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ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है, इसके फायदे और नुकसान

ग्रीनहाउस प्रभाव (Greenhouse Effect in Hindi). ग्रीनहाउस प्रभाव प्रकृति की एक प्रक्रिया है जो धरती पर जीवन संभव बनाने के लिए जरूरी है. लेकिन जब यही ग्रीनहाउस प्रभाव जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है तो ग्लोबल वार्मिंग को जन्म देता है जो पृथ्वी की जलवायु के लिए एक खतरा बनता जा रहा है .

आज के इस लेख में आप ग्रीनहाउस प्रभाव से जुड़ी जानकारियों के बारे में जानेंगे जहां ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है, ग्रीनहाउस प्रभाव की प्रक्रिया, ग्रीनहाउस प्रभाव के लाभ और हानि इत्यादि के बारे में बताया जाएगा. तो आइये आगे बढ़ते हैं बिना किसी विलंब के और जानते हैं ग्रीनहाउस प्रभाव की पूरी जानकारी.

ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है? – What is Greenhouse Effect in Hindi

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ग्रीनहाउस प्रभाव, हवा में मौजूद गैसों की वजह से धरती की सतह और क्षोभमंडल के गर्म होने को कहा जाता है. इन गैसों में जलवाष्प, कार्बन-डाइऑक्साइड, मीथेन और अन्य कुछ गैसें शामिल हैं. ग्रीनहाउस प्रभाव तब पैदा होता है जब पृथ्वी की सतह पर सूर्य की गर्मी को ग्रीन हाउस गैसों द्वारा कैद कर इन्हें अंतरिक्ष में वापस जाने से रोक दिया जाता है. यह प्रक्रिया धरती की सतह को गर्म बनाए रखती है और इसे अत्यधिक ठंडा होने से रोकती है.

ग्रीनहाउस प्रभाव की प्रक्रिया

जब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल को पार करता हुआ पृथ्वी पर पहुँचता है तो पृथ्वी की सतह गर्म हो जाती है. गर्म सतह ऊष्मा (हीट) छोड़ती है, लेकिन यह ऊष्मा वापस अंतरिक्ष में जाने की बजाय वातावरण में मौजूद ग्रीनहाउस गैसों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है और परिणामस्वरुप वातावरण गर्म हो जाता है.

ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा सबसे ज्यादा होती है. यदि प्राकृतिक ग्रीनहाउस प्रभाव ना हो तो पृथ्वी का औसत तापमान – 18 °C (0°F) तक जा सकता है. शुक्र ग्रह पर कार्बन-डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा की वजह से अत्यधिक ग्रीन हाउस प्रभाव होता है, जिसके चलते सतह का तापमान 450 °C (840 °F) तक पहुँच जाता है.

विस्तार से:

ग्रीनहाउस प्रभाव को विस्तार से समझने के लिए हम ग्रीनहाउस को समझते हैं. ग्रीनहाउस, जिसे पौधा-घर या गरम घर भी कहा जाता है, कांच की दीवारों और छत से बना एक घर होता है. इसका इस्तेमाल पौधों की वृद्धि के लिए किया जाता है जैसे टमाटर या फूल वाले पौधे.

greenhouse

ग्रीनहाउस सर्दियों के समय में भी अंदर से गर्म रहता है. सूर्य की किरणें जब ग्रीनहाउस में प्रवेश करती हैं तब इसमें मौजूद पौधे और हवा गर्म हो जाते हैं. रात के समय या सर्दियों में जब बाहर का वातावरण ठंडा होता है तब भी ग्रीनहाउस अंदर से गर्म रहता है. क्योंकि ग्रीनहाउस की कांच की दीवारें सूर्य की ऊष्मा को कैद कर लेती हैं और इन्हें वापस नहीं जाने देती. यह सब पौधों के विकास के लिए जरुरी होता है.

ठीक इसी तरह ग्रीनहाउस प्रभाव पृथ्वी पर काम करता है. वायुमंडल में मौजूद गैसें जैसे कार्बन-डाइऑक्साइड, हीट को कांच की दीवारों की तरह ही कैद करती हैं. इन ऊष्मा कैद करने वाली गैसों को ग्रीनहाउस गैस कहा जाता है.

पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य से आने वाली अधिकांश visible lights को गुजरने देता है जिससे ये lights धरती पर पहुँचती है. जैसे ही धरती की सतह सूर्य के प्रकाश से गर्म होती है, यह इस ऊर्जा के एक हिस्से को infrared radiation के रूप में वापस अंतरिक्ष की तरफ छोड़ती है. लेकिन इन रेडिएशन को वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है जिससे वातावरण का तापमान बढ़ जाता है. बदले में गर्म वातावरण infrared radiation को वापस पृथ्वी की सतह की तरफ विकीर्ण करता है.

ग्रीनहाउस गैसें

वातावरण में हीट को ट्रैप कर ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसों को ग्रीनहाउस गैस कहा जाता है. प्राकृतिक ग्रीनहाउस प्रभाव के लिए जिम्मेदार गैसों में जलवाष्प (H2O), कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4) और नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) शामिल हैं. ये गैसें सौर विकिरणों को धरती की सतह तक जाने देती हैं लेकिन धरती द्वारा छोड़ी गई अवरक्त विकिरणों (infrared radiation) को अवशोषित कर लेती हैं. प्राकृतिक ग्रीनहाउस प्रभाव इन प्राकृतिक गैसों के कारण उत्पन्न होता है जो जीवन के लिए महत्वपूर्ण है.

ग्रीनहाउस प्रभाव तब अधिक बढ़ जाता है जब मानव गतिविधियो से पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ जाती है. मुख्य मानव जनित ग्रीनहाउस गैसें जिनकी मात्रा बढ़ने से ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ता है उनमें शामिल हैं:

  1. कार्बन-डाइऑक्साइड
  2. मीथेन
  3. नाइट्रस ऑक्साइड
  4. हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC)
  5. हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC)
  6. क्षोभ मंडलीय ओजोन

ग्रीन हाउस गैसों के उत्पन्न होने के प्रमुख कारण

ग्रीनहाउस गैस निर्माण के मुख्य कारण कुछ इस प्रकार है:

प्राकृतिक ग्रीन हाउस गैसें

  • पृथ्वी पर मौजूद जीवों द्वारा छोड़ी गई और समुद्र में पाई जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड मुख्य ग्रीनहाउस गैस के तौर पर जानी जाती है.
  • ज्वालामुखी के फटने और पेड़-पौधों के क्षय और आग लगने के कारण उत्पन्न मीथेन और भूमि एवं पानी में पाई जाने वाली नाइट्रोजन ऑक्साइड से ग्रीनहाउस गैसों का निर्माण होता है.
  • पर्यावरण में मौजूद जलवाष्प का ग्रीन हाउस प्रभाव में महत्वपूर्ण योगदान है. जब हवा में आद्रता बढ़ जाती है तो जलवाष्प द्वारा थर्मल ऊर्जा को अवशोषित कर लिया जाया है. ऐसी स्थिति में वायुमंडलीय तापमान बढ़ जाता है.

मानव जनित ग्रीन हाउस गैसें

  • जीवाश्म ईंधन जैसे कि पेट्रोल-डीजल और कोयले के दहन होने से ग्रीनहाउस गैस पैदा होती है. ये जीवाश्म ईंधन जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं जो वायु प्रदूषण को बढ़ावा देती है. 
  • जब गैस और कोयले के खदान और तेल के कुएं खोदे जाते हैं तो मीथेन गैस का निर्माण होता है.
  • वनों के काटने और जलाने पर (वनोन्मूलन) ग्रीन हाउस प्रभाव बढ़ता है. क्योंकि पेड़-पौधे मनुष्यों और अन्य जीवों द्वारा छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम करते हैं और ऑक्सीजन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
  • औद्योगिक गैसों का उत्सर्जन ग्रीन हाउस गैसों का निर्माण करता है. औद्योगिक गैसों की श्रेणी में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, फ्लोरीन गैस इत्यादि शामिल हैं.
  • फसलों में उर्वरक के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली कृत्रिम नाइट्रोजन, नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्पन्न करती है जिससे ग्रीन हाउस प्रभाव में वृद्धि होती है.
  • पालतू पशु जैसे कि गाय, भेड़, बकरी इत्यादि जब खाना पचाते हैं तो इनके पेट में मीथेन गैस का निर्माण होता है और यह गैस इनके गोबर करने पर वायुमंडल में मिल जाती है, जो ग्रीन हाउस प्रभाव को बढ़ाती है.
  • भू-स्तरीय ओजोन वायुमंडल में सबसे महत्वपूर्ण ग्रीन हाउस गैसों में से एक है. यह मुख्य तौर पर वायु प्रदूषण के कारण उत्पन्न होती है.

ग्रीनहाउस प्रभाव के फायदे

ग्रीनहाउस प्रभाव से होने वाले फायदों को आप निचे देख सकते हैं.

  • ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी की सतह पर एक निश्चित तापमान बनाए रखने में मदद करता है, जिससे पृथ्वी पर जीवन संभव होता है.
  • ग्रीन हाउस गैसें हानिकारक सौर विकिरणों को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने से रोकती हैं. ये गैसें धरती के लिए एक फिल्टर की तरह काम करती हैं और हानिकारक विकिरणों को वापस अंतरिक्ष में उछाल देती हैं.
  • ओजोन, जिसे महत्वपूर्ण ग्रीन हाउस गैसों में से एक माना जाता है, सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर इन्हें धरती पर आने से रोकती है. यदि वायुमंडल में ओजोन ना हो तो सूर्य की हानिकारक किरणें पृथ्वी पर पहुंच कर हमारे जीवन को प्रभावित कर सकती हैं.
  • ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी पर पानी के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है. मध्यम तापमान की वजह से पृथ्वी पर मौजूद बर्फ पिघलती नहीं है और ध्रुवीय बर्फ की टोपियां ध्रुवीय क्षेत्रों तक ही सीमित रहती हैं. 

ग्रीनहाउस प्रभाव के नुकसान

ग्रीनहाउस प्रभाव से होने वाले नुकसान कुछ इस प्रकार हैं:

  • ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि की वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ रही है. बढ़ती ग्रीन हाउस गैसें अधिक मात्रा में हीट ट्रैप करती हैं जिससे धरती का तापमान बढ़ जाता है. परिणामस्वरुप ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ पिघलने लगी है जिसके चलते बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन हो रहा है. साथ ही सूखा, बाढ़ और तूफ़ान जैसी आपदाएं पैदा हो रही हैं.
  • कार्बन डाइऑक्साइड, जो मुख्य ग्रीन हाउस गैसों में से एक है, का बढ़ता हुआ स्तर केवल समुद्री जीवन ही नहीं अपितु पौधों की प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को भी प्रभावित कर रहा है.
  • बढ़ते तापमान की वजह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं जिससे महासागरों में पानी का स्तर बढ़ रहा है और लाखों जिंदगियां खतरें में पड़ रही हैं. अगर इसी तरह से तापमान बढ़ता रहा तो समुद्री स्तर में वृद्धि होती जाएगी जो तटीय क्षेत्रों को डुबो देगा.
  • ग्रीनहाउस गैसें जैसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन, मीथेन, कार्बन-डाइऑक्साइड इत्यादि के संचय से समताप मंडल में ओजोन परत का ह्रास हो रहा है. ओजोन परत के ह्रास होने की स्थिति में हानिकारक पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर आ सकती हैं जो स्किन कैंसर का कारण बन सकती है और जलवायु में अत्यधिक बदलाव ला सकती है. 

ग्रीनहाउस प्रभाव वृद्धि का पर्यावरण पर असर

पृथ्वी के जलवायु संतुलन में गड़बड़ी का कारण ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ना है, जो वैश्विक औसत सतह तापमान में वृद्धि कर रही हैं. इस प्रक्रिया को ग्रीनहाउस प्रभाव की वृद्धि कहा जाता है. वैज्ञानिक इस बात से सहमत है कि ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा और वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि हो रही है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि भविष्य में इसके परिणाम क्या होंगे. 

ग्रीनहाउस प्रभाव को समझने के लिए वैज्ञानिक कुछ गणितीय मॉडल्स का प्रयोग करते हैं जो पर्यावरण में बदलाव को समझने में मदद करते हैं, जैसे तापमान, आर्द्रता, हवा की स्पीड और वायुमंडलीय दबाव. ये मॉडल्स बतलाते हैं कि भविष्य में पृथ्वी की सतह का तापमान और बढ़ेगा. इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं जैसे कि वैश्विक वर्षा में परिवर्तन, महासागर परिसंचरण, समुद्री स्तर में वृद्धि और प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, भूकंप इत्यादि. 

20वीं सदी की शुरुआत के बाद से औसत वैश्विक तापमान में लगभग 0.7 °C की वृद्धि हुई है. यह भले ही सुनने में इतना ज्यादा नहीं लग रहा है, लेकिन कुछ क्षेत्रों को वैश्विक औसत के मुकाबले अधिक चरम प्रतिक्रिया का अनुभव होगा.

भले ही तापमान वृद्धि कम मात्रा में है, लेकिन स्थायी रूप से तापमान में वृद्धि होना एक बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय विशेषताओं पर असर डालता है, जैसे लंबे समय में बर्फ की चादरें या वन आवरण का प्रभावित होना. आर्कटिक बर्फ का क्षेत्र, बर्फ के आवरण और ग्लेशियर की मात्रा लगातार घट रही है और समुद्र का स्तर बढ़ रहा है. समुद्री सतह का तापमान बढ़ गया है जो समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित कर रहा है. 

इसके अलावा वातावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड की बढ़ी हुई मात्रा के कारण भी समुद्र द्वारा अवशोषित कार्बन-डाइऑक्साइड की वृद्धि हुई है. इसने पूरे सतह महासागर की केमिस्ट्री को ही बदलकर रख दिया है. यह एक प्रक्रिया जिसे ocean acidification कहा जाता है और समुद्री जीवन से जुड़ी अन्य सरंचनाओं को जन्म देता है. मानव गतिविधियों जैसे जीवाश्म ईंधन के दहन, कृषि, वनोन्मूलन और अन्य गतिविधियों के कारण उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसें ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का मुख्य कारण बन रहे हैं.

ग्रीनहाउस से जुड़े FAQ

ग्लोबल वार्मिंग क्या है?

प्रदूषक, कार्बन-डाइऑक्साइड और क्लोरोफ्लोरोकार्बन से उत्पन्न ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बढ़ते तापमान को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है. इस घटना ने पृथ्वी की जलवायु को बदल कर रख दिया है.

ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ने के मुख्य कारण क्या हैं?

जीवाश्म ईंधनों का दहन, वनों की कटाई, खेती और पशुधन उत्पादन ग्रीनहाउस प्रभाव का कारण बनते हैं. उद्योग और कारखाने भी ग्रीनहाउस गैस को बढ़ावा देते हैं.

अगर ग्रीनहाउस गैसें पूरी तरह से समाप्त हो जाएं तो क्या होगा?

पृथ्वी पर सबसे अधिक पाए जाने वाली ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन-डाइऑक्साइड, जल वाष्प, मीथेन और क्लोरोफ्लोरोकार्बन शामिल हैं. ये गैसें धरती की सतह के नजदीक पाई जाती हैं. ये धरती की सतह से वापस विकीर्ण होने वाली सौर ऊर्जा को अवशोषित करती हैं. ऊर्जा अवशोषण के कारण वातावरण का तापमान बढ़ जाता है. इसलिए धरती पर जिंदगी के भरण-पोषण के लिए तापमान को बनाए रखने के लिए ग्रीनहाउस गैसें आवश्यक हैं. अगर ग्रीनहाउस गैसें ना हो तो धरती के तापमान में भारी कमी आ जाएगी, जो रहने के लायक नहीं होगा. परिणामस्वरूप धरती पर जीवन असंभव हो जाएगा. 

Conclusion

उम्मीद करता हूँ आपको मेरा यह लेख “ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है (Greenhouse Effect in Hindi)” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है Greenhouse Effect से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े.

अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें. 

Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

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