Homeसाइंसरॉकेट क्या है और कैसे उड़ता है? जानिए सम्पूर्ण जानकारी

रॉकेट क्या है और कैसे उड़ता है? जानिए सम्पूर्ण जानकारी

क्या आप जानते हैं रॉकेट क्या है? जब भी हम रॉकेट शब्द सुनते हैं तो हमारे दिमाग में एक ऐसे व्हीकल की इमेज बनने लगती है जो पतला, लंबा और गोल होता है. हम रॉकेट को केवल अंतरिक्ष में जाने के लिए बना व्हीकल ही मानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं रॉकेट का मतलब एक इंजन भी हो सकता है. या कोई ऐसा व्हीकल जो इस रॉकेट इंजन का इस्तेमाल करता है. यह रॉकेट इंजन व्हीकल को आसमान में धकेलने का काम करता है.

आज के इस लेख में आप रॉकेट क्या होता है, यह कैसे उड़ता है और रॉकेट के उपयोग से संबंधित सवालों के जवाब जानेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं रॉकेट के बारे में पूरी जानकारी. 

रॉकेट क्या है? – What is Rocket in Hindi

rocket kya hai aur kaise udta hai

रॉकेट एक अंतरिक्ष वाहन या एक विशेष इंजन है, जो वाहन को हवा में आगे बढ़ाने का काम करता है. रॉकेट या रॉकेट इंजन किसी वस्तु को आसमान की तरफ बढ़ाने के लिए thrust (जोर) पैदा करता है, चाहे वो अंतरिक्ष यान हो जो पृथ्वी की परिक्रमा करेगा या कोई बोतल रॉकेट जो धमाके के साथ ऊपर फटेगा.

रॉकेट कैसे काम करता है?

दूसरे इंजन की तरह रॉकेट में भी ईंधन (fuel) का दहन होता है. अधिकतर रॉकेट इस ईंधन को गर्म गैस में परिवर्तित करते हैं. गैस को पीछे से बाहर की तरफ धकेला जाता है और रॉकेट आगे की तरफ बढ़ता है.

रॉकेट इंजन, हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाले जेट इंजन से काफी अलग होते हैं. जेट इंजन को कार्य करने के लिए हवा की आवश्यकता होती है. जबकि रॉकेट इंजन को हवा की कोई आवश्यकता नहीं होती.

रॉकेट इंजन अपने साथ खुद के कार्य करने के लिए आवश्यक हर सामान को लेकर चलते हैं. रॉकेट के साथ ऑक्सीकारक (oxidizers) पदार्थ होते हैं जो ईंधन जलाने के लिए ऑक्सीजन का काम करते हैं. रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले ईंधन और ऑक्सीकारक, जिन्हें propellants कहा जाता है, ठोस (solid) या तरल (liquid) अवस्था में हो सकते हैं.

रॉकेट इंजन हवा की गैरमौजूदगी में, अंतरिक्ष में आसानी से काम कर सकता है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर बिना हवा के ये रॉकेट इंजन कैसे उड़ लेते हैं? तो चलिए समझते हैं इसके बारे में.

रॉकेट कैसे उड़ता है?

अंतरिक्ष में रॉकेट एक वैज्ञानिक नियम के आधार पर काम करता है, जिसे न्यूटन का गति का तीसरा नियम (Newton’s third law of motion) कहा जाता है. इसाक न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया (action) के लिए समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है.

रॉकेट इंजन गर्म गैस को बाहर की तरफ धकेलता है जिससे गैस का तेजी के साथ निकास होता है और यह निकास रॉकेट को खुद की विपरीत दिशा में धकेलता है. रॉकेट गैस के निकास को पीछे की तरफ धकेलता है. गैस का निकास रॉकेट को ऊपर की तरफ बढ़ाता है.

इसे हम एक उदाहरण से भी समझ सकते हैं. मान लीजिए एक व्यक्ति स्केटबोर्ड (skateboard) पर खड़ा है और वह एक गेंद को फेकता है. गेंद आगे की तरफ बढ़ेगी. स्केटबोर्ड पर खड़ा व्यक्ति भी हिलेगा. वह व्यक्ति पीछे की तरफ बढ़ेगा, क्योंकि व्यक्ति का भार फेकी गई गेंद के भार से अधिक है.

रॉकेट लॉन्च के दो चरण

rocket launching

अंतरिक्ष के लिए बने बड़े रॉकेट कम से कम दो चरणों में कार्य करते हैं. प्रत्येक चरण के लिए अलग-अलग इंजन हो सकते हैं, जिनकी संख्या भी भिन्न हो सकती है. जैसे SpaceX के Falcon 9 रॉकेट के पहले चरण में 9 इंजन शामिल हैं, जबकि Northrop Grumman के Antares रॉकेट में दो इंजन शामिल हैं.

रॉकेट का पहला चरण, रॉकेट को निचले वातावरण (lower atmosphere) से बाहर निकालता है, इसके लिए कई बार side boosters का भी इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि पहले चरण में पूरे रॉकेट को इसके payload (लदा हुआ माल) और अप्रयुक्त ईंधन को उठाना होता है, जो सबसे बड़ा और शक्तिशाली भाग होता है.

रॉकेट जितनी तेज रफ़्तार से आगे बढ़ेगा, उतना ही अधिक हवा प्रतिरोध (air resistance) से इसका सामना होगा. लेकिन जैसे-जैसे रॉकेट ऊंचाई की तरफ बढ़ता जाएगा, वातावरण उतना ही पतला होता चला जाएगा. इसलिए इन दोनों तथ्यों के आधार पर लॉन्च के दौरान रॉकेट पर स्ट्रेस बढ़ेगा और कम हो जाएगा. सबसे अधिक स्ट्रेस जिस दबाव में होता है उसे max q (maximum dynamic pressure) कहा जाता है.

SpaceX Falcon 9 और United Launch Alliance Atlas V के लिए max q लिफ्टऑफ के 80 से 90 सेकंड बाद 7 से 9 मील की ऊंचाई के बीच उत्पन्न होता है.

जब पहला चरण अपने काम को पूरा कर लेता है, तब रॉकेट पहले चरण वाले हिस्से को गिरा देता है और दूसरे चरण को ignite करता है. इस चरण में लोड काफी कम होता है और निचले वातावरण के मुकाबले संघर्ष भी काफी कम होता है. इस बिंदु पर रॉकेट अपनी नोक पर लगी pointed cap को खुद से अलग कर देता है, जो पहले चरण के दौरान रॉकेट के पेलोड की रक्षा करता है.

रॉकेट से अलग होने वाले पार्ट्स कहां गिरते हैं?

ऐतिहासिक समय में, रॉकेट से अलग होने वाले हिस्सों को धरती की तरफ वापस गिरने के लिए छोड़ दिया जाता था और वे वातावरण में जलकर नष्ट हो जाते थे. लेकिन 1980 के दशक की शुरुआत में NASA के अंतरिक्ष यान इंजीनियरों ने रॉकेट के ऐसे पार्ट्स बनाए जिन्हें पुनः प्राप्त कर पुनः उपयोग किया जा सकता था.

SpaceX और Blue Origin जैसी प्राइवेट कंपनियां ऐसे रॉकेट तैयार किए हैं जो पहले चरण के साथ धरती की तरफ वापस आ सकते हैं और खुद को सही सलामत जमीन पर उतार सकते हैं. जितना रॉकेट के पार्ट्स का पुनः उपयोग किया जाएगा, रॉकेट लॉन्च उतना ही सस्ता होगा.

रॉकेट कितने प्रकार के होते हैं?

रॉकेट इंजन में इस्तेमाल होने वाले ईंधन के आधार पर रॉकेट को मुख्य तौर पर दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है:

(i) तरल ईंधन रॉकेट(Liquid Fuel Rocket)

(ii)  ठोस ईंधन रॉकेट (Solid Fuel Rocket)

तरल ईंधन रॉकेट  – आधुनिक रॉकेट के इंजनों में तरल ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे Space Shuttle orbiters का मुख्य इंजन और Russian Soyuz रॉकेट, इनमें liquid propellants (तरल प्रणोदक) का इस्तेमाल किया जाता है.

ठोस ईंधन रॉकेट – अंतरिक्ष यान के साइडों में दो सफेद रंग के solid boosters लगे होते हैं, इनमें solid propellants (ठोस प्रणोदक) का इस्तेमाल किया जाता है. आतिशबाजी के लिए रॉकेट और मॉडल रॉकेट में भी ठोस ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है.

अन्य इस्तेमाल होने वाले ईंधन के आधार पर

Ion Rocket – आयन इंजन में propellant के तौर पर ionized gas का इस्तेमाल किया जाता है. गैस ionized होने की वजह से electric field द्वारा प्रभावित हो सकती है. इलेक्ट्रिक फील्ड को उच्च वोल्टेज के साथ उत्पन्न किया जाता है, जो ions को इंजन से बाहर की तरफ उच्च वेग (high velocity) के साथ धकेलता है और thrust पैदा करता है. आयन इंजन बहुत ही कम गैस को अत्यधिक हाई स्पीड के साथ छोड़ता है. इसलिए आयन इंजन में केमिकल इंजन की बजाय कम ईंधन खर्च होता है.

Plasma Rocket – प्लाज्मा इंजन में propellant के तौर पर प्लाज्मा का इस्तेमाल किया जाता है, जो positive ions और electrons का एक electrically neutral mix होता है. प्लाज्मा को accelerate (त्वरित) करने के लिए electric field और उचित दिशा में निर्देशित करने के लिए magnetic field का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे प्लाज्मा इंजन से बाहर निकलता है और रॉकेट के लिए thrust पैदा करता है.

रॉकेट को कहां से लॉन्च किया जाता है?

दुनिया में बहुत सारे launch sites मौजूद हैं, जिनकी अलग-अलग खूबियां और खामियां हैं. सामान्य तौर पर एक launch site जितना भूमध्य रेखा (equator) के करीब होगा, वह उतना ही कुशल होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि भूमध्य रेखा पृथ्वी के ध्रुवों की बजाय अधिक तेजी से गति करती है. उच्च अक्षांश पर launch sites, सॅटॅलाइट्स को उन कक्षाओं (orbits) में आसानी से स्थापित कर सकते हैं जो ध्रुवों के ऊपर से गुजरते हैं.

रॉकेट के उपयोग क्या हैं?

रॉकेट का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाता है.

  • अंतरिक्ष उड़ान के लिए – राकेट की exhaust velocity बहुत अधिक होने की वजह से ( 9000 -16000 km/hour) इनका इस्तेमाल वहां किया जाता है जहां अधिक स्पीड की आवश्यकता होती है, जैसे कक्षीय गति (orbital speed) प्राप्त करने के लिए जो लगभग 28000 km/h होती है. अंतरिक्ष यान या कृत्रिम सैटेलाइट्स को कक्षा (orbit) में या इससे पार स्थापित करने का रॉकेट ही एकमात्र जरिया है. इनका इस्तेमाल तब भी किया जाता है जब कक्षा बदलने के लिए या पृथ्वी पर वापस उतरने के लिए अंतरिक्ष यान को तुरंत त्वरित (accelerate) करना होता है. पैराशूट की hard landing को जमीन छूने से पहले soft landing में बदलने के लिए भी रॉकेट का इस्तेमाल किया जाता है. 
  • विज्ञान और अनुसंधान के लिए – जब वैज्ञानिक वायुमंडल से संबंधित कोई रिसर्च करते हैं तो वे रॉकेट का ही इस्तेमाल करते हैं. आमतौर पर, पृथ्वी की सतह से 50 से 1500 किलोमीटर के बीच रीडिंग के लिए उपकरणों को ले जाने का काम Sounding rockets करते हैं. ये रॉकेट उन वैज्ञानिक प्रयोगों को पूरा करने में सक्षम हैं जिन्हें अंतरिक्ष में अधिक समय तक रोकने की आवश्यकता नहीं होती. 
  • सैन्य कार्यों के लिए – कुछ सैन्य हथियारों को उनके लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए रॉकेट्स का इस्तेमाल किया जाता है. जब हथियार में guidance system का इस्तेमाल किया जाता है और रॉकेट पर पेलोड होता है तो उसे मिसाइल (missile) कहा जाता है, और यदि यह unguided होता है तो इसे रॉकेट ही कहा जाता है. एंटी टैंक और एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलों में तेज स्पीड के साथ कई मिलो तक निशाना साधने के लिए रॉकेट इंजन का उपयोग किया जाता है.
  • खेल और मनोरंजन के लिए – कुछ ऐसे रॉकेट्स जिन्हें लकड़ी, कागज, प्लास्टिक या किसी अन्य हल्के मटेरियल से तैयार किया जाता है, इन्हें मॉडल रॉकेट कहा जाता है. इनका इस्तेमाल खेल और मनोरंजन के उद्देश्य से अधिक किया जाता है. मॉडल रॉकेट आकार में छोटे होते हैं और ये बहुत ही कम ऊंचाई (100 से 500 मीटर) तक उड़ान भरने में सक्षम होते हैं. इनका इस्तेमाल छात्रों को एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से संबंधित शिक्षा देने के लिए भी किया जाता है.

रॉकेट का आविष्कार कब हुआ था?

सबसे पहली बार रॉकेट का इस्तेमाल सन 1200 में चीन में किया गया था. ये ठोस (solid) रॉकेट्स थे जिनका इस्तेमाल आतिशबाजी के लिए किया गया था. सेना ने भी युद्ध में इनका इस्तेमाल किया. अगले 700 वर्षों में लोगों ने बड़े और बेहतरीन रॉकेट बनाए. इनका इस्तेमाल भी युद्ध के दौरान हथियार के रूप में किया गया. सन 1969 में अमेरिका ने Saturn V रॉकेट का इस्तेमाल करते हुए पहली बार इंसान को चाँद पर उतारा.

रॉकेट से जुड़े FAQ

1. मिसाइल और रॉकेट में क्या अंतर है?

मिसाइल के अंदर एक गाइडेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है, जो लॉन्च होने के बाद मिसाइल के मार्ग और लक्ष्य को बदल सकता है. जबकि रॉकेट को ईंधन की उपलब्धता और rocket launcher की ऊंचाई के आधार पर निर्देशित किया जाता है.

2. भारत ने पहला रॉकेट कब लॉन्च किया था?

भारत ने पहला रॉकेट 21 नवंबर, 1963 को लॉन्च किया था. यह अमेरिका से लिया गया एक नाइक-अपाचे रॉकेट था.

3. भारत का पहला रॉकेट कौन सा है?

भारत में बना पहला रॉकेट रोहिणी-75 था, जिसे 20 नवंबर 1967 को लॉन्च किया गया था.

4. रॉकेट की स्पीड कितनी होती है?

आमतौर पर रॉकेट की स्पीड को मीटर प्रति सेकंड या किलोमीटर प्रति सेकंड के हिसाब से मापा जाता है. रॉकेट को अंतरिक्ष में जाने के लिए धरती को बहुत तेज गति से छोड़ना होता है. नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं जो रॉकेट की स्पीड को दर्शाते हैं.

पृथ्वी के निचली कक्षा (low earth orbit) में जाने के लिए – 7.8 km/s (यानी 28,100 km/h)

पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बचने और पृथ्वी को छोड़ कर किसी दूसरे गृह या चाँद पर जाने के लिए – 11.19 km/s  (यानी 40,284 km/h)

Conclusion

उम्मीद करता हूँ आपको मेरा यह लेख “रॉकेट क्या है और कैसे उड़ता है” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है रॉकेट (What is Rocket in Hindi) से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि इस विषय के संदर्भ में आपको किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें.

Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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