क्या आप जानते हैं ये 1G, 2G, 3G, 4G और 5G क्या होता है? अगर नहीं तो कोई बात नहीं. क्योंकि आज के इस आर्टिकल में आप इसी विषय के बारे में जानेंगे. स्मार्टफ़ोन आने के साथ ही हम लगातार “G” तकनीक के बारे में सुनते आ रहे हैं. कोई स्मार्टफ़ोन 2G तकनीक को सपोर्ट करता है तो कोई 3G और 4G को. अब तो 5G तकनीक भी लॉन्च हो चुकी है.
इस G का मतलब क्या होता है? इस सवाल का जवाब बहुत ही कम लोग जानते हैं. इसलिए आज के इस आर्टिकल में मैं 1G, 2G, 3G, 4G और 5G (Mobile Network Generation in Hindi) के बारे में जानकारी शेयर करूँगा. साथ ही आप 5G तकनीक क्या है और यह कैसे काम करती है के बारे में भी जानेंगे. तो चलिए बढ़ते हैं आगे और जानते हैं पूरी जानकारी हिंदी में.
1G, 2G, 3G, 4G और 5G क्या होता है? – What is 1G, 2G, 3G, 4G and 5G in Hindi
1G, 2G, 3G, 4G और 5G ये सब मोबाइल नेटवर्क की पाँच जनरेशन हैं. जहाँ G का मतलब जनरेशन (Generation) होता है और संख्या 1, 2, 3, 4, 5 जनरेशन नंबर को दर्शाती है. 1980 दशक के बाद से लगभग प्रत्येक दस वर्षों में एक मोबाइल नेटवर्क जनरेशन देखने को मिलती है.
1G नेटवर्क क्या है?
1G का मतलब है मोबाइल नेटवर्क की पहली जनरेशन जिसे ग्राहकों को basic voice सेवाएँ देने के लिए बनाया गया था. इसे विभिन्न analogue technologies के माध्यम से 1980 के दशक में शुरू किया गया. इसमें जिन technologies को शामिल किया गया था वो कुछ इस प्रकार हैं: AMPS (Advanced Mobile Phone System), C-Netz (Funktelefonnetz-C or Radio Telephone Network C), NMT (Nordisk MobilTelefoni or Nordic Mobile Telephone) और TACS (Total Access Communications System).
1G की प्रमुख विशेषताएँ
- यह पहली वायरलेस टेलिकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी थी.
- 1G जनरेशन नेटवर्क Analogue Technology पर काम करता था.
- इस तकनीक से 2.4 Kbps तक की इंटरनेट स्पीड मिलती थी.
1G की कमियां
- Voice calling की गुणवत्ता अच्छी नहीं थी.
- Voice call और text message सिक्योर नहीं थे.
- 1G के साथ आने वाले फ़ोन की बैटरी लाइफ बहुत कम थी.
- सेलुलर फ़ोन का आकार काफी बड़ा होता था.
- अधिक विश्वसनीयता नहीं थी.
2G नेटवर्क क्या है?
2G का मतलब है मोबाइल नेटवर्क की दूसरी जनरेशन जिसे 1G के स्थान पर replace किया गया. इन नेटवर्कों ने अत्यधिक सुरक्षित वॉयस और टेक्स्ट मैसेजिंग सेवाओं के साथ-साथ सीमित डेटा सेवाओं को सक्षम किया. 2G नेटवर्कों को 1990 के दशक में विभिन्न डिजिटल टेक्नोलॉजी के साथ दुनिया के कई हिस्सों में शुरू किया गया था.
इस दौरान voice calling और text messaging वो प्रमुख सेवाएँ थी जिनको 2G ने सक्षम बनाया. 2G के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला टेक्नोलॉजी स्टैण्डर्ड GSM था. इसके अलावा 2G को लॉन्च करने के लिए दो अन्य तकनीक D-AMPS और IS-95 का इस्तेमाल भी किया गया.
दूसरी जनरेशन के मोबाइल नेटवर्क्स के साथ दो नई एक्सेस तकनीक TDMA और CDMA का आगमन हुआ जिनके जरिए मोबाइल फ़ोन को मोबाइल नेटवर्क्स के साथ हवा के मध्यम से जोड़ा जा सकता था.
इसके बाद मोबाइल डाटा सेवाएँ प्रदान करने के लिए GSM नेटवर्क में GPRS और EDGE नेटवर्क की शुरुआत की गई. GPRS और EDGE को क्रमशः 2.5G और 2.75G भी कहा जाता है.
2G की प्रमुख विशेषताएँ
- 2G नेटवर्क में Analogue की जगह Digital signal का इस्तेमाल किया जाने लगा.
- 2nd जनरेशन के साथ SMS, MMS और Picture SMS जैसी मल्टीमीडिया सेवाएँ उपलब्ध हो गई.
- 2G से मिलने वाली डाटा स्पीड 64 Kbps के आसपास थी.
- Voice Call और Text Messages की सेवाएँ सिक्योर हो गई.
- यह जनरेशन GSM/CDMA पर आधारित थी.
2G की कमियां
- डिजिटल सिग्नल मजबूत ना होने की वजह से call disconnect अधिक होते थे.
- स्पीड कम होने की वजह से विडियो स्ट्रीमिंग नहीं होती थी.
- नेटवर्क कवरेज सही न होने की वजह से सिग्नल प्राप्त करने में दिक्कत आती थी.
3G नेटवर्क क्या है?
3G का मतलब है मोबाइल नेटवर्क की तीसरी जनरेशन. यहाँ 3G तकनीक के लिए दो प्रमुख ट्रैक हैं और ये दोनों ही CDMA टेक्नोलॉजी पर आधारित थे. पहला ट्रैक था Universal Mobile Telecommunications Systems (UMTS) और दूसरा CDMA 2000.
UMTS का इस्तेमाल 3G सेवा को GSM में माइग्रेट करने के लिए और CDMA2000 का इस्तेमाल IS-95 और D-AMPS में 3G तकनीक के लिए किया गया. UMTS नेटवर्क के डाटा रेट में वृद्धि देखी गई जब High-Speed Packet Access (HSPA) नामक तकनीक का इस्तेमाल किया गया. HSPA 14.4 Mbps तक की डाउनलिंक और 5.76 Mbps तक की अपलिंक स्पीड प्रदान कर सकता है. इसके बाद HSPA+ तकनीक को पेश किया गया जो डाटा रेट की वृद्धि कर 42 Mbps की डाउनलिंक और 11.5 Mbps की अपलिंक स्पीड प्रदान कर सकता था.
CDMA2000 डाउनलिंक और अपलिंक में 153 Kbps स्पीड तक के पीक डाटा रेट को सपोर्ट कर सकता था. बाद में इस स्पीड को EVDO (Evolution Data Optimized) के जरिए बढ़ाया गया जो की 14.7 Mbps तक की डाउनलोड स्पीड और 5.4 Mbps तक की अपलोड स्पीड प्रदान कर सकता है.
3G नेटवर्क की प्रमुख विशेषताएँ
- डाटा स्पीड बढ़कर 2.05 Mbps की हो गई.
- 3G तकनीक के आने के बाद डाटा और अधिक सुरक्षित हो गया और विश्वसनीयता बढ़ गई.
- 3G आने के बाद ऑडियो और विडियो स्ट्रीमिंग करना आसान हो गया और मल्टीमीडिया सेवाएँ उपलब्ध हो गई.
- इस जनरेशन में कम्युनिकेशन की गति में इजाफा हुआ.
- इस तकनीक के आने के बाद विडियो कांफ्रेंसिंग, मूवी स्ट्रीमिंग और टीवी स्ट्रीमिंग करना संभव हो गया.
- ब्राउज़िंग करना काफी फ़ास्ट और सुरक्षित हो गया.
- Fax और Powerpoint फाइलों के साथ-साथ Email भेजना और प्राप्त करना आसान हो गया.
3G की कमियां
- डाटा ट्रांसफर के लिए अधिक बैंडविड्थ का इस्तेमाल होता है.
- मोबाइल में पॉवर कंसम्पशन अधिक होता है.
- 3G की डाटा सर्विस काफी महंगी है.
- 3G नेटवर्क के base station को हर क्षेत्र में विकसित करना काफी चुनौती भरा काम था.
4G नेटवर्क क्या है?
4G का मतलब है मोबाइल नेटवर्क की चौथी जनरेशन. 4G को LTE नामक नई तकनीक के साथ सक्षम बनाया गया जिसका मतलब था मोबाइल नेटवर्क का Long Term Evolution (LTE). LTE, UMTS और CDMA2000 के साथ प्रमुख 3G तकनीकों के लिए स्थानांतरण पथ था. साथ ही WiMax तकनीक भी आई जो 4G अपग्रेड पथ प्रदान कर सकती थी लेकिन LTE दुनियाभर में 4G की तैनाती के लिए इस्तेमाल होने वाली प्रमुख तकनीक रही है. LTE को 3G तकनीक से ज्यादा कुशल है जो तेज गति के साथ डाटा ट्रांसफर करती है.
LTE लॉन्च होने के बाद LTE Advanced (LTE-A) और LTE Pro. को लॉन्च किया जो अधिक डाटा स्पीड प्रदान करती हैं. LTE डाउनलिंक में 300 Mbps तक की पीक स्पीड को सपोर्ट कर सकती है, जबकि LTE-A और LTE- Pro. क्रमशः 1 Gbps और 3 Gbps तक की अधिकतम स्पीड प्रदान कर सकते हैं.
औसतन 4G स्पीड पीक स्पीड से काफी कम होती है जो LTE के साथ 17 Mbps की और LTE Advanced के साथ 66 Mbps की होती है.
4G की प्रमुख विशेषताएँ
- इसकी स्पीड 3G के मुकाबले कई गुना अधिक होने की वजह से इंटरनेट की स्पीड (100 Mbps से 1 Gbps) बढ़ गई.
- मल्टीमीडिया सेवाएँ जैसे विडियो स्ट्रीमिंग और लाइव टीवी देखना काफी आसान हो गया.
- डाटा प्लान काफी सस्ता हो गया.
- हाई बैंडविड्थ होने की वजह से अत्यधिक उच्च कनेक्टिविटी और क्वालिटी voice प्राप्त हुई.
- 4G आने के बाद वायरलेस नेटवर्क अधिक सुरक्षित हो गया और विश्वसनीयता भी और बढ़ गई.
- बड़े साइज की फाइल भेजना काफी आसान और तेज हो गया.
4G की कमियां
- 4G तकनीक काफी महंगी है 3G की अपेक्षा.
- 4G नेटवर्क की कनेक्टिविटी विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सिमित है.
- मोबाइल फ़ोन में power consumption काफी अधिक होता है.
- डाटा consumption काफी तेजी के साथ होता है.
5G नेटवर्क क्या है?
यह मोबाइल नेटवर्क की पांचवी जनरेशन है, जो New Radio (NR) नामक नई तकनीक का इस्तेमाल करती है. यह तकनीक पहले वाली तकनीक से पूरी तरह से अलग है. यह केवल हाई स्पीड मोबाइल इंटरनेट सर्विस से कहीं ज्यादा है. विशेषज्ञों के अनुसार 5G तकनीक बहुत अधिक तेज और बड़ी संख्या में डिवाइस को सपोर्ट करने में सक्षम है जो कई इंडस्ट्रीज को डिजिटाइज कर सकती है.
इसे हाई और लो फ्रीक्वेंसी बैंड सहित विभिन्न फ्रीक्वेंसी बैंड पर ऑपरेट किया जा सकता है. 5G के लिए हायर फ्रीक्वेंसी बैंड में कवरेज सीमित होती है, लेकिन विलंब बहुत कम होता है (1 मिली सेकंड से भी कम) जो कि रियल डाटा सेवाओं के लिए काफी उपयुक्त है.
डाटा रेट के मामले में 5G डाउनलिंक में 10 Gbps से अधिक की पीक स्पीड प्रदान कर सकता है. 5G से जो औसतन स्पीड आपको प्राप्त होती है वह पीक स्पीड से काफी कम लेकिन 150 Mbps के आसपास होती है.
भौतिकी के नियमों के अनुसार लोअर फ्रीक्वेंसी बैंड में विलंबता (latency) अधिक होती है लेकिन कवरेज ज्यादा होती है. इसलिए व्यापक क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में 5G की तैनाती के लिए लोअर फ्रीक्वेंसी बैंड से फायदा मिल सकता है. हायर फ्रीक्वेंसी बैंड के साथ विलंबता कम होती है और इसलिए यह self driving cars, manufacturing, virtual reality (VR) और अन्य इंटरनेट सेवाओं के लिए काफी आदर्श है.
5G की प्रमुख विशेषताएँ
- 5G नेटवर्क में डाटा स्पीड 4G के मुकाबले कई गुना अधिक है.
- इस नेटवर्क में विलंब समय काफी कम होता है, जिससे रियल-टाइम-अनुभव मिलता है.
- इसकी पीक स्पीड 10 Gbps तक की हो सकती है, जो डिवाइस पर निर्भर करता है.
- इस तकनीक के माध्यम से कंप्यूटर को मोबाइल फ़ोन के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है.
- 5G के जरिए उच्च क्वालिटी के साथ विडियो स्ट्रीमिंग की जा सकती है.
- 5G नेटवर्क से तत्काल कनेक्शन स्थापित कर 5G नेटवर्क बेस स्टेशनों पर ट्रैफिक लोड कम करता है.
5G की कमियां
- 5G तकनीक अन्य मोबाइल तकनीक के मुकाबले अधिक महंगी है.
- इस तकनीक के लिए अलग से फ़ोन लेने होंगे अर्थात पुराने डिवाइस को 5G के सेलुलर नेटवर्क सपोर्ट नहीं करेंगे.
- 5G में सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर अभी भी कोई हल नहीं निकला है.
- इस तकनीक में दावा की जाने वाली स्पीड को हैंडसेट द्वारा प्राप्त करना चुनौती भरा हो सकता है.
Conclusion
आशा करता हूँ आपको मेरे द्वारा शेयर की गई जानकारी 1G, 2G, 3G, 4G और 5G क्या होता है? जरुर पसंद आई होगी. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है मोबाइल नेटवर्क जनरेशन (Mobile Network Generation in Hindi) से संबंधित पूरी जानकारी आप तक पहुँचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े.
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Your article is unmatchable. Thnx for info sir