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ग्लोबल वार्मिंग क्या है? ग्लोबल वार्मिंग के कारण, प्रभाव और रोकने के उपाय

ग्लोबल वार्मिंग क्या है (Global Warming in Hindi)? दुनिया लगातार प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रही है. कहीं बाढ़, कहीं सूखा तो कहीं तूफान और जंगल की आग जैसी घटनाएं अपना कहर बरपा रहीं हैं. पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं और समुद्र का जल स्तर बढ़ता जा रहा है. आज कहीं बिन मौसम बरसात हो रही है तो कहीं बारिश के मौसम में भी सूखा पड़ रहा है. जलवायु का यह परिवर्तन हमारे लिए एक चिंता का विषय बन गया है.

क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों हो रहा है? क्यों हमें मौसम में लगातार ये बदलाव देखने को मिल रहे हैं? यह सब हो रहा है ग्लोबल वार्मिंग की वजह से. ग्रीन हाउस गैसें जैसे कार्बन-डाइऑक्साइड, मीथेन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन इत्यादि के बढ़ते स्तर की वजह से पृथ्वी के तापमान में लगातार होने वाली बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है. यदि हम आने वाले कुछ सालों तक इस घटना से अनजान बने रहे और इसे रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाते हैं तो हमें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.

यदि हम पृथ्वी और अपना वजूद बचाना चाहते हैं तो हमें ग्लोबल वार्मिंग को समझना होगा और समय रहते इसे रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे. आज के इस लेख में आप ग्लोबल वार्मिंग क्या है, ग्लोबल वार्मिंग के कारण, प्रभाव और इसे रोकने के उपायों के बारे में जानेंगे. तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी.

ग्लोबल वार्मिंग क्या है? – What is Global Warming in Hindi

global warming in hindi

पृथ्वी की सतह के नजदीक धीरे-धीरे तापमान में वृद्धि होने की घटना को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है. ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण ग्रीनहाउस प्रभाव है जो कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2), क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) और अन्य प्रदूषकों की बढ़ती मात्रा से उत्पन्न होता है.

यह घटना पिछली एक या दो शताब्दियों से देखी जा रही है. वैज्ञानिकों द्वारा कई वर्षों से किया जा रहा अध्ययन स्पष्ट दर्शाता है कि पृथ्वी के तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. तापमान में होने वाले इस क्रमिक बदलाव ने पृथ्वी की जलवायु के स्वरूप को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है.

ग्लोबल वार्मिंग का एक नहीं बल्कि कई कारण हैं, जिनका मनुष्यों, जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों पर नाकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ये कारण प्राकृतिक और मानव गतिविधियों का परिणाम हो सकते हैं. ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ने से रोकने के लिए इसके प्रभावों को जानना और लोगों तक इसकी जानकारी पहुंचाना बेहद जरूरी है.

ग्लोबल वार्मिंग के कारण

नीचे आप उन कारणों को जान सकते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं.

ग्लोबल वार्मिंग के मानव जनित कारण

1. वाहनों का इस्तेमाल – भले ही वाहन हमारे कहीं आने-जाने को सुविधाजनक बनाते हों, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग का ये एक बड़ा कारण हैं. थोड़ी दूरी तक चलाने पर भी ये कई तरह की गैस उत्सर्जित करते हैं. वाहनों में जीवाश्म ईंधन का दहन होता है जो बड़ी मात्रा में कार्बन-डाइऑक्साइड वातावरण में छोड़ते हैं, जिस कारण तापमान में वृद्धि होती है.

2. क्लोरोफ्लोरोकार्बन – गर्मियों के दिनों में हम जिन एयर कंडीशनर (AC) और रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल करते हैं, असल में वही गर्मीं बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. इनके अत्यधिक इस्तेमाल से हम वातावरण में CFCs (क्लोरोफ्लोरोकार्बन) को जोड़ते हैं, जो वायुमंडलीय ओजोन परत को प्रभावित करती है. ओजोन परत धरती की सतह को सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है. CFCs, ओजोन परत का ह्रास करती है जिससे पराबैंगनी किरणों को धरती की तरफ आने का रास्ता मिल जाता है और वे पृथ्वी के तापमान को बढ़ाती हैं.

3. वनों की कटाई – पौधे ऑक्सीजन का मुख्य स्रोत होते हैं. वे पर्यावरण से कार्बन-डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, ताकि पर्यावरण संतुलन बना रहे. लेकिन घरेलू और व्यावसायिक जरूरतों को पूरा करने के लिए वनों को काटा जा रहा है. इससे पर्यावरण असंतुलन पैदा हो रहा है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देता है.

4. औद्योगिक विकास – जब से औद्योगीकरण की शुरुआत हुई है, तब से पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है. फैक्ट्रियों से होने वाला जहरीला उत्सर्जन पर्यावरण में जहर घोलने के साथ-साथ तापमान में भी वृद्धि कर रहा है. वर्ष 2013 में जलवायु परिवर्तन के लिए अंतर सरकारी पैनल ने बताया कि सन् 1880 से 2012 के बीच वैश्विक तापमान में 0.9 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है. यदि पूर्व औद्योगिक औसत तापमान से तुलना की जाए तो 1.1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. सुनने में यह वृद्धि भले ही कम लगती हो, लेकिन असल में तापमान वृद्धि की यह दर एक चिंता का विषय है.

5. कृषि – विभिन्न कृषि गतिविधियों से कार्बन-डाइऑक्साइड और मीथेन पैदा होती हैं, जो पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों के रूप में जुड़ती हैं और पृथ्वी के तापमान में वृद्धि करती हैं. उदाहरण के लिए मिट्टी में कीट और सूक्ष्मजीव गतिविधियां और पौधों के सड़ने से मिट्टी से कार्बन-डाइऑक्साइड निकलती है. बढ़ता पशुपालन, चावल की खेती और खाद्य अपशिष्ट मीथेन उत्पति का कारण बन रहे हैं.

6. बढ़ती आबादी – जनसंख्या का बढ़ना मतलब ज्यादा लोगों द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करना और कार्बन-डाइऑक्साइड छोड़ना. इससे वातावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है, जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली प्राथमिक गैस है.

ग्लोबल वार्मिंग के प्राकृतिक कारण

1. जलवाष्प – जल वाष्प एक प्रकार से ग्रीनहाउस गैस का ही रूप है. जब पृथ्वी का तापमान बढ़ता है तो जल निकायों (जैसे समुद्र, जलाशय) से और अधिक जल वाष्पित होता है, जो वातावरण में रहकर ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाता है.

2. जंगल की आग –  अक्सर हम न्यूज़ चैनलों पर जंगल में लगने वाली आग के बारे में ख़बरें सुनते रहते हैं. इन जंगलों की आग से बड़ी मात्रा में कार्बन युक्त धुआं निकलता है. ये गैसें वातावरण में घुल जाती हैं और पृथ्वी के तापमान को बढ़ाती है, परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग बढ़ जाता है.

3. ज्वालामुखी – ज्वालामुखी, ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा प्राकृतिक कारण माना गया है. ज्वालामुखी के फटने पर निकलने वाली राख और धुआं वातावरण में शामिल हो जाते हैं और जलवायु को प्रभावित करते है.

4. स्थायी तूषार (Permafrost) का पिघलना स्थायी तूषार (पर्माफ्रॉस्ट) यानी मिट्टी की एक मोटी उपसतह जो सालों तक फ्रीजिंग पॉइंट से नीचे रहती है, इसमें पर्यावरणीय गैसें फंसी हुई हैं. यह ग्लेशियर में मौजूद हैं. जब स्थायी तूषार पिघलता है तो यह गैसों को वापस पर्यावरण में छोड़ता है, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ता है.

Global Warming के प्रभाव

global warming effects

ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी की जलवायु और जीवन पर पड़ने वाले मुख्य प्रभावों को आप नीचे देख सकते हैं.

तापमान में वृद्धि – ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी के तापमान में एक आश्चर्यजनक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. सन 1880 से अब तक 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ चुका है. तापमान का बढ़ना गलेशियर के पिघलने का कारण बनता है, जो समुद्र के जलस्तर को बढ़ा देता है. आने वाले समय में तटीय क्षेत्रों में इसका विनाशकारी प्रभाव देखने को मिल सकता है.

जलवायु परिवर्तन – ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जलवायु परिस्थितियों में बदलाव हो रहे हैं. दुनिया के कई देश प्रत्येक वर्ष बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं का सामना कर रहे हैं. यह जलवायु असंतुलन ग्लोबल वार्मिंग का ही परिणाम है.

पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) के लिए खतरा – ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पारिस्थितिकी तंत्र बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. यह प्रवाल भित्तियों को प्रभावित कर रहा है जिससे समुद्री पौधों और जानवरों की जिंदगी समाप्त हो रही है. बढ़ते तापमान ने प्रवाल भित्तियों की नाजुकता को और बदतर बना दिया है.

कृषि पर प्रभाव – ग्लोबल वार्मिंग कृषि को प्रभावित कर सकता है. हालांकि, अभी तक इसके परिणाम हमें दिखाई नहीं दे रहे हैं, लेकिन आने वाले सालों में हमें इसका प्रभाव देखने को मिलेगा. जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ेगा, पौधों के लिए जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा और वे मरने लगेंगे. पौधे मनुष्य के भोजन का मुख्य स्रोत हैं, इसलिए आने वाले समय में भोजन की कमी हो सकती है.

रोगों का फैलाव – ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गर्मी और आर्द्रता (humidity) के स्वरूप में बदलाव हो रहा है, जिससे मच्छरों का आना-जाना बढ़ रहा है. ये मच्छर अपने साथ बीमारियों का फैलाव कर रहे हैं.

मृत्यु दर में वृद्धि – जिस प्रकार बाढ़ और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं, इनके साथ-साथ औसतन मृत्यु दर भी बढ़ रही है. साथ ही ऐसी बीमारियां फैलने का भी खतरा है जो मनुष्य की जिंदगी के लिए बाधा बन सकती हैं.

प्राकृतिक आवास को हानि/नुकसान – जलवायु में होने वाला वैश्विक बदलाव कई पौधों और जानवरों के आवास को नुकसान पहुंचाता है. ऐसी परिस्थितियों में जानवर अपना प्राकृतिक आवास बदलने के लिए मजबूर हो जाते हैं और कई जानवर लुप्त भी हो चुके हैं. यह जैव विविधता पर ग्लोबल वार्मिंग का एक और बड़ा प्रभाव है.

ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के उपाय

save our planet

ग्लोबल वार्मिंग को रोकना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हम अंतिम पीढ़ी हैं जो जलवायु परिवर्तन की दिशा को बदल सकते हैं, और यदि अभी हमने कोई एक्शन नही लिया तो इसके परिणाम भुगतने वाली अंतिम पीढ़ी भी हम ही होंगे. हम नीचे दिए गए उपायों की मदद से ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ने से रोक सकते हैं.

1. हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए. जैसा की हम जानते हैं, पेड़ पर्यावरण से कार्बन-डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं. कार्बन-डाइऑक्साइड हमारे वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों का 82 प्रतिशत निर्माण करती है. इसलिए पेड़ लगाकर हम इसे वायुमंडल से कम कर सकते हैं.

2. हमें निजी वाहनों का उपयोग कम करना चाहिए. वाहनों से होने वाला गैसीय उत्सर्जन का जलवायु परिवर्तन में सबसे बड़ा योगदान है. यदि हम वाहनों का इस्तेमाल बिल्कुल भी बंद कर देते हैं तो हमारी लाइफ बहुत अच्छी हो सकती है, लेकिन ऐसा करना सबके लिए संभव नहीं है. इसलिए हमें अपनी आदतों में सुधार करना चाहिए. हम प्राइवेट वाहन ऑर्डर करने की जगह carpooling या rideshare का सहारा ले सकते हैं. जितना संभव हो सके साइकिल से या पैदल चलने का प्रयास करें. पेट्रोल या डीजल से चलने वाले व्हीकल्स की जगह इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने का प्रयास करें..

3. अधिक रिसाइकिल करके हम ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ने से रोक सकते हैं. यहां मुख्य उद्देश्य वातावरण से कार्बन-डाइऑक्साइड को कम करना है. यदि आप अपने घर का केवल आधा कचरा रिसाइकिल करते हैं तो आप प्रतिवर्ष 2000 पौंड (907 kg) कार्बन-डाइऑक्साइड बनने से रोक सकते हैं.

4. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल, ग्लोबल वार्मिंग रोकने के प्रभावी तरीकों में शामिल एक तरीका है. हमें जीवाश्म ईंधनों की जगह सोलर, जियोथर्मल, पवन और बायोमास ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करना चाहिए. हमें घर पर पावर सप्लाई के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करना चाहिए.

5. हमें energy efficient ऊर्जा उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए. यदि हम energy efficient उपकरण जैसे bulbs, LED lights या solar powered shower system का इस्तेमाल करते हैं तो ऊर्जा खपत में काफी कमी आ सकती है और यह स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में भी मदद करता है. यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने का सबसे आसान तरीका है, जो वातावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा को कम कर सकता है.

6. ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ग्लोबल वार्मिंग की जानकारी पहुंचानी चाहिए और उन्हें इसके कारण, प्रभाव और रोकने के उपायों के बारे में बताना चाहिए. इसके लिए हम सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान चला सकते हैं. यदि आप इस जानकारी को अपने दोस्तों, परिवार वालों और सहकर्मियों के साथ शेयर करते हैं तो यह ग्लोबल वार्मिंग रोकने की शुरुआत का पहला कदम होगा.

Conclusion

उम्मीद करता हूँ आपको मेरे द्वारा लिखी गई जानकारी “ग्लोबल वार्मिंग क्या है, ग्लोबल वार्मिंग के कारण, प्रभाव और रोकने के उपाय” जरूर पसंद आई होगी. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है Global Warming in Hindi से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि इस विषय के संदर्भ में आपको किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे अन्य लोगों के साथ शेयर जरुर करें.

Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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