बताता है कि कैसे Richard Bissell, एक CIA ऑफिसर जो उस समय U-2 विमान के डेवलपमेंट की देखरेख कर रहे थे, पहली बार अप्रैल 1955 में अपने तीन सहयोगियों के साथ नवादा पर जासूसी विमानों की टेस्टिंग के लिए साइट देखने निकलते हैं.

area-51 highway rachel

वे अपने विमान को एक पुरानी हवाई पट्टी के समीप लैंड करते हैं, जो कि नवादा टेस्ट साइट के नजदीक ग्रूम लेक नामक जगह पर मौजूद होती है. यह कभी एक परमाणु परीक्षण स्थल होता था, जिसे परमाणु ऊर्जा आयोग द्वारा नियंत्रित किया जाता था. Bissell का ग्रुप सहमति व्यक्त करता है कि ग्रूम झील U-2 विमान के परीक्षण और इसके पायलटों के प्रशिक्षण के लिए एक उचित स्थल है. बिसेल परमाणु ऊर्जा आयोग से क्षेत्र को अपने नवादा रियल एस्टेट होल्डिंग्स में जोड़ने के लिए कहते हैं. परमाणु ऊर्जा आयोग आसानी से सहमत हो जाता है और राष्ट्रपति Eisenhower नवादा टेस्ट साइट के लिए बंजर भूमि की इस पट्टी को जोड़ने की मंजूरी दे देते हैं, जिसे मैप में एरिया-51 के नाम से जाना जाता है. 

CIA द्वारा जारी किए गए हिस्ट्री डॉक्यूमेंट्स में कहीं पर भी एलियन या अन्य किसी कांस्पीरेसी थ्योरी का वर्णन नहीं किया गया था. आर्काइव के सीनियर सदस्य Jeffrey Richelson, वही शख्स जिन्होंने 2005 में CIA के इतिहास के बारे में पूछा था, बताते है कि CIA ने ऐसी किसी भी थ्योरी को मेंशन नहीं किया जो अलौकिक जीवन या एलियन के बारे में बताती हो. लेकिन वे एक पैसेज की तरफ इशारा करते हैं, जो U-2 और UFOs के बीच संबंध का जिक्र करता है “इस अर्थ में कि लोगों ने U-2s को एक समय में देखा था कि वे बहुत ही सीक्रेटीव और बहुत ऊंचाई पर थे और उन्हें नहीं पता था कि वे क्या थे, और इस अर्थ में वे UFO थे”. यानी लोग जानकारी के अभाव में इन गोपनीय जासूसी विमानों (U-2s) को किसी दूसरी दुनिया से आया विमान समझते थे.

यहां एक बात गौर करने लायक है कि UFO और इससे जुड़ी कांस्पीरेसी थ्योरी से सरकार को अपने सीक्रेट प्रोजेक्ट को छुपाने में पूरी मदद मिलती है. ऐसे लगता है जैसे मानों CIA जानबूझकर UFO का सहारा लेती है, इसिलिए वह अपने सीक्रेट मिशनों को पूरी दुनिया से छुपाने में कामयाब रहती है. ये ना ही UFO दिखने के दावे को पूरी तरह से अस्वीकार करती है और ना ही लोगों को सच बताती है. CIA के लिए अपने सीक्रेट प्रोग्रामों को गुप्त रखने का ये सबसे अच्छा तरीका था.

लोग उड़ने वाले जासूसी विमानों को UFOs समझते रहे. किसी को भी पता नहीं चला कि असल में वे अमेरिका के टॉप सीक्रेट मिलिट्री एयरक्राफ्ट हैं. यही कारण था कि रोसवेल घटना की जो उड़न तश्तरी वाली झूठी कहानी थी उसे एक दिन के लिए पूरी हवा दी जाती है, ताकि मीडिया में यह खबर अच्छे से फ़ैल जाए. होता भी यही है, लेकिन CIA इस बात को भी भली-भांति जानती थी कि यदि सरकार इस बात को मान लेती है कि एलियन होते हैं और वो उन पर स्टडी कर रही है, तो हर तरफ भय का माहौल क्रिएट हो जाएगा. इसलिए अगले दिन मिलिट्री द्वारा बयान दिया जाता है कि वह कोई उड़न तश्तरी नहीं, बल्कि एक weather balloon था.

CIA के अनुसार एरिया-51 में अन्य टॉप-सीक्रेट एयरक्राफ्ट की टेस्टिंग की जा चुकी है, जिनमें Lockheed A-12 और Lockheed F-117 Nighthawk शामिल हैं.

Conclusion

अब तक मिली जानकारी के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि एरिया-51 अमेरिकी वायुसेना का एक परीक्षण एवं प्रशिक्षण स्थल है, जहां अमेरिका अपने टॉप-सीक्रेट विमानों की टेस्टिंग करता है. इस जगह के एलियन से जुड़े होने का कोई सबूत सामने नहीं आता है, इसलिए ये बातें मनगढ़त नजर आती हैं. फ़िलहाल एरिया-51 में क्या चल रहा है, इसकी जानकारी अमेरिकी सरकार द्वारा कहीं पर भी नहीं दी गई है. उम्मीद है आपको हमारा यह लेख “AREA-51 क्या है (AREA-51 in Hindi)” जरूर पसंद आया होगा. हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है एरिया-51 के रहस्य से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें

Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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