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Laser क्या है? – जानिए लेज़र तकनीक के बारे में

क्या आप जानते हैं Laser क्या है? अगर नहीं तो इस लेख को पूरा अवश्य पढ़ें. एक जमाना था जब डॉक्टरों के लिए बिना चिर-फाड़ और रक्त बहे सर्जरी करना संभव ही नहीं था. लेकिन आधुनिक युग में उन्नत तकनीक के चलते ऐसा करना अब संभव है. एक ऐसी तकनीक जिसे हम Laser Technology के नाम से जानते हैं, हर क्षेत्र में काफी प्रचलित हुई है. केवल सर्जरी ही नहीं बल्कि अन्य कामों में भी, जैसे किसी मेटल को कट करने, दूर स्थित ऑब्जेक्ट का पता लगाने, कक्षा में प्रस्तुतीकरण इत्यादि के लिए भी लेज़र का बखूबी इस्तेमाल किया जाता है.

आज के इस लेख में हम आपको लेज़र तकनीक के बारे में बताएंगे. जहां आप Laser क्या है और कितने प्रकार के होते हैं, Laser कैसे काम करता है, लेज़र के उपयोग इत्यादि के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे. तो चलिए अध्ययन शुरू करते हैं.

Laser क्या है? – What is Laser in Hindi

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लेज़र एक ऐसा उपकरण है जिसमें विशिष्ट तरंग दैर्ध्य के साथ प्रकाश उत्पन्न करने के लिए परमाणुओं या अणुओं को उतेजित किया जाता है और प्रकाश को बढ़ाया जाता है. इसमें रेडिएशन की एक बहुत संकीर्ण किरण (narrow beam) उत्पन्न की जाती है.

लेज़र से उत्सर्जन के दौरान अत्यंत सिमित सीमा तक दृश्यमान, अवरक्त (infrared) या पराबैंगनी (ultraviolet) तरंग दैर्ध्य निकलती है. इनसे निकलने वाली प्रकाश की किरणें बहुत ही शक्तिशाली होती हैं जो आसमान में मिलों का सफर तय कर सकती हैं और ये धातुओं की सतह को भी काट सकती हैं. वैज्ञानिकों द्वारा उच्च विविध विशेषताओं के साथ कई तरह के अलग-अलग लेज़र विकसित किए गए हैं.

Laser का Full Form

Laser का फुल फॉर्म Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation है. हिंदी में “विकिरण के उत्सर्जन से प्रेरित लाइट प्रवर्धन”.

Laser Light के बारे में

लेज़र से निकलने वाली लेज़र लाइट (प्रकाश) समान्य प्रकाश की तुलना में बेहद अलग होती है. किसी भी लेज़र लाइट में नीचे दिए गए ये तीन गुण पाए जाते हैं जो इसे सामान्य लाइट से अलग बनाते हैं:

1. लेज़र लाइट एक ही रंग की light होती है. इसमें एक विशिष्ट तरंग दैर्ध्य (wavelength) शामिल होती है. यह तरंग दैर्ध्य इलेक्ट्रॉनों के lower orbit में गिरते समय निकलने वाली ऊर्जा की मात्रा पर निर्भर करती है, जिसके बारे में आप आगे विस्तार से पढेंगे.

2. उत्पन्न होने वाला प्रकाश सुसंगत होता है. प्रत्येक फोटॉन दूसरे फोटॉन के साथ नियमबद्ध रूप से गति करता है. यानी सभी फोटॉन एक सुर में एक साथ लॉन्च होते हैं.

3. यह लाइट अत्यंत दिशात्मक होती है. एक लेज़र लाइट से बहुत टाइट, मजबूत और केंद्रित किरण निकलती है. जबकि फ़्लैशलाइट कई दिशाओं में प्रकाश छोड़ती है, जो बहुत कमजोर और बिखरी हुई होती है.

Laser कैसे काम करता है?

लेज़र कैसे काम करता है, यह समझने से पहले हमें परमाणु (Atom) के बारे के समझना होगा. हमारे आस-पास हमें जितनी भी वस्तुएं दिखाई देती है सब परमाणुओं से मिलकर बनी हैं. हमारा शरीर भी परमाणुओं से मिलकर बना है. दुनिया में 100 से अधिक प्रकार के परमाणु मौजूद हैं. हमें दिखाई देने वाली हर वस्तु इन परमाणुओं के असीमित संख्या में संयोजन की वजह से बनी है.

इन परमाणुओं के एक साथ व्यवस्थित होने और बंधने के आधार पर ही तय होता है कि इनसे कोई धातु बनेगी, तरल बनेगा या कोई अन्य वस्तु बनेगी. उदाहरण के लिए पानी, जिसका रासायनिक सूत्र H2O है, अर्थात पानी के एक अणु में हाइड्रोजन के 2 परमाणु और ऑक्सीजन का 1 परमाणु संयोजित है. यानी कि पानी के एक अणु में कुल तीन परमाणु मौजूद हैं. पानी की एक बूंद में अरबों अणु शामिल होते हैं.

परमाणु कभी भी स्थिर नहीं होते, वे लगातार गति करते रहते हैं. वे कंपन करते हुए गति करते हैं और घूमते रहते हैं. यदि आप किसी कुर्सी या बेड पर अभी बैठे हैं तो इसमें मौजूद परमाणु भी गति कर रहे हैं. 

इन परमाणुओं के पास अलग-अलग ऊर्जा हो सकती है. जैसे कि हम जानते हैं, एक परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं और नाभिक के बाहर ऑर्बिट में इलेक्ट्रॉन मौजूद होते हैं. सामान्य तौर पर ये इलेक्ट्रॉन ground state पर रहते हैं, जिसे न्यूनतम ऊर्जा स्तर (lowest energy level) माना जाता है. लेकिन जब इन पर बाहरी स्रोत से एनर्जी अप्लाई की जाती है तो ये इलेक्ट्रॉन ground state को छोड़ देते हैं और ऊपर की तरफ उठते हैं, जिसे इनकी excited state (उत्तेजित स्तर) कहा जाता है. इसलिए जब किसी परमाणु को अतिरिक्त ऊर्जा (प्रकाश या हीट) दी जाती है, तो इसके इलेक्ट्रॉन lower energy orbital को छोड़ कर higher energy orbital में पहुँच जाते हैं, जिसे excited level कहते हैं.

परमाणु कितना excited होगा, यह निर्भर करता है उस ऊर्जा पर जो हीट, प्रकाश या बिजली के माध्यम से परमाणु को दी जाती है. जब इलेक्ट्रॉन higher energy orbit में पहुँच जाता है तो अंत में वह वापस आराम की अवस्था में आने के लिए ground state की तरफ आना चाहता है. और जब वह वापस आता है तो बाहरी स्रोत से मिली ऊर्जा को फोटॉन (प्रकाश का एक कण) के रूप में उत्सर्जित करता है.

हम परमाणुओं को हमेशा फोटॉन के रूप में ऊर्जा उत्सर्जित करते हुए देखते हैं. उदाहरण के लिए जब हम टीवी स्क्रीन पर चित्र देख रहे होते हैं तब असल में हम उस समय फास्फोर परमाणुओं को देख रहे होते हैं जो उच्च गति के इलेक्ट्रॉनों द्वारा excited होते हैं और अलग-अलग रंगों का प्रकाश छोड़ रहे होते हैं.

लेज़र और परमाणु (Atom) के बीच संबंध

लेज़र, फोटॉन रिलीज करने के लिए परमाणुओं को दी जाने वाली ऊर्जा के तरीके को नियंत्रित करता है. Laser का फुल फॉर्म ‘Light amplification by stimulated emission of radiation’ अपने काम करने के तरीके के बारे में बताता है. इसका हिंदी में अर्थ है ‘विकिरण के उत्तेजित उत्सर्जन द्वारा प्रकाश प्रवर्धन’. यहां विकिरण यानी रेडिएशन जो फोटॉन की धारा (प्रवाह) होती है और प्रकाश प्रवर्धन यानी प्रकाश बढ़ाने की क्रिया.

लेज़र के भीतर lasing medium को एक external source के जरिए ऊर्जा स्थानांतरित की जाती है (इसे pumping प्रक्रिया कहा जाता है) और परमाणुओं को excited state में लाया जाता है. आमतौर पर प्रकाश की बहुत तेज चमक या electrical discharge के जरिए ऐसा किया जाता है. अत्यधिक मात्रा में परमाणु उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉनों के साथ excited state में पहुंच जाते हैं.

लेज़र के कुशलतापूर्वक काम करने के लिए बड़ी संख्या में परमाणुओं का excited state में होना आवश्यक है. आमतौर पर परमाणु अपने ground state से तीन या चार स्तर (लेवल) तक ऊपर जा सकते हैं. यह population inversion को बढ़ा देता है. Population inversion का मतलब है excited state के परमाणुओं की संख्या बनाम ground state में संख्या.

जैसे ही lasing medium को pump किया जाता है, यह excited level के साथ परमाणुओं का संग्रह करता है. इन excited इलेक्ट्रॉनों के पास, ground state में मौजूद इलेक्ट्रॉनों की अपेक्षा अधिक एनर्जी स्टोर होती है. जब ये excited इलेक्ट्रॉन अपनी आराम अवस्था में आते हैं तो स्टोर की गई ऊर्जा को फोटॉन के रूप में छोड़ती है.

इन उत्सर्जित फोटॉन की एक अत्यंत विशिष्ट तरंग दैर्ध्य (रंग) होती है. यह तरंग दैर्ध्य फोटॉन निकलते समय इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा स्तर पर निर्भर करता है. यदि दो समान परमाणु, समान स्तर पर इलेक्ट्रॉनों के साथ हैं तो वे समान तरंग दैर्ध्य के साथ ही फोटॉन रिलीज़ करेंगे.

Laser Light का बनना

लेज़र लाइट, साधारण फ़्लैशलाइट से काफी अलग होती है. क्योंकि साधारण फ़्लैशलाइट में सभी परमाणु फोटॉन को randomly रिलीज करते है जबकि stimulated emission में फोटॉन नियमबद्ध रूप से उत्सर्जित होते हैं.

किसी भी परमाणु द्वारा रिलीज होने वाले फोटॉन की एक निश्चित तरंग दैर्ध्य होती है, जो इलेक्ट्रॉनों के excited state और ground state के बीच ऊर्जा अंतर (energy difference) पर निर्भर करती है. यदि कोई फोटॉन किसी दूसरे परमाणु से टकराता है, जिसके इलेक्ट्रॉनों उसी excited state में हैं तो stimulated emission पैदा होता है.

पहला फोटॉन अपने नजदीकी परमाणु को उत्तेजित करता है, जिससे उसी आवृत्ति और दिशा में एक और फोटॉन उत्पन्न होता है. इस प्रकार यह क्रिया पूरे laser medium में चलती रहती है.

Laser medium के प्रत्येक छोर पर एक mirror लगा होता है. एक विशिष्ट तरंग दैर्ध्य और अवस्था के साथ फोटॉन इन mirror से reflect होते हैं और lasing medium में आगे-पीछे ट्रेवल करते हैं. इस दौरान वे अन्य इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित (excite) करते हैं और उसी तरंग दैर्ध्य और अवस्था के साथ और अधिक फोटॉन का उत्सर्जन होता है.

इस प्रकार एक झरना प्रभाव उत्पन्न होता है और एक तरंग दैर्ध्य और अवस्था के साथ कई सारे फोटॉन एक साथ उत्सर्जित होते हैं. Laser medium के एक छोर पर लगा mirror half-silvered होता है, अर्थात कुछ लाइट को यह रिफ्लेक्ट करता है और कुछ को बाहर जाने देता है, जिसे हम लेज़र लाइट कहते हैं.

वास्तविक, तीन ऊर्जा स्तर लेज़र (Three-energy-level laser)

अभी हमने लेज़र के काम करने की विधि को जानने के लिए इसे दो ऊर्जा स्तर में समझा, लेकिन असल लाइफ में लेज़र तीन या चार ऊर्जा स्तर पर कार्य करते हैं. इसे आप नीचे दिए गए डायग्राम की मदद से समझ सकते हैं.

three-level-energy-laser

1. इलेक्ट्रॉन को उच्च ऊर्जा स्तर पर pumped किया जाता है.

2. पम्पिंग स्तर अस्थायी होता है, इसलिए इलेक्ट्रॉन तुरंत थोड़े lower energy स्तर पर आता है.

3. अब इलेक्ट्रॉन आराम अवस्था में आने के लिए ground state पर आता है और एक फोटॉन रिलीज़ करता है.

4. लाइट और एक इलेक्ट्रॉन एक excited energy स्तर पर हैं.

5. सामान तरंग दैर्ध्य और अवस्था के साथ दो फोटॉन उत्पन्न होते हैं.

6. मिरर फोटॉनों को reflect करता है.

साधारण Ruby Laser कुछ इस तरह से काम करता है

1. एक Ruby laser में एक फ़्लैश ट्यूब, एक रूबी रोड और दो मिरर लगे होते हैं, जिनमे एक half-silvered होता है. रूबी रोड lasing medium है जिसे फ़्लैश ट्यूब द्वारा pump किया जाता है.

excited atoms in lasing medium

2. फ़्लैश ट्यूब जलती है और रूबी रोड में प्रकाश डालती है. यह प्रकाश रूबी में परमाणुओं को उत्तेजित (excited) करता है.

excited atoms emitting photons

3. इनमें से कुछ परमाणु फोटॉन छोड़ते हैं.

reflecting photons in lasing medium through mirror

4. इनमें से कुछ फोटॉन रूबी के axis के समांतर (parallel) चलते हैं और वे mirror से reflect होकर आगे-पीछे उछलते हैं. जब वे crystal से होकर गुजरते हैं तो अन्य परमाणुओं को उत्तेजित करते हैं.

light coming out from laser

5. फोटॉन से निर्मित मोनोक्रोमेटिक, सिंगल-फेज प्रकाश रूबी को half-silvered mirror से छोड़ता है, जिसे हम laser light कहते हैं.

लेजर कितने प्रकार के होते हैं?

लेज़र में इस्तेमाल होने वाले lasing medium के आधार पर इसे 4 भागों में वर्गीकृत किया गया है, जिन्हें आप नीचे देख सकते हैं.

Solid State Lasers – जिन लेज़र में solid medium का इस्तेमाल किया जाता है उसे solid state lasers कहा जाता है. इनमें इस्तेमाल होने वाला solid material, ग्लास या crystalline material हो सकता है.

Gas Lasers – वे लेज़र जिनमें medium के तौर पर एक या एक से अधिक गैसों या वाष्प का इस्तेमाल किया जाता है, गैस लेज़र कहलाते हैं. इन्हें तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है:

i) Atomic Gas Lasers, जैसे He-Ne लेज़र.

ii) Molecular Gas Lasers, जैसे CO2 लेज़र.

iii) Ion Gas Lasers, जैसे आर्गन लेज़र.

Liquid Lasers – इन्हें Dye Lasers के नाम से भी जाना जाता है. ये वो लेज़र हैं जिनमें लिक्विड (तरल) का इस्तेमाल एक active medium के तौर पर किया जाता है. लेज़र में इस्तेमाल होने वाले active material को dye कहा जाता है. आमतौर पर sodium fluorescein, rhodamine B और rhodamine 6G का इस्तेमाल डाई के तौर पर किया जाता है.

Semiconductor Lasers – सेमीकंडक्टर लेज़र में active material के रूप में gallium arsenide का इस्तेमाल किया जाता है. इसे gallium arsenide laser भी कहा जाता है. यह आकार में छोटा होता है और LED की तरह ही काम करता है, लेकिन आउटपुट बीम की विशेषताएं लेज़र लाइट की होती हैं.

लेज़र से उत्सर्जित होने वाली तरंग दैर्ध्य

 लेज़र से निकलने वाली तरंग दैर्ध्य lasing medium पर निर्भर करती है. Lasing medium का चुनाव वांछित तरंग दैर्ध्य, पॉवर और पल्स रेट के आधार पर किया जाता है. कुछ लेज़र बहुत शक्तिशाली होते हैं जो स्टील को भी काट सकते हैं, जैसे CO2 लेज़र. CO2 लेज़र को काफी खतरनाक माना जाता है, क्योंकि यह अदृश्य infrared और microwave किरने उत्सर्जित करता है. इंफ्रारेड, रेडिएशन (ऊष्मा/हीट) होती है और यह लेज़र उस हर वस्तु को जला सकता है जिसपर इसे फोकस किया जाता है.

कुछ अन्य lasers जो बहुत कमजोर होते हैं और उनका इस्तेमाल pocket laser pointing के तौर पर किया जाता है. ये लेज़र आमतौर पर लाल रंग का प्रकाश छोड़ते हैं, जिनकी तरंग दैर्ध्य (wavelength) 630 और 680 nm के बीच होती है. नीचे कुछ विशिष्ट लेज़र और उनकी तरंग दैर्ध्य के बारे में बताया गया है.

LaserWavelength in Nanometer
Carbon dioxide10600 nm (Far Infrared Rays)
Nd : Yag1064 nm (Far Infrared Rays)
Ruby (CrAlO3)694 nm (Red)
Rhodamine 6G Dye570-650 nm (Tunable)
Helium Neon 633 nm (Red)
Helium Neon543 nm (Green)
Argon514 nm (Green)
Argon488 nm (Blue)
Nitrogen337 nm (UV)
Xenon Chloride308 nm (UV)
Krypton fluoride248 nm (UV)
Argon fluoride193 nm (UV)

पॉवर के आधार पर लेज़र का वर्गीकरण

जैविक क्षति (biological damage) होने की संभावना को आधार मानते हुए लेज़र को चार भागों में वर्गीकृत किया गया है. प्रत्येक लेज़र पर इन चारों वर्ग पदनामों में से एक अक label लगा होता है.

Class I – ये लेज़र खतरनाक स्तर की लेज़र रेडिएशन नहीं छोड़ते हैं.

Class I.A. – यह एक विशेष पदनाम है जो केवल उन lasers पर लगाया जाता है जिन्हें देखने के उद्देश्य से नहीं बनाया जाता. जैसे कि supermarket laser scanner. इन lasers की अधिकतम पॉवर लिमिट 4.0 mW होती है.

Class II – ये कम पावर के visible lasers होते हैं, जो Class I से अधिक उत्सर्जन करते हैं लेकिन radiant power 1 mW से अधिक नहीं होती. इनसे निकलने वाली लेज़र बीम इंसान की आँखों को damage कर सकती है. इनका इस्तेमाल laser pointers, classroom demonstration इत्यादि के लिए किया जाता है.

Class III.A – ये मध्यवर्ती पावर वाली continuous waves होती हैं. इनसे निकलने वाली लेज़र बीम को देखना आँखों को क्षतिग्रस्त कर सकता है. Class III.A लेज़र का इस्तेमाल Class II की तरह ही किया जाता है. इनका ज्यादातर उपयोग laser pointers और scanner में किया जाता है.

Class III.B – ये मध्यम शक्ति वाले लेज़र हैं. Class III.B लेज़र का इस्तेमाल spectrometry, entertainment light shows इत्यादि में किया जाता है. Class III.B लेज़र बीम को देखना आँखों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

Class IV – ये उच्च पावर के लेज़र हैं. इन्हें किसी भी तरह से (सीधे या व्यापक रूप से फैले हुए) देखना बहुत खतरनाक होता है. साथ ही आग लगने और त्वचा को नुकसान का खतरा होता है. Class IV लेज़र सुविधाओं के लिए महत्वपूर्ण नियंत्रण जरूरी है.

लेज़र के उपयोग

लेज़र के उपयोग निम्नलिखित हैं:

चिकित्सा के क्षेत्र में – लेज़र चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. रक्तहीन सर्जरी, किडनी स्टोन को नष्ट करने, आँखों की लेसिक सर्जरी, कैंसर का ईलाज, हेयर रिमूवल इत्यादि में लेज़र का इस्तेमाल किया जाता है. 

शिक्षा के क्षेत्र में – अधिकतर टीचर्स पढाई के दौरान laser pointers का इस्तेमाल करते हैं, ताकि वे अपने छात्रों का ध्यान पाठ के विशेष एरिया पर निर्देशित कर सके. कक्षाओं में laser projectors का इस्तेमाल किया जाता है जो हाई क्वालिटी की इमेज प्रदान करते हैं जिससे छात्रों को विषय के बारे में समझने में आसानी होती है.

संचार के क्षेत्र में – लेज़र का इस्तेमाल कम्युनिकेशन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए किया जाता है. कम लोस के साथ अधिक दूरी तक जानकारी भेजने के लिए ऑप्टिकल फाइबर कम्युनिकेशन का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही पानी के नीचे संचार स्थापित करने के लिए भी laser का उपयोग किया जाता है. इनके अलावा अंतरिक्ष में संचार, सॅटॅलाइट और रडार के लिए भी लेज़र का उपयोग होता है.

उद्योगों में – औद्योगिक क्षेत्रों में भी लेज़र का इस्तेमाल काफी अधिक किया जाता है. जैसे कि ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में हीट ट्रीटमेंट के लिए, इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री में integrated circuits के उपकरणों की ट्रिमिंग के लिए, पत्थर और शीशे काटने के लिए इत्यादि. दुकानों पर प्रोडक्ट पर लगे बार कोड को स्कैन करने के लिए लेज़र तकनीक का ही इस्तेमाल किया जाता है.

सैन्य कार्यों के लिए – लेज़र का उपयोग सैन्य कार्यो के लिए किया जाता है. जैसे किसी दूर मौजूद ऑब्जेक्ट की दूरी का पता लगाने के लिए laser finder का उपयोग. रात के समय गुप्त तरीके से दुश्मनों का पता लगाने के लिए लेज़र का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा दुश्मन की मिसाइल को नष्ट करने के लिए भी लेज़र का उपयोग किया जाता है.

विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में –  लेज़र के जरिए वैज्ञानिक particles की movement का पता लगा सकते हैं. किसी पदार्थ में परमाणुओं की संख्या ज्ञात करने के लिए लेज़र का इस्तेमाल किया जा सकता है. CD-ROM में डाटा स्टोर करने के लिए भी लेज़र का उपयोग होता है. इन सब के अलावा और भी बहुत चीजें जैसे धरती की रोटेशन, प्रदूषक गैसें, भूकंप, पानी के नीचे एटॉमिक ब्लास्ट इत्यादि का पता लगाने के लिए भी लेज़र का इस्तेमाल किया जाता है.

लेजर किस सिद्धांत पर कार्य करता है?

एक लेज़र stimulated emmision (उतेज्जित उत्सर्जन) के सिद्धांत पर कार्य करता है.

लेजर का आविष्कार कब और किसने किया?

लेज़र का आविष्कार सन 1960 में थिओडोर एच. मैमन (Theodore H. Maiman) नामक एक अमेरिकी भौतिक वैज्ञानिक ने किया.

Conclusion

उम्मीद करता हूँ आपको मेरा यह लेख “Laser क्या है? – जानिए लेज़र तकनीक के बारे में” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है लेज़र (Laser in Hindi) से संबंधित सभी जानकारियां आप तक पहुंचाने की ताकि इस विषय के संदर्भ में आपको किसी दूसरी वेबसाइट पर जाने की जरूरत ना पड़े. अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो या कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर जरुर करें.

Rahul Chauhan
Rahul Chauhanhttps://hindivibe.com/
Rahul Chauhan, Hindivibe के Author और Founder हैं. ये एक B.Tech डिग्री होल्डर हैं. इन्हें विज्ञान और तकनीक से संबंधित चीजों के बारे में जानना और लोगों के साथ शेयर करना अच्छा लगता है. यह अपने ब्लॉग पर ऐसी जानकारियां शेयर करते हैं, जिनसे कुछ नया सिखने को मिले और लोगों के काम आए.

3 COMMENTS

  1. Bro bahut he easy language Mai samjaya hai🙌🙌🤗.

    Laser mere exam kai liye important topic tha jo muje bahut hard lag rha tha. But ab nhi lag rha hai…

    Thanx bro😍

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